Friday, 5 September 2014

मेरी (एक बिधवा) कामाग्नि

मैं एक उच्च कुलीन जाति की  बिधवा हु । मेरे ससुर का उत्तरप्रदेश के एक शहर में बहुत बड़ा बिजनेस है, कोल्ड स्टोर ,प्रॉपर्टी डीलिंग, बड़े बिल्डर,
मेरा चेहरा ऐसा ही है गाल में दोनों तरफ तिल के निसान है
कालोना इजर है । धन दौलत की कोई कमी नहीं आज से 10 साल पहले मेरे पति एक रोड दुर्घटना में मारे गए । तब मैं 30 साल की थी, मुझे एक लड़की
एक लड़का है पति के निधन बाद मैं एक-  दो साल तक गमो में डूबी  रही पति के बिरह में फिर धीरे धीरे अपने बच्चो में खो गई और समय निकलने लगा जब तक पति थे उनसे रूपये ले लेती थी पर उनके जाने  के बाद हर बात पर   सास ससुर के सामने हाथ फैलाना पड़े,दोनों का मूड अच्छा रहे तो दे दे नहीं तो किसी न किसी बहाने टाल दे । मैं दो साल तक घर में कैदी की तरह जीवन बिताया ओर मेरी सास  जीना हराम कर दिया दिन ताने मार मार कर परेसान कर दिया मैं किसी मर्द का मुह तक नहीं  देख सकती थी । मैं गजब की खूबसूरत हु मेरे गोरे गोर बाएँ  गाल में तिल खूबसूरती में चाँद लगा देता है ,दाए गाल में भी कान के पास बड़ा सा तिल है जो खूबसूरती को और बढ़ा देता है । जब घर में कोई नहीं होता तो मन बहलाने के लिए 25 वर्षीय ड्राइवर से बात कर लेती उससे  हस बोल लेती एक बार सासु ने  माँ  ड्राइवर से बाते करते देख लिया तो उस ड्राइवर को निकाल  दिया और 60 साल के बूढ़े को ड्राइवर रख लिया ।  मैं घर के घुटन में बोर होने लगी अब मुझे बाहर जाने का मन करने लगा एक दिन जब घर में जब कोई नहीं था तब ससुर जी के गांव के परिवार का ही एक लड़का आया जो मुझे भाभी कहता था [इस लड़के का घर आना जाना लगा ही रहता है ये सगे परिवार का लड़का शादी सुदा है इस लिए सासु जी ज्यादा सक नहीं करती इसके ऊपर] मैं उससे बोली ''राजू मैं बोर हो जाती हु घर में और तुम्हारे ताया -ताई [बड़े पिता जी] एक एक रूपये के लिए तरसाते है मैं आगे की पढ़ाई पूरी करके नौकरी करनां चाहती हु तू मदद करेगा मेरा '' तो राजू बोला टीक है भाभी और अगले दिन राजू ने एक आइडिया दिया और बोला ''भाभी आप कंप्यूटर सीख लो अपने गाँव के पास के ही एक परिचित का कंप्यूटर सेण्टर है मम्मी पापा भी वहा के लिए मना नहीं करेंगे '' तो मैं बोली ''टीक है तू मम्मी पापा से बात कर ले'' और अगले दिन राजू ने मम्मी पापा [सास ससुर] से बात कर लिया तो मैं उसके  अगले दिन राजू के साथ कंप्यूटर सेंटर पहुंच गई [ये बात आज से 7 साल पहले की है] जहाँ पर सेंटर वाले सर और उनकी पत्नी मिली, मैं सर की पत्नी को देखते ही पहचान गई ये कई बार मेरे घर जा चुकी है और मुझे प्यार से मेरा नाम लेकर बुलाती है , मेरी सास को दीदी कहती है इस रिश्ते से सर की पत्नी मुझे बहू मानती है , सर भी बार बार मुझे ''बेटा-बेटा'' कहते जो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था क्योकि सर की ''एज'' मेरे से 7-8 साल ज्यादा होगी और उनकी पत्नी तो मेरे से एक दो साल की ही बड़ी होगी पर गाँव के रिश्ते के कारण ओ मुझे बहु मानती है। सर देखने में तो बहुत स्मार्ट नहीं लगते है ।  शरीर से पुरे सांड लगते है 6 फिट से भी ज्यादा उचाई और मजूबत वदन है ।
मैं थोड़ी थोड़ी मोटी पड़ गई हु पेट में थोड़ी थोड़ी चर्बी जमने लगी है

सर और मेरे चाचा ससुर एक साथ पढ़ते थे इस लिए सर भी मुझे बहू ही मान रहे थे । पहले  दिन जानकारी लेकर आ गई और अगले दिन ससुर जी के साथ जाकर एड्मिसन ले लिया एक साल के कोर्ष में ससुर जी ने सर से कहा की अपनी बहु का ध्यान रखना और मैं उस दिन चली आई और रोज रोज साम के समय ड्राइवर क्लास में छोड़कर आ जाये और क्लास ख़त्म होने के बाद वापस ले आये इस तरह से दो माह तक चलता रहा ससुर जी कही लेट हो जाए तो ड्राइवर भी लेट आये मुझे लेने के लिए तब तक मैं क्लास के बाहर खड़ी होकर ड्राइवर  इन्तजार करती थी , एक दिन सर बोले '' दीपिका बेटा जब तक ड्राइवर नहीं आये मेरे ऑफिस में बैठ जाया करो,इस तरह यहाँ खड़े होना मुझे अच्छा नहीं लगता '' तब मैं  सर की ऑफिस में सर के सामने वाली कुर्सी में जाकर बैठ गई, कुछ देर में सर आये और अपने काम में बीजी हो गए  ड्राइवर आ गया और उठकर  चली आई सर के ऑफिस से । अब यह रोज का क्रम हो गया मैं रोज सर की ऑफिस में बैठती और कभी कभी सर मुझसे बाते करते बाकी समय मैं चुपचाप बैठे बैठे ड्राइवर  का इन्तजार करती । सर जब भी कुछ कहते तो मुझे बेटा ही कह कर बोलते एक दिन सर मूड अच्छा दिखा तो मैं सर से बोली '' सर आप मुझे बार बार बेटा नहीं कहिये '' तो सर बोले '' क्यों बेटा '' मैं मुस्कुराते हुए बोली ''फिर से बेटा बोल दिया आपने '' तो भी मुस्कुराते हुए बोले ''टीक है नहीं कहुगा बेटा पर क्यों नहीं कहु बेटा ये तो बताओ '' तब मैं सर से झूठ बोली '' क्लास से सभी बेटा बेटा कह कर चिढ़ाते है मुझे [जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था क्लास में ] ''तब सर बोले ''टीक है आज से तुम्हे दीपू कहुगा अच्छा लगेगा '' तो मैं तपाक से बोली '' हां ओ भी दीपू कहते थे'' [मेरे पति मुझे प्यार से दीपू ही कहते थे] इतना कहने के बाद मुझे मेरे पति की याद आ गई और मेरे आँखों  आँसु  छलक पड़े और मैं रोने लगी करीब 3 मिनट तक रोटी रही और सर मुझे चुप कराते रहे चुप होने की जगह और रोने लगी तो सर ने हाथ पकड़ा और पुचकारते हुए मुझे समझाने लगे फिर भी मैं रोये जा रही थी तब सर ऑफिस की लाइट बंद करके अपनी कुर्सी से उठे और मेरे पास आकर मेरे आँखों के आँसू पोछने लगे अपनी रुमाल से,आशु पोछते हुए मेरे गालो तक के बहे हुए आँसू को पोछ दिया,पति के  बाद पहली बार किसी पराये पुरुष ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे गालो पर हाथ लगाया [सर के केबिन में काले कांच लगे हुए है,इसलिए अंदर क्या हो रहा है दिखाई नहीं देता है] मैंने सर  के हाथ से रुमाल लेते हुए खुद अपने आशु पोछने लगी , रुमाल से बहुत ही प्यारी खुसबू निकल रही थी , मैं नाक पोछने के बहाने कई बार रुमाल को सुघीं मुझे बहुत ही अच्छी खुसबू आ रही थी रुमाल में , कुछ देर तक और बैठी ऑफिस में इतने में ड्राइवर का फोन आ गया तो मैं उठकर चली गई । अब तो रोज रोज सर के ऑफिस में बैठती और धीरे धीरे सर से खूब घुल मिल गई,अपने मन की बाते सर को बताती और मन को हल्का कर लेती,बात करते करते सर ने कई बार मेरे हाथ को पकड़ कर समझाते तो मुझे सर का मेरा हाथ पकड़ना बहुत अच्छा लगता । सर की रुमाल को कई दिनों  सूंघती रही । एक दिन हिम्मत करके सर से पूछ लिया '' सर आप कौन सा सेंट यूज करते है , आपके रुमाल अच्छी खुसबू आती है '' तब सर बोले '' मैं कोई सेण्ट नहीं लगाता हु रुमाल में तो पसीने की बदबू आती है जिसे आप खुसबू समझती हैं '' तब मैंने सर को बोली ''आप झूठ बोल रहे है'' तो सर बोले ''नहीं सच कह रहा हु'' तब मैं हिम्मत करके फिर से बोली '' मैं कैसे मानु की आप सच कह रहे है '' तब सर बोले ''सूंघ कर देख लो '' तब मैं अपनी कुर्सी से उठी और सर के पास गई और बोली ''चलिए सुँघाईए ''  तब सर बोले रुको और इतने में रूम की लाइट बंद कर दिया और सर्ट के ऊपर की दो तीन बटन खोल दिया और बोले ''लो सूंघ लो ''तब मैं सर के पास गई और उनके सीने के आसपास सूंघने लगी,उनके वदन से खुसबू आ  रही थी तब मैं बोली ''कौन सा डियो स्प्रे
इस तरह से बाल खोलकर सर के पास स्टाइल में बैठी रहती सर से बाटे करते हुए
करते है '' तो बोले ''कोई नहीं '' मैं फिर बोली ''झूठ बोलते है आप'' तब सर ने मेरे सिर पर अपना हाथ रखा और बोले ''तेरी कसम'' और इतना  कह कर मेरे गाल में धीरे से प्यार से एक हलकी से चपत लगाया जो मुझे बहुत अच्छा लगा सर के ये सब्द 
''तेरी कसम'' मेरे कानो में गूजते रहे मैं और नजदीक जाकर सर की ''कखौरी'' को सूँघी तो उससे भी खुसबू आ रही थी ऐसा लग रहा था सूंघती रहु पर हया के मारे दूर होकर कुर्सी में बैठ गई और सर ने अपनी सर्ट की बटने लगाकर लाइट जलाकर कुर्सी  गए इतने में एक स्टूडेंट  आ गया उससे बाते करने लगे तो ड्राइवर का फोन आया मैं उठकर चली आई । ड्राइबर के रोज रोज छोड़ने जाने से ससुर जी को परेसानी होने लगे तो सेंटर आने जाने के लिए दो माह बाद ही एक स्कूटी खरीद दिया तो अब मैं स्कूटी से आने-जाने लगी पर मेरा मन स्टडी में कम लगता, बार बार किसी न किसी बहाने सर की ऑफिस में जाती और बैठकर बाते करती ,घर आती तब भी सर की याद सताती मुझे सर से प्यार हो गया पर सर को मुझसे है प्यार  कैसे जानू मैं । पर सर खूब हसकर बाते करते पर डरती उनसे हिम्मत नहीं पड़ती कुछ कहने की तो मैंने सोसल साइट सहारा लिया और सर से आर्कुट में दोस्ती कर लिया और चेट करने लगी  वहा भी खुलकर लिखने डरने लगी हिम्मत नहीं पड़ती कुछ कहने की पति के निधन हुए तीन साल अधिक हो गए मेरे जिस्म में कामज्वाला धधकने लगी, खासकर जब मेरे सास ससुर के कमरे में कभी कभी सासु जी की चुदाई की आवाज सुनती तो जिस्म और तड़प उठता तो अपनी कामपिपासा को सांत करने के लिए उंगलियो को चूत पर घिस लेती और काम की ज्वाला सांत कर लेती एक दिन  ऑनलाइन फ्रेंड से पता लगाया की ''सेक्स ट्वाईस '' मिलते है तब मैं चुपके से मुह बांधकर कई  दूकानो  से सेक्स ट्वॉयस तलासी पर कही नहीं मिली दिनों दिन मेरी काम ज्वाला बढाती जाती क्योकि घर में कोई कमी नहीं थी कोल्ड स्टोर्स में तीन तीन भैंसे है रोज रोज 1 लीटर ताजा सुद्ध दूध पीती हु सेक्स की ज्वाला दिनिदिन बढाती जाती, जब चुदाने का बहुत मन होता तड़पने लगती तो वाथरूम सावर खोलकर बैठजाति नंगी होकर और कभी कभी अपनी ही ऊँगली को ही चूत में डालती निकालती और सेक्स तृप्ति  असफल प्रयास करती तो सर का बलिष्ट शरीर सामने नाचने लगता, मैं कैसे भी करके सर से चुदवाने बेताब होने लगी । इसलिए  सर के पास रोज देर तक बैठती खूब बाते करती और जब लेट हो जाती तो घर में बहाना बना देती एस्क्ट्रा क्लास की  । अपने  मन की सभी बाते सर से शेयर करती यहाँ तक की माहवारी में गड़वड़ी तक की बाते कर लेती खूब बन ठनकर जाती घर से निकलती तो सिर ढाक कर निकलती और सर  पहुचती तो  सिर से पल्लू हटा देती और बालो को अपने कंधो तक बिखेर लेती और स्टाइल के साथ सर के पास बैठती और घंटो बाते करती ।  गाढ़ी लाल रंग की लिपस्टिक लगाकर जाती । सासु जी मना करती लिपिस्टक लगाने के लिए तो रस्ते में  कार में बैठे बैठे लगा लेती  स्कूटी से आती तो रोड किनारे सुनसान जगह पर रोक कर लगा लेती । 
होठो को इस तरह के लाल रंग की लिपस्टिक लगा  कर सर को रिझाती


         समय निकलते देर नहीं लगा और 6 माह बाद मेरी फर्स्ट सेमिस्टर की एक्साम आ गई और एक्जाम पास के ही दूसरे सहर में थी जहा जाने के लिए एक घंटा लगता है । सभी स्टूडेंट ने मिलकर एक बोलोरे किराए पर सेट कर लिया मैंने भी मेरे हिस्से किराया दे दिया पर जब मैं अगले दिन एग्जाम देने के समय पहुंची तो बोलोरे जा चुकी थी ,तब मैं सर के पास गई तो सर बोले ''गाडी तो गई'' इतना सुनते ही मैं रुवासी होकर सर से बोली ''अब कैसे जाऊ अकेले इतनी दूर एग्जाम देने'' तो सर बोले  '' चिंता नहीं करो मैं भी जाउगा एक्साम सेण्टर आज पहले दिन'' इतना सुनते ही मेरी जान  में जान आई और मैं पूछ लिया '' कार से जायेगे या बाइक से '' तो सर बोले ''बाइक से जाउगा'' इतना सुनते ही मैं मन ही मन खुस हो गई और सोचने लगी आज कई साल के बाद किसी मर्द के साथ बाइक पर बैठूगी और हवा से बाते करुँगी [मुझे बाइक पर बैठकर हवा में बाल लहराते चलना बहुत अच्छा लगता है]  
   
बेड में इस तरह से ब्रा और पेंटी में लेट गई मैं
   दिसंबर [2007] का महीना था एग्जाम का टाइम दोपहर में 2.30 से 5.30 तक का टाइम । 1 बज गए तो सर को बोली ''चलिए नहीं तो मैं लेट हो जाऊॅगी'' तब सर उठकर चल दिए और हम दोनों बाइक पर बैठ कर निकल लिए ।  जब तलक शहरी इलाका था तब तक तो सर से दूर बैठी रही जैसी ही शहरी इलाका ख़त्म हुआ मैं धीरे धीरे सर से चिपक कर बैठ गई कंधे में हाथ रखकर पतिपत्नी की तरह रास्ते भर सर से चिपक कर बैठी रही और बाते भी करती रही एग्जाम सेंटर कब आ गया पता ही नहीं चला ।  मैं एक्साम देने चली गई और 2.30 घंटे बाद 5.30 बजे सबसे आखिरी में पेपर देकर निकली तो सभी फ्रेंड इन्तजार कर रहे थे साथ चलने के लिए पर मैंने मना कर दिया और बोल दिया की अपनी कार से आई हु ड्राइवर के साथ तो सभी फ्रेंड्स चले गए और कुछ ही देर में सर आ गए [ये प्लान सर ने ही बनाये थे की लौटती समय भी मेरे साथ चलना] और दोनों फिर से चल दिए ,मैं थक गई थी मेरा सिर दुखने लगा तो चाय पीने की इच्छा जताई तो सर एक अच्छे से महंगे होटल में लेकर गए वही दोनों चाय पिये कुछ देर तक बाते किया और चल दिए तब तक 6 बज गए हल्का हलका अन्धेरा हो गया । करीब 30 मिनट के बाद सर ने  बाइक को एक सुनसान जगह पर रोक  कर मुझसे पूछे ''टाइलेट करोगी'' तो मैं सर्माते हुए गर्दन हिला दिया तो सर बोले चली जाओ उधर और एक तरफ इसारा किये तो मैं कुछ दूर जाकर पेसाब करने लगी मेरे पास से करीब 10 फिट की दुरी पर सर भी पेसाब करने लगे तो मैं उनके लण्ड को देखकर आस्चर्य चकित रह गई
खूब लंबा और  मोटा लण्ड था सर कर जब ओ पेसाब कर चुके तो लण्ड को अंदर करने के लिए सर्टिंग को खोला तब जाकर उनका लण्ड अंदर हुआ । और मैं बाइक के पास आकर खड़ी हो गई अँधेरे में ,सर जैसे ही मेरे पास आये मुझे पकड़ कर किस कर लिये और मेरी चूची को दबा दिया, मैंने सोचा भी नहीं था की सर मेरी जाल में इतनी जल्दी फस जायेगे मैंने कोई बिरोध नहीं किया और सर मेरी चुचियो को दबाते रहे अँधेरे में और पागलो की तरह मुझे किस करते रहे फिर कुछ देर में मेरे ब्लाउज में गले की तरफ से हाथ डालकर मेरी चुचियो को खिलाने लगे तो मैं भी उत्तेजित हो गई और जोर से उनको अपनी तरफ खीचते हुए सीने से चिपक गई और सर को किस करने लगी दोनों इतना उत्तेजित हो गए की सर मुझे रोड के किनारे गेहू के खेत की तरफ ले जाने लगे तो  मैंने मना कर दिया और बोली रहने दीजिये कोई जाएगा तो लफड़ा हो जाएगा फिर सर ने कंट्रोल किया हम करीब 15 मिनट तक रोड के किनारे अँधेरे में दूसरे से चिकपे हुए प्यार करते रहे ।  मेरी चूत में पानी आ गया फिर सर ने बाइक में किक मारी और दोनों चल दिए मैं रस्ते भर सर के जांघ के पास हाथ  रख कर बैठी रही और अपनी चुचियो को बार बार सर की पीठ में घिसती रही जब शहर पहुंची तो सिर पर पल्लू रख लिया और सर से दूर होकर बैठ गई , सर ने मुझे घर से कुछ ही दूर उतार दिया और  पैदल घर चली गई । अगले दिन फिर एग्जाम थी सर ने पहले ही रस्ते में कह दिया था की अब नहीं जाउॅगा तुम्हारे साथ नहीं तो मेरी पत्नी सक करेगी मैं तीन दिन मेरे क्लासमेट के साथ बोलेरो से गई और जिस दिन प्रैक्टकल था उस दिन फिर से सर के साथ गई ।                     

       प्रैक्टकल सुबह 9 बजे से था मैं जान बूझकर सेंटर लेट गई तब तक बोलेरो जा चुकी थी ।  तो मैं सर के साथ मैं सुबह 8 बजे बाइक से निकल लिए रास्ते में ठण्ड लगी तो सर की पीठ से चिपक कर बैठी रही । सर ने प्लान बनाया की प्रेक्टिकल एग्जाम देकर जल्दी निकल लेंगे और किसी होटल  जायेगे साम के 4 बजे तक के लिए मैंने हां कर दिया और प्लान के अनुसार सुबह 10 बजे तक प्रेक्टिकल देकर मैं सर के साथ निकल लिया वहा से सर रस्ते में एक मेडिकल स्टोर में रुके कोई मेडिसिन लिए और एक होटल में दोनों पहुंच गए ,सर ने होटल के रजिस्टर में अपनी पत्नी के रूप में नाम लिखवाया   दोनों 10.30 AM पर होटल ''रेडिएसन'' के कमरे के अंदर पहुंच गए क्या आलीसान रूम था जाते ही मैं बेड पर धड़ाम से गिर गई  सैण्डिल्य सहित मैं थक कर चूर हो गई थी एक्साम देते देते ।  मैं  बेड में लेटे लेटे ही सर को बोली ''सर चाय मगाओ बहुत थकी हु '' तब सर पलट कर बोले ''अब मुझे सर नहीं कहो'' तब मैं तुरंत पूछी ''फिर क्या कहु'' तब सर बोले ''जो भी अच्छा लगे नाम रख लो मेरा '' तब मैं बोली '' टीक है जानम'' और हॅंस दिया तो सर मेरे पास आये और किस करके चूची दबाते  हुए बोले ''अच्छा लगा ये नाम '' और फोन का रिसीवर उठाया और चाय नास्ता ऑर्डर कर दिया और मेरे पास आकर लेट गए तो मैं उनसे लिपट गई ।
मेरी चूचियाँ ऐसी ही है तीन साल से किसी दबाया नहीं तो कड़क हो गई
मैं सम्भोग के लिए तड़प रही थी क्योकि तीन साल से किसी मर्द को सपर्श तक नहीं किया जबकि सर इतने उतावले नहीं हो रहे थे क्योकि ओ तो अपनी पत्नी की बुर चोद कर संतुष्ट थे ।  दोनों प्यार से बाते  करते रहे 10 मिनट बाद वेटर नास्ता देकर चला गया तो दोनों ने नास्ता किया और वेटर को बुलाकर प्लेट दे दिया जिससे कोई डिस्टर्ब नहीं हो ।
इस तरह से मेरी चुचियो को चूसते रहे सर
वेटर  के जाते ही सर मेरे से लिपट गए और मुझे चूमने लगे मैं भी  सर से ऐसी लिपटी जैसे नाग-नागिन आपस में लिपट जाते है । सर मेरी जीभ को लालीपाप की तरह चूसने लगे मैं भी सर का साथ देने लगी । अचानक सर का हाथ मेरे ब्लाउज के नीचे मेरी चुचियो पर रेंगने लगा, और फिर ब्लाउज के एक एक हुक खुलने लगे फिर मेरी पीठ के नीचे हाथ डालकर मेरी ब्रा के हुक खोल दिया और मेरी चुचियो को बारी बारी से चूसने लगे और एक हाथ से मेरी साड़ी  खीचने लगे और कुछ देर में साड़ी को पेटीकोट से अलग कर दिया और बिस्तर बगल में रखे सोफे के ऊपर उछाल दिया और फिर पेटी कोट के नाड़े जैसे ही हाथ लगाया एक अजीब से सिरहन पुरे वदन में दौड़ गई मेरे रोंगटे खड़े हो गए पेट अंदर की तरफ खीच लिया तो मेरी चुचिया ऊपर की तरफ तन गई सर को भरपूर जोस आ गया था उन्होंने पेटीकोट नाड़े को खोलने लगे तो गठन  एक झटके   में नाड़ा तोड़कर निकाल दिया फिर जल्दी से मेरी पेंटी भी उतार दिया और मेरी चूत को चाटने लगे , मेरे तन-वदन में आग सी लगने लगी तो मैं जल्दी से उठी और सर के
फर्स्ट टाइम इस तरह से सर का लण्ड अपनी चूत में लिया
कपडे उतारने लगी और  कुछ ही मिनट में सर के सभी कपडे उतार कर निकाल दिया अब सर मेरे सामने एकदम से नंगे हो गए उनका 9 इंच के लगभग लंबा  मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा  लण्ड फनफना कर खड़ा था  मेरी कामाग्नि को बुझाने के लिए सर मेरे ब्लाउज और ब्रा को उतरने लगे तो मैंने खुद ही उतार दिया अब दोनों एक दूसरे के सामने बिलकुल नंगे हो कर आपस में एक दूसरे के कमर के पास पाँव रखते हुए बैठ गई तो सर ने कंडोम चढ़ाया अपने लण्ड पर और मेरी कमर पर अपने हाथ रखकर मुझे नजदीक खीच लिया और लण्ड  के सुपाड़े को मेरी चूत के किनारो पर  टच करके हलके हलके घिसने लगे तो मेरे तन वदन 
सर के ऊपर इस तरह से चढ़ गई और खूब चोदी सर को
लग गई तो मैं सर को नीचे गिरा दिया और उनके ऊपर चढ़ते हुए लण्ड को अपनी चूत में फ़साने लगी पर मेरी चूत 3 साल
में सिकुड़ गई थी थोड़ा सा लण्ड का सुपाड़ा घुसा दर्द हुआ तो मैं उठी और अपनी बेग में से कोल्ड क्रीम निकाली और सर के लण्ड पर लगा दिया और कुछ कोल्ड क्रीम अपनी चूत  किनारो में लगा कर चूत  चिकना कर लिया और सर के लण्ड के पास बैठ गई और लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर घिसने लगी और फिर लण्ड को चूत में डालकर ऊपर बैठ गई और धीर धीर लण्ड को चूत में

सर का लण्ड मेरी चूत में इस तरह से पूरा टाइट  फिट था 
डालने लगी कुछ ही सेकण्ड में पूरा का पूरा लण्ड चूत में घुस गया तो मुझे ऐसा लगा जैसे मरू स्थल  के प्यासे को ठंडा पानी  मिल गया हो, आह क्या मस्त मोटा-लंबा गरमा गर्म लण्ड था जो बर्फ की भाति गर्म चूत में ठंडक पहुंचा रहा था, मैं सर के  सीने में अपना सिर रखकर चुपचाप  लेट गई और करीब 3  मिनट तक बिना हिले डुले लण्ड की ठंडक से अपनी चूत की तपिस कम करती रही तब  सर ने अपने चूतड़ को हिला हिला कर धीरे धीरे लण्ड को आगे पीछे करने लगे तो एक एक हलके हलके झटके मेरी प्यासी चूत एक एक घूट पानी की तरह लगने लगी मैं भी अपने चूतडो को ऊपर नीचे करने लगी सर का लण्ड इतना अधिक लंबा था की मेरी नाभि तक घुस रहा था । जब मैं लण्ड की एक एक ठोकर में स्वर्ग के सैर कर रही थी तो सर मेरी चूचियों को चूस चूस कर स्वर्ग के आनंद को कई गुना ज्यादा बढ़ाते तब मैं लण्ड पर और जोर जोर से कूदती
सर इस तरह से लण्ड पेलते हुए साँड़ की तरह चढ़ गए मेरे ऊपर और चूत में ठोकरों की बरसात कर दिया
तब मेरी चुचिया और अधिक ऊपर नीचे होती तो सर मेरी चुचिओ को खिलाते दबाते और मेरी काम ज्वाला को भड़काते और मैं कामज्वाला को शांत करने  के लिए जोर जोर से कूदती  यह क्रम लगातार 5 मिनट तक चलता रहा की अच्चानक सर उठे और मुझे नीचे गिराते  हुए सांड की तरह मेरे ऊपर चढ़ गए लण्ड पेलते हुए और जोर जोर से  झटके मारने लगे मेरे मुँह से उउउ आह्हह्ह उउउउउउउआआ आहहहह आहाहा अहहः सेइस्स्स्स्स्स्स की आवाजे निकलने लगी मेरी आँखे बंद हो गई मुझे कुछ याद नहीं रहा ऐसा लगा लग रहा था जैसे मैं आसमान में बादलो के बीच घूम रही हु करीब 5 मिनट बाद मेरी आँखे खुली  सर को जोर से पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया और सीने  चिपका लिया और हाँफते हुए निढाल हो गई दिसंबर  में भी पसीना आ गया जिस्म में सर मेरे ऊपर जोर जोर से साँसे छोड़ते हुए कटे पेड़ की तरह लेट गए सर की गर्म गर्म सांसों से निकलती हुई खुसबू मुझे बहुत अच्छी लग रही थी मैं सर के मुह के पास अपना मुह ले गई और सर की सासों को खूब सुघी कुछ देर में सर मेरे ऊपर से उठ गए और मुझे अपनी तरफ खींचा अपने सीने से चिपकाया और बगल में लेट गए और मुझे किस करते हुए बाते करने लगे कुछ ही देर में जिस्म की गर्मी कम हुई और ठंडी लगने लगी तो मैं अपनी ब्रा और पेंटी को पहन लिया  कम्बल ओढ़ लिया  और सर को भी ओढ़ा दिया तो सर ने भी अपनी बनियान और चढ्ढि पहन लिया और कुछ देर बाते करने के बाद
कॉफी पीने की इच्छा पडी तो सर ने एक एक गिलास कॉफी मगाया दोनों ने कॉफी कम  दूध ज्यादा पिए फिर एक दूसरे को प्यार करते करते बातें करने लगे बात करते करते 12 बज गए ।  सर फिर से मेरी जीभ,होठ,को किस करने लगे मैं भी सर को प्यार करने लगी इतने में सर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरी चूची को चूसने लगे और एक हाथ को  पेंटी के नीचे डालकर मेरी चूत को सहलाने लगे कुछ ही मिनट में मैं फिर से चुदवाने के लिए तैयार हो गई तो सर के लण्ड को हाथ लगाया तो लण्ड टाइट पड़ चुका था । सर कुछ ही मिनट में फिर  से मेरे ऊपर चढ़ गए और लण्ड पेल दिया मेरी चूत में और फिर ओ गजब की चुदाई किया की दोनों पसीने से तरबतर हो गए  इस बार दोनों 15 मिनट तक बिना रुके सम्भोग क्रिया में लगे रहे । दोपहर के 1 बजे दोनों ने खाना खाया और सो गए फिर 3 बजे  फिर चुदाई का कार्यक्रम चला और 4 बजे दोनों होटल के कमरे से निकल कर वापस अपने शहर आ गए । 
 
      सर से चुदाते चुदाते 4 साल हो गए ,सर की पत्नी को सक हो गया तो 2011 में सर से दुरी बना लिया । मुझे हॉस्पिटल में नौकरी मिल गई तो हॉस्पिटल में एक डाक्टर को फसा लिया और कभी कभी उससे भी चुदवाने लगी पर अभी दिसंबर माह  2014 में सर एक दिन मेरे घर आये । मेरे सास-ससुर को आज तक सर और मेरे बीच के संबधो को लेकर संका नहीं हुई । सर को देखकर मैंने ही दरवाजा खोला तो मैं सर को और सर मुझे देखते ही रह गए । क्योकि मैं दुबली हो गई तो और अधिक  सेक्सी लगने लगी । सर को 3 साल बाद देखा पर सर में कोई परिवर्तन नहीं हुआ सर आज भी वैसे के वैसे ही रखे है सर के गाल और लाल टमाटर की तरह हो गए सर और अधिक स्मार्ट लगने लगे एक बार फिर से इच्छा पड़ गई सर से चुदाने की तो सर का वाट्सअप का नंबर लिया और सर से वाट्सअप में चुपके चुपके बाते करने लगी और अभी अभी 10  दिसंबर 2014 को फिर से सर के साथ उसी शहर उसी होटल में गयी और खूब चुदवाया सर से  । इस बार सर ने चुदाई में बहुत ज्यादा मजे दिया \ पर ने एक गलत काम किया ……  क्रमशः …… …………




1 comment:

  1. Hi I am Rahul from delhi.लड़की जो सेक्स करना चाहती है ,पर शर्म से नही कह पाती वो तुरन्त sms भेजे उसकी सभी इच्छाये पूरी होंगी, कोई लड़की चुदना चाहती है तो मुझे फ्रेंड Requst/sms भेजो ...कॉलेज मैं पड़ने बाल लड़कियां और भाभियाँ जिनकी चूत मैं खुजली है और जो लंड की दीवानी है...जो चुदाई की बातों का मज़ा लेना चाहती है..... या फिर रियल मैं पूरी तरह से राजदारी के साथ चुदाई के मज़े लेना चाहें ....... बो मेरे को अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजें... पहले चाट करिएँ... फिर मस्ती ही मस्ती.....मज़ाक रो मेरे साथ.... सो पहले दोस्ती करो फिर..... केवल लड़कियां और भाभियाँ ही call me on 9899901494.

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