दीपा सिंह 2008 में ऐसी ही लगती थी |
मैं अपनी भाभी के घर पहुच गया यहाँ रुकने के बाद फिर गाव जाता हु , मैं दोपहर में छत पर घूम रहा था तो बगल के छत में ओ मेडम जी मुझे दिखाई दी सर पर पल्लू लिए अपनी छत पर कपडे डाल रही थी , उन्होंने भी मुझे देखा और बड़े आस्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी और पास आकर धीरे से बोली बोली ''आप यहाँ कैसे '' तो मैंने उन्हें बताया कि ये मेरे भाभी का घर है तो ओ बहुत खुस हुई और बोली '' आप सुनीता भाभी के देवर है क्या ''तो मैंने हां कहा तो फिर से बोली '' आपने तो बताया नहीं था ट्रेन में '' तो मैंने तपाक से बोला ''आपने पूछा नहीं था ''तो ओ हसने लगी तो मैंने पूछ लिया आप यहाँ कैसे तो बोली ''ये मेरी ससुराल है '' तो मैं पूछ लिया कि आप फिर कहा से आई थी उस समय तो बोली '' इंदौर में मेरे मम्मी पापा रहते है '' तो मैंने पूछ लिया क्या करते है आपके पापा, तो बताया कि इंजीनियर है इंदौर में पापा हम दोनों कि बात हो ही रही थी कि इतने में भाभी आ गई और बोली किससे बात कर रहे है आप , इतने में मेडम जी बोली ''दीदी नमस्ते '' तो भाभी बोली दीपा तु कब आई तो बोली कि ''कल ही आई हु'' तो भाभी बोली तुम दोने कैसे जानते हो एक दूसरे को तो मैंने बोला ''रात भर सीट के लड़ते आये हम दोनों'' तो भाभी हसने लगी ओ ओ सरमा गई और कुछ नहीं बोली और नीचे चली गई मैं भी भाभी के साथ नीचे आ गया रूम में , भाभी से उनके बारे में पूछा तो भाभी ने बताया कि ये तो अपनी ही जाति के है और अनिता एक कालेज में प्रोफेसर है इसके पति बैंक में है अभी तीन साल पहले ही सादी हुई है बहुत अच्छे स्वभाव कि है बहुत इज्जत करती है मेरी फिर मैंने भाभी से पूछा कि ये यही के है या किसी गाव के है तो भाभी बोली कि इनका गाव अपने गाव के पास ही है ३-4 किलोमीटर दूर तो मैंने भाभी से पूछ लिया कि क्या नाम है इनके पति का तो भाभी ने बताया कि ''हर्षबर्धन सिंह '' तो मैं पहचान नहीं पाया ''हर्षबर्धन सिंह'' को जबकि ओ गाव के पास के है पर बहुत पहले देखा था जब ओ आठवी में पढता था काला सा था भाभी से बोला कि वही कालू हर्ष तो भाभी हसने लगी और बोली हां तो मैंने भाभी से बोला ''भाभी ओ तो बहुत काला था पहले '' तो भाभी बोली ''अब कौन सा गोरा हो गया अभी भी तो ओ भवरा जैसे ही है तो मैं भाभी कि बात को नहीं समझा और बोला ''भवरा '' जैसे तो भाभी हस्ते हुए बोली हां भवरे जैसे काला है तो मैंने भाभी से पूछा कि ये दीपा तो बहुत खूबसूरत है कैसे सादी कर लिया इससे तो भाभी बोली कि ओ SBI बैंक में मैनेजर है गाव में जमीन बहुत है अकेला लड़का है इसके बाप भी प्रिंसपल थे इस लिए हो गई होगी खेती भी अच्छी है गाव में मैंने भाभी से बहुत सी बाते किया भाभी से और फिर दोपहर बाद 3 बजे के बाद मैं गाव को जाने के लिए निकल लिया और गाव वाली बस में बैठ गया बस चलने ही वाली थी कि ओ मेडम जी भी उसी बस में चढ़ी ,बस में खूब भीड़ थी खड़े होने भी कि जगह नहीं थी ओ भीड़ में इधर -उधर बेग लिए हुए धक्के खाते हुए खड़ी थी मेरे से उनके ये हालत नहीं देखी गई तो मैंने उन्हें आवाज दिया '' ओ दीपा मेडम जी '' तो ओ मेरी तरफ घूमी और देख कर मुस्कुराई तो मैंने बोला आप यहाँ बैठ जाए मैं खड़ा हो जाता हु तो थोड़ा ना नुकुर करी पर मैंने जब समझाया तो मेरी सीट पर आकर बैठ गई मैं उठ गया सीट से , मेरी सीट के बगल पर पहले से ही एक बुजुर्ग सज्जन बैठे हुए थे मैं खड़ेखड़े सफ़र करने लगा गाव कि लोकल उत्तरप्रदेश पथ परिवहन कि खटारा बस बार बार रुकती तो जितनी सवारी उतरती उससे ज्यादा चढ़ती इस तरह भीड़ कम नहीं हुई और मैं खड़े खड़े तीन घंटे का सफ़र काट लिया इधर -उधर धक्के खाते हुए और हमारा स्टाप आ गया उनका भी यही स्टाफ है ओ भी नीचे उतरी मैंने उनका बेग पकड़ के नीचे रखा और बोला कैसा रहा गाव कि बस का सफ़र तो हॅसते हुए बोली ''भगवान् बचाए गाव कि इन बसो से '' मैं बात ही कर रहा था कि उनका छोटा देवर आया और उनका पाँव छुआ और हाल चाल पूछा और बेग उठाकर अपने कंधे में रखा और बोला चलिए भाभी जी अपने रोड से कोई वाहन या तांगा मिल जायेगा गाव के लिए और फिर ओ मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और धीरे से बोली ''आज आप नहीं होते तो क्या पता कितना कष्ट होता '' तो मैंने कुछ नहीं बोला तो ओ मुस्कुराते हुए ''थैंक्स ''बोली और अपने देवर के साथ चली गई मैं अपने गाव चला गया | पर मन में बहुत सी बाते थी जो घूम रही था , दीपा के पति ,ससुर ,जमीन जायजाद और ये मेडम जी अकेले गाव जा रही है बात कुछ हजम नहीं हो रही थी पर अपने को क्या मतलब ये सोचते हुए मन से ये बात को निकाल दिया और अपने गाव पहुच गया गाव में बड़े भाई से उन लोगो के बारे में पूछा तो बहुत अच्छा रिस्पांस दिया भैया ने उन लोगो को |
जब मैं वापस आने लगा तो भाभी के घर रुका और दीपा के घर वालो के बारे में पूछ लिया कि इतने लोगो के होने के बाद भी ओ गाँव अकेले गई तो भाभी ने बताया कि ''दीपा के ससुर कि तबियत टीक नहीं है ओ अस्प्ताल में भर्ती है हर्ष अपनी ड्यूटी को माँ बाप बीबी से भी अधिक मानता है और कोई है नहीं घर में इस लिए अकेली गई होगी'' फिर मैंने दीपा और उसके पति के बारे में पूछा कि दोनों में पटती नहीं है क्या तो भाभी बोली ''क्या मालुम बाहर से तो ऐसा कुछ नहीं लगता फिर'' मैंने भाभी से बोला कि भाभी हर्ष से मिलवाइए ना मुझे बैंक कि जानकारी के बहाने तो भाभी हॅसते हुए बोली आप क्यों इतना इंटरेस्ट ले रहे है कोई चक्कर है क्या तो मैंने बोला नहीं भाभी ऐसा कुछ नहीं है बस गाव के पास के है इस कारण मिलना चाहता हु , तब भाभी बोली टीक है आज साम को मिलवाती हु दोनों को बुलालूगी तब मैं साम इन्तजार करने लगा साम को 7 बजे भाभी ने हर्ष को छत से आवाज दिया तो दीपा आई और बोली ''हां दीदी'' तो भाभी बोली ''दीपा हर्ष कहा है'' तो दीपा बोली है ''घर में हे बाबू जी के पास बैठे हुए है'' तो भाभी बोली '' हर्ष को भेज कुछ काम है मुझे''तो दीपा बोली ''टीक है'' भाभी से बाते करते समय दीपा मेरी तरफ तिरक्षी नजर से देख रही थी मैं भी दीपा को देख लेता था बीच बीच में | करीब 15 मिनट बाद हर्ष और दीपा आये दीपा गुलाबी रंग कि साड़ी में बला कि खूबसूरत लग रही थी दोनों लिविंग रूम में बैठ गए तो भाभी ने हर्ष से कहा ''हर्ष पहचानता है इन्हे '' तो हर्ष ने मना कर दिया तो भाभी बोली ये मेरे देवर है तो हर्ष उठा और मेरा पाँव छुवा तो खड़ा हो गया और हर्ष के सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया हर्ष लम्बाई मुस्किल से मेरे कंधे के नीचे तक भी नहीं थी मुझे ऐसा लगा जैसे हर्ष 5 फिट से ज्यादा नहीं हो ,पर खूब मोटा है गोल मटोल इस लिए कुछ बड़ा लगता है हर्ष के पाँव छूने के बाद दीपा भी उठी और मेरा पाँव छू लिया , दीपा मेरे कंधे से थोड़ा अधिक ऊची थी | हर्ष मेरे से 5 साल का छोटा है और दीपा करीब 10 साल कि छोटी है. दीपा और हर्ष कि जोड़ी कही से कही अच्छी नहीं लग रही थी पर सम्पत्ति के लालच में दीपा के बाप ने इस ठिगने के साथ सादी कर दिया होगा कुछ देर तक हर्ष बैठा रहा और फिर 10 मिनट बाद चला गया जबकि दीपा भाभी के पास ही बैठी रही बाते करते , मैंने दीपा से पूछा कि अब कब इंदौर आओगी तो दीपा सकुचाते हुए बोली अभी कुछ कहना मुस्किल है कालेज से छुट्टी नहीं मिलती तो मैंने दीपा से कालेज के बारे में पूछा कि कौन सी सब्जेकट पढ़ाती हो तो दीपा ने बताया कि ओ कालेज में ''इकोनॉमिक्स '' पढ़ाती है कुछ देर तक बाते किया तब तक भाभी ने चाय बनाया तो दीपा ही चाय लेकर आई और मुझे चाय देने के लिए झुकी तो दीपा का पल्लू उसके बूब्स के पास से खिसक गया तो उसके बूब्स के बीच कि घाटिया दिखाई देने लगी मैं उन्हें देखने लगा तो दीपा धीरे से बोली ''चाय लीजिये '' तो झेप गया और चाय उठा लिया और धीरे से बोला ''आप बहुत खूबसूरत है '' तो दीपा कुछ नहीं बोली और हल्की से मुस्कान बिखेर कर चली गई फिर कुछ ही मिनट में दीपा और भाभी आई और चाय पीने लगी साथ में दीपा कि चाय ख़तम ही नहीं हुई थी कि हर्ष ने भाभी को आवाज दिया तो भाभी दीपा से बोली ''तू जा '' हर्ष तुझे बुलाने के लिए ही आवाज दे रहा होगा तो दीपा जल्दी से चली गई | मैं भाभी से बहुत सी बाते किया और ट्रेन के समय में ट्रेन पकड़ा और उज्जैन आ गया |
दीपा को बहुत दिन तक याद किया फिर धीरे धीरे इस बात को मैं भूल चुका था समय का चक्र चलते चलते 7 साल निकल गए पर जब भी ट्रेन का सफ़र करता तो दीपा कि याद एक बार जरुर आती | दिसंबर 2006 कि बात है एक दिन ''दीपा सिंह '' नाम से गूगल आर्कुट में मुझे फ्रेंड रिक्योस्ट आई जब मैं उस आई डी को चेक किया तो पता चला कि ये तो इलाहाबाद वाली ओ मेडम ही है जो अब मोटी हो गई थी मैंने उन्हें अपने दोस्तों में सामिल कर लिया और बात चीत का सिलसिला सुरु हुआ दीपा मुझे पहचान गई थी तभी मेरे साथ जुडी दीपा ने अपने बारे में बहुत कुछ बताया दीपा को एक लड़का ''हर्षित '' 5 साल का है और एक लड़की ''हर्षिता '' 2 साल कि है , दीपा ने अपनी कई फोटो मुझे भेजा तो पता चला कि दीपा पहले से कुछ मोटी हो गई है इस कारण उनकी सुंदरता में चार - चाँद लग गया , दीपा ने ये भी बताया कि ओ कई बार इंदौर आई पर मेरा पता नहीं होने कारण मेरे से नहीं मिल सकी और भाभी से फोन नंबर नहीं मागा सर्म के कारण मैंने दीपा को अपना मोबाइल नंबर दिया और अब हम दोनों अपने घर वालो से चोरी -चोरी खूब बाते करने लगे दीपा ने मेरे कई फोटोग्राफ मागे जो मैंने उसे दे दिया तो दीपा मेरी खूब तारीफ किया और बोली अब आप पहले से ज्यादा इस्मार्ट लगाने लगे अब खूब बाते करती दीपा मेरे साथ और धीरे से यह दोस्ती फेसबुक में आ गई दीपा लाइव वीडिओ चैट करती सभी से छिपकर | दीपा कि बातो बातो से लगने लगा कि दीपा अपने पति से संतुष्ट नहीं है , दीपा धीरे धीरे चैट बॉक्स में सेक्सी बाते करना सुरु कर दिया यहाँ तक कि मेरे कहने पर एक बार बेब कैम के सामने अपनी चुचिया भी दिखाया, दीपा कि चुचिया आज भी नहीं लटकी हुई है आज भी दीपा कि चुचिया एक दम से टाइट लगी मुझे , मैंने कंप्यूटर के
दीपा ने इस तरह से वेब केम से अपनी चुचियो को दिखाया मुझे |
दीपा पहले से कुछ मोटी हो गई, 2008 मे पीछे से ऐसी ही लगती थी |
20 अप्रैल को दीपा का फोन आया पर बोली उज्जैन आ रही हु भोले बाबा का दर्शन करने मिलेगे आप तो मैंने बोला टीक है आ जाओ आप मिल जाउगा तो दीपा दोपहर में करीब 1 बजे उज्जैन आई अपने पापा कि कार खुद ही चलाकर, मैं मंदिर के बाहर ही मिल गया और दीपा के दोनों बच्चे और मैं,दीपा साथ साथ दर्शन किये और बहुत देर तक मंदिर के पास बैठे रहे , दीपा के दोनों बच्चे मंदिर के प्रांगण में आसपास खेलते रहे, मैं और दीपा खूब सारी बाते किया फिर साम को दीपा चली गई इंदौर और मैं घर वापस आ गया पर मोबाइल से रोज बाते होती रहती मैंने दीपा को बोला कि एकात दिन प्लान बनाओ सिर्फ अपन दोनों कही चलते है एकात दिन के लिए बाहर घूमने , तो दीपा बोली मैं भी यही सोच रही हु , फिर एक दिन दीपा ने फोन किया मुझे और बोली बना लिया प्लान कब और कहा चले तो मैंने सब पूछा तो दीपा ने बताया कि मेरी एक फ्रेंड है इंदौर में उसे आगे करके उसके साथ पिकनिक में जाने के लिए मम्मी से पूछ लिया कम से कम 5 दिन का प्लान बना लिया मम्मी ने हां कर दिया है |अब आप बताओ कब चलू तो मैंने दीपा से कहा कि रुको एक दो दिन में बताता हु , फिर मैंने 28 अप्रैल 2008 को सोमवार के दिन चलने का प्लान बनाया और दीपा को बता दिया कहा मिलुगा तो दीपा बोली कैसे चलेगे बस से या ट्रेन से तो मैंने दीपा को बोला कि मेरी कार से चलूगा तो दीपा बोली टीक है |
दीपा सिंह की चूची ऐसी ही है बिना लटके हुए |
फिर 28 अप्रैल 2008 को सोमवार के दिन मैं, मेरी कार लेकर इंदौर पहुच गया जहा पर दीपा एक शापिंग माल के पास एक बड़ा सा बेग लेकर मिली [दीपा इस समय एक ब्लू कलर कि साड़ी और सन कोट पहन रखा था] तो दीपा को इसारा किया तो दीपा ने मुझे इसारा करके अपने पास बुलाया जब मैं दीपा के पास पहुचा तो दीपा बोली कि आप कार को इसी माल की पार्किंग में नीचे लगा दो मैं वही अपना सामान लेकर आपकी कार में बैठती हु यहाँ कोई देख लेगा तो मैंने कार को पार्किंग में लगा दिया ,कुछ ही मिनट में दीपा अपना बेग एक गार्ड के हाथ में लिवाकर आई मेरे पास और गार्ड को बोला कि कार कि डिक्की में रख दो , गार्ड ने बेग रख दिया तो दीपा ने उसे 100 का नोट पकड़ाया ,गार्ड ने सलूट मारा और चला गया तब दीपा बोली कहा चलने का प्लान है अब बताये आप तो मैंने दीपा को बोला कि मैंने एक सप्ताह का बहना बनाया है घर में तो दीपा बोली टीक है मैं रुक जाउगी आपके साथ इतने दिन तक मम्मी को बोल दुगी कि दो दिन और लग जायेगे तो दीपा बोली कहा चले तो मैं बोला कुछ दूर चलते है जहा पर हमें कोई नहीं जनता हो और मौसम भी बढ़िया हो तो दीपा बोली कश्मीर चलते है तो मैंने बोला रिस्की तो दीपा बोली कहा चले तो मैंने दीपा को बोला चलो पंचमढ़ी चलते है पास भी है और वहा का मौसम भी ठंडा रहता है तो दीपा तैयार हो गई और कार में बैठ गए और चल दिए तो दीपा बोली कि कार का सीसा बंद कर लो कोई देख नहीं पाये यहाँ बहुत लोग मुझे जानते है तब मैंने कार का सीसा चढ़ा दिया और AC ऑन कर दिया और बाहर आ गए और सिटी से बहार निकल कर भोपाल रोड पकड़ लिया और रास्ते भर बाते करते हुए कुछ ही दूर पहुचा तो दीपा मेरे बारे में पूछने लगी कि आप क्या करते है तो मैंने दीपा को बोला रुको अभी बताता हु तो दीपा बोली क्या करते हो बताइये ना तो मैं बोला बस 20 मिनट और रुको आप सब बता दुगा तब दीपा दुसरी बाते करने लगी तब तक मेरा शिक्षण प्रतिस्ठान आ गया मैंने दीपा को अपनी बिल्डिंग दिखाया तो दीपा को विश्वास ही नहीं हुआ दीपा बोली आप झूठ बोल रहे है तो मैंने दीपा को वहा का लैंड लाइन नंबर दिया और बोला कि यहाँ फोन करके पता लगाओ किसका है और बड़े सर का नंबर भी मागो तो दीपा वही किया तब जाकर उसे विश्वास हुआ और मेरी तरफ प्यार भरी नजरो से देखी और बोली आप इतने बड़े आदमी होते हुए भी उस रात ट्रेन में अपनी सीट छोड़कर ट्रेन कि फर्श में लेट गए आप बहुत अच्छे इंसान है मुझे आज अपने पर घमंड हो रहा है कि मैंने एक बहुत ही अच्छे इंसान से प्यार किया और इतना कहकर मुझे जोर से किस कर लिया , मैं उस समय कार चला रहा था कार बहकने लगे तो मैंने बोला अरे छोड़ो ना, नहीं तो भीड़ जायेगे किसी से , तो मर जाउगा तो दीपा मेरे मुह पर हाथ रखी और बोली ऐसा नहीं बोलिये और फिर बहुत सी बाते करते हुए हम एक ढाबे में रुक गए और वहा खाना खाये दोनों और फिर साम को 5 बजे भोपाल पहुच गए तो मैंने दीपा को बोला कि यहाँ 5 बज गए पचमढ़ी पहुचते समय तक रात हो जायेगी तो दीपा बोली भोपाल में ही रुक जाते है तो मैं बोला टीक है और फिर ''होटल अमर विलास'' में रुक गए |
दीपिका सिंह पंचमढ़ी में इस तरह से जींस और टी सर्ट पहन कर घूमती थी , गजब कि सेक्स अपील थी दीपा में |
जैसे ही होटल के अंदर घुसे तो वेटर ने दीपा का बेग कमरे के अंदर रखकर चला गया तो मैंने दरवाजा लगाया और दीपा को गले लगा लिया और खूब किस किया और दीपा को पकड़ कर बेड पर बैठा दिया दीपा भी किस करने लगी मैंने दीपा कि बूब्स को दबाने लगा और बूब्स दबाते दबाते बिस्तर लेट गए दोनों और आपस में ऐसे चिपक गए ऐसे चिपक गए एक दूसरे से जैसे दो जिस्म एक जिस्म हो गए हो मैं दीपा के रशीले होठो का रसपान करने लगा दीपा भी मेरे होठो को चूसने लगी हम दोनों चुदाई के लिए तैयार हो गए इतने में वेटर ने वेल बजाया रूम का तो मैं उठा तो वेटर बोला आपको होटल के मेंन काउंटर पर बुला रहे है , मैं उठकर चला गया तो काउंटर पर बोला गया कि हमारे यहाँ
नंगी होने पर दीपा पीछे से ऐसी ही लगती है |
दीपा कि चुचिया इस तरह से उठी हुई थी एक दम से टाइट |
दीपा इस मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गई |
दीपा सिंह कि मस्त चुदाई की मुख्य भाग अभी बचा है जरुर पढ़ो
----क्रमशः
मेल से प्राप्त सत्य कहानी
mast
ReplyDeletegood hot
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