सम + भोग समान भोग हो जहाँ अर्थात बराबरी के स्तर पर उपयोग करना अर्थात दो का होना और फिर समान स्तर पर समाहित होना समान रूप से मिलन होना भाव की समानीकृत अवस्था का नाम है | पर जब यह स्थित नहीं मिलती तब स्त्री ,पुरुष भटक जाते है और परिणाम के रूप में ये कहानिया समाज के सामने आती है | यदि तुमने किसी महिला या लड़की के साथ सेक्स किया है तो अपनी सत्य कहानी hindisexistory@gmail.com पर भेजे , तुम्हारी पहचान गोपनीय रखी जायेगी |
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