बात बात उस समय कि है जब में सर्विस करने के लिए एक नए सहर में गया जहा पर एक कम्पनी में इलेक्ट्रिकल इंजीनिएर कि जाब लग गई पर कही रहने के लिए रूम नहीं मिल रहा था कंपनी के गेस्ट रूम में १५ दिन से रुका हुआ था ,कंपनी के नोटिश बोर्ड में रोज देखता कि सायद कोई अच्छा सा रूम मिल जाए पर अभी तक निराशा ही हाथ लगी कई रूम देखने भी गया पर रूम अच्छे नहीं थे एक दिन फिर से नोटिश बोर्ड में सुचना लगी दिखाई दिया तो मैं उस ब्यक्ति से संपर्क किया जो कि हमारे कंपनी में ही वर्कर था उससे मिला तो उसने हां कहा तब मैं उसके साथ उसके घर गया काफी बड़ा दो मंजिला मकान था कई किरायेदार थे मुझे भी उसके माकान का रूम पसंद आ गया किराया भी ज्यादा नहीं था सुबिधा भी बहुत अच्छी थी बाइक रखने कि जगह थी पानी के लिए बोरिंग थी बढ़िया सा लेट्रीन बाथरूम था रूम पसंद आने पर मकान मालिक को एक माह का किराया अडवांस दे दिया अडवांस लेने के पहले माकन मालिक ने पूछा कि कौन सी जाती के तो बता दिया कि ब्राह्मण हु तो मकान मालिक खुस हो गए और बोले कि टीक है मैं नीची जाती के लोगो को कमरा नहीं देता अगले दिन मैं अपना कुछ सामान लेकर रहने पहुच गया सायद १९ ओक्टुबर १९९८ था मेरे पास उस समय सोने के लिए एक बेड़ और एक ब्रीफकेस में कुछ कपडे सोने केलिए जमीन में बिस्तर बस इत्तो सा सामन था मेरा | मेरी उम्र २६ साल कि थी उस समय पर खूबसूरत गोर रंग का मजबूत सरीर और करीब ५ फिट ८ इंच लंबा हु | अनमैरिड था उस समय
कंपनी में माकन मालिक के दोस्तों से पता लगाया तो मालूम पड़ा कि ये राजस्थानी राजपूत है नाम हनुमंत सिंह है ,इनकी पत्नी १९ साल पहले गुजर गई थी तीन बेटिया और एक बेटा -बहु है बेटे को लकवा मार दिया तो बहु को बेटे कि जगह सरकारी नौकरी लग गई है दो बेटियो का और बेटे का विबाह कर दिया है बस सबसे छोटी लड़की है विवाह करने को पर माकन मालिक छोटी लड़की से बहुत नफरत करते है क्योकि इसके पैदा होते ही माँ को खा गई एक वर्कर ने बताया कि इनकी बहु बहुत खूबसूरत है और कई बाते बताया ,मैं मकान मालिक के यहाँ रहने लगा पर मैं सिर्फ अपने काम से मतलब रखता किसी से भी कोई बात नहीं करता और ना ही किसी कि तरफ देखता और न ही कोई दोस्त मेरे कमरे में कभी आये क्योकि मैं बहुत कम लोगो से दोस्ती करता हु मेरे इस ब्यवहार से माकन मालिक बहुत खुस रहते इस तरह से करीब १० माह निकल गए मैं मकान मालिक के परिवार में किसी से कोई बात नहीं किया और उनकी बेटी और बहु ने भी कभी बाते करने कि कोसिस नहीं किया , पर मैं छिप छिप कर दरबाजे के गैप में से बहु और बेटी को जरुर देखता ,बेटी का नाम मन्नू और बहु का नाम प्रीतीहै बेटी हलकी से काली और गदराई हुई सरीर कि है ११ वी में है पर लगता है जैसे कालेज में पढ़ती हो बड़े बड़े बूब्स जब स्कूल जाती है ड्रेस पहन कर तो माकन मालिक की बेटी 85 % ऐसी ही थी |
बहुत ही सेक्सी लगती है ,बहु तो बहुत ही सुन्दर है जब ओ बाथरूम से नहा कर बाल झटके हुए निकलती तो बहुत ही सेक्सी लगती ये सब मैं छिप छिप कर देखता और आहे भरता बहु को एक लड़का है ४ साल का जिसे मैं कभी कभी गोद में उठाकर कर खिला लेता था माकन मालिक के हाथ से लेकर | मकान मालिक का लड़का दूसरी मंजिल में सिर्फ मैं किरायेदार था बाकी सभी कमरे में माकन मालिक का परिवार रहता था नीचे एक कमरे में माकन मालिक का बेटा जिसे लकवा मार दिया है ओ रहता है क्योकि ओ सीढी नहीं चढ़ पाता कभी कभी बड़ी मुस्किल से उसे ऊपर लाते थे नहीं तो खाना भी वही नीचे खाता सुबह सुबह घूमने जाता बाए हाथ से एक डंडा पकड़ कर थोड़ा बहुत घूमता क्योकि दाया हाथ तो बिलकुल भी काम नहीं करता था पाँव भी बड़ी मुस्किल से उठा कर चलता था बाकी समय दिन भर कमरे में पड़े पड़े टीवी देखता | बेटे कि जगह पर बहु को सरकारी नौकरी लग गई है एग्रीकल्चर बिभाग में ओ कलर्क है जो रोज सुबह १० बजे ऑफिस जाती और साम को ६ बजे तक वापस आती है | आगे के दो कमरो और किचेन में माकन मालिक और उनकी बेटी रहती और सबसे पीछे उनकी बहु का कमरा था बाथरूम के पास और बीच में किचेन के बगल में एक छोटा सा १० बाई ९ फिट का मेरा कमरा था मेरे कमरे के अंदर से कुण्डी में ताले लगे रहते थे बहु के कमरे में रखा हुआ बेड़ मेरे कमरे केदरबाजे के टीक सामने रखा हुआ है दरवाजे के गैप से बहु के कमरे के अंददेखनेकि कोशिस किया तो देखा कि दरबाजे में पर्दे लगे हुए है | मकान कि ऊपर कि मंजिल में सिर्फ आगे कि तऱफ कुछ हिस्सा ओपन है बाकी पीछे के कमरे और कमरे के सामने कि जगह बाहर से बिलकुल भी दिखाई नहीं देता| मैं सुबह ८ बजे कंपनी निकल जाता तो साम को ६ बजे तक वापस आता नहा धो कर लाइब्रेरी चला जाता वह पर पेपर पढता और होटल्स साम को खाना खा कर वापस आता फिर फिर सो जाता सुबह उठता और फिर वही कंपनी चला जाता यही दिनचर्या थी बस सन्डे के दिन जरुर समय रहता तो कपडे धो कर उन्हें सुखाने चला जाता छत पर सन्डे को छत पर धुप लेता यदि उस समय पर माकन मालिक कि बेटी य बहु आ जाती तो मैं चुपचाप नीचे आ जाता क्योकि मैं शर्मीले स्वभाव का हु |
सायद सितम्बर १९९९ था मकान मालिक ने अपनी पत्नी कि श्राद्ध किया और मुझे भी ब्राह्मण होने के कारण खाने पर बुलाया पर मैं दिन कि डूटी होने कारन कंपनी चला गया उस समय पर माकन मालिक कि सेकण्ड पाली में डूटी थी ४ बजे से रात के १२ बजे तक माकन मालिक ने दिन में सभी को बुलाकर खाना खिला दिया और मुझे कंपनी में बोले कि तुम आज साम को मेरे यहाँ खाना खा लेना मैंने बोला टीक है काका साहब ,मेरे काका साहब कहते ही ओ मेरे ऊपर खुस होकर बोले कि इतना रिस्ता नहीं बनाओ पंडित जी तो मैं कुछ नहीं बोला और मैं कंपनी से घर आ गया ,नहा धो कर तैयार हो रहा था कि मन्नू आई और बोली कि पापा ने आपको खाना खाने के लिए बोला है आप कब तक खायेगे तो मैं हस्ते हुए बोला कि अभी तो भूख नहींलगी है साम को खा लुगा तो मन्नू बोली कि टीक है जब खाना होगा तो आ जाना साम के समय मैं हां के रूपमे सिर्फ सिर हिला दिया और मन्नू चली गई ,मैं घूमने चला गया और साम को ९ बजे आया ,जैसे ही मैं आया मन्नू फिर आ गई और बोली कि चलिए भाभी सा ने बुलाया है तो मैं बोला कि टीक है कपडे चेंज करके आता हु और मैं घर के कपडे पहन कर माकन मालिक के आगे के कमरे के सामने खड़ा हुआ तो अंदर से प्रीती भाभी निकली और हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली कि आ जाइये और मैं जाकर आगे के कमरे में बैठ गया कुछ देर में मन्नू खाना लाइ और बड़े प्यार से दोनों ननद भाभी ने जबर जस्ती कर कर के खाना खिलाया और ढेर सारी बाते किया मन्नू ने मैंने मन्नू से पूछा कि कौन सी क्लास में पढ़ती हो तो मन्नु ने बताया कि १२ वी में हु इस साल ,प्रीती भाभी ने भी बड़े प्यार से बाते किया जब मैं खाना खा कर निकलने लगा तो प्रीती भाभी ने बोला कि बैठिये इतनी जल्दी भी क्या है मैं बैठ गया तो मन्नु एक गणित का सवाल पूछने लगी जिसे मैं तुरंत ही बता दिया तो मन्नु खुस हो गई और प्रीती कि तरफ देख कर बोलती है कि इन्हे तो मेरी गणित आती है मन्नू सवाल पूछते समय नीचे बैठी थी और मैं सोफे पर बैठा था जिस कारण मन्नू की चुचिया थोड़ी थोड़ी दिख रही थी क्योकि सर्ट कि ऊपर कि बटन खुली थी बार बार मेरी नज़ारे मन्नू कि चुचियो कि तरह चली जाती ,उस दिन मैं रात के ११ बजे तक दोनों के पास बैठा बाते करता रहा टीवी देखते हुए ,प्रीती भाभी उस समय एक गाउन पहन रखा था उस गाउन में भाभी के अंग कि बनावट साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी ,मैंने प्रीती भाभी की उम्र पूछा लिया तो पहले तो ओ सपकाई फिर कहती है कि किसी ओरत से उसकी उम्र नहीं पूछते और हसने लगी और बोली कि अभी ३० साल पूरी हुई हु तब मैंने उनकी तारीफ किया और कह दिया कि अभी तो आप २५ कि लगती है जब मन्नू किचेन कि तरफ गई तो मैंने धीरे से कहा कि भाभी जी आप बहुत सुन्दर है तो ओ खुस होकर बोली कि सुक्रिया जी फिर मैं अपने कमरे में आ गया अगले दिन उठा और फिर से डूटी चला गया जब साम को वापस आया तो माकन मालिक ने बुलाया [माकन मालिक कि उस दिन छुट्टी थी] और बोला कि पंडित जी आप मन्नू को पढ़ा दिया करो जो किसी दूसरे को दुगा ओ आपको दे दुगा आप घर के लड़को कि तरह बिस्वासपत्र हो गए अब तब मैं बोला टीक है मैं साम को ८ से ९ बजे पढ़ा दिया करुगा पर मैं फीस नहीं लुगा इस पर मकान मालिक राजी हो गए | और अगले दिन से मन्नू को अपने ही रूम में बुलाकर पढ़ाने लगा | मैं एक साल तक होटल का खाना खा खा कर बोर हो गया तो एक दिन किचेन का सारा सामान लाया और कमरे में ही खाना बनाने लगा | मन्नू जब पढ़कर चली जाती तो फिर खाना बनाता खाता और सो जाता सुबह डूटी जाने के पहले बर्तन धो लेता तो एक दिन मन्नू ने कहा कि मैं आपके बरतन धो दिया करुँगी मैंने मना नही किया , अब रोज रोज मन्नू मेरे पास एक घंटे पढने बैठने लगी तो ज्यादा घुल मिल गई मैं डुटी जाते समय रूम कि चाबी दे जाता जब साम को आता तो पूरा कमरा साफ़ सुथरा और ब्यवस्थित रहता यहाँ तक के मेरे गंदे कपडे भी धूल कर स्त्री हो जाते
प्रीती भाभी इस तरह से घूँघट में रहती है |
अगले दिन कंपनी में मेरे डूटी का समय बदल दिया अब १५ दिन तक मुझे साम को ४ से रात के १२ कि डूटी में जाना होगा माकन मालिक कि डूटी सुबह ७.३० से साम को ४ बजे तक कि हो गई इस कारण मनु को सुबह ८ से ९ बजे तक पढ़ातां था सुबह सुबह जब मैं रहने लगा रूम में तो मैं रोज प्रीती भाभी को कमरो के सामने गैलरी में झाड़ू लगाते देखता उस समय प्रीती भाभी जब झुक कर झाड़ू लगाती तो उनके बूब्स के बीच कि घाटियाँ देखाई देती जब पल्लू नीचे गिर जाता ,एक दिन मैं भाभी की तरह देख रहा था तो मनु ने बोला कि क्या देख रहे हो महेंद्र सर तो मैं सर्मा गया तब मनु ने कहा कि मेरी भाभी बहुत सुन्दर है न तो मैं सर हिला दिया तो मनु कुछ नहीं बोली बस सास लिया तो मनु कि चुचिया ऊपर को उठी और मनु कुछ उदास हो गई तब मैंने मनु कि झूठी कि तारीफ किया और बोला कि तुम भी बहुत सुन्दर हो बस रंग दबा है तो क्या हुआ तुम दिल से बहुत सुन्दर हो तब मनु गदगद हो कर खुस हो गई फिर आया ३१ दिसंबर नए साल कि अगवानी पर खूब मस्ती किया मनु और प्रीती भाभी ने साम के समय ,[माकन मालिक डूटी पर थे] टेप में बढ़िया बढ़िया गाने लगाकर खूब डांस किया प्रीती भाभी और मनु ने मुझे भी जबरजस्ती डांस करवाया मैंने प्रीती भाभी के हाथ पकड़ कर खूब डांस किया कई बार डांस करते समय प्रीती भाभी कि चुचियो पर मेरा हाथ भी लगा पर प्रीती भाभी ने बुरा नहीं माना , मनु तो डांस करते करते कई बार लिपट गई मेरे से कमरे के अंदर , तो प्रीती भाभी ने मनु को हलकी सी डॉट भी लगाया जब मनु नाराज पड़ गई तो प्रीती भाभी ने उसे बड़े प्यार से गले लगाकर समझाया भी ,मैं समझ गया कि ननद और भाभी में प्यार बहुत है प्रीती और मनु बहुत घुल मिल गई मेरे साथ इस एक साल में |
सन २००० का ९ फरबरी बुधवार का दिन था मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था ११ बजे उस दिन मनु पढने नहीं आई मेरे पास | प्रीती के कमरे से किसी के कराहने कि आवाज आई पर मैंने ध्यान नहीं दिया तब किसी ने आवाज लगाया तो मैं गया प्रीती के कमरे में तो देखा कि मनु एक रजाई ओढ़े लेटी हुई थी मैं दरवाजे के पास से ही बोला कि मनु ने कहा कि मुझे बुखार है दवाई ला दीजिये तो मैं मनु के पास गया और मनु का हाथ पकड़ कर देखा कि मनु बुखार से तप रही थी तो मैं डाकटर को लाया और मनु को दिखाया डाक्टर ने दवाई दिया एक इंजेक्सन लगाया और मुझे बोला कि इनके माथे पर पानी कि पट्टी लगाये तो बुखार जल्दी उतर जायेगी फिर मैं मन डाक्टर को नीचे तक छोड़ कर आया और आते समय सीढ़ियों पर लगा चैनल गेट पर ताला लगा दिया क्योकि ज्यादा समय चैनल गेट पर टाला लगा ही रहता है और इस ताले कि चाभी सभी के पास रहती है टला लगाकर मनु के पास आया और मनु के सर पर पट्टी रखने लगा करीब २० मिनट तक लगातार मनु के पास बैठा रहा और पानी बदल बदल कर पट्टी लगाता रहा मनु ने रजाई ओढ़ रखा था इस कारण खूब पसीना आया मनु के सरीर से तो मनु ने बोला कि पसीना पोछ दो तो मैं हल्का सा पानी गर्म किया और मनु के पास रख दिया और बोला कि पोछ लो अपने से तो मनु ने बोला कि आप पोछ दोगे तो थक नहीं जाओगे तो मैं मनु के सरीर का पसीना पोछने लगा ,मनु उस समय स्कूल कि ड्रेस पहन रखा था [सर्ट और स्कर्ट ] मैं मनु के गर्दन के आसपास पोछ दिया पसीना तो मनु घूम गई और बोली कि पीठ का भी पोछ दो तो मैं मनु के पीठ और कमर के आसपास का पसीना पोछने लगा सर्ट के नीचे हाथ डालकर तो मनु पेट के बल लेट गई और प्यूरी सर्ट को ऊपर गर्दन तक उठा लिया मनु कि ब्रा दिखाई देने लगी मैंने मनु का पूरा पसीना पोछ दिया पीठ का तो मनु ने कहा कि जांघो में भी पसीना है उसे भी पोछ दो तो मैं मनु कि एस्कार्ट के नीचे हाथ डालकर पसीना पोछने लगा तो मनु ने अपनी स्कर्ट को कमर तक उठा लिया अब मनु कि मोटी मोटी सुन्दर जांघे दिखाई देने लगी मैंने जांघो का पसीना पोछ दिया पर मेरी नियत खराब होने लगी मनु कि जांघो को देखकर मेरे लण्ड में अकड़न आ गई और लण्ड खड़ा हो गया लुंगी के नीचे पर अपने को कंट्रोल किया ,मनु पीठ के बल लेट गई और बोली कि यहाँ [चुचियो के नीचे इसारा किया] भी पसीना है तो मैं सर्ट के नीचे हाथ डालकर पसीना पोछने लगा पर बटनो के कारन टीक से नहीं पोछ पा रहा था तब मनु ने अपने सर्ट कि सभी बटन को खोल दिया और सर्ट के दोनों
मनु के बूब्स १००% ऐसे ही उठे हुए थे |
अप्रैल में एक दिन मैं सुबह कि डूटी करके आया तो देखा कि एक ओरत आई है , ४५ साल के आसपास उम्र होगी उस ओरत कि पर ओ आज भी खूब जवान लगती है , प्रीती भाभी से पूछा तो पता चला कि मनु कि छोटी मौसी है जो निम्बाहेडा राजस्थान से आई हुई है ये बिधवा है साल में एकात बार आती है और १५-२० दिन रहती है | मैं भी उन्हें मौसी कहने लगा ओ भी मेरे ऊपर बहुत खुस रहती थी ,माकन मालिक इस समय बहुत खुस रहते है और मकान मालिक मौसी के साथ बाजार भी कई बार जा चुके है |
मौसी और मकान मालिक कि जोड़ी कुछ इस तरह से थी |
मनु अब फिर से प्रीती के कमरे में सोने लगी मौसी और मकान मालिक अलग अलग कमरे में सोते पर दोनों के बीच का दरबाजा खुला रहता एक दिन रात में किचेन के बगल वाले कमरे से कुछ आवाज आ रही थी मैं कान लगाकर सूना तो पता चला कि मकान मालिक अपनी साली कि चुदाई कर रहे है तब मैं चुपचाप खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया और अंदर के नज़ारे देखने लगा मकान मालिक और मौसी एक दम से नंगे होकर चुदाई में ब्यस्त थे और यह नज़ारे देखने को कई दिन मिला वैसे काका सा जवान साली कि प्यास बुझाने में कामयाब नहीं होते थे , अप्रैल के आखिरी सप्ताह में मौसी चली गई साथ में उनके मनु भी चली गई ,मनु कि इच्छा नहीं थी जाने कि पर मौसी के आग्रह के कारण चली गई |
प्रीती भाभी कि चुदाई कैसे किया आगे के भाग में Part २ में पढ़ो