नोट---:: सबसे पहले सत्य कहानी ''गाँव के खेत में पुष्पा भाभी कि चुदाई'' पढ़ो तभी ये सत्य कहानी समझ आएगी ! (गूगल में सर्च करो ''गाँव के खेत में 'पुष्पा भाभी' कि चुदाई'' )
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अभी 24 अक्टूबर 2015 को कुछ काम
से पत्नी के साथ गाँव जाना हुआ ! सुबह 8 बजे गाँव पहुंच गया,कपडे चेंज किया
और घर से बाहर आकर पुष्पा को देखने के लिए इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगा पर
पुष्पा नहीं दिखी ! छत पर जाने से डर रहा था क्योकि पिछली बार पत्नी ने
टोका था बार बार छत में घूमने के कारण छत पर नहीं गया ! कुछ देर में भाभी
ने आवाजा दिया तो अंदर जाकर नास्ता किया और बाते करने लगा और बात
करते करते कब 10 बज गए पता ही नहीं चला ! 10 बजे बाहर आया और घर के सामने
कलमी आम/आँवला के बगीचे में घूमने लगा तो देखा की कोई लड़की आम की डाल सहारे
एक हाथ से पसीना पोछते हुए और एक हाँथ में हासिया लिए हुए खड़ी थी ! मैं
पहले दूर से नहीं पहचान पाया पर जब नजदीक गया तो पहचान गया !
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पुष्पांजली (पुष्पा भाभी की लड़की) ऐसी ही खूबसूरत है |
पुष्पा
की लड़की खड़ी थी ! ये इतनी जल्दी बड़ी हो गई मैं तो
उसे देखता ही रह गया 15 साल की उमर में 18-19 की लग रही थी क्या बला की खूब
सूरत है ! एकदम से अंग्रेज की लड़की लग रही थी ! उसने स्कूल ड्रेस की सर्ट
और सलवार पहन रखा था ! स्कूल ड्रेस खूब टाइट लग रहा था , उसकी चूचियाँ स्कूल ड्रेस में दब कर फैली हुई लग रही थी ! स्कूल ड्रेस छोटा हो गया होगा
इस लिए पहनने लगी होगी ! मैं उसके पास गया तो ओ मुझे देखकर पहले तो सरमाई पर बाद में
हाँथ जोड़कर ''नमस्ते छोटे ठाकुर साहब'' बोली तो मैंने नमस्ते किया और बोला
''आप पुष्पा भाभी की लड़की हो'' तो गर्दन हिलाया तो नाम पूछा तो झिझकते हुए
बोली ''पुष्पांजली'' तब मैंने पूछा ''कौन से क्लास में पढ़ती हो'' तो बोली
11 वी में'' तो फिर पूछा ''मम्मी कहा है'' तो बोली ''सायद नदी किनारे वाले
खेत में गई होगी कल बड़े ठाकुर कुछ काम बोल थे'' फिर मैंने बोला '' आप बहुत
खूबसूरत हो मम्मी पर गई हो'' तो सरमा गई और दुसरी तरफ देखते हुए पाँव के
अगुठे से जमीन को कुरेदने लगी तो मैं समझ गया इसे अपनी तारीफ बहुत ही अच्छी
लगी इतने में मोबाइल में किसी का फोन आया तो बातें करने लगा जैसे मोबाइल बंद किया तो मोबाइल की
तरफ ललचाई निगाहों से देखीं और बोली ''कितने का है ये मोबाइल'' तो मैंने बताया ''22000 का''
तो बोली ''ओ दइया इत्ता महगा मोबाइल'' मैंने बोला ''क्यों विश्वास नहीं
हुआ'' तो बोली ''आप झूठ थोड़ी बोलेगे'' और इतना कहकर मोबाइल की तरह ललचाई
निगाह से देखने लगी तो मैंने कहा ''लो देख लो'' तो झट से हाथ बढ़ा दिया तो
मोबाइल उसके हाथ में दे दिया तो पलट पलट कर मोबाइल देखने लगी और बोली ''
छोटे ठाकुर साहब ई वाट्सअप और फेसबुक क होत है'' (पुष्पांजली गाँव की
भाषा में बात कर रही थी मैं भी उसे गाँव की भाषा में ही जबाब दे रहा था)
तब मैंने मोबाइल में फेसबुक और वाट्सअप चलाकर दिखाया और पूछा ''आपको कैसे
पता फेसबुक और वाट्सअप के बारे में'' तो बोली ''स्कूल में लड़कियों के के
मुह से सुना है और क्लास में सर भी मोबाइल में कुछ करते रहते है'' तब मैंने पूछा ''आपको भी
ऐसा मोबाइल चाहिए'' तो बोली ''आप मुझे बार बार आप नहीं कहिये मैं बहुत छोटी
हूँ'' तब मैंने कहा ''तो क्या हुआ'' और फिर मोबाइल लेने की बात किया तो
बोली ''मेरे नसीब में ऐसा मोबाइल कहाँ है'' तब मैंने कहा ''टीक है मैं दे
दूंगा'' तो बोली '' मम्मी वाला मोबाइल भी तो आपने दिया है'' तो मैं चौक गया
और पूछा ''आपको कैसे पता'' तो बोली ''आपके मैसेज आते है तो कभी कभी पढ़
लेती हूँ'' इतना सुनते ही मेरा माथा ठनका और पूछ लिया ''सभी मैसेज पढ़ती हो'' तो पुष्पांजली गर्दन नीचे किया और अपनी मुंडी हां में हिलाया तब मैंने पूछा ''ये मैसेज अपने पप्पा (मंगलू अहीर) को भी बताया कभी'' तो नहीं में गर्दन हिला दिया ! अब मैं समझ गया की इसे मेरे और पुष्पा के बीच संबध के बारे में पता है ! तब मैंने इधर उधर देखा और पुष्पांजली की चेहरे के नीचे हाथ लगाकर उठाया और पूछा '' आपकी मम्मी जानती है की तुम उनके मैसेज पढ़ती हो'' तो पुष्पांजलि ने ''न'' हिला दिया और अचानक बोली ''आप मम्मी से प्यार करते हैं छोटे ठाकुर'' तब मैंने कुछ नहीं बोला और पुष्पांजलि की तरफ प्यार से देखा और आँख मारते हुए चलने लगा तो बोली ''छोटे ठाकुर ओ मोबाइल याद है न'' तब मैं मुस्कुराते हुए बोला ''हां याद है साम को लेकर नया मोबाइल दे दूंगा'' तो खुसी से चहक उठी और मैं वहाँ से नदी के किनारे वाले खेतों की तरफ चल पड़ा और जब पहुंचा तो इधर उधर देखने लगा पुष्पा को पर ओ नहीं दिखी तब मैं धान तुवर के खेतों में भी घुस कर भी देखा पर पुष्पा नहीं दिखी तब मैं बहुत देर तक खेतो में घूमता रहा और फिर 12 बजे तक घर वापस आ गया, पाँव में कीचड़ लगा गया तो उसे धोने के लिए पानी की टंकी से सटे हुए वाथरूम के दरवाजे (जिसमे कोई दरवाजा नहीं लगा है) के पास गया तो देखा की पुष्पांजली नहा रही है ! उसने सर्ट उतार कर बगल में लगी लोहे की राड में टांग दिया है और नीचे की सलवार पहन कर नहा रही है ! पुष्पांजलि की गोरी गोरी चिकनी पीठ दिखाई दे रही है और चेहरे में साबुन लगा लगा कर हाथो से घिस रही थी,चेहरा घिसते घिसते सामने की तरफ घुमी तो उसकी छोटी छोटी गदराई दूध से नहाईं हुई सफ़ेद झक्क चूचियाँ दिखाई दी मैं मूर्ति बनकर देखने लगा जब उसने चेहरे से साबुन धोने लगी तो मैं समझ गया ये मुझे देख लेगी तो धीरे से
पीछे खिसका लिया अपने आपको और बाहर खड़ा हो गया और कुछ सेकण्ड बाद फिर से बाथरूम में घुसा तो ओ मुझे देखकर हड़बड़ा गई और जल्दी से अपना सर्ट लेकर अपनी चूचियों को ढकने लगी तो मैं फिर से बाहर आ गया और बाहर से बोला ''आप नहा रही थी मुझे नहीं पता था सॉरी'' तो अंदर से खिलखिलाने की आवाज आई और बोली '' कोई बात नहीं धोखा हो जाता है छोटे ठाकुर जी.'' और मैं बाहर के नल में पाँव धोने लगा ! कुछ देर में पुष्पांजली निकली और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुराई और चली गई ! मैं भी उसी वाथरूम में नहाया और फिर खाना खा कर दोपहर में बिस्तर में लेट गया और सो गया करीब 3 बजे पत्नी ने उठाया और बोली ''दीदी (मेरी भाभी) चित्रकूट जा रही है मैं भी चली जाऊं क्या'' तो मैंने पूछा ''कौन कौन जा रहा है'' तो बोली ''जेठ जी,दीदी,और माँ'' मैं इतना सुनते ही मन ही मन बहुत खुस हो गया सोचा आज रात में पुष्पा को अपने बेड पर चुदाई करूंगा ! और पत्नी को हाँ कर दिया ! करीब 4 बजे तक घर से सभी चले गए,क्योकि बाहर साथ में कोई नौकर होना चाहिए इस लिए दादा भाई अपने साथ ''मांगलिया अहीर'' (पुष्पांजलि के पिता जी और पुष्पा के पति ) को भी ले गए ! जैसे ही बोलेरो गेट से बाहर निकली मैं तुरंत ही छत पर गया और पुष्पा के घर की तरफ देखने लगा तो पुष्पा दिखी तो इसारा किया तो पुष्पा ने मिस काल दिया तब मैंने फोन किया तो पुष्पा पूछने लगी कब आये तो उसे बताया तो खुस हो गई मैंने उसे घर में बुलाया तो बोली ''घर में नहीं आम के बगीचे के पास तुवर में आ रही हूँ'' तब मैं जल्दी से घर से बाहर निकला और घर के आदिवासी नौकर कल्लू कोल को बोला घर का ध्यान रखना मैं आता हूँ और इतना कहकर जल्दी जल्दी खेत की मेड पर जाकर खड़ा हो गया, कुछ ही देर में पुष्पा भाभी हाथ में एक डिब्बा लिए पास आकर तुवर के खेत में घुसी मैं भी धीरे से घुस गया और जाते ही पुष्पा को पकड़ कर सीने से चिपका लिया और चूचियों को दबाते हुए दनादन किस करने लगा और होठों को किस करते हुए जीभ को चूसने लगा कुछ ही देर में पुष्पा गरम पैड गई तो मैं उसे लेकर जमीन में बैठ गया और उसे अपने जांघो में बैठा लिया और साड़ी को खिसकाने लगा तो बोली ''यहाँ मजा नहीं आएगा'' तब मैंने बोला ''फिर'' तो बोली रात में घर आ जाना'' तो मैंने उसे बोला ''आज रात मेरे कमरे में आ जाओ कोई नहीं है घर में'' तो बोली ''टीक है'' और दोनों बहुत देर तक खेत में ही बातें करते रहे , पुष्पा से उसकी बेटी को मोबाइल देने की बात किया तो पुष्पा मना करने लगी और बोली '' बिंदु बिगड़ जाएगी मोबाइल पाकर'' तो मैंने बोला ''नहीं मैं दूंगा'' तो कुछ नहीं
बोली कुछ देर बातें करने के बाद दोनों अलग अलग रास्ते से बाहर आ गए और घर आकर जल्दी से कपड़ा पहना और भाई साहब की बुलट उठाया और गाँव से 11 किलो मीटर दूर की बाजार से 5000 रुपये में नया Micromax Canvas A1 AQ4501 (White) ले आया और पुष्पा को फोन करके उसकी लड़की बिंदु (पुष्पांजलि) को बुलाया तो पुष्पा ने बिंदु को भेज दिया ! बिंदु के आने के पहले घर का नौकर कल्लू कोल को काम के बहाने बाहर भेज दिया ! बिंदु आई तो उसे अपने कमरे में बुलाया और उसे मोबाइल दिखाया और बोला ''ये तुम्हारे लिए'' मोबाइल देखते ही बिंदु खुसी से उछलने लगी तो उसकी छोटी छोटी गदराई चूचियाँ भी कूदने लगी और बिंदु ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिए और बिस्तर के पास खड़े खड़े देखने लगी फिर बोली ''इसे कैसे चलाएंगे'' तो मैंने कहा '' इसमें सिम लगानी होगी और इंटरनेट पैक डालना होगा'' तो बोली ''तो करिये न,मुझे चलाना है इसे'' तब मैंने मेरे पास से आइडिया की सिम निकाली और मोबाइल में लगाकर मेरे मोबाइल से मेरे बैंक अकॉउंट की एप्लीकेसन से पुष्पांजलि वाली सिम में नेट बैलेंस डाल दिया और कुछ ही देर में इंटरनेट चला कर बता दिया तो पुष्पांजली खुस होकर मेरे पास बिस्तर में बैठ गई और मोबाइल फीचर समझने लगी मैंने उसकी कई फोटो लिया मोबाइल से और उसकी खूबसूरती की खूब तारीफ किया तो ओ खूब खुस हो गई तो मैंने उसके कंधे में हाथ रख दिया और उसका रियेक्सन देखने लगा तो ओ मेरी तरफ देखि और मुस्कुराई तब मैंने उसके गाल में किस कर लिया तब फिर से मेरी तरफ देखी और मुस्कुराकर रह गई तब मैंने धीरे से उसके कमर के नीचे से हाथ डाला और धीरे से चूची को दबा दिया तो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई और बोली ''मम्मी आ जाएगी'' और मोबाइल के और फीचर पूछने लगी ,मैं उसे फीचर समझाने लगा और उसकी फोटो खीचकर उसका फेसबुक और वाट्सअप अकॉउंट भी बना दिया और चालाना भी सिखा दिया पुष्पांजलि दिमाग से काफी तेज है बहुत जल्दी सीख लेती है कुछ देर बाद पुष्पा ने मिसकाल दिया तो मैंने फोन लगाया तो बोली ''बिंदु अभी तक नहीं आई'' तो मैंने बोला ''ओ मोबाइल चलाना सीख रही है'' तो पुष्पा बोली ''उसे भेजिए,साम हो रही है पढ़ाई करना है'' तब मैंने पुष्पा को बोला ''तुम भी आ जाओ न'' तो बोली '' नहीं अभी नहीं'' फिर पुष्पा ने बिन्दु से बात किया तब बिंदु अनमने से होकर उठकर जाने लगी तो मैंने उसे मोबाइल का डिब्बा दिया और बोला ''इसे छिपा कर ले जाओ'' तो बिंदु बोली ''कैसे छिपाऊं'' तब मैंने
उसे स्टील की बाल्टी दिया और बोला ''इसमें मोबाइल को रख लो'' तब बिंदु ने उसमे मोबाइल रखकर जाने लगी तो मैंने उसे पकड़ कर फिर से किस करते हुए चूची को दबा दिया तो मुस्कुराई और चली गई ! मैं समझ गया बिंदु फस चुकी है पर इस कुँवारी कली का रस कैसे पीया जाए घर के बाहर घूमते हुए यही प्लान बना रहा था की करीब 5 मिनट बाद पुष्पा भाभी दनदनाते हुए बनावटी गुस्सा लिए गेट खोलकर आई और दिखावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली ''क्या जरुरत थी इतना मह्गा मोबाइल दिलाने की'' तो मैंने कुछ नहीं बोला और घर के अंदर जाने का इसारा किया तो पुष्पा चुपचाप घर के आँगन में घुस गई तो मैं भी गया और पुष्पा को पकड़ कर दोनों हाथो से उठा लिया और अपने कमरे में आलीशान बेड पर लिटा दिया और ऊपर चढ़ते हुए झुककर चूमते हुए बोला ''पहली बार गुस्से में देखा,बहुत सुन्दर लगती हो'' तब मुझे अपने ऊपर से उठाने के लिए धक्का दिया व् बोली ''उठिए भी कल्लू आ जाएगा'' तब मैंने उसे बताया की ''कल्लू को उस गाँव भेज दिया है'' तब मैं पुष्पा को किस करते हुए बातें करने
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पुष्पा ऐसे ही लगती है ! पहले से ज्यादा मोटी व् खूबसूरत हो गई |
लगा तब पुष्पा बोली ''आप बिगाड़ दोगे बिंदु को'' तब मैंने कहा ''एक मोबाइल देने से नहीं बिगड़ जाएगी'' तब कुछ नहीं बोली प्यार से देखने लगी तब मैंने चूचियों को दबाते हुए किस करने लगा ,पुष्पा भी बार बार मेरे गालों को किस करने लगी मैंने ब्लाउज के नीचे हाँथ डालकर चूचियों को सहलाने लगा , चूचियों की निप्पल टाइट पड़ गई तब मैंने पुष्पा को अभी चोदने का मन बना लिया और साडी को जांघो के ऊपर खिसकाया और चिकनी चिकनी गोरी गोरी जांघो को सहलाने लगा और फिर धीरे से चूत के ऊपर हाथ घुमाया तो लगा की चूत में छोटे छोटे बाल है तब साडी को कमर तक उठा लिया और चूत की तरफ देखा तो पुष्पा बोली ''रहने दीजिये अभी मजा नहीं आयेगा ,रात में कर लेना'' मैं तो मन बना लिया था और पीछे हटने मूड मे नहीं था ! इस लिए पुष्पा के मना करने के बाद भी नहीं माना और और झुककर चूत को चाटने लगा पुष्पा कुछ ही मिनट में गर्म पड़ गई तब मैंने अपनी चढ्ढी उतारने लगा इतने में घर का दरबाजा खुलने की आबाज आई तो पुष्पा जल्दी से उठकर बिस्तर के कोने पर खड़ी हो गई और मैं बाहर निकला और बैठक में जाकर देखा तो कल्लू वापस जा रहा था,समझ गया कल्लू आ गया और वापस आया और पुष्पा को बताया तो ओ बोली ''अब कैसे जाऊँगी, कही कल्लू देख न ले'' तो मैंने कहा ''रुको मैं कल्लू को किसी बहाने बगीचे में भेजता हूँ'' इतना कहकर मोबाइल लेकर बाहर आया और कल्लू को एक नीबू तोड़ने के लिए भेज दिया जब कल्लू चला गया तो पुष्पा को इसारा किया तो ओ चली गई ! और मैं भी मेनगेट के बाहर आकर पुष्पा के घर के सामने से निकली हुई रोड से घूमने लगा तो पुष्पा की मिस काल आई तो फोन किया तो बोली '' नया मोबाइल आपके कमरे में भूल आई हूँ बिंदु को भेज रही हूँ'' तो मैं जल्दी जल्दी घर आया और पुष्पांजली का इन्तजार करने लगा करीब 3 मिनट बाद पुष्पांजली आई तो उसे कमरे बुला लिया जैसे ही कमरे में घुसी तो गोद में उठा लिया और चूमने लगा तो बिंदु मेरे कंधे में अपनी बाहों को डालकर सीने से चिपक गई तो उसे चूमते हुए बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर चूमने लगा सर्ट की 2 बटन खोल कर उसकी छोटी छोटी चूचियों को सहलाने लगा पुष्पांजली बहुत जल्दी गर्म पड़ गई उसकी चूचियों की निप्पल बहुत जल्दी टाइट पड़ गई और बहकने लगी तो मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोलने लगा तो हाथ पकड़ लिया और बोली ''रहने दीजिये नहीं तो कुछ गलत करुँगी तो मम्मी मारेगी '' तब मैंने उसे बड़े प्यार से समझाया और बोला ''ये गलत नहीं है बल्कि शरीर की जरुरत है'' तब भी पुष्पांजली ने नाड़ा नहीं खोलने दिया और उठकर बैठ गई तब मैंने कहा ''कल नदी किनारे वाले तुवर के खेत में मिलोगी'' तो बोली ''देखती हूँ, कोई बहाना बनाकर आऊँगी'' और फिर मोबाइल हाथ में लिया और चली गई ! तो बैठका में आकर टीवी ओन किया और देखने लगा करीब 9 बजे कल्लू को बुलाकर उसे खाना दिया कल्लू खाना लेकर कटहल के पेड़ के नीचे खाना खाने लगा मैं भी घर का मेंन दरवाजा लगाया और टीवी देखते हुए खाना खाया और टीवी वाले बैठक रूम में ही सोफे पर लेट गया कब नींद लग गई पता ही नहीं चला करीब 11 बजे रात में पुष्पा की बार बार मिस काल आई तो नींद खुली तो पुष्पा को फोन किया तो बोली ''गेट का ताला खोलिए मैं आती हूँ'' तब मैंने बोला ''पीछे के दरबाजे से आना'' इतना कहकर मेन गेट का ताला खोला और वापस आकर बिगोरा 100 व् बिगोरा फ़ोर्स की एक-एक टेबलेट खा लिया ! करीब 20 मिनट बाद पुष्पा घर के पीछे वाले दरवाजे को धीरे से ठोका तो मैं समझ गया और दरबाजा खोला और पुष्पा के घुसते ही पकड़ कर उठा लिया और आँगन में ही घुमाने लगा और किस करने लगा तो धीरे से बोली ''अब उतारिये भी नहीं तो गिर जाउंगी'' तब मैंने कहा ''मैं भले ही गिर जाऊं पर तुम्हे नहीं गिराऊंगा'' तो हँसते हुए बोली ''आप इतना प्यार करते है मुझे'' तब मैंने कहा ''आजमा लो मेरी जान,मैं तो तुमसे शादी भी करने को तैयार हूँ'' तो पुष्पा बोली ''छोटी मालकिन मुझे ज़िंदा नहीं रहने देंगी'' और इतना कहकर गोद से नीचे आ गई और दोनों बैडरूम में आ गए और बिस्तर में लेट गए ! पुष्पा के आते ही पूरा आँगन महकने लगा , पुष्पा ने इतना ज्यादा स्प्रे किया था की पूरा बैडरूम खुसबू से भर गया ! मैंने पूछा ''इतना ज्यादा सेंट लगाई हो कि पूरा कमरा महकने लगा'' तो बोली ''एक साल बाद अपने प्रीतम से मिल रही हूँ'' इतना कहकर मेरे से लिपट गई और मुझे चूमने लगी तब मैंने पूछा ''मंगलू दादा का क्या हाल चाल है'' तो अनमनी होकर बोली ''अभी मूड खराब मत करिये'' जबकि मेरा प्लान था कुछ देर बाते करू तब तक गोलियों का भरपूर असर हो जाएगा तब चुदाई मजा आएगा ! तब मैंने विषय को बदल दिया और पुष्पा से उसके बेटे जो हम दोनों के मिलन से पैदा हुआ ''अभिजीत'' का हाल चाल पूछा तो पुष्पा चहक चहक कर उसके बारे में बताने लगी बहुत देर तक बात किया अभिजीत के बारे में फिर मैंने पुष्पांजलि बाते किया , पुष्पांजलि को 10 वी में 85% नंबर आये ये बताया तो मैंने पुष्पा को बोला ''कालेज की पढ़ाई के लिए मेरे साथ शहर भेज सकती हो'' तो बोली ''छोटी मालकिन को एतराज नहीं होगा तो
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पुष्पा पहले से ज्यादा मोटी और खूबसूरत हो गई |
भेज दूंगी'' मैं मन ही मन खुस हो गया की पुष्पांजलि को खूब चोदूंगा जब साथ रहने लगेगी ! बातें करते करते रात के 12 बज गए, मेरे लण्ड में तूफ़ान उठने लगा तो पुष्पा को चूमने लगा और एक हाथ से पुष्पा के ब्लाउज का हुक खोलने लगा पर सबसे नीचे का हुक नहीं खुला तो पुष्पा ने खुद ही हुक खोल दिया तो मैंने ब्रा का हुक खोलते हुए ब्रा और ब्लाउज को जिस्म से अलग कर दिया तो पुष्पा के मस्त मस्त जोबन बाहर निकल पड़े पुष्पा की चुचिया अच्छी खासी टाइट लग रही थी ! धीरे से चूची को सहलाया और बोला ''क्या बात है एकदम से मस्त टाइट है'' तो बोली ''आपके सिवा कोई हाथ नहीं लगाता और आपने एक साल पहले हाथ लगाया था इस लिए टाइट है'' तो मैंने हँसते हुए बोला ''क्यों मंगलू दादा नहीं लगाते हाथ'' तो निरास होकर बोली ''उनको ये सब करने का मन नहीं पड़ता'' तब मैंने पुष्पा से पूछा ''महीना कब आया था'' तो बोली ''बस एक दो दिन में वाला है, मुँह मत लगाइये'' तब मैंने कहा ''ठीक है'' और फिर पुष्पा का पेटीकोट के नाड़ा खोल दिया और साड़ी को उतार दियाअब पुष्पा एकदम सेनंगी मेरे सामने बेड पर पडी है, मैं पुष्पा को उलटा करके पेट की तरफ लिटा दिया और जिस्म को चूमने लगा कभी चिकने चिकने चूतड़ तो कभी चिकनी चिकनी जांघो को चूमता सहलाता , पुष्पा भी गर्म पड़ने लगी और हाँथ को मेरी तरफ बढ़ाया और लण्ड को टटोलने लगी और लोवर के ऊपर से ही लण्ड को पकड़ कर दबाने लगी और कुछ मिनट बाद लोवर को खीच कर अलग कर दिया और मेरी मजबूत कड़क जाँघो को सहलाने लगी, मेरी जांघो में बाल बहुत है और पुष्पा को मेरी जांघो के बालो से खेलना बहुत अच्छा लगता है ! पुष्पा कभी लण्ड को दबाती तो कभी जांघो को सहलाती तो कभी हलके से बालो को खींचती ! मैं पुष्पा के कान के नीचे गर्दन चूमते हुए चाटने लगा ,पुष्पा के शरीर से ज़रा सा भी पसीने की इस्माइल नहीं आ रही थी और न ही पसीने की नमकीन वाली फीलिंग थी, धीरे धीरे पूरी गर्दन को चाटते चाटते उठा और आँवले के तेल की बाटल लिया और पुष्पा के वदन को मालिस करने की सोचा तो पुष्पा ने मना कर दिया और बोली ''अभी नहीं, अब मत तड़पाओ मेरे राजा'' और इतना कहकर उठी और मुझे लिटा दिया और चढ्ढी उतार कर मेरे लण्ड को खिलाने लगी , कभी लण्ड को चूमती तो कभी
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पुष्पा का जिस्म 100% ऐसा ही गदराया हुआ चिकना है |
जीभ से चाटती जब पुष्पा लण्ड से खेल रही थी तब मैं पुष्पा की चूचियों से खेलता इस तरह 3 मिनट तक खेल खेल में पुष्पा गरम पड़ गई और मेरे ऊपर चढ़ गई और झुक कर मेरे गालो को चूमने लगी ! पुष्पा की चूत को कई महीने से लण्ड का ठोकर नहीं मिला इस लिए पुष्पा ज्यादा उतावली हो रही थी ! मैंने कंडोम दिया और बोला इसे चढ़ा दो तो बोली ''रहने दीजिये महीना होने वाली हूँ'' तब मैंने कहा ''नहीं लगा लो,कहीं रुक जाएगा तो अबॉर्शन करवाना होगा'' तो पुष्पा राजी हो गई और लण्ड का सुपाड़ा पीछे खिसकाने लगी तो मैंने रोक दिया तब सुपाड़ा को नंगा किये बिना कड़क लण्ड पर कंडोम चढ़ा दिया और अपनी दोनों जांघो को को घुटने से मोड़ते हुए मेरी कमर के बगल में रख कर, बड़े आराम से लण्ड को चूत में फँसा लिया और मेरे ऊपर लेट गई और हलके हलके अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी जैसे जैसे चूतडो को आगे पीछे करती वैसे वैसे पुष्पा को मजा आने लगा तो दोनों घुटनो के बल खड़ी हो गई और लण्ड पर कूदने लगी कमरे में लण्ड और चूत की लड़ाई की आवाज गूँजने लगी करीब 4 मिनट तक लण्ड पर कूदने के बाद पुष्पा थकने
लगी और कूदने की स्पीड कम हो गई तो मैं समझ गया पुष्पा थक गई तो पुष्पा को लिटा दिया और दोनों टांगो को ऊपर किया और एक ढक्कन आँवले का तेल निकाला और कुछ तेल चूत में और कुछ तेल लण्ड में लगा लिया और अपने दोनों घुटनों को मोड़कर झुक गया और धीरे धीरे लण्ड को चूत में डाल दिया और करीब 1 मिनट तक लण्ड डाले पुष्पा के ऊपर झुका रहा, पुष्पा की चूत में अजीब सा हलचल हो रहा था, ओ कभी चूत को अंदर की तरफ सिकोड़ती तो कभी ढीली कर देती,जब चूत को सिकोड़ती तो लण्ड के ऊपर चूत का दबाब स्पष्ट समझ आता जितना चूत को सिकोड़ती मुझे उतना ही अधिक मजा आता पर मैं अभी लण्ड को आगे पीछे करने नहीं था मैं तो पुष्पा को ज्यादा से ज्यादा उचाई तक ले जाना चाहता था इस लिए धैर्य से लण्ड को डाले हुए पुष्पा भाभी को अधिक से अधिक ब्यग्र करना चाहता था पर पुष्पा धीरे धीरे अपने चूतडो को हिलाने लगी और थोड़ा सा उठकर मेरी जीभ को चूसने लगी और कांपती हुई मदहोस कर देने वाली आवाज में बोली ''जान लोगे क्या,करो न अब'' तब धीरे धीर लण्ड को मुस्किल से 3 सेंटीमीटर के आस पास बाहर किया ही होगा तब पुष्पा ने कस कर चूत को सिकोड़ लिया जैसे ओ लण्ड को बाहर नहीं जाने देना चाहती और दोनों हाथो से मेरी मजबूत बाहों को कसकर पकड़ लिया जैसे उसके पकड़ने से लण्ड बाहर होना रुक जाएगा और धीरे धीरे उउउ उउउउउउउउउ आआआआआअ अस्सस्सस्सस् सस्सस करने लगी तब मैंने लण्ड को बाहर करने से रुक गया तो पुष्पा के मेरी बाहो की पकड़ ढीली हो गई पर चूत को और अधिक दबाब से सिकोड़ते हुए कस लिया तब मैंने फिर से लण्ड को चूत के अंदर धीरे धीरे सरकाने लगा जैसे ही लण्ड को अंदर करने लगा पुष्पा ने चूत की इतनी जोर अंदर की तरफ सिकोड़ा की पुरे लण्ड पर चूत पड़ने लगा,ऐसा लग रहा था जैसे पुष्पा लण्ड को अंदर नहीं आने देना चाहती फिर भी मैंने बहुत धीरे धीरे लण्ड को थोड़ा अंदर किया बाहर करने लगा तो पुष्पा मेरी बाहों को कस कर पकड़ते हुए चूत को इतना जोर से सिकोड़ा की लण्ड बिलकुल फस सा गया चूत में बस इसी तरह से कभी थोड़ा तो कभी ज्यादा लण्ड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और कमरे में पुष्पा की सिसकारी गुजने लगी करीब 5 मिनट तक इसी तरह पुष्पा को तड़पाता रहा तो पुष्पा फिर से काँपती हुई आवाज में बोली ''प्लीज़ अब मत तड़पाओ मेरे राजा जी जल्दी जल्दी करो प्लीज़'' कह कर थोड़ा सा उठी और मेरे होठो को,जीभ को चूसने लगी और मुझे कस कर अपने सीने से चिपका लिया ! चुदाई की गति बढ़ा दिया तो पुष्पा अपने दोनों हाथो को मेरे चूतड़ों में रख दिया और अपने हाथ से मेरी चुदाई की गति में हाथो से आगे पीछे करके सहयोग देने लगी और मुह से उउउउउ ऊऊऊऊओ आअह्हह एस्सेस्सेस्सेस स्सस्ससीईसीसीसीसीसीसीसीसीस की आवाज करने लगी और चूत को सिकोड़ने का दबाब कम कर दिया और मैं जोर जोर से झटके मारने लगा पुष्पा अब मेरे नितम्बो हटाकर दोनों हाथो से तकिया को जोर से पकड़ लिया और मुह फाड़कर खूब जोर जोर ऊओउुुुुुुुु आआहहहहहहः स्स्सीए आहहह अाकाका आछ आ आ आआहहह आहहह सीएई सी सी करने लगी और अचानक जोर से मेरे से लिपट गई एक मिनट बाद छोड़ दिया और जोर जोर से हाफ़्ने लगी मैं समझ गया पुष्पा झर चुकी है पर मेरे लण्ड में बिगोरा फ़ोर्स (मैथुन करने में लंबा समय देती है) और बिगोरा 100 (लण्ड को भरपूर टाइट करती है) का असर अभी तक बना हुआ है क्योकि सुपाड़ा को नंगा किये बिना कंडोम लगाने से मैं अभी 15 मिनट तलक आसानी से चोद सकता था पर पुष्पा के झर जाने के बाद लण्ड डाले हुए पुष्पा के ऊपर पड़ा रहा तो पुष्पा बोली ''आप निकला क्या'' तो मैंने कहा '' नहीं'' तो पुष्पा बोली ''कर लीजिये न'' तो मैंने पहले मन ही सोचा पुष्पा की गाण मारी जाए (गुदा मैथुन) फिर तुरंत ही मन में बिचार आया की वीर्य को फालतू नहीं बहाऊ बल्कि पुष्पांजलि को चोदने को चोदने के लिए बचाये राखु और फिर अपने ध्यान को डायवर्ट किया और लण्ड को बाहर निकाल लिया तो कुछ ही देर में लण्ड का तूफ़ान रुक गया तो कंडोम को निकाल कर बाहर कर दिया और चढ्ढी पहन कर लेट गया तो पुष्पा भी उठी और साड़ी ब्रा ब्लाउज पहन कर लेट गई और दोनों बातें करने लगे करीब 2 बजे तक बातें किया तो पुष्पा बहुत सी बातें बताया '' मंगलू महीने में बार भी पुष्पा को नहीं चोदता, गाँव का ही एक पटेल (कुनबी) पुष्पा के पीछे पड़ा हुआ है पर पुष्पा के अनुसार उसे घास नहीं डाला तब मैंने पुष्पा से पूछा ''मन करता है तो क्या करती हो'' तो पुष्पा बोली '' कुछ नहीं मन को रोकती हूँ'' तब मैंने पुष्पा को बोला ''लंबा वाला भटा कंडोम चढ़ा कर चोद लिया करों'' तो मेरे कंधे में एक हलकी सी चपत मारी और बोली ''छिः छिः गन्दी सलाह देते हो'' और मुझे चुम लिया और बोली ''आप बहुत मजा देते हो, उनका (मंगलू अहीर) तो इतना टाइट पड़ता ही नहीं'' इस तरह से हसी मजाक करते करते रात के 3 बज गए मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो फिर से पुष्पा को नंगा किया और कंडोम लगा कर पुष्पा को खूब चोदा और इस बार दोनों एक साथ झर गए, पुष्पा बहुत देर तक रुकी और बहुत चुदवाया ! फिर बातें करते करते सुबह के 4 बज गए तो पुष्पा बोली '' अब जाऊ'' तो मैंने कहा ''जाओ'' तो पुष्पा उठी और बाहर के दरवाजे से निकल कर चली गई मैंने मेन गेट में ताला लगाया और कमरे में आकर सो गया तो सुबह 7 बजे कल्लू ने बैठक दरवाजा खटखटाया तो नींद खुली कल्लू बोला ''बाल्टी दे दीजिये भैस निकालना है'' बाल्टी दिया कल्लू अपने काम गया मैं फ्रेस हुआ ! बाद कल्लू 3 भैसो दूध निकाल कर लाया आँगन में रख दिया मैंने दूध को तपेली डालकर गरम किया और रख दिया आधा लीटर दूध और 2 शिलाजीत गोल्ड की कैप्सूल पी गया ! इरादा था पुष्पांजलि की तबियत चुदाई करने का ! बैठक रूम में टीवी देख रहा था तो सुबह 8 बजे पुष्पा की मिस काल आई तो बात किया तो बोली ''बिंदु के हाथ नास्ता भेज रही हूँ खा लीजियेगा'' मैंने कहा ''ठीक है भेज दो'' ! करीब 8 बजकर 30 मिनट पर पुष्पांजलि उसी स्टील की बाल्टी में प्लास्टिक की टिफिन लेकर आई और सोफे के सामने टेबल पर रखकर खड़ी हो गई और मोबाइल दिखाकर बोली ''इसमें पासवर्ड डाल दीजिये जिससे कोई खोल नहीं पाये मोबाईल'' तब मैंने उसे पास बिठाया मोबाइल में पासवर्ड डालना सिखा दिया और वाट्सअप में मैसेज करना सिखा दिया अपने मोबाइल से कई मैसेज भेजा तो उसने भी कई मैसेज भेजा मौका देखकर पुष्पांजलि से बोला ''आज नदी किनारे वाले खेत में मिलोगी'' तो बोली ''आज सन्डे है कल स्कूल जाने के बहाने मिलूँगी'' और देर तक बातें किया तब ओ बोली ''नास्ता कर लीजिये'' टिफिन खोलकर देखा तो चार पराठे देसी घी के रखे थे, मैंने पुष्पांजलि को बोला ''टीक है तुम जाओ मैं खा लूंगा''और जाने लगी तो उसे बैडरूम में ले गया और खूब किस किया चूची खिलाया और छोड़ दिया तो चली गई ! दो पराठे निकालकर कल्लू दिया और दो खा लिया ! इसी बीच पुष्पांजली कई बार कई बाल्टी पानी लेकर गई आते जाते मुझे देखकर हलके से मुस्कुराती तो मैं भी मुस्कुरा देता ! समय बीता दोपहर हुई तो पुष्पा 12 बजे पानी भरने के बहाने पुष्पा खाना लेकर आई और बोली ''अभी खाकर टिफिन वापस कर दीजिये ओ आने वाले है'' तो मैंने पूछा ''कौन आने वाला है'' तो बोली '' आपके मंगलू दादा'' तब मैंने ओह किया और पुष्पा को चूमते हुए बोला ''ठीक है आओ दोनों एकसाथ खाते है'' तो पुष्पा बोली ''नहीं आप खा लीजिये'' तब मैंने बोला ''जब तक साथ में नहीं खाओगी मैं भी नहीं खाऊंगा'' तो बोली ''आप छोटे से बच्चे की तरह जिद मत करो खाना खाओ'' तब मैंने वही बात फिर से दोहराया तो पुष्पा बोली ''आप बहुत जिद्दी हो'' इतना कहा कर टिफिन खोली और किचेन से थाली निकाल कर लाइ दोनों एक ही थाली में खाना खाए और पुष्पा थाली/ टिफिन लेकर धोकर रख दिया किचेन में रख दिया और टिफिन लेकर चली गई ! मैंने कल्लू को साम का बचा हुआ खाना दे दिया उसने भी खा लिया ! फिर मैं नहा कर सो गया तो 3 बजे नींद खुली जब पत्नी ने आकर जगाया ! पत्नी आते ही धम्म से बिस्तर गई और बोली बहुत थक गई हूँ ! तो उन्हें खुस करने के लिए उनका सिर दबाने लगा फिर हलके हलके पाँव भी दबाया फिर ओ मुस्कुराई और बोली चलिए ज्यादा मस्का लगाइये ! करीब आधे घंटे बाद भाभी चाय लेकर और वही बैठकर तीनो चाय पीने लगे ! फिर बात बात में कब साम हो गई पता ही नहीं चला ! साम को खाना खाए और सोने आ गए तो पत्नी ने चद्दर को साफ़ किया तो उन्हें बिस्तर में एक टूटी हुई चूड़ी मिली तो पूछी ''मैं तो इस रंग की चूड़ी पहनी नहीं तो चूड़ी किसकी है'' मैं बड़ी मासूमियत से जबाब दिया ''मैं तुम्हारे चूड़ियों का रंग नहीं गिनता'' और बात को हसी मजाक में टाल दिया और दोनों सो गए ! जबकि ओ चूड़ी पुष्पा की थी, चुदाई में पुष्पा की कई चुडिया टूट गई थी और पुष्पा ने सभी टूटी चूड़ियों को एकत्रित भी कर लिया था टुकड़ा रह गया था ! अच्छा हूँ पत्नी को सक नहीं हुआ ! अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह उठा बड़े भाई ने सुबह मजदूरों को काम बताया मैं भी खेत घूमने चला गया साम हो गई सो गया ! पत्नी को चुदाने की इच्छा थी पर मैंने टाल दिया !
अगले दिन सोमवार को करीब 10 बजे पुष्पांजलि को वाट्स अप में मैसेज किया खेत में मिलने के लिए तो पुष्पांजलि ने मना कर दिया और बोली आज भी मम्मी स्कूल नहीं जाने दे रही है !जैसे तैसे करके दिन निकल गया रात निकल गई 27 तारिख को सुबह फिर से पुष्पांजली को मैसेज किया तो बोली ''आज वाल्मीकि जयंती है स्कूल की छुट्टी है पर देखती हूँ किसी बहाने निकलने की कोशिस करती हूँ'' पर ओ नहीं मिल पाई ! 29 अकुतुबर को मेरा रिटर्निंंग रिजाजवेसन था ! ये बात पुष्पांजलि को वाट्सअप में मैसेज में बताया तो रिप्ले में ओ बोली ''कल (28 अक्टूबर को) किसी भी बहाने में नदी किनारे वाले खेत में मिलूंगी'' दिन निकल गया रात निकल गई 28 की सुबह आई और मेरी किस्मत ने भी साथ दिया भाई साहब ने आज नदी किनारेवाले खेतों में किसी भी मजदुर को नहीं भेजा ! बल्कि सभी को घर के पास वाले खेतों में ही काम ! सुबह सुबह गिलास दूध और दो शिलाजीत गोल्ड की कैप्सूल लिया और भाभी ने हैबी नास्ता दिया जिसे खाया और मोबाइल लेकर बाहर आकर घूमने लगा तो सुबह 10 बजे करीब (बिंदु) पुष्पांजलि स्कूल का ड्रेस पहनकर निकली हम दोनों ने एक दूसरे को देख लिया ! जब बिंदु कुछ दूर चली गई तो मैंने वाटसप ''स्कूल जा रही हो आज भी नहीं मिलोगी क्या'' तब करीब 10 मिनट बाद बिंदु ने वाट्सअप में मैसेज किया ''मैं स्कूल ही जा रही हूँ आप भी पैदल आ जाना खेत की तरफ '' तो मैंने मैसज किया ''बुलट लेकर आता हूँ, बहुत दूर पड़ता है'' तो बिंदु ने पुनः मैसेज किया ''नही ओ बहुत आवाज करती है'' तब मैंने मैसजे किया ''ठीक है मैं पैदल आता हूँ'' तो फिर से मैसेज किया ''आप दूसरे रस्ते से आये'' वापस ''ओके'' किया मैसेज में और घर से दो कोहिनूर के कंडोम जेब में डाला और एक बिगोरा 100 और एक बिगोरा फ़ोर्स की टेबलेट खा लिया और खेत वाले घर की चाबी लिया और निकल लिया, बिना किसी को कुछ बताये ! नदी किनारे के खेत घर से करीब 2 किलोमीटर दूर है,जहाँ पर 1 किलोमीटर तक कोई बस्ती नहीं खेतो के बीच से ही पुष्पांजलि के स्कूल का रास्ता जाता है ! गाँव से करीब आधा किलोमीटर दूर रस्ते में एक दूकान से आँवला तेल का तीन पाउच ले लिया ! धूप कड़क थी मैं मुख्या रास्ता छोड़कर खेतो खेतो नदी तक पहुँच गया तो देखा की बिंदु धान के खेत की मेड से तुवर खेतों जा
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एक किलोमीटर तक ऐसे तक ही तुवर के खेत है |
रही है तो मैंने फोन किया और बोला ''रुको मैं भी आ गया हूँ'' तो पीछे पलट कर देखी और बोली ''दोनों को एक साथ नहीं दिखना चाहिए, मैं अरहर के खेत की मेड़ पर आपका इंतज़ार करती हु'' इतना सुनते ही मैं जिधर बिंदु गई है उधर जल्दी जल्दी लम्बे लम्बे कदम बढ़ाते हुए बिंदु के पास पहुंच गया और जाते ही बिंदु को पकड़ कर चुम लिया और चुची दबाने लगा तो हाथ हटा दिया तो मैंने पूछा ''नाराज हो क्या'' तो बोली ''नाराज होती तो जान जोखिम डालकर अति क्या'' इतना सुनते ही मैंने मैंने उसे अपनी मजबूत बाहों में उठाकर कर तुवर के खेत के अंदर घुसने लगा ! जहाँ पर खूब घनो तुवर थी वहा जाकर पुष्पांजली को उतार दिया और जोर से सीने से चिपका लिया करने लगा और चूची को दबाने लगा ! क्या मस्त टाइटचूचियाँ है बिंदु की फिर मैं बिंदु को खेत में बिठाने लगा तो बोली '' ड्रेस में मिठ्ठी लग जायेगे तो मम्मी को क्या जबाब दूँगी'' तब मैंने कहा ''अच्छा ड्रेस उतार कर बैठो'' तो बोली ''छिः छिः मुझे सरम आती है'' तब मैंने जबाब दिया ''मैंने तो तुम्हे नंगी देख लिया है, अब काहे की सर्म'' तो उसने पूछा ''कब देखा'' तो मैंने बताया ''जब नहा रही थी वाथरूम में '' तो पुष्पांजली ने मेरे सीने में हलकी से चपत मारी और बोली ''आप बहुत गंदे हो छोटे ठाकुर'' तब मैंने फिर से कहा ''अब उतार भी दो कपडे'' तो बोली न '' नहीं उतारूंगी'' तब मैंने पुष्पांजली बोला ''चलो खेत वाले
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खेतों के बीच इस तरह से एक दो कमरे का कच्चा मकान बना है |
घर में चलते है'' तो बोली ''नहीं वहाँ नहीं जाउंगी पप्पा आ जाये कभी तो'' ! पप्पा से मतलब बिंदु के पापा मंगलू जो रात में यहाँ पर कभी कभी सोते है फसल पकने पर रखवाली करने के लिए ! तब मेरे दिमाग आइडिया आया , क्यों न मंगलू की गोदड़ी उठा लाऊँ और उसमे पुष्पांजलि की लिटा का चोदू ! बिचार आते ही बिंदु से बोला मान गई तब मैं पास ही कच्चे घर से मंगलू की गोदड़ी लेने चला गया और 5 मिनट में गोदड़ी लेकर आ गया ! पुष्पांजली तब तक खड़ी रही जाते ही तुवर के कई पौधे पाँव से झुका कर जमीन में गिरा दिया और उसके ऊपर गोदड़ी बिछा दिया और बिंदु को बोला '' लो महारानी जी अब तो बैठ जाओ'' तब ओ मुस्कुराते हुए बैठ गई , मैं भी उसके पास बैठ गया और उसे अपनी गोद में लिटाकर किस करने लगा फिर स्कूल ड्रेस के सूट के गले से हाथ डाला तो लगा की ब्रा पहनी हुई है तब मैंने पीठ की तरफ हाथ किया और सूट के लाल रंग की ब्रा का हुक खिसका दिया और चूचियों को सहलाने लगा मुस्किल से 5 मिनट बिंदु की चूचियों की निप्पल टाइट पड़ गई तो सलवार का नाड़ा खीच लिया और सलवार को उतार दिया, देखा की बिंदु लाल रंग की ही पेंटी भी पहन रखी थी ! मैंने मन ही मन सोचा की मेचिंग अंडरवियर पहन रखी है ! धीरे से पेंटी भी उतार कर नंगा कर दिया, बिंदु की चूत के ऊपर हलके हलके बाल आ रहे थे ! जांघो पर हाथ घुमाते हुए चूत को सहलाने लगा ! अब बिंदु ने पहली बार मुझे किस किया और मेरे गाल पर हाथ घुमाने लगी मैं समझ गया ये लण्ड लेने को पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी है तब मैंने उसे सूट उतारने का इसारा किया तो पहले तो मना किया और बोली ''ऊपर कर लेती हूँ'' पर मैं नहीं माना तो ओ बैठ गई और सूट उतार दिया अब बिंदु पूर्ण
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पुष्पांजली की चूचियाँ 110% ऐसी ही गोलाई लिए है ! पहलीबार किसी मर्द ने चूचियों का मर्दन किया है |
रूप से मेरे सामने नंगी होकर बैठी थी मैं भी जल्दी से उठा और अपने लोवर,टी शर्ट,बनियान,चढ्ढी को उतार दिया, उसने जैसे ही मेरे लम्बे और मोटे लण्ड को देखा तो थोड़ा सा डर सी गई पर कुछ बोली नहीं !खेत में पूरी तरह से सन्नाटा फैला था ! बीच बीच में चिड़ियों के चहकने के आवाज आती ! हम दोनो निडर
हो कर कामक्रीड़ा की ओर अग्रसर हो चले ! मैं बैठकर पुष्पांजली को लिटा दिया और तेल की पाउच को दांत से थोड़ा सा फाड़ दिया और उस की चूचियों के ऊपर, जांघो के ऊपर डालकर हाथ से फैला दिया ! और धीरे धीरे चूचियों को सहलाने लगा तेल की चिकनाई से चूचियाँ ऐसी फिसल रही थी जैसे कोई मछली फिसलती हो ! एक हाथ से दोनों जांघो को
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लण्ड इतना घुसते ही बिंदु उठकर बैठ गई |
ऊपर किया और उसकी चिकनी चूत को जीभ से चाटने लगा ! तो ओ मेरे सिर पर अपना हाँथ घुमाने लगी करीब 3 मिनट की चूत
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लण्ड घुसते ही बिंदु ने इस तरह से मुँह को बनाया |
चटाई के बाद बिंदु अपनी चूचियों को अपने हाथोँ से दबाने लगी और ऊह आह सी सी सी सी आसास्स्स्स्स स्स्स्स्स्स स्स्स्
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लण्ड घुसते ही बिंदु ने इस तरह से मुँह को बनाया |
सस्स्स्स की आवाज निकालने लगी मैं समझ गया बिंदु पूर्ण रूप से गर्म पड़ चुकी है उसकी चूत से चिकना चिकना पानी निकलने लगा तब मैंने अपना खूंखार लण्ड पर सुपाड़ा नंगा किये बिना
कंडोम चढ़ाया और बिंदु की चूत मुँह पर रखा और चिकने कंडोम को और चिकना करने के लिए तेल डालकर लण्ड को चूत को चिकना किया और धीरे से लण्ड को चूत डालने लगा मुस्किल से लण्ड का सुपाड़ा ही अंदर घुसा होगा की बिंदु आह आह आवाज निकाली और उठकर बैठ गई और बोली ''बहुत दर्द कर रहा है'' तब मैंने बड़े प्यार से किस करते हुए लिटा दिया और बोला ''थोड़ा सा दर्द होगा फिर बहुत मजा आयेगे'' इतना कहकर धीरे धीरे लण्ड को ठेलने लगा लण्ड ठेलता गया और एक एक बून्द तेल टपकाता गया और करीब 5 इंच तक लण्ड घसेड़ दिया, जैसे जैसे लण्ड अंदर जाता बिंदु दर्द के मारे मुँह फाड़ती जाती,कराहती जाती कराहते हुए बोली
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पुष्पांजलि धीरे धीरे नार्मल होने लगीऔर चुदाई खूब लुफ्त उठाया |
'' अब बस भी करिये बहुत दर्द हो रहा है'' तब मैंने कहा ''बस एक-डेढ़ इंच और बचा है'' तो बोली ''अब और अधिक मत डालिये बहुत तेज दर्द हो रहा है'' तब मैंने बिंदु के गालो को सहलाने लगा और लण्ड आगे-पीछे करने लगा तो बिंदु को मजा आने लगा, करीब 20-25 बार आगे पीछे किया और धीरे धीरे लण्ड को डालता गया और फिर एक जोर का झटका दिया और पूरा का पूरा लण्ड घुसेड़ दिया तो ओ जोर से कराह कर बैठ गई व् चूत को हाथों से जोर से दबा लिया,लण्ड बाहर निकल आया देखा तो लण्ड में खून लगा था और चूत से भी खून बहने लगा, उसने अपने हाथ देखी तो घबरा गई और धीरे धीरे रोने लगी बोली ''अब क्या होगा,घर कैसे जाऊँगी'' तब मैंने पूछा ''महीना कब हुई थी'' तो बोली ''15-20 दिन हो गए'' तब मैंने बिंदु को बड़े प्यार से समझाया की ''महीना जल्दी आ गया है और कुछ नहीं, घबराओ मत'' और बिंदु को फिर से किस करते हुए,चूचियों को दबाते हुए प्यार करने लगा, और लिटा दिया और देखा तो चूत में से खून बहना बंद हो गया , मैं समझ गया की बिंदु के चूत की झिल्ली फट गई ! बिंदु कुछ ही मिनट में फिर से चुदवाने के लिए राजी हो गई तो फिर से चूत और कंडोम चढ़े लण्ड को तेल से चिकना किया और धीरे धीरे पूरा लण्ड घुसेड़ दिया इस बार बिंदु को ज़रा सी भी तकलीफ नहीं हुई और बिंदु बड़े प्यार से लण्ड की ठोकर खाने लगी करीब 30-35 बार लण्ड आगे पीछे करने के बाद बिंदु ने अपने दोनों हाथों को मेरे चूतड़ों पर रखकर लण्ड की गति के साथ चूतड़ को आगे पीछे करने में सहायता करने लगी ! मैं समझ गया की बिंदु को चुदाई मजा आ रहा है ! बीच बीच में बिंदु अपनी जाँघो को आपस में सटाने का प्रयास करती, मुझे तो अच्छा खासा अनुभव है चुदाई का , मुझे समझते देर नहीं लगी की बिंदु चरम स्थित में पहुचने वाली है, जब ओ जांघो को आपस में सटाने का प्रयास करती तो लण्ड पूरा नहीं घुसा इस लिए मैंने बिंदु के चूतड़ के नीचे अपने दोनों हाथ के पंजे रखकर चूतड़ को ऊपर की तरफ उठा लिया और पूरी गहराई तक लण्ड को घुसेड़ घुसेड़ कर चोदने लगा ! खेत के सुनसान में बिंदु की उउउउउ आआ आए आहहह अहहहह सीसीसी धीरे धीरे आवाज निकालने लगी और लगातार झटकों के साथ आवाज भी बढ़ती जा रही थी तब मैंने सोचा ये आबाज कोई सुन न ले इस लिए झुककर बिंदु की जीभ को होठों को चूसने लगा तो बिंदु भी मेरे जीभ को चूसने लगी
दोनों टांगों को मेरी कमर पर रख लिया और अपने चूतड़ों को उठाने लगी जैसे लण्ड को ज्यादा से ज्यादा गहराई तक अंदर लेना चाहती हो,बिंदु लगातार अपने चूतड़ों को उठा उठा कर पूरी गहराई तक लण्ड लेती रही मैं मस्त मस्त झटके देता रहा ! बिंदु मेरे होठ,जीभ को चूसती मैंने उसके होठ जीभ को चूसता और झटके पर झटके देने लगा बिंदु अपनी दोनों जांघो को मेरे कमर में कसकर रख लिया और दोनों हाथो को पीठ में रखकर कसकर इतनी जोर से पकड़ लिया लिया की लण्ड को आगे पीछे करना मुस्किल हो रहा था, मैं अंतिम स्टेज में पहुंच गया था की अचानक बिंदु की पकड़ ढीली पड़ गई मैं समझ गया बिंदु स्खलित हो चुकी है ! मैंने भी जल्दी जल्दी झटके मारे और और पूरी ताकत लण्ड को पेलते हुए वीर्य बहा दिया और हाँफते हुए बिंदु के ऊपर निढाल होकर लेट गया !तो बिंदु बोली ''अरे अब उठिए भी मेरी जान लेंगे क्या'' तब मैं बिंदु के ऊपर से उठ गया तो बिंदु जल्दी से उठकर घुटने मोड़कर
बैठ गई और मेरी चढ़दी उठाकर अपनी चूत को साफ़ किया और बेसर्म की तरह हँसते हुए बोली ''लो पहन लो'' और जल्दी से उठी और अपनी लाल रंग की पेंटी पहन कर खड़ी हो गई और जल्दी जल्दी अपने स्कुल की ड्रेस पहनी तब तक मैंने भी कपड़ा पहल लिया और बिंदु को अपनी तरफ खीचकर फिर चूचियों को दबाया और किस किया तो बोली ''अभी मन नहीं भरा''
तब मैंने कहा ''तुमसे तो जीवन भर मन नहीं भरेगा'' तो कुछ नहीं बोली तब मैंने गोदड़ी से हटाया और गोदड़ी को समेटने लगा तो बोली ''मुझे 5000 रुपये दो'' तब मैंने कहा ''पगली इतने रूपये लेकर जेब में नहीं घूमता हूँ'' तो बोली ''मैं नहीं जानती हूँ मुझे तो चाहिए'' इतना कहकर मेरे लिपट गई और चूमने लगी ! तब मैंने पर्स से 1000-1000 की 3 नोट दिया तो बोली '' 2 नोट और दो'' तो मैंने कहा ''पर्स को नंगी मत करो कुछ तो बचा रहने दो'' तो हँसते हुए बोली ''आपने भी तो मुझे नंगा किया, कुछ छोड़ा क्या'' और इतना कहकर पर्स हाथ से ले लिया और 1000-1000 की 3 नोट और निकाल लिया और पर्स को हाथ में पकड़ाया और जोर से चूमते हुए बोली ''अभी भी 4 नोट है हजार के'' तब मैंने बिंदु से पूछा ''क्या करेगी इतने रूपये को'' तो बोली ''मुझे इन हरी हरी नोटों से बहुत प्यार है'' और फिर जाने लगी तो मैंने पूछा ''अब कब मिलोगी'' तो बोली ''जब भी मिलना हो बता देना पर हर बार मुझे 5000 चाहिए'' तब मैं मन ही मन सोचा की ये तो पक्की रंडी निकलेगी और इतना कहकर जाने लगी तो मैंने उसे रोका से लिपटकर चूचियों को दबाया और किस किया तो बोली '' बहुत माजा आया'' और एक आँख को दबाया और अरहर के खेत से बाहर चली गई ! मैंने भी गोदड़ी को समेटा और रूम में रखा और दूसरे रास्ते से घर चला आया, रस्ते भर सोचता रहा की ये बहुत महगी चुदाई है ! फिर भी कुँवारी चूत चोदने का पहला मौका है ! बीबी तो चुदी-चुदाई मिली थी !
…
पुष्पांजलि को जब भी दुबारा चोदूंगा तो जरूर लिखूंगा !