Thursday, 26 February 2015

बीबी की फ्रेंड को फँसाया और कार में चोदा

वन्दना देखने में ऐसे ही लगती है
मेरी बीबी (सुचित्रा उम्र 40  वर्ष) की एक अच्छी सहेली (वन्दना उम्र 32   वर्ष) है जो मेरी ही कालोनी में कुछ दूर अपने खुद के घर में रहती है, मेरी बीबी और उसकी सहेली दोनों एक ही  सरकारी  ऑफिस में नौकरी करती है दोनों  में खूब जमती है एक दूसरे के घर भी खूब आना जाना है ! सुचित्रा और मैं दोनों मिया बीबी प्रति रविवार को बड़ी सब्जी मंडी कार से सब्जी लेने जाते है और एक सप्ताह की सब्जी लेकर रख लेते है ये बात वन्दना को जब पता चली तो वंदना भी हमारे साथ कार में चलने लगी सब्जी लेने के लिए ! चुकि वन्दना के पति टूरिंग जॉब में है इस लिए उनका, महीने में 15 दिन तो बाहर ही निकल जाता है ! गृहस्थी का सारा साजो सामान वन्दना को ही जुटाना पड़ता है ! मैं वंदना से ज्यादातर कम ही बातें किया करता था पर वन्दना का मेरे घर आना जाना खूब लगा रहता है ! वन्दना एक बहुत ही खूबसूरत महिला है इस लिए सुचित्रा की नजरें भी मेरे ऊपर सतर्क रहती है ! मैं एक फैक्ट्री में सिफ्ट मैनेजर हु तीनो पाली में ड्यूटी करनी होती है ! मेरी उम्र करीब 45  साल  है पर आज भी कड़ियल जवान रखा हु ! सब्जी लेने जाते जाते वन्दना धीरे धीरे मेरे साथ खुलने लगी , बातें करने लगी खासकर उस समय जब सुचित्रा पास में नहीं होती ! सब्जी मंडी में कई बार वन्दना का सब्जी का झोला सम्हालने में मदद करता ! इस तरह से  हर रविवार को सब्जी लेने जाते जाते करीब 10 माह हो गए एक बार सब्जी मंडी में बहुत अधिक  भीड़ थी उस भीड़ में एक दो बार वंदना की चूचियाँ मेरे बाह से टकरा गई तो मैंने वन्दना की तरफ देखा और सरमा गया पर वन्दना के होठो में एक सरारती मुस्कान दिखी जिसका मतलब मैं उस समय पर समझ नहीं पाया ! सब्जी मंडी में कई बार ऐसा हुआ की सब्जी का झोला भर गया तो वंदना मेरे साथ सब्जी झोला रखने चल देती और लौटते समय मेरे साथ ही सब्जी मंडी में घूमती क्योकि भीड़ में सुचित्रा को ढुढते ढुढते समय लग जाता तब तक वन्दना मेरे साथ ही घूमती इस दौरान कई बार वन्दना मेरे से अपनी चुचिया घिसते हुए पीठ  चिपक जाती ! एक सन्डे को पीछे की सीट पर झोला रखते समय मैंने वंदना को किस कर लिया और चूची को दबा दिया तो वन्दना इधर उधर देखी और बोली '' क्या कर रहें है आप कोई देख लेगा'' मतलब मैं समझ गया  यदि कोई नहीं देखे तो चलेगा !  अब ये रोज का काम हो गया वंदना जल्दी ही सब्जी का झोला रखने चल देती तो हम दोनों पीछे की सीट में बैठ जाते और 3-4 मिनट तक एक दूसरे को किस करते-करते मैंने वंदना के ब्लाउज के नीचे से हाथ डालकर चूचियों को खिला लेता ! वंदना की चूचियाँ एक दम से बढ़िया टाइट और सुडौल है , ज़रा सा भी नहीं लटकी हुई है ! वन्दना पूरी तरह से पट चुकी थी बस चुदाई का मौका तलास रहा था और ओ मौका एक दिन मिल गया ! 

एक सन्डे को क्या हुआ की सुचित्रा की तबियत ठीक नहीं थी तो सुचित्रा बोली '' आज आप अकेले चले जाओ और सब्जी ले आओ,मेरी तबियत टीक नहीं है'' तब मैंने कहा ''टीक है मैं चला जाऊँगा पर वन्दना को नहीं ले जाऊँगा'' तब सुचित्रा बोली ''क्यों वंदना आपके ऊपर बैठ कर जाएगी या उसके जाने से पेट्रोल ज्यादा लगेगा'' तब मैंने कहा '' तुम्हारे साथ उसका जाना अच्छा लगता है पर मेरे साथ जाएगी तो लोग क्या कहेंगे'' तो सुचित्रा बोली '' जिस दिन लोगो को सुनने की परवाह किया उस दिन जीना दूभर हो जाएगा और आज की तो बात है'' तब मैंने कहा ''ठीक है'' जबकि  मैं नौटंकी करने  के लिए ये सब कह रहा था ! मैं जल्दी जल्दी तैयार हो रहा था की इतने में वंदना का फोन आया ओ आने के लिए पूछ रही थी तो सुचित्रा ने कह दिया तू तैयार रह आ रही हु ! और मैं जल्दी से तैयार होकर वन्दना के घर के सामने पहुंच गया उस समय सुबह के 8 बजकर 15  मिनट हो रहे थे फरवरी का महीना था नार्मल हलकी हलकी ठंडी थी मैं जैसे ही पहुंचा वंदना कार देखकर छत से जल्दी जल्दी सीढ़ी उत्तर रही थी तब मैं जल्दी से वंदना  पहुंचा और बोला ''अभी तक तैयार नहीं हुई क्या'' तो वंदना बोली ''आप कैसे ? दीदी कहाँ है ? '' तब मैंने वंदना को बांहों में भरते हुए किस करते हुए बोला ''आज सूचित्रा की तबियत टीक नहीं अपुन दोनों ही चलेंगे'' तो वंदना मुझे किस किया और बोली ''ओके'' और फिर जल्दी से कमरे के


अंदर घुस गई और कपडे बदलने लगी तो मैं भी पहुंच गया कमरे के सामने पर वंदना ने अंदर  से लाक किया हुआ था दरवाजा ! जब मैंने दरवाजा खटखटाया तो बोली '' रुकिए कपडे पहन लू फिर आती हु'' तब मैंने कहा ''दरवाजा तो खोलो'' तो बोली '' नहीं '' मैंने कई बार कहा पर नहीं मानी और जल्दी ही कमरे से साड़ी पहन कर निकली जबकि हमेसा ही सलवार सूट पहन कर जाती थी सब्जी मंडी ! साड़ी में देखकर मैंने बोला ''वाउ क्या मस्त लगती हो साड़ी ,में'' तो कुछ नहीं बोली बस मुस्कुरा कर रह गई और फिर बोली ''चलिए'' और मैं जल्दी जल्दी सीढ़ी उत्तर कर  कर में आ गया कुछ ही मिनट में वन्दना भी घर में लाक लगाकर आई और रोज की तरह कार की पीछे वाला दरवाजा खोला तो मैंने कहा ''आगे आ जाओ न'' तो वन्दना ने पीछे का  दरवाजा बंद करके आगे की सीट में बैठ गई और दोनों कार से चल दिए और रास्ते में मैंने वंदना से अपनी मंसा को बताया तो वंदना बोली '' छिः कितने गंदे हो आप कार में भला कैसे बनेगा'' तब मैंने वंदना को पूरा प्लान बताया तो वंदना कुछ नहीं बोली !
वन्दना की चूची ऐसी है मस्त टाइट है
  वंदना की चुप्पी को मैंने मौन सहमति समझी और जल्दी जल्दी कार चला कर 5 मिनट में मंडी पहुंच गए और जल्दी जल्दी सब्जी लिया तब तक 8 बजकर 45 मिनट हुए थे ! जबकि हम अन्य दिनों में सब्जी लेकर 9:45 -10 बजे  तक घर पहुँचते थे ! इस तरह से हमारे पास करीब करीब 50 मिनट का समय था ! मैंने कार को शहर से बाहर के सुनसान जगह पर जाने के लिए घुमा दिया तो वन्दना बोली '' इधर कहाँ जा रहे है '' तब मैंने कहा की '' वही जहाँ के लिए बोला था'' तो वंदना फिर से बोली ''क्या पागलपन है'' तो मैंने कहा ''ये काम होते ही है पागलपन वाले'' तो मुस्कुराने लगी तो मैं समझ गया की वन्दना भी चुदाने के लिए बेताब है ! और जल्दी जल्दी कार को चलाकर शहर से करीब 8  KM बाहर एक गली नुमा रोड में कार को घुसा दिया जो बिलकुल भी सुनसान थी और चारो तरफ से झाड़ियाँ थी !

                      झाड़ियों के ओलटी मेन रोड से करीब 1 KM दुरी पर कार को खड़ा कर दिया और वन्दना को बोला चलो पीछे वाली सीट में तो वंदना बिना न नुकुर किये पीछे वाली सीट में आ गई और मैं भी वन्दना के पास बैठ गया (कार में काली रंग की फिल्म लगी है इस लिए बाहर कुछ दिखाई नहीं देता) और वन्दना को किस करने लगा,किस करते करते वन्दना की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही  दबाने लगा ! करीब 3 मिनट तक तो वन्दना सामान्य रही पर मेरे बार बार किस करने और चूची दबाने से बंदना भी उत्तेजित होने लगी तो मैंने वंदना के ब्लाउज और ब्रा के हुक खोल दिया और चूचियों को आजाद कर दिया कपडे के बंधन से और फिर चुचिओं को चूसने लगा हलके हलके हाथो से दबाने लगा वन्दना अब जल्दी ही उत्तेजित हो गई ! वंदना  चूची बहुत बड़ी नहीं थी और छोटी भी नहीं थी पर थी एकदम से गोल मटोल बिना लटके हुए ! वंदना की चूचियों की निप्पल टाइट पड़ गई तो मैं मन को आगे
वंदना की टाँगो को कुछ इस तरह से फैला कर चूत को चाटने लगा
बढ़ाते हुए वंदना की जांघो को सह्गलाते हुए साड़ी को ऊपर उठा दिया और जांघो को सहलाने लगा और फिर वंदना के पाँव को उठाकर सीट में  रखने लगा तो वंदना खुद ही उठ गई और सीट पर पालथी मार कर बैठ गई तो मैंने वंदना  पांवो को सीट पर फैला दिया और साडी को पूरा कमर तक खिसका दिया तो देखा की वंदना ने पेंटी नहीं पहनी हुई थी ! वन्दना की चूत क्लीन नहीं थी चूत में हलके हलके बाल थे फिर भी मैं झुक कर वंदना की चूत  चाटने लगा तो वंदना मुस्किल से 3 मिनट की चूत चटाई में ही गर्म आग हो गई और मुझे
वंदना को इस तरह से घोड़ी बनाकर चोदा 
चूमने लगी मैं समझ गया की वन्दना चुदाई के लिए तैयार हो चुकी है तब मैंने वंदना की चूत में ऊगली डाल कर हिलाने लगा तो वंदना अपने चूतड़ों को उठाने लगी और मेरे हाथ को पकड़ कर अलग करने लगी और मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तब मैं सीट में बैठे बैठे ही अपने  पेंट और चढ्ढी को उतार दिया और वंदना को सीट में घोड़ी बना दिया और साडी को कमर के नीचे तक खिसका दिया और झुक कर फिर से चूत को चाटने लगा , वंदना की चूत मख्खन की तरह मुलायम हो गई चूत खूब गीली हो गई वंदना बार बार मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तब मैंने वंदना की मख्खन की तरह मुलायम चूत में अपना 6 इंची लंबा और खूब मोटा लण्ड धीरे धीरे करके वंदना की चूत में  घुसेड़ दिया और लण्ड को आगे पीछे करने लगा ! वंदना की चूत मस्त टाइट है लण्ड बिलकुल फिट था चूत में !  मैं  धीरे धीरे झटके मारता फिर  बीच बीच में झटके मारने की स्पीड कम कर देता तो वंदना तड़पने लगती और खुद ही अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगती तब मैं फिर से हलके हलके झटके मारने लगता इस तरह से 8 मिनट तक वंदना लण्ड के झटके खाती रही वंदना के मुहं से उउउस्स्स्  उसुसुसुसुसुसुसु आए आहहहहहः आआह्ह्ह्ह आअह्ह्हा आहहहहह की आवाज निकलती रही मैं झटके मारता रहा
वंदना को सीट में लिटा कर इस तरह से चुदाई किया
कुछ मिनट बाद वंदना पेट के बल लेट गई तो लण्ड पूरा अंदर तक नहीं जा पा रहा था तो वंदना बोली मजा नहीं आ रहा और इतना कह कर लण्ड को बाहर निकाल दिया और पीठ के बल लेट गई तब मैंने वंदना की दोनों टांगो को पकड़ कर फैला दिया और लण्ड को चूत में पेल कर वंदना के ऊपर लेट गया और चूचियों को चूसते हुए लण्ड के झटके मारने लगा अब वंदना मेरे चूतडो पर हाथ लगाकर झटके मरवाने में सहयोग करने लगी अब मैं वंदना के हाथ के इसारे पर झटके मारने लगा वंदना अपनी दोनों टांगो को मेरे कमर में साप की तरह लपेट लिया और बार बार अपने चूतडो को उठाती जिससे लण्ड चूत में ज्यादा अंदर की गहराई तक जाए मैंने भी पूरी ताकत से लण्ड को चूत में ज्यादा से ज्यादा गहराई तक पहुचाने की कोशिस करने लगा मेरे एक एक झटके पर वंदना की आवाज बढाती जाती वंदना जोर जोर से उउउउउउ  उउउउ उउ उउ आआआ आआअ ह्हह्ह ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआ आहहह हह आआह्ह आआ अह्ह्ह्ह आआह्ह्ह आउच आउच आ जजजज आ सस ससस आससस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स  स्स्स्स स्स्स्स्स्स आआह् ह्ह्ह आअह् हहः आआहहह की आ आआआआआआ आआह् ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह् ह्ह करती जाती और चेहरे के हाव भाव ऐसे थे की बार बार मुह फाड़ती अपनी चूची को अपने ही हाथ से मसलती कभी मेरे को चूमने लगती जोर जोर से तो कभी मेरी जीभ ओठो को ऐसे जोर जोर से चुसती ऐसा लगता जैसे मेरी जीभ को अपने मुह के अंदर ही खीच लेगी ये क्रम लगातार 4 मिनट तक चलता रहा वंदना जल्दी जल्दी अपने चूतडो को उठाती अपने अपने हाथो से मेरे चूतडो की गति बढ़ाती तब मैंने भी झटके मारने की स्पीड बढ़ा दिया और अच्चानक वन्दना जोर से चिपक गई और इतनी जोर से मेरी जीभ को चूसा की लगा की जीभ वंदना के पेट में चली गई और फिर वंदना एकदम से निर्जीव हो गई पर मैं अभी तक रिलेक्स नहीं हुआ था इसी लिए झटके मारे जा रहा था 2 मिनट के झटके बाद मैं भी पूरी ताकत से ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया और हाँफते हुए वन्दना के ऊपर लेट गया और वंदना को चूमने लगा और 2 मिनट तक वंदना के ऊपर ही लेटा रहा इतने में वंदना बोली ''अरे उठिए जान लेंगे क्या ,थका लिया'' और मुझे चूमते हुए उठाने लगी तो मैं उठ गया और अपने कपडे पहनने लगा ,वंदना भी जल्दी जल्दी ब्रा का हुक लगाने लगी तो हड़बड़ाहट में ब्रा का हुक लग ही नहीं रहा था तो मुझे इसारा किया ब्रा का हुक लगाने के लिए तब मैंने वन्दना की बाँहों के नीचे से हाथ डालकर वंदना की ब्रा का हुक लगाने लगा और फिर से चूमने लगा तो बोली ''अब बस भी करिये कोई आ जाएगा तो लफड़ा हो जाएगा'' तब मैंने जल्दी से हुक लगा दिया और अपने पेंट की जिप लगाने लगा तो सीट में बैठे बैठे जिप लग ही नहीं रही थी तो मैं कार के कांच को नीचे मेनुवली उतार कर इधर उधर झकर देखा जब कोई नहीं दिखा तो कार से नीचे उत्तर कर जिप को लगा लिया और वंदना को बोला नीचे आकर कपडे टेक कर लो कोई नहीं है तब वंदना कार से नीचे उतरी और अपनी साडी को फिर से टेक से पहन लिया और फिर दोनों अपनी अपनी जगह बैठे और चल दिए रस्ते में वंदना से चुदाई में मजे की बात किया तो बोली '' चोरी के फल में ज्यादा स्वाद होता है'' तब मैंने कहा ''इसके पहले भी इतनी मजा आया कभी'' तो वंदना बोली ''मजा तो कई बार आया पर ये चोरी वाला मजा पहली बार लिया'' और हसने लगी ! बात करते करते कब अपनी कालोनी में आ गए पता ही नहीं चला ! वन्दना को उसके घर के सामने उतार दिया सब्जी के थैले सहित और मैं घर आ गया ! इसके बाद

 तो वंदना को कई बार उसके घर में ही चुदाई किया ! अभी भी नियमित रूप से वंदना की चुदाई करता हु !

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