Tuesday, 30 September 2014

नमकीन है 'इशल बी '' की चूत का पानी

 मैं एक 40 वर्षीय बिधुर हु  मेरी पत्नी के स्वर्गवास हुए करीब 3 माह बीत गए, पत्नी का स्वर्गवास होते ही मात्र 6 माह में मैंने भगा कर दुसरी शादी कर लिया ओ भी अपनी उम्र से 18  साल की छोटी 26 वर्ष की एक मुस्लिम शादी सुदा महिला से  कैसे ? जानने के लिए पढ़ना होगा पूरी सत्य कहानी । 
इशल शेख मॉर्निंग वाक् में तरह से बुर्का में अपना फ़ेस छिपा कर आती है


मैं मध्यप्रदेश के एक शहर का रहने वाला हु,बैंक ऑफ़ बड़ौदा में ब्रांच मैनेजर  के पद पर नियुक्त हु । मेरा एक बेटा है 12 वर्ष का ।   मेरी पत्नी  अधिकतर बीमार ही रहती है पर मैं आज भी कड़ियल जवान की तरह 35-38 लगता हु,गोरा रंग ऊचा हट्टा-कट्टा कद । मेरी पत्नी की बीमारी के कारण ही उन्हें डेली सुबह सुबह घुमाने [ मॉर्निंग वाक्] में ले जाता हु । अधिकांसतः मैं आगे निकल जाता पत्नी पीछे रह जाती । मॉर्निंग वाक् के समय ही सुबह सुबह रोज एक मुस्लिम महिला मिलती एक बुजुर्ग के साथ कभी कभी साथ साथ दिखाई देती तो कभी अकेले अकेले दिखाई देती ,जब बुजुर्ग के साथ रहती तो बुर्के से पूरा मुह ढाका हुआ रहता अकेली रहती तो चेहरा खुला हुआ रहता , मैं बगल से निकलता तो तिरक्षि नजरो से देखता और  कभी कभी तो पुलिया पर बैठ जाता और महिला की खूबसूरती को  निहारने के लिए महिला का इन्तजार करता । क्या गजब की खूबसूरत है गोरा रंग, बड़ी बड़ी हिरनी जैसी आँखे , लाल टमाटर के तरह गाल ,लाल सुर्ख होठ ऐसा लगता है जैसे  खून टपकने  वाला हो । महिला को देखने के लालच में रोज जाने लगा, कभी कभी ओ महिला अकेली ही दिखाई देती सुबह के अँधेरे में । यह क्रम रोज का हो गया , मैं रोज उस महिला को पास से निहारते हुए निकल
जाता, कई बार आपस में नज़रे टकरा जाती । मेरी पत्नी की तबियत टीक नहीं होने उनका जाना कम ही होता है अधिकतर अकेला ही जाने लगा पर ओ कभी कभी ही अकेली दिखाई देती बाकी समय ज्यादातर एक  65-67  वर्ष के आसपास के बुजुर्ग रहते, हाथ में छड़ी दुबले पतले से । इस तरह से 3 माह निकल गए ।  एक दिन मैं जल्दी ही निकल लिया सुबह और पुलिया पर बैठ गया कुछ देर में तेज तेज कुत्ते की चाल की तरह चलती हुई
सुरु सुरु इशल इस तरह से उदास रहती थी 
इशल हूबहू ऐसी ही लगती है
अपना बुर्का घुटनो तक  उठाये हुए लगभग हाँफते हुए ओ महिला आई और पुलिया के दूसरे किनारे पर सीने पर हाथ रखकर हाँफते हुए बैठ गई, मैं देखता रहा फिर जब उनका हाँफना कम हुआ तो मैंने बड़ी हिम्मत जुटा कर पूछ ही  लिया '' आज अकेली हो क्या ,हाफ़ क्यों रही हो ,आपके अब्बू जान नहीं आये क्या '' तो ओ मेरी तरफ देखी और बोली '' अजी एक साथ इतने सवाल कर दिए किसका जबाब पहले दू '' तब मैं कुछ नहीं बोला सिर्फ मुस्कुरा दिया तब

ओ मेरी तरफ तैस से  देखी और बोली ''पहली बात तो ओ मेरे अब्बु नहीं शौहर है '' इतना सुनते ही मेरे पाँव के नीचे जमीन खिसकने लगी फिर भी मैं चुप रहा ओ फिर से  मेरी तरफ देखते हुए  बोली  ''झाडी से एक बड़ा सा सुवर निकला  कर डर  कर भागी '' इतना सुनने के बाद फिर  मैं कुछ नहीं बोला बस उनकी तरफ पलक झपकाये बिना देखता रहा तब ओ फिर से बोली  ''आज उनकी तबियत नासाज़ है इस लिए नहीं आये ''  इतना सब कुछ सुनने के बाद मैंने कुछ नहीं कहा बस उनकी तरफ पलक झपकाये बिना देखता रहा  तब ओ पहली बार सरमाई और अपनी निगाहे नीची कर लिया और बोली '' इस तरह से क्यों देख रहे है आप,मुझे सर्म आ रही है '' तब मैंने फिर से हिम्मत करके बोला ''आप इतनी खूबसूरत है नजरे ही नहीं हट रही है आपके चाँद से चेहरे से ''[महिलाओ को सबसे बड़ी कमजोरी है उनकी खूबसूरती की तारीफ़ कर दो फिर देखो] तब ओ मेरी तरफ देखी ज़रा सा मुस्कुराई और बोली ''इतनी खूबसूरत तो नहीं हु जनाब जितना आप तारीफ़ कर रहे है'' तब मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए बोला '' हीरे की पहचान जौहरी को होती है''  इतना सनते ही ओ जोर से खिलखिलाई और बोली '' जौहरी जी मेरी कीमत क्या है '' तब मैंने मुस्कुराते हुए बोला ''अनमोल'' तो ओ फिर से हँसकर  बोली ''आप बाते बहुत अच्छी करते है जनाब'' तब मैंने सिर झुकाकर  लखनवी नबाबी अंदाज जबाब दिया ''सुक्रिया'' तब ओ पुलिया के किनारे से उठते हुए मेरे पास आई और अपना हाथ बढ़ाया मिलाने के लिए तब मैंने भी अपना हाथ बढ़ाया और उनके हाथ के पंजो को अपने हाथ के पंजा में समेट लिया, तब ओ हाथ मिलाते हुए फिर से बोली '' आई एम इशल शेख '' [स्वर्ग में फूल का नाम 'इशल'] मैं तो उनके हाथ के स्पर्श से ही चकित रह गया, मुलायम हाथ ही पकडे रह गया तब ओ हलके से अपना हाथ खींचा और बोली '' अरे हाथ तो छोड़िये जनाब कोई देख लेगा'' तब मुझे  होस आया और उनका हाथ छोड़ते हुए बोला '' क्या नाम बताया आपने'' तब ओ फिर से बोली ''इशल'' तब मैंने बोला ''ओह, वेरी गुड आप सच में आसमान के फूल की तरह है'' तब ओ बोली ''आसमान के फूल की तरह, मैं समझी नहीं इन सब्दो मतलब'' तब मैंने उन्हें समझाया ''इशल' का मतलब  होता है आसमानी फूल'' तो ओ  बहुत खुस हुई और बोली '' या अल्ला मुझे तो पता ही नहीं था मेरे नाम का अर्थ'' ये बाते होते होते कुछ और लोग दिखाई दिए तो ''इशल'' जाने को तैयार हुई और बोली ''चलती हु कोई जान पहचान वाला  नहीं आ जाए '' इतना कहकर बड़े बड़े कदम बढ़ाते हुए दो तीन बार मेरी तरफ पलट  तरफ देखी और हाथ हिलाकर बाय किया और चली गई पर जाते जाते कई सवाल छोड़ गई मेरे मन में मैं उन्ही सवालो के साथ वापस घर  आ गया दिनचर्या से फुर्सत  हुआ फिर बैंक चला गया साम को घर आया और जल्दी से खाना खाया और सो गया रात के 9 बजे की जल्दी  से सुबह हो और उनसे मिलु और अगले दिन जल्दी ही रोड पर पहुंच गया और जिधर से  उधर ही एक जगह ओलट खड़ा होकर उसका इन्तजार करने लगा मुस्किल से 5 मिनट  ओ अकेली  दिखी, तो मैं छिप गया  और उनके आगे निगल जाने  इन्तजार करता रहा जब ओ पास से निकली  तो मैंने देखा की ओ बार बार पीछे पलट पलट कर देख रही थी , जब ओ आगे निकल गई तो मैं करीब 50 मीटर की दूरी से उनके पीछे पीछे चलने लगा । जब ओ जल्दी जल्दी चलती तो उनके सेक्सी  कूल्हे मस्त हिलते जो  अच्छे लगे मुझे ।  मैं मुस्किल से 4 मिनट ही पीछे-पीछे चला होगा की ओ पीछे पलट कर देखी की मैं दिख गया तो ओ धीरे धीरे चलने लगी जैसे ओ मेरा इन्तजार कर रही हो । मैंने अपनी गति  बढ़ा दिया और जल्दी ही उसके पास पहुंच गया तो दोनों हाथ जोड़कर मैंने नमस्कार किया तो उसने भी हाथ जोड़कर नमस्कार किया दोनों एक साथ अगल बगल में चलने लगे, इशल आज उदास लग रही थी । मैंने उनसे पूछा ''आज भी अकेली आई हो आपके अब्बु नहीं आये'' तो  तरफ घूर कर देखी और बोली ''क्यों जले नमक छिड़कते है आप'' तब मैंने बोला ''समझा नहीं आप क्या कहना चाहती है'' तो ओ बोली '' ओ मेरे अब्बु नहीं,शौहर है '' तब मैंने उससे पूछा '' ओ इतने उम्रदराज  और आप इतनी कम उम्र की '' तब ओ बोली '' मैं उनकी तीसरी बेगम हु ''मेरे से बड़ी दो  बेगम है '' तब मैंने पूछा '' जब दो दो बेगमें पहले से है तो आपने क्यों शादी किया '' तो बोली '' मेरे अब्बु का इंतकाल हो गया तो मम्मी ने दुसरी शादी कर लियाकुछ साल बाद सौतेले बाप की गन्दी नजर मेरी तरफ भी पड़ने लगी थी तब मम्मी जान ने आनन फानन में इस बुढ्ढे से निकाह कर दिया '' तब मैंने पूछा '' कितने साल हो गए आपकी शादी की''  तो उसने बताया '' 04 साल ''  । इस तरह की  बहुत सी बाते आपस हुए हम दोनों रोड में चलने लगे, चलते चलते कई बार उसके हाथ मेरे हाथ  से टकराता तो मैं सॉरी कहता तो ओ बोलती '' इट्स ओके '' इस तरह से हम दोनों अँधेरे में बाते करते बहुत दूर तक सुनसान जगह पर चले गए और फिर साथ में वापस आ गए । अगले दिन घूमते घूमते मैंने पूछ लिया कहा तक पढ़ी लिखी हो तो बताया की 12 वी पास हु  तो मैंने आगे पूछा की पढ़ाई  क्यों बंद कर दिया तो बोली निकाह हो गया तब मैंने बोला अब पढ़ लो तो बोली मुस्किल है ओ (शौहर) घर  नहीं निकलने देते तो पढ़ाई  करुँगी फिर मैंने बोला एक बार पूछ कर देखो । फिऱ उनका मोबाइल नंबर लिया और पूछा की ''वाट्सअप फेसबुक'' चलाती हो तो बोली,''नहीं आता सिर्फ सूना है इनके बारे'' में तब मैंने पूछा की ''कौन सा मोबाइल यूज करती'' हो तो मोबाइल का नाम बताया  जो नोकिया का सिंपल से मोबाइल है । इस तरह से बात करते करते रोड से हटकर नई कालोनी के सुनसान जगह पर एक पुलिया पर दोनों बैठ गए,तब मैं अपने  HTC के  मोबाइल में FB और वॉटसअप के स्टेट्स चेक करने लगा तो ओ भी झुककर देखने लगी और FB, वॉटसअप बारे में पूछने लगी तो मैंने सब बताया तो ओ बहुत खुस हुई और मेरे हाथ से मोबाइल लेकर सब देखने लगी तो  पूछा  अच्छा लगा तो बोली ''मासल्ला खुदा ने भी क्या नायाब चीज बनाई है '' तब मैंने बोला ''बुरा नहीं मानो तो एक बात बोलू'' तो ओ बोली ''हां कहिये बुरा भी लगेगा तो  आपका ''  बोला ''फिर तो रहने  दो '' तो ओ बोली '' आप तो कह दो नहीं तो हाजमा बिगड़ जाएगा''  कहकर हसने लगी तब मैंने बोला ''ये सब तुम्हारे खुदा या मेरे भगवान ने नहीं बनाया है '' तो ओ गंभीर होगी और बोली '' क़ुरआने पाक  यही सब लिखा है की खुदा ही सब बनाता है''  तब मैंने बोला ऐसा कुछ नहीं है तब ओ संतुष्ट हो गई और बोली ''मैं भी मोबाइल खरीद लू तो सीखा देंगे आप'' तब मैंने बोला ''हां ले आओ सिखा दूंगा '' फिर उजाला होने लगा तो दोनों अलग अलग होकर वापस आ गए । फिर तीन चार दिन तक ओ सुबह नहीं मिली मैं रोज उसका इन्तजार करता  पांचवे दिन आई तो अपने बूढ़े शौहर के साथ और पुलिया के पास निकली [जहा पर मैं उसका इन्तजार कर रहा था] तो शौहर की नजरे बचाते हुए कागज़ का एक चिट गिरा दिया जिसमे उसका मोबाइल नंबर और बात करने का समय लिखा था मैं कुछ दुरी बनाकर उसके पीछे पीछे चलने लगा उसके हिलते सेक्सी चूतड़ो की झलक निहारते हुए फिर वापस आ गया और दोपहर में बैंक की टाइलेट से जाकर फोन किया  नहीं उठाया  तब मैं वापस अपनी केबिन में अ गया तब 15 मिनट बाद उसका फोन आया  नहीं उठाया तो 5 मिनट बाद फिर से उसका फोन आया तब भी नहीं उठाया तो उसका बार बार  मिस काल आया 5 बजे तक 10 मिसकाल हो गई फिर भी मैंने फोन नहीं लगाया । मैं समझ गया अब ये मेरे से बात करने के लिए तड़प रही है ।  अगले  सुबह जब मॉर्निंग वाक् में मिली तो मुझे देखकर रुकी नहीं बल्कि  तेज तेज चलते हुए निकल गई तो मैं भी हलकी सी दौड़ लगाकर उसके पास पहुंच गया और बोला '' नाराज हो क्या '' तो कुछ नहीं बोली  तेज तेज चलने लगी तब मैंने  गति बढ़ाकर  चलने लगा और बात करने लगा पर  जबाब दिए बिना चली जा रही थी तब मैंने उनका हाथ पकड़ लिया  तो उसने हाथ झटक दिया बोली '' किस अधिकार से मेरा हाथ पकड़ रहे हो'' तब मैंने बोला ''उसी अधिकार के से जिस अधिकार से आप नाराज पड़ रही हो मेरे ऊपर'' इतना सुनने के बाद भी ओ बोली ''नहीं बात करना है मुझे जाओ हटो मेरे पास से '' तब मैंने अपना कान पकड़ लिया और रोड में ही उठक बैठक लगाने लगा तो 
इशल ने मुझे यही मोबाइल दिखाया

खिलखिला कर है दीं और मेरे पास आकर  हाथ  अलग किया और मेरी दोनों भुजाओ को पकड़ कर उठाने लगी  ही उठ गया और बोला ''थैंक्स गॉड आप पहली  बार इतनी जोर से हसी, आपकी  के लिए  रोज उठक बैठक लगाउँगा'' तो ओ फिर से हसने लगी और बोली '' मेरी हंशी के लिए आपको  उठक-बैठक नहीं लगानी पड़ेगी '' इतना कहकर आपना मोबाइल बुर्के के अंदर निकाली और मुझे दिखाया ''सैमसंग गैलेक्सी का अच्छा वाला मोबाइल है ''[Samsung Galaxy Not1] मैं मोबाइल देखते ही समझ गया की ये  महंगा मोबाइल है ।मैंने पूछा की ''इतना महंगा क्यों लिया'' तो बोली ''मैं उनके (शौहर) साथ गई और ये वाला पसंद आ गया तो ले लिया'' तब मैंने पूछा ''कितने का है'' तो बोली ''क्या पता उन्होंने तो चेक दिया पर मैंने ध्यान नहीं दिया'' फिर पूछने लगी की ''अब इसमें इंटरनेट  चलेगा '' तो मैंने उसे बताया  ''नेट पैक रीचार्ज कराना होगा'' तो ओ बोली ''आप करवा देना मैं आपको पैसे दे दूंगी '' तो मैंने कहा ''टीक है'' फिर मैं उसे करीब 10 मिनट तक नेट चलाना बताता रहा फिर दोनों अलग अलग कुछ दुरी बनाकर वापस आ गए और मैं ऑफिस जाते समय उसके मोबाइल में 3G रिचार्ज करवा दिया और मिस काल दे दिया तो उसने तुरंत ही बात किया तब मैंने  ऑन करने चलाने बिधि बता दिया और ऑफिस चला आया । ऑफिस  में कई बार मिस काल आई तब मैंने sms  दिया कि ''अभी  बात नहीं कर सकता हु ऑफिस में ब्यस्त हु'' तो उसका sms आया '' नहीं अभी अभी बात करो सब काम छोड़कर'' तब मैंने केबिन से बाहर निकला [क्योकि केबिन में कुछ जरुरी मीटिंग चल रही थी] और फोन किया तो ओ फोन पर ही गुस्सा निकालने लगी तब मैंने उसे समझाया की बैंक का काम है इस तरह से यहाँ बात करने से बहुत से काम रुक जाते है , तब ओ बोली '' तो आप बैंक में हो ,पहले क्यों बताया और सॉरी कहकर फोन रख दिया '' जब मैं ऑफिस से निकला तो फोन किया तो उसने फोन काट दिया और कुछ देर बाद sms किया '' अभी ये (शौहर) है रूम में बाद में बात करुँगी'' तब मैंने फोन नहीं किया अगले दिन मॉर्निंग वाक् में फिर से मिली तो बहुत सी बाते हुई मैंने फेसबुक ,वॉटसअप पर उनका अकाउंट बना दिया और चलाना भी सिखा दिया । उसने मेरे से पूछा कौन से बैंक में हो  अपनी बैंक का नाम बताया तो बोली वहा तो इनका (शौहर) का अकाउंट है आउगी तो आपसे मिलूँगी फिर बाते करते करते दोनों वापस आगये
इस तरह की कई पिक दिखाया
दुरी बनाते हुए । उसी दिन ओ बैंक आई किसी काम से और मुझे तलासने लगी बैंक में मैंने देख लिया पर उसने मुझे नहीं देखा । सभी काउंटरों  देखने  मुझे फोन किया और बोली ''किधर हो आप,मैं बैंक में हु'' तब मैंने प्यून को भेजा और बोला उन मेडम को बुला लाओ ऑफिस में तो प्यून उन्हें बुला लाया ओ आते ही बोली ''आप मैनेजर हो यहाँ के '' तब मैंने  हां में गर्दन  हिला दिया और सामने कुर्सी पर बैठने  के लिए कहा तो बैठ गई । तब मैंने पूछा कैसे आना हुआ तो बोली ''कुछ रूपये विड्रॉल करना था  चेक लेकर आई हु'' तब मैंने बोला ''लाओ चेक दे दो'' तो उन्होंने चेक दिया तो चेक  अमाउंट देखकर चौक गया दस लाख  चेक अमाउंट था , मैंने पूछा की ''इत्ता बड़ा
इस तरह की कई पिक दिखाया
अमाउंट लेकर जाओगी डर नहीं लगेगा '' तो बोली ''किसे पता चलेगा की मेरे पास इतनी बड़ी रकम है''  तब मैंने कहा ''हा ये बात तो है '' मैंने उनके दोनों सिगनेचर करवा कर चेक काउंटर पर भेज दिया कुछ देर में प्यून 1000-1000 नोट 10 गड्डी लाकर रख दिया   इत्तमिनान से अपने पर्श में रखा और चलने लगी तो मैंने पूछा कैसे जाओगी इत्ती रकम लेकर तो बोली स्कूटी की डिक्की में रख लुंगी , तब मैंने उनसे बोला अभी बैठो आधा घंटे बाद जाना तो ओ बैठ गई तब मैंने उनसे पूछा  तुम्हारे शौहर क्या करते है तो बोली ''उनका ट्रांसपोर्ट का
इस तरह की कई पिक दिखाया 
बिजनेस है '' तब मैंने पूछा किस नाम से तो उन्होंने बताया तब मैं नाम सुनकर चौक गया क्योकि ओ मेरे शहर के  बड़े बिजनेस मैंन है । फिर  इशल को कॉफी पिलाया, जब ओ जाने लगी तो मैं  साथ में बाहर निकला उन्हें वाहर तक छोड़ा ओ चली गई । अब हम दोनों की दिन भर वॉटसअप  में चेटिंग होती ओ तो दिन भर फुर्सत रहती मुझे बैंक में समय नहीं मिलता फिर भी बीच बीच  इशल को जबाब देते रहता अब ओ वॉटसअप में अपनी तरह तरह की फोटो भेजती कुछ फोटो तो इतनी उत्तेजक होती की मेरा लण्ड खड़ा होने लगता । एक दिन सुबह सुबह खूब अन्धेरा था ओ जल्दी ही घूमने आ गई मैं थोड़ा लेट पहुंचा तो देखा की ओ पुलिया पर बैठी मेरा इन्तजार कर रही है जैसे मुझे देखा वैसे ही पुलिया  उठकर चलने लगी तो मैंने कहा रुको तो बोली चलो और आगे वहा बैठूगी जहा कोई आता जाता नहीं तो मैंने कहा ओके चल दिए 8 मिनट में ही सुनसानजगह पर पुलिया में बैठ गए दोनों और आपस में बाते करने लगे कुछ देर में ओ मेरे मोबाइल को अपने हाथ में लिया और मोबाइल के अंदर की फाइल को खोल खोल कर देखने लगी तो कुछ वीडिओ मिले जो देखने लगी तो अचानक उन्हें ब्लूफिल्म का वीडिओ मिल गया तो उन्होंने प्ले कर दिया तो सनी लियोनी का चुदाई का वीडिओ सुरु हो गया तो मैंने उनके हाथ से मोबाइल छीन लिया तो बोली ''क्या है इसमें देखने दो मुझे'' तब मैंने बोला ''तुम्हारे देखने लायक नहीं है '' तो बोली ''आप देख सकते हैं तो मैंने क्यों नहीं देख सकता हु'' इतना कहकर मोबाइल मेरे हाथ से ले लिया तो मैं उनके पास से उठ कर दूर खड़ा हो गया तो बोली '' वहाँ क्यों चले गए ''  तो मैं बोला '' मुझे सरम आ रही है आप ओ फिल्मे देखेगी तो '' तब ओ बोली क्या है उसमे मिल नहीं रही है , तब मैंने ब्लुफ़िल्मे की वीडिओ फ़ाइल बता दिया तो ओ उन सेक्सी वीडिओ को देखने लगी मैंने उन्हें दूर से देखने लगा ओ  बिना किसी सर्म हया के ओ फिल्मे देखती रही करीब 15 मिनट तक फिर मेरी तरफ  देखी और बोली '' ये लडकिया अपनी ऐसी फिल्मे क्यों बनवाती है'' तो मैंने बोला ''पैसे केलिए '' तो कुछ नहीं बोली और मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली '' आप बहुत गंदे हो'' तो मैंने बोला ''अब तो आप भी गन्दी हो गई '' तो खिलखिला कर हस पडी और बोली ''आप बाते करने में बहुत हाजिर जबाब हो '' तो मैंने सर झुकाया और  सुक्रिया कहा  और उनके पास आकर बैठ गया और बाते करने लगा तो बोली ''ये फिल्मे मुझे भी दे दो '' तब मैंने कहा ''टीक है कल दे  दूंगा'' [मैं खुद चाहता था की ये फिल्मे देखे और इनकी कामज्वाला भड़के और मैं इसे चोदु] और फिर वापस आ गए दोनों । और अगले दिन सुबह जब मिला तो ओ अपने पिलपिले शौहर  साथ थी मैंने चिप के लिए इशारा किया तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया, वॉटसअप से घर के बहुत सी बाते बताया और बोली जब ऑफिस के लिए निकलना तब मैं रस्ते में ओ चिप ले लुंगी । ओ बोली की इनका ( शौहर) लड़का जो 40  साल का है गन्दी नियत रखता है मेरे ऊपर । तब मैंने उन्हें बताया की मैं भी  40 का हु तो ओ बोली आप तो नहीं लगते,आपको देखकर लगता  आप  30-32 के हो । बात बात इशल ने अपने घर की ऐसी कई बाते बताया । ओ 10 दिन तक लगातार नहीं मिली । वाट्सअप में बताया की बुढऊ की तबियत ज्यादा खराब रहती है इस लिए सुबह भी नहीं छोड़ता । रोज रोज
वाट्सअप पर अपनी बाते कहती और जब 10 दिन बाद सुबह  सुबह मिली तो बहुत उदास लगी मैंने उदासी  का कारण पूछा तो कुछ नहीं बोली बल्कि उनकी आँखों से आँसू निकलने लगे तो मैंने उनके आशू पोछने लगा तो हाथ पकड़ कर रोकने लगी तब मैंने उनसे कहा ''क्या इतना भी अधिकार नहीं दोगी'' तो ओ अपना हाथ हटा लिया तब  मैंने फिर से उनकी आँखों  आसू पोछने लगा  तब उसने मेरे हाथ को पकड़ कर किस कर लिया और बोली '' इतना प्यार क्यों जताते हो क्या मिलेगा मेरे से'' तो मैंने कहा की ''मुझे  कुछ नहीं चाहिए आपसे,आपके आसु पोछ सकू ये तो मेरा सौभाग्य है'' और इस तरह से बाते करते करते दोनों मेन रोड से दूर हटकर एक सुनसान जगह पर पुलिया में बैठ गए और बाते करने लगे इशल अपने घर की बाते बताने लगी और फिर से उसके आँखों से आँसू निकलने लगे तो मैंने उसके आसुओ को पोछना सुरु कर दिया तो उसने मेरे हाथो को फिर से किस किया तब मैंने इशल के दोनों गालो पर हाथ रखा और अपने तरफ उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाकर उसके होठो की जोरदार किस कर लिया ।
इशल की चूचियाँ ऐसी ही है बिना लटके हुए
किस क्या किया पुरे होठो को चूस लिया उसने ज़रा सा भी बिरोध नहीं किया और मैं उनके होठो को 2-3 मिनट तक चूसता रहा तब होठो को अलग करते हुए बोली '' रहने दीजिये नहीं तो होठ लाल पड़ जायेगे तो क्या जबाब दूंगी घर में '' तब मैंने कुछ नहीं बोला और अपना बाय हाथ उनके गले में  डालते हुए अपनी तरफ खीच कर सीने के बाए तरफ से चिपका लिया ओ कुछ देर तक अँधेरे में चिपकी रही फिर अलग होकर बोली '' अब आप दूर हो जाए मेरे तन वदन में आग लगने लगी '' तब मैंने बोला ''लग जाने दो आग मैं बुझा दूंगा '' तो बोली ''नहीं आप दूर हटकर बैठिये'' तब मैं दूर हटते हुए बैठ गया गया और बोला ''इतना क्यों दुखी हो आज ये तो बता दो'' तो उदास होते हुए कुछ नहीं बोली । तब मैंने सब्जेक्ट को बदल दिया और बोला ''कैसी लगी ओ फिल्मे '' तो एक गहरी सॉस लिया लिया और फिर सांस को छोड़ते हुए बोली '' क्या फायदा उन फिल्मो को देखने का जबरन दिमाग खराब होता है'' तो मैंने पूछ लिया '' शौहर है तो सही '' तो ओ बोली '' किसी काम के नहीं
अधिक समय तो बीमार ही रहते है  '' तब मैंने कहा '' छोड़ दो उन्हें और दुसरा निकाह कर लो'' तो बोली '' साहब हम मुसलमान है हिन्दू नहीं,शौहर को  तलाक का  हक़ है, बेगमो को नहीं '' तब मैंने बोला ''फिर जिओ ऐसे ही घुट घुट कर'' तब ओ कुछ नहीं बोली और मेरी तरफ प्यार से देखने लगी तब मैंने कुछ नहीं कहा और पुलिया में बैठे बैठे अपनी दोनों बाहों को उनकी तरफ फैला दिया तो ओ पुलिया से नीचे उतरी और मेरे बाहो में समा गई तो मैंने फिर से उनके होठो को चूसने लगा गालो में,गर्दन के नीचे किस करने लगा तो ओ अपने दोनों हाथो को मेरी पीठ पर जोर से चिपकते हुए कस कर पकड़ लिया और मेरे सीने चिपक गई मैं उन्हें किस करता रहा और किस करते करते ''इशल'' की
इशल को इस तरह से पुलिया में लिटा कर चूत चाटने लगा
चुचियो को बुर्के ऊपर से मसल दिया तो ओ '' धत्त बेसर्म '' और इतना कहकर मेरी बाहो से अलग होकर खड़ी हो गई और फिर बोली ''अब  चलती हु उजाला हो गया है '' और ओ चली आई तो कुछ दुरी बनाकर मैं भी उसके पीछे पीछे चल कर वापस आ गया । जून का महीना था गर्मी पुरे सबाब में थी और उजाला भी जल्दी हो जाता लिए मैं और इशल सुबह सुबह 4 बजे ही निकल आते मॉर्निंग वाक् बहाने और पुलिया में बैठ कर अँधेरे में खूब चूमा चाटी करते, एक दिन इशल बटन लगी नाइट सूट पहन कर आई  तो बुर्के के अंदर से उसकी मस्त मस्त चूचियों को खिालने लगा तो इशल गर्म पड़ गई और मेरे लोवर के ऊपर से हाथ डालकर लण्ड को खिलाने लगी तो लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया तो मैंने इशल को पुलिया पर लिटा दिया अँधेरे में और बुर्का को ऊपर की तरफ खिसका और नाइट सूट कमर नीचे खिसका कर बुर के पास की पेंटी को साइड में किया और इशल की चूत चाटने लगा तब तक एक  बाइक वाला निकला तो इशल हड़बड़ा कर बैठ गई और चुदाई का प्लान पूरा नहीं हो पाया । अँधेरे में चुचियो को
इशल बुर्के से इस तरह से अपनी चुचियो को निकाल कर अँधेरे में चुसवाती
चूसता ये रोज का क्रम हो गया इस तरह से   रोज रोज सुबह के ''चूची चूसो'' मिलन से अब मैं इशल को चोदने  के लिए बेताब होने लगा, यही हाल उसका भी था पर इशल  घर से किसी बहाने नहीं निकल सकती लम्बे समय के लिए तब मैंने इशल को एक आइडिया दिया । इशल को बोला की तुम पढ़ाई करने के बहाने कालेज में एड्मिसन ले लो तरह से दोनों को मौका मिलेगा बाहर जाने का मेरी सलाह इशल को जम गई और इशल ने अपने बूढ़े शौहर को समझा बुझाकर गर्ल्स कालेज में बीएससी C.S  में एड्मिसन ले लिया । जुलाई का  पूरा महीना निकल गया क्लास नहीं लगी तो इशल भी कालेज नही गई और वर्षात के कारण सुबह घूमने भी नहीं आती ,पर वाट्सअप में रोज रोज बाते होती । जुलाई के अंतिम सप्ताह से क्लास लगने लगी और फिर 8 अगस्त 2013 को गुरुवार के दिन दोनों ने प्लान बना लिया और कालेज से कुछ दूर इशल मिल गई और मैंने उसे अपनी ''आई 20'' कार में बिठाकर अपने शहर से करीब 30 KM दूर एक बड़े शहर में चले गए,रास्ते में इशल ने अपना बुर्का उतार कर रख दिया और सलवार सूट में हो गई माथे पर सिंदूर की छोटी सी लाइन बनाकर बिंदी लगा लिया और हिन्दू ओरत की तरह लगने लगी । अगस्त का महीना था बढ़िया रिमझिम वारिस हो रही थी वारिस  आनंद लेते हुए हम दोनों एक घंटे से भी कम समय में बड़े शहर में पहुंच गए और एक होटल में रुक गए । होटल के रूम घुसते ही इशल को अपने सीने लगाकर खड़े खड़े ही इशल के गालो को चुसंते हुए प्यार  करने लगा तब तक होटल का लड़का एक टॉवेल साबुन पानी क बोतल लेकर आया और दरवाजा खुला होने के कारण ओ सीधे रूम में घुस आया तब मैंने इशल को छोड़ दिया और उस लड़के को डाटते लगा की दरवाजा ठोक  करके नहीं आ सकता क्या, तो ओ सॉरी बोला और जाने लगा तो उस लड़के को बोला की एक एक कप कॉफी दे जाना जल्दी से उसने कहा टीक है साब और इतना कहकर चला   गया तब मैंने होटल  रूम  दरवाजा अंदर से लगाकर इशल को चूमते हुए बिस्तर में गिरा दिया और इशल  चुचियो कको हलके हलके हाथ से मसलने लगा इशल मेरे होठो को,जीभ को बेतहासा चूसने ; लगी दोनों चुदाई के लिए  तड़पने लगे  मैं जब जब इशल की गर्दन पर उसके आसपास किस करता तो गन्दी सी इस्माइल आती तब मैंने इशल से पूछा की ''नहा कर नहीं आई हो क्या'' 
तो इशल ने बताया की ''पिछले जुम्मे [फ्राइडे].को नहाईं थी'' तब मैंने कहा की ''पानी की कमी नहीं है फिर रोज क्यों नहीं नहाती'' तो बोली ''बचपन से ही रोज रोज नहीं नहाने की आदत है '' इतने में रूम के बेल बजी तब दरबाजा खोला तो वेटर सामने काफी लिए खड़ा था वेटर से कोफ़ी लिए और दोनों ने काफी पीते पीते बाते करने लगे  और काफी ख़त्म हो गई तो इशल कप को टेबल पर रखकर बोली ''मैं आती हु बाथरूम से'',तब मैंने सोचा इसे पेसाब लगी होगी बाथरूम जा रही है मैंने बोला ''जाओ'' तो ओ चली गई तब मैंने अपने पेंट सर्ट उतार कर टांग कर टॉवेल लपेट लिया और मैंने टीवी ऑन कर बेड पर बैठ गया और टीवी देखने लगा जब ओ 5 मिनट तक नहीं आई तो मैं बाथरूम के पास जाकर खड़ा हुआ तो बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आ रही थी तो मैंने इशल को आवाज दिया तो बोली ''मैं नहा रही हु'' तो मैंने बोला ''मुझे पेसाब करना'' है बोली '' रुको नहाकर निकलती हु '' तब मैंने फिर से बोला ''मुझे  जोर से लगी है '' तब इशल आई और वाथरूम दरवाजा खोल दिया और मैं बाथरूम  अंदर घुसा तो देखा की इशल सर्माते हुए अपनी दोनों टांगो के बीच में अपना सिर दबाकर चुचियो को छिपाकर बैठी थी इशल के पुरे वदन में सैम्पू और साबुन लगा हुआ था ।   मैं इशल  के पास गया और झुककर इशल को चुम लिया और उसके पीठ पर हाथ  घुमाने लगा और फिर उसके पीछे बैठ गया नंगा होकर और उसके कमर के ऊपर हाथ के नीचे से अपना हाथ डाल दिया और साबुन से चिकनी हुई चूची को खिलाने लगा चुचिया हाथ से बार बार मछली की तरह फिसल रही थी । मुस्किल से 3 मिनट तक चुचियो को खिलायाऔर इशल को अपने तरफ घुमाया तो ओ मेरी तरफ घूम गई तब मैंने इशल की दोनों  टांगो को मेरे दोनों टांगो के पास रखते हुए अपनी तरफ खीच लिया तो ओ मेरे फनफनाते हुए लण्ड को देखने लगी [मेरा लण्ड करीब 7 इंच लंबा है पर मोटा बहुत है] तो मैं लण्ड को झटके मार मार कर ऊपर नीच करता और इशल को चूमता भी जाता कुछ ही मिंटो में इशल ने मेरे लण्ड को पकड़ा और खिलाने लगी,लण्ड टाइट था इस लिए सुपाड़ा दिखने लगा तो इशल चौक गई और बोली '' ये कैसा है'' तो मैंने उसे बोला '' खिसकाओ  चमड़ी को पीछे'' तो उसने वैसा ही करने लगी जब आधा सुपाड़ा खुल गया तो हाथ पीछे खीच लिया और बोली '' खून तो नहीं बहेगा''  तो मैंने कहा '' नहीं यार, चमड़ी  खिसकाओ सही'' तब उसने पूरी
ईशल की चूत ऐसी ही है सकरी और मुलायम

चमड़ी को पीछे खिसका दिया तो लाल लाल सुपाड़ा खुल गया ईशल के हाथ स्पर्श से लण्ड और अधिक उत्तेजित हो गया ।[रस्ते  होटल में चाय पीने के बहाने पहले ही एक ''बिगोरा 100'' के टेबलेट  ले लिया था  लण्ड पुरे जोश  खड़ा हो गया है ] मैंने ईशल को और नजदीक खिसकाते  हुए चूमने लगा और ईशल के वदन में साबुन  लगलगा कर मालिश करते करते  ईशल को बाथरूम में ही पीठ की तरफ से लिटा दिया और  एक एक अंग में साबुन लगाकर मालिश करते करते ईशल की चूत को देखा तो लाल लाल मुलायम छेद दिखाई दिया तो चूत में ऊँगली डालकर सहलाने लगा तो थोड़ी देर में ही ईशल  मेरे लण्ड से फिर से खेलने लगी तब मैं ईशल की चूत की तरफ झुका और चूत से  साबुन साफकर चूत को चाटने लगा और मन ही मन खुस होने लगा की आज टाइट चूत का मजा लूंगा इशल की चूत में जैसे ही जीभ लगाया तो इशल की चूत ''समुद्र के पानी की तरह नमकीन लगी'' तो मैंने जीभ को हटा लिया और इशल से पूछा की ''  तुम्हारी चूत नमकीन क्यों है '' तो ओ बोली '' क्या पता नेचुरली है । ये भी [इशल का शौहर] कहते है '' इतना कह कर इशल उठी और पेसाब करने लगी उसकी चूत से स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स स्स्स स्स्स सस की आवाज आने लगी जब ओ पेसाब कर चुकी और चूत को पानी  धोने के लिए तैयार हुई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला '' मत धो मैं चाट कर साफ़ कर दूंगा'' तो इशल बोली ''छिः कितने गंदे हो और इतना कहकर अपने चूत में पानी के छींटे मारने लगी  तो मैंने इशल का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खीच लिया और दोनों टांगो को फैला कर इशल की चूत को चाटने लगा ।  इशल की चूत में पेसाब की कुछ बुँदे लगी थी जो चाटने में हलकी
  बाथरूम में पहली बार तरह से लन्ड़ पेल दिया ईशल की चूत में
हलकी नमकीन लगी मुझे । कुछ देर तक चूत चटाई के बाद  सावर चला दिया और पानी की बौछार के साथ इशल के वदन से साबुन बहने लगा तब मैंने चूत चाटना बंद कर दिया और घुटने को पीछे मोड़ कर बैठ गया उसके वदन को हाथ घुमा घुमा कर धोने लगा कुछ ही देर में वदन से साबुन निकल गया और इशल के गदराये जिस्म से फिसलन ख़त्म हो गई तो इशल की दोनों जांघो को सहलाते सहलाते अपनी तरफ खीच लिया तो उसने अपने दोनों हाथो को बाथरूम की फर्स पर टिका दिया तो ईशल की टैंगो को अपने कमर के पास रखते हुए ईशल की मक्खन जैसे मुलायम चूत के किनारो में अपने लण्ड के सुपाड़े से सहलाने लगा तो ईशल अपने चूतडो को हिला हिला कर लण्ड के स्पर्श का मजा लेने लगी तब मैंने ईशल की कमर को मजबूती से पकड़ा और लण्ड को ईशल की चूत के मुह पर रखा  और कमर को
ईशल की चूत में इस तरह से अपना मोटा-लंबा लण्ड को फसा दिया
अपनी तरफ पकड़ कर खींचा तो ईशल ने भी अपनी कमर को हलके से झटका दिया और पूरा का पूरा लण्ड थोड़ी से तकलीफ के बाद ईशल की चूत में घुस गया तो ईशल अपने दोनों हाथो को फर्स से हटाया और मेरे गले में अपने दोनों डाला और दोनों टांगो को कमर में लपेट कर साप की तरह मेरे जिस्म से लिपट गई और मेरे होठो को जीभ को चूसने लगी और अपने चूतडो को मेरे लण्ड पर हलके हलके पटकने लगी । पर बाथरूम में मजा नहीं आ रहा था तो मैंने ईशल को बोला ''यार यहाँ अजा नहीं आ रहा है'' तो ईशल बोली ''चलो बेड में '' इतना कहकर लण्ड से अपनी बुर निकाला और खड़ी हो गई तो मैं भी  खड़ा हो गया तो ईशल मेरे लण्ड  हाथो से पकड़कर खीचते हुए बेड रूम में ले गई । बैडरूम में जाते ही ईशल को बेड पर लिटा दिया और दोनों टांगो को पकड़ा और झुककर ईशल की चूत को फिर से चाटने लगा इस बार भी ईशल की चूत नमकीन लग रही
ईशल  बी की चूचियाँ बगल से देखने में १००% ऐसी है लगती है
थी पर मैं चुदाई के जोस में सबभूल गया और ईशल की चूत में जीभ डाल डाल कर ईशल को उत्तेजित करने लगा । ईशल बार बार बेड से उठने लगी तो मैं ईशल को लिटा देता बेड पर पर ईशल जल्दी से अपनी चूत को अपने हाथ की उंगलियो से ढक लिया तब मैं उसके हाथ को हटकर लण्ड पेल दिया ईशल की चूत में और बड़े प्यार से धीरे धीरे लण्ड को आगे पीछे करने लगा ओ बड़े मजे से अपने आँखे बंद कर लण्ड और चूत के मस्त मिलन का मजा लेने लगी क्या मस्त चूत है एकदम से बिलकुल फिट लण्ड चूत पर ऐसा घिसा रहा था जैसे पिस्टन सिलेंडर एकदम घिसते हुए चलते है जैसे जैसे लण्ड घर्षण करने लगा वैसे वैसे ईशल अपनी आँखे बंद कर होठ चबाते और बीच बीच में 
ईशल शेख की चुदाई इस तरह से खूब किया ,ईशल ने बड़े मजे से चुदाया इस पोजीसन में
ईशल सराबी की तरह बड़बड़ाने के साथ साथ  उउउउउ उउउ आह आह आअह्ह्ह्ह करने लगी ''और जोर से झटके मारो राजा और जोर जोर से आज मेरी फ़ुद्दी को फाड़ दो, बुढ्ढे में तो दम नहीं है  ,साले का खड़ा नहीं होता है, इसी तरह से बड़बड़ा रही थी और मैं झटके मार मार कर चोद रहा था चुचियो मर्दन करते हुए बीच बीच में लण्ड के झटको की स्पीड कम कर देता तो ईशल आँखे खोलकर मेरी तरफ याचना करते हुए कहने लगती ''ओ मेरे राजा मत तड़पाओ मुझे जन्नत की सैर कराओ '' तब भी मैं लण्ड को धीरे से  निकाला और फिर धीरे से बहुत कम स्पीड में वापस डालने लगा तो ईशल अपने चूतड़ो को मेरे लण्ड की तरफ झटका मारते हुए उठने लगी तो मैं ईशल की चुचियो को मसलते हुए फिर से लिटा दिया और फिर से लण्ड  पीछे करने लगा ईशल अपनी चूत के नीचे हाथ घुमाने लगी फिर मेरे अन्डुओ को खिलाने लगी करीब 5 मिनट तक धीरे धीरे इस तरह से आराम से चोदता रहा फिर ईशल को घोड़ी बनाकर तबियत से चुदाई किया । होटल में करीब 4 घंटे रहा जिसमे हर घंटे चुदाई किया । ईशल मेरी चुदाई से इतनी खुस हु की मुझसे मुझसे शादी का प्रस्ताव किया तो मैं मान गया  होटल से आने के बाद ईशल अगले ही दिन अपनी माँ के घर चली गई और फिर वापस अपने शौहर के पास नहीं आई बीच बीच में मेरे  मिलती और कही न कही मौका निकालकर ईशल की चुदाई करता कई बार तो कार में ही ईशल के जिस्म को ठंडक पहुचाया । एक दिन मेरी पत्नी का स्वर्गवास हो गया तो मेरी माँ मेरे पास अ गई रहने ईशल  में के सामने कई बार घर आई और माँ को भी पटा लिया दिन मैंने माँ को कोई काम का बहाना बता कर ईशल को लेकर गायब हो  गया और एक सप्ताह तक ईशल को लेकर नैनीताल में रहा वाही एक मंदिर में शादी कर लिया  घर आ गए ।
मेरे साथ शादी के बाद इशल (चंद्रमुखी) ऐसी लगने लगी
सुरु में ईशल  के ससुराल वालो ने आपत्ति उठाया पर ईशल की माँ ने हामी भर दया इस शादी के लिए । ईशल मेरे बच्चे का खूब ख्याल रखने लगी तो माँ को गाँव भेज दिया और फिर हम दोनों बड़े प्यार से रहने लगे ईशल को रोज रोज लण्ड का ठोकर चाहिए जो मैं बखूबी देता हु ।  फिर एक दिन ईशल को प्यार से समझाया तो ओ पूजा पाठ करने लगी  तो उसकी इच्छा से  बदलवा दिया और ईशल  से नाम बदल कर ''चंद्रमुखी''नाम रख दिया दोनों खूब खुस है । 





तो Samsung Galaxy Note 3

Tuesday, 23 September 2014

बहन की लड़की (सगी भांजी) की चुदाई

सफीना का जिस्म ऐसा ही है
मेरा नाम आफताब है, महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। मैं 30 साल का नौ जवान हूँ, मेरी शादी हो चुकी है और मेरा एक बेटा भी है। मेरी यह कहानी हक़ीकत है। मेरी ज़िंदगी बड़ी मज़े से कट रही थी किस्मत से मैंने बड़ी ही सेक्सी बीवी पाई है पर एक दिन अचानक मेरे बड़े चाचाजान की बेटी हमारे घर आई और साथ में अपनी बेटी को भी ले आई जिसका नाम शफ़ीना है।  मेरी आपा ने कहा कि इसे 2 साल के लिये अपने साथ अपने घर रखो तो यह कॉलेज में भी पढ़ लेगी और कुछ घर का काम भी सीख जायेगी तो मेरी अम्मी ने उसको हमारे घर रख लिया और वो रोज़ कॉलेज जाने लगी। वैसे तो मैंने कभी उसको बुरी नज़र से नहीं देखा था पर उसका फिगर मेरी पसन्द जैसा था, मीडियम लम्बाई, गोरा रंग, छोटे छोटे उरोज 32 इन्च के ! वो हर रोज़ सुबह घर का काम करके कॉलेज चली जाती और आकर फिर मोबाइल पर मैसेज करती रहती। मुझे उस पर शक हुआ और मैंने उस पर नज़र रखना शुरू किया। वो उसी कॉलेज में पढ़ती थी जहाँ से मैंने डिग्री की थी। एक दिन उसका पीछा करते करते में कॉलेज के पीछे वाले टायलेट तक चला गया जहा आमतौर पर कोई जाता नहीं था। मैंने देखा शफ़ीना वहाँ एक लड़के के साथ लिपटा-चिपटी, चूमा चाटी कर रही थी। मैं तुरन्त वहाँ से निकल गया और घर आ गया, सोचा कि उसको खूब डांटूँगा पर मुझे लगा कि अगर यह बात घर में सबको पता चली तो अम्मी शफ़ीना को वापस उसके घर भेज देंगी और उसकी पढ़ाई अधूरी रह जायेगी, इसलिये मैं खामोश रहा। उसके लिये कोई अलग से कमरा नहीं था इसलिये वो लिविंग रूम में सोती थी और उस कमरे का एक दरवाज़ा मेरे बेडरूम में खुलता था।
जब से वो आई थी, मैं अपनी बीवी के साथ खुल कर सेक्स भी नहीं कर सकता था, अगर थोड़ी सी आवाज़ बढ़ जाये तो मेरी बीवी कहती कि बाजू के कमरे में शफ़ीना है, ज़रा आराम से ! पता नहीं क्या हुआ, अचानक एक रात में नींद से जगा जैसे आधा नींद में हूँ, शफ़ीना के कमरे में चला गया और उसे देखने लगा, उसके छोटे से स्तन मुझे उकसा रहे थे, मुझसे रहा नहीं गया और मैं धीरे धीरे उसके चूचे दबाने लगा, मुझे कोई होश नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूँ। अचानक वो जाग गई और कहने लगी- क्या कर रहे हो मामा ? मैं थोड़ा सा परेशान हो गया और पीछे सरक गया। वो उठी और फिर मुझसे पूछा- क्या बात है ? मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- चल मेरे साथ ! वो भी उठकर चलने लगी। बाहर वाले बाथरूम में ले जाकर मैंने उसे चूमना चाहा तब वो झटका देकर मुझसे दूर हो गई और कहने लगी- क्या कर रहे हो मामा ? मुझे ये सब पसंद नहीं। मैं सकते में आ गया, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, वो चली गई, फिर मैं भी अपने बिस्तर पर जाकर सो गया।

सफ़ीना ऐसी ही है नाजुक कली  पर चुदाने में सनीलियोनि जैसी निकली

सुबह जब मैं उठा तो मुझे अजीब सी शर्मिंदगी थी, मैं उससे नज़र नहीं मिला सकता था पर उसने कुछ ऐसा बर्ताव किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं। बस फिर क्या था, मेरी हिम्मत बढ़ गई, जिसे कल तक मैं सिर्फ़ अपनी भांजी समझता था, अब मैं उसके साथ सेक्स करने के सपने देख रहा था। आते जाते में उसके शरीर को छूने की कोशिश करता, कभी उसके चूतड़ों को हाथ लगाता, कभी कोहनियों से उसके चूचे दबाता पर उसकी तरफ से कोई प्रत्युत्तर ही नहीं था। मैं समझ गया कि वैसे भी उसकी प्यास तो उसका बॉयफ्रेंड बुझा रहा है और वो मुझसे उम्र में 11 साल छोटी थी, फिर भला वो मुझमें क्यों दिलचस्पी लेती, पर मैंने तो ठान लिया था कि किसी भी हाल में शफ़ीना को चोदना है। एक दिन मेरे घर के सभी लोग शादी के लिये गाँव गये, सिर्फ़ मैं और शफ़ीना नहीं गई क्योंकि मुझे ऑफ़िस से छुट्टी नहीं मिली थी और दूसरे दिन शफ़ीना की परीक्षा थी तो उसको पढ़ाई करनी थी। सबके जाते ही मेरे मन में बैठा शैतान जाग गया और मैंने एक योजना बनाया। मेरे बेडरूम वाले कंप्यूटर में वो अक्सर वीडियो सोंग सुना-देखा करती थी, मैंने हिडन फाइल्स में से कुछ ब्लू फिल्म निकाली और उनके नाम बदल करके ‘कुछ कुछ होता है’ और ‘मन’ जैसी फ़िल्मों के नाम दे दिये और मैं ऑफ़िस चला गया, जाते वक़्त मैंने अपना हेंडी कैम चालू कर दिया, यह देखने के लिये कि मेरे नहीं होने पर वो क्या करती है ? दिनभर तो मेरा मन ऑफ़िस में नहीं लगा तो मैं शाम को जल्दी जल्दी घर पहुँचा। वो रसोई में खाना बना रही थी, मैंने कंप्यूटर चालू किया और सबसे पहले हिस्ट्री चेक की, उसमें वही सब पॉर्न वीडियो थे। बस मुझे यकीन हो गया कि वो क्या कर रही थी। फिर मैंने हैंडी कैम चालू किया पर उसमें सिर्फ़ 2 घंटे की शूटिंग होती है और उतनी देर तो उसने कंप्यूटर चालू भी नहीं किया था।
सफ़ीना  की चूचियाँ ऐसी ही छोटी छोटी है

मेरा आधा प्लान फेल हो गया था पर आज तो कुछ ना कुछ करना था।
तो हमने खाना खाया और बातें करने लगे। बातों बातों में मैंने उसको कहा- शफ़ी, ज़रा एमपी थ्री सोंग तो लगा पी.सी पर ! वो उठ कर कंप्यूटर के सामने बैठ गई। मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी गर्दन की मालिश करने लगा, वो गाने सलेक्ट करने में लगी थी।
मैं मालिश करते करते हाथ पीठ पर ले गया और उसको पूछा- ठीक है ना या और ताक़त लगा कर करूँ ? वो बोली- नहीं मामा, इतना ही काफ़ी है। धीरे धीरे मैं हाथ पीठ के बीच में लाया और और पीठ से बूब्स तक मालिश करने लगा तो वो थोड़ा सा बदन चुराने की कोशिश करने लगी पर सब बेकार था क्योंकि आज मुझे किसी का डर नहीं था, ना मेरी बीवी घर में थी, ना अम्मी, ना और कोई में उसके बूब्स ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा और उसको चूमने के लिये झुका तो उसने मुँह फेर लिया।
मुझे गुस्सा आया, मैंने अपने दोनों हाथो में उसको उठाया और बेड पर डाल दिया और उसको गुस्से में बोला- साली रंडी, मुझे किस नहीं देती और वहाँ कॉलेज के टायलेट में किसी अन्जान लड़के से चुदती है? क्या मैं इतना बुरा हूँ साली छीनाल? मैंने ज़ोर ज़बरदस्ती उसके लबों पर अपने लब रख दिये और फिर क्या था, वो भी मुझे नीचे से रेस्पोन्स देने लगी।
अगले एक मिनट में मैंने अपनी कई महीनों की इच्छा पूरी कर ली, एक झटके में उसके कपड़े उतार दिये, अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी और उसके छोटे उभारों से मैं खेल रहा था, उसका वजन ज्यादा नहीं था तो मैंने उसे उठा उठा के चोदा। वो मेरे शरीर से ऐसे लिपट गई जैसे सांप किसी पेड़ पर लिपटता है। आज इस बात को कुछ महीने हो गये है पर अभी तक कोई दूसरा मौका नहीं मिला चुदाई का ! बस आते जाते में शफ़ीना को चूम लेता हूँ और यहाँ वहाँ हाथ लगा लेता हूँ पर इतनी आसानी से नहीं छोड़ूँगा मैं उसको… अगले हफ्ते मेरी बीवी 15 दिन के लिये मायके जाने वाली है, फिर देखो चुदाई गपागप !


[मेल से मिली कहानी ]

Sunday, 21 September 2014

महिलाएं सेक्स के समय आवाज क्यों करती हैं ?

आखिर कुछ महिलाएं सेक्स के दौरान आवाजें क्यो निकालती हैं? आप यह प्रश्न अगर किसी से पूछे तो बहुत संभव है कि वह इस बात का उत्तर देनें से बचे। हो सकता है कुछ लोग कुछ बताएं भी लेकिन यह एक ऐसा सवाल है जिसको जानने की जिज्ञासा हर आदमी में देखी जाती है।

आप ने उह, आह.आउच! का साउंड ट्रैक सुना हो या नहीं लेकिन ओ


ह गॉड ऐसा होता है और कुछ लोग सेक्स संबंधों के दौरान इस तरह की आवाजें निकालते हैं, तो कुछ ऐसे भी है जो इस तरह की आवाजे सुनना पसंद करते हैं। आखिर क्यों?

उह, आह.आउच! की आवाज का जिक्र चलने पर आप किसी महिला की फैंटसी भरी आवाज की कल्पना करते हैं या अगर आप ने कहीं ऐसा सेक्सी वोकॅलाइजेशन सुना है तो आपको वह पल याद आ जाता है। सवाल है इस तरह की आवाजें अधिकांश महिलाएं ही क्यों निकालती है
?

क्या इस तरह की आवाजें आनंद की अभिव्यक्ति है? क्या यह मनोरंजन 
की चरमअवस्था है या एक ऐसा तरीका जब इंसान मदहोशी के संसार में चला जाता है और सेक्स का नशा इस तरह से प्रकट होता है? ये कुछ ऐसे प्रश्न है जिस पर विज्ञान का संसार बहुत कुछ कहता है। और विभिन्न संकेतो के साथ इन प्रश्नों का उत्तर वैज्ञानिक और मनोविज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ देते हैं।

गेल ब्रेवर और कोलिन ए हैंडी इंसानों के सेक्सुअल व्यवहार पर शोध करते हुए सेक्स के दौरन इस तरह की आवाजों के कारणों को जानने का प्रयास किया है। दोनों ने अपने शोध में सेक्सुअली एक्टिव हेट्रोसेक्सुअल महिलाओं की सेक्सुअल लाइफ और उनकी आदतों को जानने का प्रयास किया है।


जब महिलाओं से इस यह पूछा गया कि क्या वे सेक्स के दौरान इस तरह की वोकॅलाइजेशन (सेक्सी आवाजें..उह, आह.आउच!) को अपने सेक्स चरमोत्कर्ष से जोड़कर देखती हैं? अधिकांश महिलाओं ने इस बात का उत्तर हां में दिया लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हां लेकिन वे लेकिन यह पूरी तरह से उनका अपना सेक्सुअल अनुभव नहीं है।

महिलाओं में आर्गज्म में अधिकांशत: फोर प्ले के दौरान अधिक देखा जाता है। इस दौरान महिलाओं में सेक्सी आवाजों..उह, आह.आउच! सुनी जाती है और यह मेल एजुकुलेशन के ठीक पहले और बाद में अधिक होता है। मतलब की महिलाए ऐसी आवाजें उस वक्त अधिक निकालती है जब पुरुष अपने चरम पर होता है उसके ठीक पहले और ठीक बाद में। सवाल उठता है क्यों?

66 फीसदी महिलाओं का कहना है कि ऐसे समय में वे अपने पार्टनर के आर्गज्म को और अधिक बढ़ाने के लिए इस तरह की आवाजें निकालती है एक तरह से प्रेरित करती है।

92 फीसदी महिलाएं मानती है कि ..उह, आह.आउच! की सेक्सी आवाजों के द्वारा वे अपने पार्टनर की आत्मसंतुष्ठी को बढ़ाने के लिए करती है। कुछ महिलाओं का कहना है कि इस तरह की आवाजों का मतलब अपने पार्टनर को रफ्तार बढ़ाने का सकेंत देना मानती हैं वहीं कुछ इसे दर्द, थकान को दूर करने के लिए भी इस तरह की आवाजें निकालती है।

सेक्स एक ऐसा शब्द है जिसे बेहतर प्रदर्शन के तौर पर देखा जाता है और संगम साथी का आर्गज्म का उच्च लेवल इसकी सबसे बढ़ी विशेषता होती है। ऐसा नहीं है कि सेक्स में आवाजें केवल महिला और पुरुष के सेक्स के दौरान निकलती है बल्कि कई शोध के अनुसार जानवरों में भी सेक्स के दौरान एक विशेष प्रकार की आवाज सुनाई देती है।

इसके अलावा इंटरनेट पर पाए जाने वाले असंख्य पोर्न वीडियो के आर्काइव, और उनकी लगातार उपलब्धता इस बात पर प्रभाव डालते है कि आखिर हम सेक्स पर क्या सोचते हैं। सेक्स के दौरान बोल्ड बातों का होना हेट्रोसेक्सुअल वुमन में देखा जाता है।

Friday, 5 September 2014

मेरी (एक बिधवा) कामाग्नि

मैं एक उच्च कुलीन जाति की  बिधवा हु । मेरे ससुर का उत्तरप्रदेश के एक शहर में बहुत बड़ा बिजनेस है, कोल्ड स्टोर ,प्रॉपर्टी डीलिंग, बड़े बिल्डर,
मेरा चेहरा ऐसा ही है गाल में दोनों तरफ तिल के निसान है
कालोना इजर है । धन दौलत की कोई कमी नहीं आज से 10 साल पहले मेरे पति एक रोड दुर्घटना में मारे गए । तब मैं 30 साल की थी, मुझे एक लड़की
एक लड़का है पति के निधन बाद मैं एक-  दो साल तक गमो में डूबी  रही पति के बिरह में फिर धीरे धीरे अपने बच्चो में खो गई और समय निकलने लगा जब तक पति थे उनसे रूपये ले लेती थी पर उनके जाने  के बाद हर बात पर   सास ससुर के सामने हाथ फैलाना पड़े,दोनों का मूड अच्छा रहे तो दे दे नहीं तो किसी न किसी बहाने टाल दे । मैं दो साल तक घर में कैदी की तरह जीवन बिताया ओर मेरी सास  जीना हराम कर दिया दिन ताने मार मार कर परेसान कर दिया मैं किसी मर्द का मुह तक नहीं  देख सकती थी । मैं गजब की खूबसूरत हु मेरे गोरे गोर बाएँ  गाल में तिल खूबसूरती में चाँद लगा देता है ,दाए गाल में भी कान के पास बड़ा सा तिल है जो खूबसूरती को और बढ़ा देता है । जब घर में कोई नहीं होता तो मन बहलाने के लिए 25 वर्षीय ड्राइवर से बात कर लेती उससे  हस बोल लेती एक बार सासु ने  माँ  ड्राइवर से बाते करते देख लिया तो उस ड्राइवर को निकाल  दिया और 60 साल के बूढ़े को ड्राइवर रख लिया ।  मैं घर के घुटन में बोर होने लगी अब मुझे बाहर जाने का मन करने लगा एक दिन जब घर में जब कोई नहीं था तब ससुर जी के गांव के परिवार का ही एक लड़का आया जो मुझे भाभी कहता था [इस लड़के का घर आना जाना लगा ही रहता है ये सगे परिवार का लड़का शादी सुदा है इस लिए सासु जी ज्यादा सक नहीं करती इसके ऊपर] मैं उससे बोली ''राजू मैं बोर हो जाती हु घर में और तुम्हारे ताया -ताई [बड़े पिता जी] एक एक रूपये के लिए तरसाते है मैं आगे की पढ़ाई पूरी करके नौकरी करनां चाहती हु तू मदद करेगा मेरा '' तो राजू बोला टीक है भाभी और अगले दिन राजू ने एक आइडिया दिया और बोला ''भाभी आप कंप्यूटर सीख लो अपने गाँव के पास के ही एक परिचित का कंप्यूटर सेण्टर है मम्मी पापा भी वहा के लिए मना नहीं करेंगे '' तो मैं बोली ''टीक है तू मम्मी पापा से बात कर ले'' और अगले दिन राजू ने मम्मी पापा [सास ससुर] से बात कर लिया तो मैं उसके  अगले दिन राजू के साथ कंप्यूटर सेंटर पहुंच गई [ये बात आज से 7 साल पहले की है] जहाँ पर सेंटर वाले सर और उनकी पत्नी मिली, मैं सर की पत्नी को देखते ही पहचान गई ये कई बार मेरे घर जा चुकी है और मुझे प्यार से मेरा नाम लेकर बुलाती है , मेरी सास को दीदी कहती है इस रिश्ते से सर की पत्नी मुझे बहू मानती है , सर भी बार बार मुझे ''बेटा-बेटा'' कहते जो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था क्योकि सर की ''एज'' मेरे से 7-8 साल ज्यादा होगी और उनकी पत्नी तो मेरे से एक दो साल की ही बड़ी होगी पर गाँव के रिश्ते के कारण ओ मुझे बहु मानती है। सर देखने में तो बहुत स्मार्ट नहीं लगते है ।  शरीर से पुरे सांड लगते है 6 फिट से भी ज्यादा उचाई और मजूबत वदन है ।
मैं थोड़ी थोड़ी मोटी पड़ गई हु पेट में थोड़ी थोड़ी चर्बी जमने लगी है

सर और मेरे चाचा ससुर एक साथ पढ़ते थे इस लिए सर भी मुझे बहू ही मान रहे थे । पहले  दिन जानकारी लेकर आ गई और अगले दिन ससुर जी के साथ जाकर एड्मिसन ले लिया एक साल के कोर्ष में ससुर जी ने सर से कहा की अपनी बहु का ध्यान रखना और मैं उस दिन चली आई और रोज रोज साम के समय ड्राइवर क्लास में छोड़कर आ जाये और क्लास ख़त्म होने के बाद वापस ले आये इस तरह से दो माह तक चलता रहा ससुर जी कही लेट हो जाए तो ड्राइवर भी लेट आये मुझे लेने के लिए तब तक मैं क्लास के बाहर खड़ी होकर ड्राइवर  इन्तजार करती थी , एक दिन सर बोले '' दीपिका बेटा जब तक ड्राइवर नहीं आये मेरे ऑफिस में बैठ जाया करो,इस तरह यहाँ खड़े होना मुझे अच्छा नहीं लगता '' तब मैं  सर की ऑफिस में सर के सामने वाली कुर्सी में जाकर बैठ गई, कुछ देर में सर आये और अपने काम में बीजी हो गए  ड्राइवर आ गया और उठकर  चली आई सर के ऑफिस से । अब यह रोज का क्रम हो गया मैं रोज सर की ऑफिस में बैठती और कभी कभी सर मुझसे बाते करते बाकी समय मैं चुपचाप बैठे बैठे ड्राइवर  का इन्तजार करती । सर जब भी कुछ कहते तो मुझे बेटा ही कह कर बोलते एक दिन सर मूड अच्छा दिखा तो मैं सर से बोली '' सर आप मुझे बार बार बेटा नहीं कहिये '' तो सर बोले '' क्यों बेटा '' मैं मुस्कुराते हुए बोली ''फिर से बेटा बोल दिया आपने '' तो भी मुस्कुराते हुए बोले ''टीक है नहीं कहुगा बेटा पर क्यों नहीं कहु बेटा ये तो बताओ '' तब मैं सर से झूठ बोली '' क्लास से सभी बेटा बेटा कह कर चिढ़ाते है मुझे [जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था क्लास में ] ''तब सर बोले ''टीक है आज से तुम्हे दीपू कहुगा अच्छा लगेगा '' तो मैं तपाक से बोली '' हां ओ भी दीपू कहते थे'' [मेरे पति मुझे प्यार से दीपू ही कहते थे] इतना कहने के बाद मुझे मेरे पति की याद आ गई और मेरे आँखों  आँसु  छलक पड़े और मैं रोने लगी करीब 3 मिनट तक रोटी रही और सर मुझे चुप कराते रहे चुप होने की जगह और रोने लगी तो सर ने हाथ पकड़ा और पुचकारते हुए मुझे समझाने लगे फिर भी मैं रोये जा रही थी तब सर ऑफिस की लाइट बंद करके अपनी कुर्सी से उठे और मेरे पास आकर मेरे आँखों के आँसू पोछने लगे अपनी रुमाल से,आशु पोछते हुए मेरे गालो तक के बहे हुए आँसू को पोछ दिया,पति के  बाद पहली बार किसी पराये पुरुष ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे गालो पर हाथ लगाया [सर के केबिन में काले कांच लगे हुए है,इसलिए अंदर क्या हो रहा है दिखाई नहीं देता है] मैंने सर  के हाथ से रुमाल लेते हुए खुद अपने आशु पोछने लगी , रुमाल से बहुत ही प्यारी खुसबू निकल रही थी , मैं नाक पोछने के बहाने कई बार रुमाल को सुघीं मुझे बहुत ही अच्छी खुसबू आ रही थी रुमाल में , कुछ देर तक और बैठी ऑफिस में इतने में ड्राइवर का फोन आ गया तो मैं उठकर चली गई । अब तो रोज रोज सर के ऑफिस में बैठती और धीरे धीरे सर से खूब घुल मिल गई,अपने मन की बाते सर को बताती और मन को हल्का कर लेती,बात करते करते सर ने कई बार मेरे हाथ को पकड़ कर समझाते तो मुझे सर का मेरा हाथ पकड़ना बहुत अच्छा लगता । सर की रुमाल को कई दिनों  सूंघती रही । एक दिन हिम्मत करके सर से पूछ लिया '' सर आप कौन सा सेंट यूज करते है , आपके रुमाल अच्छी खुसबू आती है '' तब सर बोले '' मैं कोई सेण्ट नहीं लगाता हु रुमाल में तो पसीने की बदबू आती है जिसे आप खुसबू समझती हैं '' तब मैंने सर को बोली ''आप झूठ बोल रहे है'' तो सर बोले ''नहीं सच कह रहा हु'' तब मैं हिम्मत करके फिर से बोली '' मैं कैसे मानु की आप सच कह रहे है '' तब सर बोले ''सूंघ कर देख लो '' तब मैं अपनी कुर्सी से उठी और सर के पास गई और बोली ''चलिए सुँघाईए ''  तब सर बोले रुको और इतने में रूम की लाइट बंद कर दिया और सर्ट के ऊपर की दो तीन बटन खोल दिया और बोले ''लो सूंघ लो ''तब मैं सर के पास गई और उनके सीने के आसपास सूंघने लगी,उनके वदन से खुसबू आ  रही थी तब मैं बोली ''कौन सा डियो स्प्रे
इस तरह से बाल खोलकर सर के पास स्टाइल में बैठी रहती सर से बाटे करते हुए
करते है '' तो बोले ''कोई नहीं '' मैं फिर बोली ''झूठ बोलते है आप'' तब सर ने मेरे सिर पर अपना हाथ रखा और बोले ''तेरी कसम'' और इतना  कह कर मेरे गाल में धीरे से प्यार से एक हलकी से चपत लगाया जो मुझे बहुत अच्छा लगा सर के ये सब्द 
''तेरी कसम'' मेरे कानो में गूजते रहे मैं और नजदीक जाकर सर की ''कखौरी'' को सूँघी तो उससे भी खुसबू आ रही थी ऐसा लग रहा था सूंघती रहु पर हया के मारे दूर होकर कुर्सी में बैठ गई और सर ने अपनी सर्ट की बटने लगाकर लाइट जलाकर कुर्सी  गए इतने में एक स्टूडेंट  आ गया उससे बाते करने लगे तो ड्राइवर का फोन आया मैं उठकर चली आई । ड्राइबर के रोज रोज छोड़ने जाने से ससुर जी को परेसानी होने लगे तो सेंटर आने जाने के लिए दो माह बाद ही एक स्कूटी खरीद दिया तो अब मैं स्कूटी से आने-जाने लगी पर मेरा मन स्टडी में कम लगता, बार बार किसी न किसी बहाने सर की ऑफिस में जाती और बैठकर बाते करती ,घर आती तब भी सर की याद सताती मुझे सर से प्यार हो गया पर सर को मुझसे है प्यार  कैसे जानू मैं । पर सर खूब हसकर बाते करते पर डरती उनसे हिम्मत नहीं पड़ती कुछ कहने की तो मैंने सोसल साइट सहारा लिया और सर से आर्कुट में दोस्ती कर लिया और चेट करने लगी  वहा भी खुलकर लिखने डरने लगी हिम्मत नहीं पड़ती कुछ कहने की पति के निधन हुए तीन साल अधिक हो गए मेरे जिस्म में कामज्वाला धधकने लगी, खासकर जब मेरे सास ससुर के कमरे में कभी कभी सासु जी की चुदाई की आवाज सुनती तो जिस्म और तड़प उठता तो अपनी कामपिपासा को सांत करने के लिए उंगलियो को चूत पर घिस लेती और काम की ज्वाला सांत कर लेती एक दिन  ऑनलाइन फ्रेंड से पता लगाया की ''सेक्स ट्वाईस '' मिलते है तब मैं चुपके से मुह बांधकर कई  दूकानो  से सेक्स ट्वॉयस तलासी पर कही नहीं मिली दिनों दिन मेरी काम ज्वाला बढाती जाती क्योकि घर में कोई कमी नहीं थी कोल्ड स्टोर्स में तीन तीन भैंसे है रोज रोज 1 लीटर ताजा सुद्ध दूध पीती हु सेक्स की ज्वाला दिनिदिन बढाती जाती, जब चुदाने का बहुत मन होता तड़पने लगती तो वाथरूम सावर खोलकर बैठजाति नंगी होकर और कभी कभी अपनी ही ऊँगली को ही चूत में डालती निकालती और सेक्स तृप्ति  असफल प्रयास करती तो सर का बलिष्ट शरीर सामने नाचने लगता, मैं कैसे भी करके सर से चुदवाने बेताब होने लगी । इसलिए  सर के पास रोज देर तक बैठती खूब बाते करती और जब लेट हो जाती तो घर में बहाना बना देती एस्क्ट्रा क्लास की  । अपने  मन की सभी बाते सर से शेयर करती यहाँ तक की माहवारी में गड़वड़ी तक की बाते कर लेती खूब बन ठनकर जाती घर से निकलती तो सिर ढाक कर निकलती और सर  पहुचती तो  सिर से पल्लू हटा देती और बालो को अपने कंधो तक बिखेर लेती और स्टाइल के साथ सर के पास बैठती और घंटो बाते करती ।  गाढ़ी लाल रंग की लिपस्टिक लगाकर जाती । सासु जी मना करती लिपिस्टक लगाने के लिए तो रस्ते में  कार में बैठे बैठे लगा लेती  स्कूटी से आती तो रोड किनारे सुनसान जगह पर रोक कर लगा लेती । 
होठो को इस तरह के लाल रंग की लिपस्टिक लगा  कर सर को रिझाती


         समय निकलते देर नहीं लगा और 6 माह बाद मेरी फर्स्ट सेमिस्टर की एक्साम आ गई और एक्जाम पास के ही दूसरे सहर में थी जहा जाने के लिए एक घंटा लगता है । सभी स्टूडेंट ने मिलकर एक बोलोरे किराए पर सेट कर लिया मैंने भी मेरे हिस्से किराया दे दिया पर जब मैं अगले दिन एग्जाम देने के समय पहुंची तो बोलोरे जा चुकी थी ,तब मैं सर के पास गई तो सर बोले ''गाडी तो गई'' इतना सुनते ही मैं रुवासी होकर सर से बोली ''अब कैसे जाऊ अकेले इतनी दूर एग्जाम देने'' तो सर बोले  '' चिंता नहीं करो मैं भी जाउगा एक्साम सेण्टर आज पहले दिन'' इतना सुनते ही मेरी जान  में जान आई और मैं पूछ लिया '' कार से जायेगे या बाइक से '' तो सर बोले ''बाइक से जाउगा'' इतना सुनते ही मैं मन ही मन खुस हो गई और सोचने लगी आज कई साल के बाद किसी मर्द के साथ बाइक पर बैठूगी और हवा से बाते करुँगी [मुझे बाइक पर बैठकर हवा में बाल लहराते चलना बहुत अच्छा लगता है]  
   
बेड में इस तरह से ब्रा और पेंटी में लेट गई मैं
   दिसंबर [2007] का महीना था एग्जाम का टाइम दोपहर में 2.30 से 5.30 तक का टाइम । 1 बज गए तो सर को बोली ''चलिए नहीं तो मैं लेट हो जाऊॅगी'' तब सर उठकर चल दिए और हम दोनों बाइक पर बैठ कर निकल लिए ।  जब तलक शहरी इलाका था तब तक तो सर से दूर बैठी रही जैसी ही शहरी इलाका ख़त्म हुआ मैं धीरे धीरे सर से चिपक कर बैठ गई कंधे में हाथ रखकर पतिपत्नी की तरह रास्ते भर सर से चिपक कर बैठी रही और बाते भी करती रही एग्जाम सेंटर कब आ गया पता ही नहीं चला ।  मैं एक्साम देने चली गई और 2.30 घंटे बाद 5.30 बजे सबसे आखिरी में पेपर देकर निकली तो सभी फ्रेंड इन्तजार कर रहे थे साथ चलने के लिए पर मैंने मना कर दिया और बोल दिया की अपनी कार से आई हु ड्राइवर के साथ तो सभी फ्रेंड्स चले गए और कुछ ही देर में सर आ गए [ये प्लान सर ने ही बनाये थे की लौटती समय भी मेरे साथ चलना] और दोनों फिर से चल दिए ,मैं थक गई थी मेरा सिर दुखने लगा तो चाय पीने की इच्छा जताई तो सर एक अच्छे से महंगे होटल में लेकर गए वही दोनों चाय पिये कुछ देर तक बाते किया और चल दिए तब तक 6 बज गए हल्का हलका अन्धेरा हो गया । करीब 30 मिनट के बाद सर ने  बाइक को एक सुनसान जगह पर रोक  कर मुझसे पूछे ''टाइलेट करोगी'' तो मैं सर्माते हुए गर्दन हिला दिया तो सर बोले चली जाओ उधर और एक तरफ इसारा किये तो मैं कुछ दूर जाकर पेसाब करने लगी मेरे पास से करीब 10 फिट की दुरी पर सर भी पेसाब करने लगे तो मैं उनके लण्ड को देखकर आस्चर्य चकित रह गई
खूब लंबा और  मोटा लण्ड था सर कर जब ओ पेसाब कर चुके तो लण्ड को अंदर करने के लिए सर्टिंग को खोला तब जाकर उनका लण्ड अंदर हुआ । और मैं बाइक के पास आकर खड़ी हो गई अँधेरे में ,सर जैसे ही मेरे पास आये मुझे पकड़ कर किस कर लिये और मेरी चूची को दबा दिया, मैंने सोचा भी नहीं था की सर मेरी जाल में इतनी जल्दी फस जायेगे मैंने कोई बिरोध नहीं किया और सर मेरी चुचियो को दबाते रहे अँधेरे में और पागलो की तरह मुझे किस करते रहे फिर कुछ देर में मेरे ब्लाउज में गले की तरफ से हाथ डालकर मेरी चुचियो को खिलाने लगे तो मैं भी उत्तेजित हो गई और जोर से उनको अपनी तरफ खीचते हुए सीने से चिपक गई और सर को किस करने लगी दोनों इतना उत्तेजित हो गए की सर मुझे रोड के किनारे गेहू के खेत की तरफ ले जाने लगे तो  मैंने मना कर दिया और बोली रहने दीजिये कोई जाएगा तो लफड़ा हो जाएगा फिर सर ने कंट्रोल किया हम करीब 15 मिनट तक रोड के किनारे अँधेरे में दूसरे से चिकपे हुए प्यार करते रहे ।  मेरी चूत में पानी आ गया फिर सर ने बाइक में किक मारी और दोनों चल दिए मैं रस्ते भर सर के जांघ के पास हाथ  रख कर बैठी रही और अपनी चुचियो को बार बार सर की पीठ में घिसती रही जब शहर पहुंची तो सिर पर पल्लू रख लिया और सर से दूर होकर बैठ गई , सर ने मुझे घर से कुछ ही दूर उतार दिया और  पैदल घर चली गई । अगले दिन फिर एग्जाम थी सर ने पहले ही रस्ते में कह दिया था की अब नहीं जाउॅगा तुम्हारे साथ नहीं तो मेरी पत्नी सक करेगी मैं तीन दिन मेरे क्लासमेट के साथ बोलेरो से गई और जिस दिन प्रैक्टकल था उस दिन फिर से सर के साथ गई ।                     

       प्रैक्टकल सुबह 9 बजे से था मैं जान बूझकर सेंटर लेट गई तब तक बोलेरो जा चुकी थी ।  तो मैं सर के साथ मैं सुबह 8 बजे बाइक से निकल लिए रास्ते में ठण्ड लगी तो सर की पीठ से चिपक कर बैठी रही । सर ने प्लान बनाया की प्रेक्टिकल एग्जाम देकर जल्दी निकल लेंगे और किसी होटल  जायेगे साम के 4 बजे तक के लिए मैंने हां कर दिया और प्लान के अनुसार सुबह 10 बजे तक प्रेक्टिकल देकर मैं सर के साथ निकल लिया वहा से सर रस्ते में एक मेडिकल स्टोर में रुके कोई मेडिसिन लिए और एक होटल में दोनों पहुंच गए ,सर ने होटल के रजिस्टर में अपनी पत्नी के रूप में नाम लिखवाया   दोनों 10.30 AM पर होटल ''रेडिएसन'' के कमरे के अंदर पहुंच गए क्या आलीसान रूम था जाते ही मैं बेड पर धड़ाम से गिर गई  सैण्डिल्य सहित मैं थक कर चूर हो गई थी एक्साम देते देते ।  मैं  बेड में लेटे लेटे ही सर को बोली ''सर चाय मगाओ बहुत थकी हु '' तब सर पलट कर बोले ''अब मुझे सर नहीं कहो'' तब मैं तुरंत पूछी ''फिर क्या कहु'' तब सर बोले ''जो भी अच्छा लगे नाम रख लो मेरा '' तब मैं बोली '' टीक है जानम'' और हॅंस दिया तो सर मेरे पास आये और किस करके चूची दबाते  हुए बोले ''अच्छा लगा ये नाम '' और फोन का रिसीवर उठाया और चाय नास्ता ऑर्डर कर दिया और मेरे पास आकर लेट गए तो मैं उनसे लिपट गई ।
मेरी चूचियाँ ऐसी ही है तीन साल से किसी दबाया नहीं तो कड़क हो गई
मैं सम्भोग के लिए तड़प रही थी क्योकि तीन साल से किसी मर्द को सपर्श तक नहीं किया जबकि सर इतने उतावले नहीं हो रहे थे क्योकि ओ तो अपनी पत्नी की बुर चोद कर संतुष्ट थे ।  दोनों प्यार से बाते  करते रहे 10 मिनट बाद वेटर नास्ता देकर चला गया तो दोनों ने नास्ता किया और वेटर को बुलाकर प्लेट दे दिया जिससे कोई डिस्टर्ब नहीं हो ।
इस तरह से मेरी चुचियो को चूसते रहे सर
वेटर  के जाते ही सर मेरे से लिपट गए और मुझे चूमने लगे मैं भी  सर से ऐसी लिपटी जैसे नाग-नागिन आपस में लिपट जाते है । सर मेरी जीभ को लालीपाप की तरह चूसने लगे मैं भी सर का साथ देने लगी । अचानक सर का हाथ मेरे ब्लाउज के नीचे मेरी चुचियो पर रेंगने लगा, और फिर ब्लाउज के एक एक हुक खुलने लगे फिर मेरी पीठ के नीचे हाथ डालकर मेरी ब्रा के हुक खोल दिया और मेरी चुचियो को बारी बारी से चूसने लगे और एक हाथ से मेरी साड़ी  खीचने लगे और कुछ देर में साड़ी को पेटीकोट से अलग कर दिया और बिस्तर बगल में रखे सोफे के ऊपर उछाल दिया और फिर पेटी कोट के नाड़े जैसे ही हाथ लगाया एक अजीब से सिरहन पुरे वदन में दौड़ गई मेरे रोंगटे खड़े हो गए पेट अंदर की तरफ खीच लिया तो मेरी चुचिया ऊपर की तरफ तन गई सर को भरपूर जोस आ गया था उन्होंने पेटीकोट नाड़े को खोलने लगे तो गठन  एक झटके   में नाड़ा तोड़कर निकाल दिया फिर जल्दी से मेरी पेंटी भी उतार दिया और मेरी चूत को चाटने लगे , मेरे तन-वदन में आग सी लगने लगी तो मैं जल्दी से उठी और सर के
फर्स्ट टाइम इस तरह से सर का लण्ड अपनी चूत में लिया
कपडे उतारने लगी और  कुछ ही मिनट में सर के सभी कपडे उतार कर निकाल दिया अब सर मेरे सामने एकदम से नंगे हो गए उनका 9 इंच के लगभग लंबा  मेरी कलाई से भी ज्यादा मोटा  लण्ड फनफना कर खड़ा था  मेरी कामाग्नि को बुझाने के लिए सर मेरे ब्लाउज और ब्रा को उतरने लगे तो मैंने खुद ही उतार दिया अब दोनों एक दूसरे के सामने बिलकुल नंगे हो कर आपस में एक दूसरे के कमर के पास पाँव रखते हुए बैठ गई तो सर ने कंडोम चढ़ाया अपने लण्ड पर और मेरी कमर पर अपने हाथ रखकर मुझे नजदीक खीच लिया और लण्ड  के सुपाड़े को मेरी चूत के किनारो पर  टच करके हलके हलके घिसने लगे तो मेरे तन वदन 
सर के ऊपर इस तरह से चढ़ गई और खूब चोदी सर को
लग गई तो मैं सर को नीचे गिरा दिया और उनके ऊपर चढ़ते हुए लण्ड को अपनी चूत में फ़साने लगी पर मेरी चूत 3 साल
में सिकुड़ गई थी थोड़ा सा लण्ड का सुपाड़ा घुसा दर्द हुआ तो मैं उठी और अपनी बेग में से कोल्ड क्रीम निकाली और सर के लण्ड पर लगा दिया और कुछ कोल्ड क्रीम अपनी चूत  किनारो में लगा कर चूत  चिकना कर लिया और सर के लण्ड के पास बैठ गई और लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर घिसने लगी और फिर लण्ड को चूत में डालकर ऊपर बैठ गई और धीर धीर लण्ड को चूत में

सर का लण्ड मेरी चूत में इस तरह से पूरा टाइट  फिट था 
डालने लगी कुछ ही सेकण्ड में पूरा का पूरा लण्ड चूत में घुस गया तो मुझे ऐसा लगा जैसे मरू स्थल  के प्यासे को ठंडा पानी  मिल गया हो, आह क्या मस्त मोटा-लंबा गरमा गर्म लण्ड था जो बर्फ की भाति गर्म चूत में ठंडक पहुंचा रहा था, मैं सर के  सीने में अपना सिर रखकर चुपचाप  लेट गई और करीब 3  मिनट तक बिना हिले डुले लण्ड की ठंडक से अपनी चूत की तपिस कम करती रही तब  सर ने अपने चूतड़ को हिला हिला कर धीरे धीरे लण्ड को आगे पीछे करने लगे तो एक एक हलके हलके झटके मेरी प्यासी चूत एक एक घूट पानी की तरह लगने लगी मैं भी अपने चूतडो को ऊपर नीचे करने लगी सर का लण्ड इतना अधिक लंबा था की मेरी नाभि तक घुस रहा था । जब मैं लण्ड की एक एक ठोकर में स्वर्ग के सैर कर रही थी तो सर मेरी चूचियों को चूस चूस कर स्वर्ग के आनंद को कई गुना ज्यादा बढ़ाते तब मैं लण्ड पर और जोर जोर से कूदती
सर इस तरह से लण्ड पेलते हुए साँड़ की तरह चढ़ गए मेरे ऊपर और चूत में ठोकरों की बरसात कर दिया
तब मेरी चुचिया और अधिक ऊपर नीचे होती तो सर मेरी चुचिओ को खिलाते दबाते और मेरी काम ज्वाला को भड़काते और मैं कामज्वाला को शांत करने  के लिए जोर जोर से कूदती  यह क्रम लगातार 5 मिनट तक चलता रहा की अच्चानक सर उठे और मुझे नीचे गिराते  हुए सांड की तरह मेरे ऊपर चढ़ गए लण्ड पेलते हुए और जोर जोर से  झटके मारने लगे मेरे मुँह से उउउ आह्हह्ह उउउउउउउआआ आहहहह आहाहा अहहः सेइस्स्स्स्स्स्स की आवाजे निकलने लगी मेरी आँखे बंद हो गई मुझे कुछ याद नहीं रहा ऐसा लगा लग रहा था जैसे मैं आसमान में बादलो के बीच घूम रही हु करीब 5 मिनट बाद मेरी आँखे खुली  सर को जोर से पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया और सीने  चिपका लिया और हाँफते हुए निढाल हो गई दिसंबर  में भी पसीना आ गया जिस्म में सर मेरे ऊपर जोर जोर से साँसे छोड़ते हुए कटे पेड़ की तरह लेट गए सर की गर्म गर्म सांसों से निकलती हुई खुसबू मुझे बहुत अच्छी लग रही थी मैं सर के मुह के पास अपना मुह ले गई और सर की सासों को खूब सुघी कुछ देर में सर मेरे ऊपर से उठ गए और मुझे अपनी तरफ खींचा अपने सीने से चिपकाया और बगल में लेट गए और मुझे किस करते हुए बाते करने लगे कुछ ही देर में जिस्म की गर्मी कम हुई और ठंडी लगने लगी तो मैं अपनी ब्रा और पेंटी को पहन लिया  कम्बल ओढ़ लिया  और सर को भी ओढ़ा दिया तो सर ने भी अपनी बनियान और चढ्ढि पहन लिया और कुछ देर बाते करने के बाद
कॉफी पीने की इच्छा पडी तो सर ने एक एक गिलास कॉफी मगाया दोनों ने कॉफी कम  दूध ज्यादा पिए फिर एक दूसरे को प्यार करते करते बातें करने लगे बात करते करते 12 बज गए ।  सर फिर से मेरी जीभ,होठ,को किस करने लगे मैं भी सर को प्यार करने लगी इतने में सर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरी चूची को चूसने लगे और एक हाथ को  पेंटी के नीचे डालकर मेरी चूत को सहलाने लगे कुछ ही मिनट में मैं फिर से चुदवाने के लिए तैयार हो गई तो सर के लण्ड को हाथ लगाया तो लण्ड टाइट पड़ चुका था । सर कुछ ही मिनट में फिर  से मेरे ऊपर चढ़ गए और लण्ड पेल दिया मेरी चूत में और फिर ओ गजब की चुदाई किया की दोनों पसीने से तरबतर हो गए  इस बार दोनों 15 मिनट तक बिना रुके सम्भोग क्रिया में लगे रहे । दोपहर के 1 बजे दोनों ने खाना खाया और सो गए फिर 3 बजे  फिर चुदाई का कार्यक्रम चला और 4 बजे दोनों होटल के कमरे से निकल कर वापस अपने शहर आ गए । 
 
      सर से चुदाते चुदाते 4 साल हो गए ,सर की पत्नी को सक हो गया तो 2011 में सर से दुरी बना लिया । मुझे हॉस्पिटल में नौकरी मिल गई तो हॉस्पिटल में एक डाक्टर को फसा लिया और कभी कभी उससे भी चुदवाने लगी पर अभी दिसंबर माह  2014 में सर एक दिन मेरे घर आये । मेरे सास-ससुर को आज तक सर और मेरे बीच के संबधो को लेकर संका नहीं हुई । सर को देखकर मैंने ही दरवाजा खोला तो मैं सर को और सर मुझे देखते ही रह गए । क्योकि मैं दुबली हो गई तो और अधिक  सेक्सी लगने लगी । सर को 3 साल बाद देखा पर सर में कोई परिवर्तन नहीं हुआ सर आज भी वैसे के वैसे ही रखे है सर के गाल और लाल टमाटर की तरह हो गए सर और अधिक स्मार्ट लगने लगे एक बार फिर से इच्छा पड़ गई सर से चुदाने की तो सर का वाट्सअप का नंबर लिया और सर से वाट्सअप में चुपके चुपके बाते करने लगी और अभी अभी 10  दिसंबर 2014 को फिर से सर के साथ उसी शहर उसी होटल में गयी और खूब चुदवाया सर से  । इस बार सर ने चुदाई में बहुत ज्यादा मजे दिया \ पर ने एक गलत काम किया ……  क्रमशः …… …………