Monday, 25 August 2014

जेठ जी ने जबरजस्ती चूत के टाँके तोड़ दिया

मैं शालिनी ठाकुर  बनारस की एक परिवार के उच्च शिक्षित लड़की हु मेरी शादी MP के उच्च कुलीन ठाकुर परिवार में हुआ है । मेरे पति एक बड़े शहर में एक कम्पनी में ''सेल्स एण्ड परचेज मैनेजर'' के पद पर काम करते है । मैं स्वेम SBI बैंक में हु । मैं आधुनिक खयालातों की महिला हु । मेरी उम्र इस  समय 40 साल की है पर मैं आज भी बहुत सुन्दर सेक्सी छरहरी वदन की 35-36 साल की लगती हु । मैं आज भी ट्रेक सूट/सलवार सूट पहन कर सुबह सुबह अँधेरे में मॉर्निंग वाक् को जाती हु और कुछ किलोमीटर दौड़ भी लगाती हु इस लिए मेरा जिस्म आज भी मोटा नहीं हुआ मैं आज भी छरहरे वदन की कामसिन हसीना  लगती हु इस लिए बैंक के नए नए लड़के भी मेरे को घूरते रहते है मेरे एक इसारे पर बैंक का कोई भी पुरुस मेरा कहना नहीं टालते । कुदरत ने मुझे मस्त बड़ी बड़ी चुचियो से नवाजा है ठाकुर परिवार से हु तो गरम मसाला ,घी  दूध मटन,मच्छी खूब खाती हु लहसुन प्याज
फेसबुक में ऐसी बहुत से पिक पोस्ट कर रखी हु जिसे जेठ जी देख चुके है
बिना सब्जी  में मजा ही  है इस लिए जिस्म में आज भी सम्भोग की बहुत तड़प रहती है इस उम्र में भी सप्ताह में दो-तीन दिन तो पति से चुदवा ही लेती हु पर मेरे पति महीने ने 15 दिन टूर पर ही रहते है और ओ जब टूर पर जाते है और लौट कर आते है तो एक सप्ताह  टच नहीं करते । मुझे पता है ओ बड़े बड़े होटलों में रुकते है और बड़ी बड़ी कम्पनिया अपना ठेका  करवाने के लिए रण्डियाँ भी देते है ये रंडियो की चूत चाट कर आते है इस लिए  इनका मन नहीं पड़ता जब  आगे होकर कहु ,कभी कभी तो मना कर देते है और काम की ज्वाला  हुए सो जाती हु ऐसा लगता है मैं भी कोई कड़ियल छोरा तलास कर लू और अपनी जिस्म की आग को बुझाऊ पर बदनामी के भय से ऐसा  नहीं कर पाती ।

फेसबुक में ऐसी बहुत से पिक पोस्ट कर रखी हु जिसे जेठ जी देख चुके है

 चलो अब मेरे परिवार के बारे में कुछ बता दू मुझे दो लड़के है और दोनों ही बाहर रहकर पढ़ाई करते है  । घर में इनके [पति] छोटे भाई की 10 साल की एक लड़की तमन्ना को रख रखी हु जो अभी पांचवी क्लास में पढ़ रही है । अकेला पन  दूर करने  के लिए  तमन्ना  को अपने पास रखी हु,जब पतिदेव टूर पर रहते है तो तमन्ना और मैं घर पर रहती हु ।

 जब पति घर नहीं  रहते है उस समय बोरियत को दूर करने के लिए मैं सोसल साइटों में अपने आप को ब्यस्त रखती हु फेसबुक,वॉटसअप में कई पुरुष मित्र है जिनसे सेक्स चेट करके समय पास कर लेती हु और जब पतिदेव टूर से घर आते है तो रात में दिन में जब भी मौका मिला भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ती हु उनके ऊपर और तबियत से चुदवाती हु । फेसबुक में बहुत से पिक डाल रखी है और मेरे जेठ जी [पति के सेज बड़े भाई को जेठ जी  कहती हु ] भी फेसबुक में जुड़े हुए है ओ भी इनबॉक्स और वॉट्सऐप में मेरी खूब तारीफ करते रहते है चोरी छिपे बदले  में मैं उन्हें सुक्रिया कहती हु और जेठ जी से खूब बाते भी करती हु फोन पर और चेट भी करती हु पर जेठ जी जब सामने रहते हैं तो पर्दा करती हु ज्यादातर उनके सामने घुघट में ही निकलती हु,बता दू की जेठ जी सेन्ट्रल गवर्मेंट की जब में  है । जेठ जी इनसे एक साल के बड़े है पर इनसे भी ज्यादा हट्टे-कट्टे मजबूत लगते है जेठ जी की उचाई भी इनसे अधिक है । मैं एक दो बार जेठ जी से चुदाई की कल्पना भी कर चुकी हु उनके मजबूत और सुडौल वदन को देखकर  । सच कहु  तो मैं बहुत ही सेक्सी और लण्डखोर ओरत हु पर समाज के बंधनो के कारण बंधी हुई रहती हु यदि मैं इंग्लैंड अमेरिका में होती तो अभी तक कई मर्दो  चुदवा चुकी होती क्योकि मेरी प्यास आज भी मेरे पति नहीं बुझा पाते है जहा भी कड़लियाल जवान मर्द देखती हु  चुदाई की कल्पना करने लगती हु । एक बार तो देवर ने मेरी चूची को दबा दिया था तब मैंने उसे बहुत डराया था तब से उसने मेरी तरफ देखना तक बंद कर दिया । मैं बाद  पछताई की देवर को नहीं डराती तो अभी तक देवर लण्ड की ठोकरे खा चुकी होती । 

मई  की बात है मेरे जेठ जो को ''अजमेर बोर्ड '' में कोई काम था ओ मेरे घर आये उस समय मेरे पति टूर पर एक सप्ताह के लिए बाहर गए
इस तरह का नाइट सूट पहन कर जेठ जी के सामने निकल पडी
हुए थे जब जेठ जी अचानक आये उस समय सुबह के 9 बज रहे थे तमन्ना स्कूल चली गई थी मैं घर अकेली नाइट सूट में में थी  बेल बजी तो मैं दरवाजा खोलने गई तो सामने जेठ जी को देखकर सर्मा गई और लौटने लगी दुपट्टा लेने के लिए तो जेठ जी बोले ''अंदर नहीं आने दोगी क्या '' तो मैं कुछ नहीं बोली और लौट कर गेट खोल दिया जेठ अपलक मेरी तरफ देखते रहे गाउन में मेरी बड़ी बड़ी कसी हुई टाइट चूचियाँ साफ़ साफ़ आसमान की ओर ताकते दिखाई दे रही थी मेरी गोरी गोरी सुन्दर सेक्सी बाँहे दिख रही थी जेठ जी अंदर आये तो मैं जल्दी से  निकली तो जेठ जी दांत निपोरते हुए बोले '' बहुत स्मार्ट लग रही हो'' मैं कुछ नहीं बोली और सरमकर अंदर चली गई और साड़ी पहन कर सर में पल्लू रखकर प्लेट में पानी की ग्लास और मिठाई -नमकीन लेकर आई और रखकर चलने लगी तो जेठ जी बोले ''तमन्ना कहा गई '' तो मैं बोली ''स्कूल ''तो बोले ''नीरज कहा गया'' [नीरज मेरे पति का नाम है] तब मैं बोली की '' बाहर गए हुए है'' तो बोले ''कब आएगा'' तो मैं बोली '' कल ही गए है एक सप्ताह के लिए'' इतना बोलकर मैं किचेन में चली गई और चाय बनाने लगी और कुछ देर  देकर वापस आने लगी तो जेठ जी बोले ''यही बैठो न क्यों सरमा रही हो ''तो मैं जेठ जी  सोफे पर बैठ गई और 
वाथरूम से इस तरह से कपडा पहन कर  निकली
बाते करने लगे जेठ जी मैं भी हां -हु जबाब देती और कुछ मिनट  उठकर चली गई फिर 10 मिनट बाद आई तो जेठ जी को बोली की नहा लीजिये तो ओ नहाने चले गए और मैंने बैंक में मैनेजर को फोन कर दिया की आज नहीं आउगी । कुछ देर में जेठ जी बाथरूम से निकालकर गए तो मैंने उन्हें तेल ,कंघी,सीसा रखकर आ गई और बाथरूम में घुस गई नहाने के लिए ,बाथरूम में अपनी बड़ी बड़ी चुचियो को साबुन लगा लगा कर खूब धोई अपनी बुर को अच्छी तरह से साफ़ किया और फिर वाथरूम में टॉवेल ढूढने लगी तो याद आया की टॉवेल तो जेठ जी को दे दिया तब वाथरूम रखे कॉटन के दुपट्टे से अपने सेक्सी वदन का पानी साफ़ किया तो पूरा कपड़ा गीला हो गया पर मज़बूरी थी नंगी तो बैडरूम जा नहीं सकती [मेरा बैडरूम वाथरूम के पास ही है] इस लिए उसी गीले कपड़े से अपने वदन को जाँघो तक ढक लिया और आईने के सामने खड़ी होकर देखी तो मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ साफ़ दिख रही थी फिर भी जल्दी से बैडरूम में घुस गई और अंदर से दरवाजा लगा लिया और वदन काकपड़ा उतार कर कुर्शी में रख दिया और नंगी ही ड्रेसिंग टेबल सामने बैठकर तेल मालिस करने लगी इतने में किसी ने मुझे पीछे से पकड़ कर मेरी चुचियो को दबा दिया तब मैं हड़बड़ा कर डरते हुए पलट कर देखी  तो जेठ जी सामने खड़े दात निपोर रहे थे [ बैडरूम के बगल में एक और रूम है जो मेनगेट में खुलता है उसी रूम में जेठ जी पहले से ही छिपे थे] उन्हें देखते ही मैं सरमा कर नीचे बैठ गई और बोली ''आप यहाँ क्या कर रहे हैं जाए यहाँ से'' तब जेठ जी बोले '' शालू तुम बहुत सुन्दर हो '' और इतना कहते हुए फिर से मेरे पास आये और मेरे चूचियों मसल दिए  तो मैं  गुस्सा दिखाते हुए बोली '' आप जाओ नहीं तो चिल्ला दुगी मैं '' तो जेठ जी बोले ''चिल्लाओ  इज्जत तो तुम्हारी खराब होगी यहाँ '' और इतना कहते हुए ओ मुझे अपनी गोद में उठाते हुए बेड पर लिटा दिया मैं हाथ पाँव मारती रही उनके बालो को नोचती रही पर ओ नहीं माने मैं मन से जेठ जी  चुदाने के पक्ष में नहीं थी इनकी जगह देवर होता तो थोड़ा ना नुकुर करके आराम से चुदवा लेती पर मेरे समाज में जेठ को छूना तक मना  है फिर उनसे चुदवने का प्रश्न ही नहीं है पर आज तो बुरी तरह से जेठ जी की में ताकतवर गेडे जैसे सरीर  से नहीं छुड़ा पा रही थी फिर भी मैं बार बार उठकर भागने की कोशिश
जेठ जी मेरी बड़ी बड़ी चुचियो को चूसने लगे तो मैं चुदाने के लिए तैयार हो गई मेरी कमर ऐसी ही पतली  चूचियाँ ऐसी ही मस्त मस्त टाइट है

करने लगी बिना चिल्लाये हुए क्योकि छिल्लाती तो आसपास सभी जान जाते और जेठ जी मुझे बार किस करने लगे मेरी चुचियो को मसलने लगे मैं बार बार उनके बाल खींचती उन्हें मारती पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ओ मेरी मार से बचने के लिए  मुझे बेड से उठाया और खिड़की के पास खड़ी करके मेरे दोनों हाथ को अलग अलग  बाँध कर खिड़की के जाली के सहारे खड़ा कर दिया । अब मेरे दोनों हाथ बंध गए तो ओ मेरे वदन को टॉवेल से ठीक से पोछा और AC  ऑन कर दिया फिर मेरी चुचियो को चूसने लगे फिर कुछ देर में मुझे छोड़कर गए और ड्रेसिंग टेबल से हेयर एंड केयर के तेल की सीसी निकाल लाये और मेरी चुचियों पर तेल डालकर हलके हलके हाथो से मालिस करने लगे तो मुझे चुचियो की मालिस अच्छी लगने लगी मेरा बिरोध,गुस्सा कम होने लगा और चुदाने की इच्छा पड़ने लगी ओ लगातार 7-8 मिनट तक मेरी चुचियो,जांघो पर,कमर पर  तेल लगाकर हलके हाथो से मालिस करते रहे जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था अचानक उनकी टॉवेल कमर से  निकल  गई और ओ पूरी तरह से नंगे हो गए तो उनके लण्ड को देखकर मेरी चीख निकलते निकलते बची ''उई माँ'' उनका लण्ड तो  कम से कम 10-11 इंच का और मेरी कलाइयों से भी ज्यादा मोटा था मैं मन ही मन खुस हो गई और डर भी गई । खुस हो गई  आज इतना लंबा मोटा मजबूत लण्ड की मजा लूगी, पर डर  इस लिए रही थी की कही चूत के टाँके न टूट जाये [मेरे दोनों बच्चे आप्रेसन से हुए है और डिलेवरी के लिए मेरी चूत में चीरा लगाया गया है और बाद में तीन टाँके लगा दिए है इस लिए चूत खूब सकरी हो गई है] मैं उनके लण्ड को देखे जा रही थी ओ बार बार लंड को उचकाते तो लण्ड ऊपर नीचे खूंखार नाग की तरह फुस्कार रहा था । अब ओ मेरी चूत में तेल लगी ऊँगली के सहलाने लगे चूत में ऊँगली स्पर्श से मैं उत्तेजित होने लगी और मेरे मुह से उउउउ आह हह हहः अहह आह्ह आह्ह आह्ह आह आह आह आह की वाजे निकलने लगी ओ अपने हाथ के बीच की मोटी और लम्बी ऊँगली मेरी  चूत में डालते और निकालते उनकी ऊँगली ही मुझे मोटी लग रही थी [मेरे पति का लण्ड 5 इंच लम्बा है पर बहुत पतला है,चूत में कब घुसा जाता है पता ही नहीं चलता] मैं बहुत डर गई की जब इनकी ऊँगली टाइट जा रही है तो लण्ड कितना टाइट होगा मैं ये सब सोच ही रही थी की इतने में ओ डबल सीटेड सोफ़ा खिड़की के पास खिसकाया और सोफे के ऊपर किनारे पर एक पिलो [तकिया ] रखकर मुझे उसपर बैठा दिया, मुझे चुदाने की इच्छा हो गई पर दिखावटी गुस्सा दिखाते हुए सोफे ऊपरी हिस्से में बैठने को राजी नहीं हुई  तो ओ मुझे जबरजस्ती सोफे के ऊपर पिलो रखकर बिठा दिया और  सोफे की गद्दी में घुटने के बल बैठकर मेरी दोनों टांगो को फैलाते हुए मेरी चूत को चाटने लगे । करीब 3 मिनट तक चूत चटाते ही मैं तड़प उठी लण्ड के लिए और बार बार अपने चूतडो को धक्का देने लगी तो ओ समझ गए की मैं तैयार हो गई हु तब ओ अपने लण्ड के सुपाड़े की चमड़ी को पीछे खिसकाया और  लाल सुर्ख नुकीला लण्ड मेरी चूत के मुह पर टिका दिया और हलके से धक्का देते हुए लण्ड को पुस किया [इनके लण्ड और मेरी चूत की हालत वैसे ही थी जैसे 15 साल की कुवारी लड़की की चूत के सामने घोड़े का लण्ड टिका दो] तो सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा घुसा तो मुझे जोर से दर्द हुआ तो मैंने अपने चूतडो को पीछे खिसका लिया और
जेठ जी  को बोली ''मेरा हाथ खोल दो दर्द करने लगा'' तब ओ मुस्कुराते हुए बोले''मरोगी तो नहीं ''तब मैं कुछ नहीं बोली और हाथ की तरफ इसारा किया तब उस चुदक्कड़ ने मेरे दोनों हाथ खोल दिए और मुझे गोद में उठाकर मुलायम मखमली बेड पर लिटा दिया और खुद बेड के नीचे खड़े हो गए और फिर से मेरी चूत को चाटने लगे 3-4 मिनट तक चूत चाटते रहे । चूत चटाने से मैं बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाती हु चुदाने  के लिए अब मेरे मुह से फिर से उउउउउ आहह हह हह हहहह अहह   अक्ककक उअ  लाला उल्ला आह आह उइमा उइमा उइमा उइमा  आह आह की आबाज निकलने लगी मैं उनका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी इतने में ओ अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाने लगे पहले तो ओ अपने लण्ड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुह के आसपास घुमाते रहे ,कभी कभी हाथ से पकड़ कर लण्ड को चूत में पटकते तो मैं और अधिक उत्तेजिते हो गई और बार बार उनका हाथ पकड़ के अपनी तरफ खीचने लगी की इतने में एक ही हलके से झटके के साथ लण्ड का सुपाड़ा पूस किया की मेरे मुह से  आह$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ की जोर से  मेरी चीख निकल गई दर्द के मारे तो ओ मेरे मुह को अपने हाथ से दबाकर मेरी चीख को रोक लिया तो मैं दर्द के मारे  अपने चूतडो को पीछे खिसका लिया
जेठ जी इस तरह से बेड के नीचे खड़े होकर मुझे बेड लिटा दिया और खड़े खड़े लण्ड को खूब पेला पाली किया
तो लण्ड बाहर हो गया तो मैंने चूत   हाथ दबा लिया दर्द सहन करने के लिए इतने में ओ मेरे गालो  को किस करने लगे मेरी पीठ पर हाथ घुमाने लगे कुछ देर में मुझे छोड़कर ड्रेसिंग टेबल के पास गए और हेयर एंड केयर के तेल की सीसी उठा लाये और एक ढक्कन तेल निकालकर पहले अपने लण्ड में लगाया और फिर एक ढककन तेल मेरी चूत में उड़ेल दिया और चूत के आसपास तेल लगा दिया दो
तीन बून्द तेल तो मेरी चूत चला गया फिर चूत में ऊँगली डालकर कर अंदर तक तेल लगा दिया और फिर लण्ड को बड़ी आसानी से धीरे धीरे डालने लगे और झुककर मेरी चुचियो को भी दबाने लगे और किस भी करते जाते इस बार उनके लण्ड का सुपाड़ा  घुसा तो दर्द कम हुआ अब ओ बार बार सुपाड़े को अंदर बाहर करने लगे मोटे लण्ड के मिलन से  मेरी चूत खुसी से फुदकने लगी जैसे जैसे सुपाड़ा घिसाने लगा मेरी चूत में वैसे वैसे चिकनी होती गई  मेरा दर्द भी कम होता गया और हर एक झटके में उनका लण्ड ज्यादा गहराई तक घुसने लगा, हलके हलके 15-20 झटके के बाद पूरा 11 इंच का लण्ड मेरी यू ट्रस्ट [बच्चेदानी] पर ठोकर मारने लगा एक एक ठोकर में जन्नत  सैर करने लगी लण्ड के झटको के साथ ओ मेरी चुचियो को मर्दने लगे कभी कभी पूरी की पूरी चूची को अपने मुह में डाल लेते और फिर दाँतो से हलके हकले काटते तो और अधिक उत्तेजित होती उधर लन्ड़ की गति बढ़ने लगी अब मुझे लगने लगा की जेठ जी मेरे 60 किलो के सरीर के ऊपर अपने 90 किलो [जेठ जी की हाइट 6 फिट 2 इंच है वजन 90 KG है , जबकि मेरे पति 70  KG और 5 फिट 8 इंच के है के] बजन से तबियत से तोड़ दे मैं एक एक अंग तोड़ दे , मैं बार बार उठने लगी और जेठ जी का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तब जेठ जी ने मुझे अपने मजबूत हाथो से उठा लियाऔर अपनी जांघ पर टिका लिया 
मेरे कमर के नीचे हाथ डालकर मैं उनके हाथो को पकड़ लिया और हवा में लहरा लहरा कर चुदाई करने लगे जब ऊपर करते तो पूरा लण्ड चूत बाहर निकलता और जब वापस नीचे लेते तो सप्प सप्प करके पूरा 11 इंच लंबा लण्ड मेरी नाभि तक घुसता एक एक उचाई निचाई पर मैं स्वर्ग की सैर करती बीच बीच में जेठ  सीने से चिपक जाती और जेठ जी गले में कंधो में बाहो में गालो  करती जेठ जी की गर्दन  डालकर झूला झूलने लगी लण्ड किसी इंजन के पिस्टन सिलेंडर की तरह चिपकता हुआ छकछक छकछक करती ट्रेन की तरह बुर को फाड़ रहा था । जेठ जी में गजब की इस्टेमना है ओ मुझे लगातार 8-10 मिनट तक आने बाहो  झूला झूला कर चोदते रहे मैं उनकी बाहो में झूलती रही और जन्नत की सैर करती रही और 10 मिनट बाद मैं झर गई पर जेठ जी अभी तक चोदे  रहे थे जब झर गई तब मुझे दर्द होने लगा पर जेठ जी थे की छोड़ने को तैयार नहीं आखिर में ओ 15 मिनट बाद स्खलित हो गए और और लण्ड को चूत में फसाए हुए बेड पर लेकर लेट गए अभी तक उनका खूंखार लन्ड़ मेरी चूत में वीर्य टपका रहा था मैं उनके शरीर का बजन ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाई उहे नीचे धकेल दिया और जल्दी से उठकर बैठ गई तो ढेर सारा गाढ़ा वीर्य बहकर चादर में गिर गया जिसमे खून के कुछ बुँदे भी थी ।   मैं खून देखकर घबरा गई और  झुककर  चूत में हाथ लगाया तो मेरी उंगलियो में खून लग गया मैं समझ गई की मेरी चूत के टाँके तोड़ दिए तो मैं रुवासी हो गई तो जेठ जी मुझे अपनी बाँहो में भरते हुए बोले ''कुछ नहीं हुआ है तुम महीना हो गई हो'' तब  मैंने उन्हें बताई की ''महीना तो अभी 7 दिन पहले ही हुई थी'' तब ओ मुझे बेड पर लिटा कर मेरी टांगो को फैलाया और चूत के पास देखा तो चूत के ऊपर हिस्से से हल्का हल्का खून बह रहा था तब  उठे और सरसों का तेल लगा दिया तो कुछ देर  बंद हो गया । फिर जेठ जी साम के ट्रेन से अजमेर चले गए और अगले दिन सुबह 6 बजे फिर आ गए फिर तमन्ना स्कूल चली गई और दिन में फिर से खूब चुदवाया जेठ जी का लण्ड इतना अच्छा लगा की जेठ जी 5 दिन के  गए और अं 5 दिन बैंक नहीं गई और दिन में भी रात में भी खूब चुदवाया मन मस्त पड़ गया । फिर जेठ जी चले गए । अब मैं नए लण्ड का  स्वाद चख लिया फिर जेठ जी के बाद  हट्टे-कट्टे देवर से चुदवाया फिर तो मुझे अलग अलग मर्दो के लण्ड अच्छे लगने लगे और अब तो जब भी कोई तगड़ा मर्द देखती हु और पसंद आ जाए तो उसे फसा लेती हु और एक बार जरूर चुदवाती हु .................
  लगातार …………क्रमसः  ……
  ……   
 

Monday, 11 August 2014

कामुक रस

मैं राजस्थान के एक बहुत छोटे से गाँव की रहने वाली हूँ । हमारे यहाँ छोटे-छोटे कच्चे-पक्के घर होते हैं और जमीन के नाम पर पत्थरों के पहाड़ और रेगिस्तान हैं। हम किसान हैं और किसानी के नाम पर पत्थरों के पहाड़ और रेगिस्तान में कुछ कांटे और बबूल उगाते हैं ।

मेरी उम्र 18 की है लेकिन हमारी तरफ औरत और आदमी की कद-काठी बहुत अच्छी होती है, तो मैं 21-22 साल की जवान नमकीन लौंडिया लगती हूँ। गाँव के बहुत से लौंडे मुझे याद करके मुठ मारते हैं।उन लौंडों को आहें भरते देख कर मुझे भी अपने मन कुछ हेनू-हेनूसा होता था लेकिन मैं सिर्फ अपने काम से काम रखती हूँ।जब कभी भी मैं अकेले में होती हूँ तो अपनी संतरियों को अपने हाथों से मसल कर अपना मन बहला लेती हूँ । मेरे घर में अच्छा-बड़ा आँगन है और एक कोठरी है। मैं और मेरा छोटा भाई आँगन में सोते हैं और माँ, बापू कोठरी में । काफ़ी साल पहले एक दिन काफी रेतीला तूफ़ान आ रहा था और बाहर सोना थोड़ा मुश्किल था तो माँ ने हम दोनों को कोठरी में बुला लिया और एक कोने में हम सो गए । मेरा बापू शराबी था और शराब पीकर काफी हंगामा करता था, फिर भी माँ उस पर जान देती थीं । मैंने अक्सर महसूस किया था कि बापू माँ के मम्मों पर या चूतड़ों पर या कमर पर चुटकी काट लेता था, तो वो हल्के से मुस्कुरा देती थीं । रात को सोते समय कोठरी में हल्की सी रोशनी के लिए एक दीपक जलता था, उसकी रोशनी ज्यादा तो नहीं, लेकिन देखने के लिए काफी थी । खाना खाने के बाद हम सब सो गये। आधी रात को अचानक से मुझे किसी के बात करने की आवाज़ सुनाई दी। मैंने लेटे-लेटे ही देखने के कोशिश की, तो पाया, माँ-बापू हल्के-हल्के बात कर रहे हैं और बापू ने माँ को अपने ऊपर ले रखा है। आवाजें काफी मद्धिम स्वर में थीं तो सुनाई तो कुछ नहीं दिया लेकिन मैं सब कुछ देख सकती थी। माँ-बापू के ऊपर थीं और मुँह से मुँह मिला कर कुछ कर रहे थे । तब तक मुझे कुछ मालूम नहीं था। बाद में जब मुझे सेक्स के बारे में पता चला तो सब समझ आ गया । माँ बापू के ऊपर थीं और वो एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। माँ हल्के-हल्के
माँ की चुचिया ऐसी ही थी
सिसकारियाँ भर रही थीं, बापू ने माँ को जोर से पकड़ा हुआ था और कमर पर कुछ कर रहे थे। माँ ने हमारी तरह देखा और हमें सोता देखकर खड़ी होकर अपनी साड़ी उतारने लगीं। जब माँ पूरी नंगी हो गईं, तो देखा माँ कितनी सुंदर थीं। माँ के चूचे बड़े- बड़े और कसे हुए थे और मस्त शरीर था। उनकी चूत पर बाल थे लेकिन कमर बिल्कुल कसी हुई थी। उनकी चूचियाँ सामने को तनी हुई थीं। चूचियों के ऊपर उनके निप्पल बहुत ही कड़े थे । उसके आगे मुझे कुछ समझ नहीं आया क्योंकि माँ को इस तरह देख कर, मेरे मम्मों ने खड़ा होना शुरू कर दिया था।
बापू अभी भी लेटे थे, माँ ने उनकी टांगों पर से कुछ हटाया और उस
पर बैठ गईं । माँ के बैठते ही, माँ की हल्की सी चीख निकल गई।
माँ सिसकियाँ लेते हुए अपने आप को ऊपर-नीचे करने लगीं और बापू
भी हिलने लगे । बापू ने माँ के निप्पलों को अपने मुँह में दबा कर
चचोरना शुरू कर दिया था । माँ भी अपने थन पकड़ कर उनसे चुसवा रही थीं । अपनी चूची चुसवाने के साथ अपनी कमर को उठा उठा कर उचक रही थीं। उनके मुँह से सिसकारी निकल रही थी- आअहा..जरा.रा ..धीरे रे रे चूस न ना ! बापू भी उनकी कमर पकड़ कर नीचे से उठ-उठ का माँ को ऊपर की ओर ठेल रहे थे। थोड़ी देर में माँ एक झटके के साथ बापू के ऊपर गिर गईं और उन दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया । मैं ये सारा कुछ देख रही थी, मुझे कुछ ज्यादा समझ तो नहीं आया, लेकिन मेरे संतरे खड़े थे और चूत से पानी निकल रहा था। मैं अपने संतरों को अपने हाथों से मींजने लगी । इस समय मुझे बहुत ही मीठा लग रहा था । एक हाथ से मैंने अपनी उंगली अपनी चूत में डाल ली। ये एक प्राकृतिक कमाल था कि मुझे उस समय चुदाई का कोई ज्ञान
नहीं था लेकिन मेरी भावनाएँ कामुक हो गई थीं । इस बात को यदि सीधे शब्दों में लिखूँ तो आप भी इस बात को समझ सकते हैं कि प्रजनन के लिए मैथुन में रूचि बनी रहे इसके लिए प्रकृति ने कामुक रसों का निर्माण किया है ।

Monday, 4 August 2014

किरायेदार की बीबी की चुदाई

मधुर मुस्कान और तिरछी चितवन से सोभा वर्मा हूबहू ऐसी ही लगती है
एक दिन साम के समय मेरी बीबी के साथ एक खूबसूरत महिला आई जिसकी उम्र लगभग 32 -34  के आसपास होगी जिसका मेरी बीबी परिणीता ने उसका परिचय ''सोभा वर्मा'' के रूप में कराया, सोभा को दो रूम किराए से चाहिए । मैंने शोभा के बारे में सभी जानकारी लिया । सोभा एक प्राइवेट  स्कूल में क्लर्क है,इसे दो बेटिया है, एक 10 साल की और एक 5 साल की इनका पति किसी कारखाने में काम करता है । पत्नी सलाह करने के बाद सोभा को बाथरूम के पास वाले दो कमरे किराए 2000 रुपये प्रतिमाह से दे दिया । सोभा की सुन्दरतरा को देखकर मैं मोहित हो गया मन ही मन निस्चय कर लिया की इसे किसी भी कीमत पर चोदुगा । दो दिन बाद सोभा अपना सामान लेकर मेरे यहाँ रहने आ गई ।  सोभा की दोनों लडकिया सोभा जैसी ही सुन्दर है पर पति सुन्दर नहीं है ,पति लंबा तो बहुत है 6 फिट से भी ज्यादा लंबा है पर है एक दम से सिकुड़ा हुआ दुबला पतला गाल और आँखे अंदर की ओर धसी हुई, जब कपडे पहन कर निकलता तो ऐसा लगता जैसे बांस पर किसी ने कपडे लटका दिया हो , बात चीत बहुत काम करता ।
           
  मेरी बीबी आबकारी बिभाग में है और मैं  कारखाने में सिफ्ट मैनेजर हु इस लिए मेरी ड्यूटी तीनो समय में रहती है, मेरा एक ही लड़का बंगलौर से  BE कर रहा है घर में हम सिर्फ पति-पत्नी रहते है । मेरी पत्नी सुबह 10 AM पर ऑफिस के लिए निकल जाती है और साम को 6 बजे तक वापस आती है । सोभा दोपहर में 1 बजे अपने स्कूल खूब सज-धज कर अघिकतर लाल, गुलाबी, चटक पीला रंग की साड़ी पहन कर जाती है और साम को 6  बजे तक वापस आती है ।मैंने कही पढ़ा है की लाल,गुलाबी रंग की साड़ी पहनने वाली महिलाएं  छिनाल होती है इन्हे कई पुरुषो के साथ सम्भोग करना अच्छा लगता है । सोभा का पति सुबह 7 बजे निकलता है फैक्ट्री के लिए पैदल और एक KM दूर रोड पर बस पकड़ता है फैक्ट्री के लिए तो साम को 8 बजे तक वापस आता है । सोभा की दोनों बेटियाँ सुबह 7 बजे घर के सामने ही बस में बैठती है और 2 बजे वापस घर के सामने ही बस से उत्तर जाती है । लड़कियों के पास घर की चाबी रहती है ओ घर के अंदर चली जाती है । मैं ज्यादातर दिन में 4 बजे से रात के 12 तक ड्यूटी करता और जब ड्यूटी बदलती तो  सुबह 7 बजे से तो साम को 4 बजे तक रहती और कभी कभार रात के 12 से सुबह 8 तक की रहती । घर में सोभा और मैं अधिकतर अकेले रहते । मैं अधिकतर खिड़की से छिपकर सोभा की एक्टिवटीज देखा करता हु । सोभा जब कपडे धोती तो उसकी लाल-गुलाबी रंग की गाउन गीली हो जाती तो उसकी लाल गुलाबी रंग की ब्रा-पेंटी भीदिखाई देने लगती । सोभा जब बाथरूम से नहा कर निकलती तो एक टॉवेल से अपने सेक्सी और गदराये हुए वदन को लपेट कर जल्दी अपने कमरे में घुस जाती और एकदम से नंगी होकर कपडे
सोभा का सेक्सी वदन ऐसा ही है
पहनती,तेल लगाती तब मैं अपने बेड रूम और सोभा के बैडरूम के बीच लगे दरवाजे के गेप से सोभा को देखता पर सोभा ने अंदर की तरफ  साडी को पर्दा बनाकर टांग रखी थी इस लिए स्पष्ट रूप से पूरा जिश्म नहीं दिखाई देता फिर भी मैं रोज सोभा का जिश्म देखने लालाइत  रहता, एक बार सोभा ने बीच का पर्दा धोकर डाल दिया था तब मैंने सोभा का सेक्सी वदन को जी भर कर देखा था । सोभा से आगे होकर बात करने में मैं झिझिकता  था 6 माह निकल गए पर सोभा से बात नहीं किया । 
परिणीता जब घर में रहती तो सोभा खूब आती,बाते भी करती और टीवी भी  देखती क्योकि उसके घर टीवी और फ्रीज़ नहीं है सोभा के बच्चे भी दिन भर मेरे ही घर में खेलते, अधिकतर फ्रीज़ में कुछ रखने आती तो हम रख लेते  हमारे पति-पत्नी के ब्यवहार से सोभा बहुत खुस रहती । 

               एक दिन मैं रात की ड्यूटी करके आया और खाना खा कर सो गया तभी दिन में करीब 11 बजे सोभा के कमरे से कुछ आवाज आई तो मेरी नींद खुल गई और सोभा के रूम में दरवाजे के गेप से झांक कर देखा तो सोभा का पति सोभा की एक बेल्ट से पिटाई कर रहा था और सोभा बचने के लिए कमरे में इधर उधर भाग रही थी पर सोभा का पति निर्ममता से सोभा के बाल पकड़ कर पीटे जा रहा था जब मेरे से ये सब नहीं देखा गया तो मैं उठकर सोभा के कमरे में गया और बाहर से ही आवाज दिया '' क्यों शोर मचा रखी है मेरी नींद खराब कर रहे हो '' मेरी आबाज  सुनते ही सोभा रूम से भागकर आई और मेरे पीछे छिप गई और बोली '' मुझे बचा लो प्लीज़ '' इतने में हाथ में बेल्ट लिए उसका हस्बेंड आया तो मैंने उसे डाटा '' सरम नहीं आती एक ओरत को मारते हुए '' तो ओ कुछ नहीं बोला और खड़ा रहा गया मेरे सामने तो उसके मुह से मुझे सराब की बदबू आई तो मैंने पीछे खड़ी सोभा से पूछा '' सोभा ये सराब पीते है क्या '' तो सोभा सकुचाते हुए बोली ''सराब के कारन तो वहा से खाली करना पड़ा रूम''  तब मैंने सोभा से बोला '' इनकी कमाई ये कुछ भी करे पर घर में इस तरह से सराब पीकर तुम्हारी पिटाई करेंगे तो कमरा खाली करवा दूंगा '' इतना बोलकर मैं  वहाँ से आ गया और अपने बेड पर लेटकर सोभा के कमरे की तरफ देखने लगा तो सोभा का पति एक बेग में अपने कपडे डाल रहा था और सोभा चुपचाप उसे देख रही थी कुछ देर में सोभा का पति बेग उठाया और घर से चलने लगा तो सोभा बोली '' आना नहीं दुबारा,
मारो भी मुझे और ताव भी मेरे ऊपर खाओ ,जाओ जहाँ जाना हो'''  तब सोभा का पति जल्दी से बेग उठाया और कमरे से बाहर निकल गया और गेट खोलने की आवाज आई मैं समझ गया ये गया कही । सोभा अपने बिस्तर पर बैठकर सुबक-सुबक कर रो रही थी मैंने सोचा मौका अच्छा है बात करने के लिए तो मैं उठा और सोभा के कमरे में पहुंच गया, कमरे में अन्धेरा था ,जाते ही मैंने ट्यूबलाइट जला दिया तो सोभा बिना मेरे तरफ देखे बोली ''आ गए, इतने लम्बी नाक वाले थे तो चले क्यों नहीं गए'' [सोभा ने सोचा की उसका पति वापस आया है] तब मैंने बोला '' सोभा मैं हु'' सोभा मेरी आवाज सुनकर चौक कर उठ गई और बेड के पास खड़ी हो गई और धीरे से बोली '' बैठिये'' तब मैं सोभा के बेड पर बैठ गया और सोभा से हमदर्दी जताने लगा सोभा से पूछने लगा की क्यों  मार रहे थे तुम्हे तो सोभा अपनी दुखभरी कहानी सुनाई जिसे सुनकर मैं दुखी हो गया । सॉर्ट में लिखता हु । सोभा का पति सरकारी नौकरी में था पर सराब के लत की बजह से कुछ गबन किया तो नौकरी से बाहर हो गया और अब एक फैक्ट्री में जॉब करता है । मैं सोभा से पूछा '' लंगूर को अंगूर कैसे मिल गया '' तो सोभा पहले तो समझ नहीं पाई जब मैंने उसे समझाया तो जोर जोर से हसने लगी तब मैंने सोभा का हाथ पकड़ा और अपने पास बेड में बैठा लिया और बाते करने तब सोभा ने बताया की ''मेरी शादी जब हुई तब मैं 8 वी में थी और ये 10 वी में थे तब ये बहुत खूबसूरत थे अभी जैसे नहीं थे तब,नहीं तो इनसे शादी  ही नहीं करती'' और बहुत सी बाते बताया फिर कुछ देर तक प्यार  बाटे करते करते मैंने सोभा को बोला लाओ दिखाओ कहाँ कहाँ लगा तुम्हे और इतना कह कर सोभा का हाथ पकड़ कर पीछे की तरफ घुमाया तो देखा की सोभा की पीठ और कमर में बेल्ट के मार के निसान दिखाई दिए तो मैंने उन निसान पर ऊँगली से छुआ तो सोभा दर्द से कराह उठी तो मैंने सोभा को बोला की ''रुको मेरे पास एक क्रीम है लगा देता हु '' तो सोभा बोली  ''टीक हो जाएगा अब तो आदत हो गई है इनके मार खाने की'' तब भी नहीं माना और सोभा के पास से उठा और अपने रूम से एक क्रीम लाया और सोभा को बोला '' लेट जाओ मैं लगा देता हु ये क्रीम '' तो सोभा ना नुकूर करने लगी तब मैं सोभा को जबरजस्ती बेड पर पीठ की तरफ से लिटा दिया और जहा जहाँ सोभा को बेल्ट की मार पड़ी थी वहा वहा मैंने ओ क्रीम लगा दिया फिर मैंने पूछा की पाँव में भी लगी है क्या तो सोभा बोली ''हां लगी है '' तब मैंने सोभा के पाँव की तरफ से साड़ी को उठाने लगा तो सोभा ने पाँव समेट  लिया तो मैंने बोला '' सर्माओ नहीं मैं दवाई ही लगा रहा हु और कुछ नहीं करुगा '' तो सोभा मेरी तरफ प्यार से देखी  और पाँव को फैला दिया तब मैंने सोभा की साड़ी को घुटने तक  किया और क्रीम को लगाने लगा । सोभा की गोरी गोरी टांगो,पिंडलियों पर क्रीम लगाते लगाते मेरे लण्ड में जोरदार तनाव आ गया और मन ही मन प्लान बना लिया की अब आज ही सोभा की चुदाई कर दू इस नियत से सोभा की साड़ी की घुटने के ऊपर की तरफ खिसकाने लगा तो सोभा उठकर बैठ गई और बोली '' क्या करे हो '' तो मैंने सोभा को फिर से लिटाने लगा और बोला ''लेट जाओ और जहा जहा लगा है  दवाई लगा देता हु '' तो सोभा बोली ''नहीं अब रहने दीजिये और आप जाइए यहाँ से '' इतना कहते हुए सोभा बेड से उठकर खड़ी हो गई और मेरा हाथ को पकड़ा और उठाते हुए बोली '' प्लीज प्लीज़ जाइए यहाँ से कोई आ जाएगा तो अच्छा नहीं लगेगा '' तब मैं सोभा के कमरे से उठकर चला आया मन मसोसते हुए । अब सोभा रोज बाते करती मेरे से जब मेरी बीबी या उसका पति घर में नहीं रहते तो । 7 दिन बाद सोभा का पति वापस आ गया गाँव से । 
सोभा इस तरह से ''टॉप और लोवर'' घर में पहनती है


 मैं रोज सुबह सुबह छत पर एक कमरे में कसरत करता हु उसी कमरे में जीम का सारा सामान मौजूद है ।  सोभा से बातचीत के पहले सोभा  कई बार मुझे उस कमरे में पसीना बहाते हुए देख लिया है जब मैं जीम में कसरत करता हु उस समय मेरा वदन और फूल का आकर्षक हो जाता है । 45 साल की उम्र में भी मैं 38 -40  का लगता हु,जब मैं बिना बनियान पहने छत से नीचे उतरता हु जिम से या नहाने के बाद निकलता हु तो सोभा कई बार आपने सामने टकरा चुकी है सोभा तिरक्षि नजर से देखती निकल जाती है । एक दिन मैं सुबह 10 बजे के बाद अपने जिम वाले रूम में दौड़ने वाली मशीन में रन कर रहा था उस समय सोभा लोवर और एक टाइट  टी सर्ट पहन कर आई कपडे डालने के बहाने और रूम में झाकर खड़ी हो गई तो मैंने मशीन बंद करके उतरा और पूछा ''कहिये सोभा जी कैसी हो'' तो बोली ''टीक हु'' इतना कहकर सोभा मशीन के पास आई और बोली ''मैं भी इसमें दौड़ सकती हु क्या '' तो मैंने कहा '' हा दौड़ सकती हो,परणीता तो रोज सुबह सुबह दौड़ती है '' तो सोभा अपने पेट की तरफ देखते हए बोली '' मेरा पेट थोड़ा थोड़ा बाहर निकल रहा है, इसमें दौडूँगी तो अंदर हो जाएगा '' तब मैंने बोला ''हां हो जाएगा पर एक दो दिन में नहीं होगा रोज दौड़ना होगा '' तब सोभा मशीन पर चढ़ गई तो मैंने सोभा को सभी इन्सट्रक्सन बता कर मशीन को पैदल चलने की स्पीड में ऑन कर दिया जब सोभा आराम से चलने लगी तो सोभा से पूछ कर मशीन की स्पीड धीरे -धीरे बढ़ा दिया और सोभा दौड़ने लगी दौड़ते हुए सोभा की चूचियाँ ऊपर - नीचे होने लगी क्या मस्त सीन था, मैं उत्तेजित हो गया पर अपने आपको कंट्रोल किये रहा । कुछ देर में सोभा ने इसारा किया तो मैंने मशीन बंद कर दिया तब सोभा हाँफते हुए खड़ी हो गई मेरे पास जोर जोर से साँसे लेते हुए ,जब सोभा सासे लेती तो उसकी चुचिया ऊपर की तरफ उठती और जब साँसे  छोड़ती तो चुचिया नीचे होती मैं देखता रहा और उत्तेजित होता रहा पर अपने आपको कंट्रोल करते हुए सोभा का हाथ पकड़ा और एक कुर्सी पर बैठा दिया और पानी के एक बोतल दिया तो सोभा पानी पीने लगी । अब तो रोज का यह क्रम हो गया सोभा रोज सुबह साढ़े दस बजे से 11 बजे तक दौड़ लगाती और मैं  सोभा की उछलती -कूदती चुचियो को ललचाई निगाहो से देखता और मन ही मन सोभा की चुदाई का प्लान बनाता पर डरपोक स्वभाव के कारण हिम्मत नहीं करता । 


मेरा जिन रूम ऐसा ही है
    एक दिन सोभा कपडे धो धो कर छत में डालती ज्यादा कपडे होने के कारण रस्सी टूट गई तब  सोभा ने मुझे नीचे आकर बोली '' अंकित के पापा जी  रस्सी टूट गई है बाँध दीजिये'' तब मैं  छत पर जाकर रस्सी को बाँध दिया उस समय सुबह के 10 बज रहे थे ठंडी का महीना था सोभा जल्दी जल्दी नहा कर निकली और अपने रूम में कपडे पहनने लगी तो मैं रोज की तरह सोभा को देखने लगा जब सोभा कपडे पहन चुकी तो मैंने  कुछ देर में आबाज लगाया तब सोभा आई मेरे लिविंग रूम के सामने तो मैंने सोभा को बोला '' चाय पिलाओगी क्या '' तो सोभा हँसते हुए बोली '' हां पिला दूंगी'' और अपने कमरे की तरह जाने लगी तो मैंने रोकते हुए कहा '' यही बना दो किचेन में '' तो सोभ बोली ''ठीक है यही बना देती हु'' और इतना कह कर किचेन में घुस गई । सोभा इस समय पर सिर्फ गाउन पहन रखी है इस लिए सोभा की मस्त मस्त स्तनों की उभार गाउन में साफ़ झलक रहे थे , सोभा जब किचेन में बर्तन उठाने लगी तो मैंने पास खड़ा होकर सोभा को बोला '' सोभा चाय रहने दो ,काफी बना दो, ठंडी के मौसम में गर्मा -गर्म काफी ज्यादा अच्छी लगती है'' तब सोभा मेरी तरफ देखि और मुस्कुरा कर बोली ''जी'' और काफी बनाने लगी मैं सोभा के पास ही खड़ा रहा और हिम्मत करते हुए बोला '' सोभा तुम बहुत सुन्दर हो'' तो सोभा फिर से मेरी तरफ देखी और मुस्कुरा कर थैंक्स कहा और बोली ''आप भी तो बहुत स्मार्ट लगते है'' और इतना कह कर कॉफी बनाने लगी मैं सोभा के पास ही खड़ा रहा तो सोभा बोलती है '' आप आगे के कमरे में जाइए , कोई आ जाएगा तो क्या सोचेगा'' तब मैं आगे वहा से चला आया और आगे के रूम में बैठ गया टीवी देखते हुए कुछ ही समय में सोभा काफी रखकर बाहर  जाने लगी तो मैंने टोका '' क्यों तुम नहीं लगी काफी '' तो बोली ''आपके लिए ही बनाई थी '' तब मैंने सोभा को बोला '' इसी में से पी लो '' तो मना कर दिया तब मैं सोफे
मेरे शरीर की कसावट आज भी ऐसे ही है
से उठा और सोभा का हाथ पकड़ कर बोला '' आओ इसी कप से लेकर पी लो '' तो सोभा बड़े आराम से आई और मेरे पास सोफे में बैठ गई तब मैंने कहा '' जाओ दुसरा कप लाओ '' तो सोभा बोली '' आप पहले पी लीजिये बाद में मैं भी पी लूगी  '' तो मैंने सोभा को कहा '' लो तुम भी पियो और मैं भी पीता हु '' तब सोभा मेरे ही कप में मेरे साथ बारी बारी से काफी की चुस्किया लेने लगी जब सोभा कॉपी पी चुकी तो कप को अंदर धोकर रख दिया और जाने लगी तो मैंने सोभा से पूछा '' क्यों सोभा मेरे साथ एक ही कप में कॉफी पिया  तो तुम्हे घिन नहीं लगी '' तो सोभा मुस्कुराई और बोली '' नहीं '' और इतना कह कर तिरक्षी नजर से मेरे तरफ देखते हुए मुस्कुराते हुए चली गई । करीब 12 बजे मैं खाना खाने की तैयारी करने लगा तो सोचा की सोभा को बुला लू देखता हु ये खाती है खाना मेरे साथ तो मैंने सोभा को आवाज दिया तो सोभा आई तो मैंने कहा '' आओ खाना खाते है'' तो सोभा राजी हो गई और किचेन में घुस गई और मेरे लिए खाना लगाकर थाली में लाइ तो मैंने कहा ''आपने लिए भी लाओ '' तो सोभा बोली ''रोटी कम है'' इतनाकह कर अपने रूम में गई तो मैं भी पीछे पीछे गया और देखा की खाने की
एक दिन सोभा इस तरह से सिर्फ ब्रा और साडी में छत में घूम रही थी 
थाली लगाने लगी तो मैंने बोला ''थाली लेकर आओगी तो कोई देख लेगा'' तो सोभा बोली ''ठीक है मैं यही खा लेती हु '' तो मैंने कहा ''रुको मैं बीच का दरवाजा खोल देता हु '' और सोभा के उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना आ गया और बीच का दरवाजा खोल दिया तब सोभा अपनी थाली लेकर आ गई दोनों ने साथ ही खाना खाया सोभा मेरी भी थाली धोकर चली गई और कुछ देर में तैयार होकर स्कूल चली गई । मैं भी साम को 4 बजे ड्यूटी चला गया । अगले दिन फिर वही दिन चर्या सोभा ने काफी बनाया और दोनों एक साथ एक ही कप में काफी पीया और दोपहर में एक ही थाली में खाना खाए । अब मेरे और सोभा के बीच में धीरे धीरे प्यार हो गया पर मैं डरपोक स्वभाव का हु इस लिए सोभा को चोदने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था । एक दिन सोभा साड़ी और ब्रा में छत में बैठी धुप ले रही थी तो मैं भी पहुंच गया और सोभा के पास बैठ गया और सोभा की तारीफ करने लगा । सोभा की गोरी गोरी मादक पीठ और मस्त मस्त सुडौल बाहे खुली बहुत ही सेक्सी लग रही थी मैंने हिम्मत करके सोभा की पीठ में हाथ घुमाते हुए बोला ''तुम बहुत ही सेक्सी लगती हो सोभा'' तो सोभा अपने पीठ
सोभा एक दिन इसी तरह के कपडे में छत पर आ गई
से मेरा हाथ हटाते हुए बोली '' क्या कर रहे हैं कोई देख लिया तो भाभी जी रूम से निकाल देंगी '' तो मैंने कहा '' कोई नहीं देख रहा है '' तब  सोभा बोली ''आप दूर बैठिये'' और अपने हाथ से हलके से धक्का दे दिया और हसने लगी । कुछ देर तक बाते किया और  सोभा नीचे चली आई तब  मैं भी कुछ मिनट बाद चला आया छत से । अब मेरे मन मजबूत होने लगा मैं समझ गया सोभा चुदवा सकती है, एक दिन सोभा कपडे सुखाने  के लिए छत पर चढ़ी उस समय सोभा ने अपनी लाल रंग की साडी को कमर में बाँध रखी थी और बड़े गले के लाल ब्लाउज में सोभा की मदमस्त दूधिया रंग की चुचियो की घाटियां साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी, मैंने सोभा को इसारा  करके बुलाया और धीरे से कहा ''आज तो क़यामत ढा रही हो'' तो सोभा कुछ नहीं बोली और मुस्कुराते हुए तिरछी नजरो से देखते हुए अपने जीभ को निकाला और होठों को चाटते हुए खुल्ले आम निमत्रण देते हुए चली गई । पर जब तक मैं नीचे उतरा सोभा बाथरूम में घुसकर नहाने लगी । जबसोभा नहाकर निकली तो रोज की तरह सोभा के शरीर को तेल में मालिश करते देखता रहा और अपने कमरे से आवाज दिया '' मैं आ जाऊ तेल लगाने '' तो सोभा दरवाजे की तरफ पलट कर देखी और वही से बोली 

'' आपको दिखाई दे रहा है क्या'' तो मैंने कहा '' हा मैं तो बहुत दिन से देखा रहा हु तुम्हे इस हालत में'' तो सोभा '' दइया रे दइया कितने खराब हो आप,इस तरह से कोई देखता है किसी को छिपकर'' और इतना कह कर सोभा दरवाजे के पास से हट कर ओलट में छिप गई । और खिलखिलाते हुए बोली '' लो अब कैसे देखोगे''  तो मैंने कहा ''मैं आ रहा हु कमरे में वहा से देख लुगा''  तो कमरे के अंदर से सोभा बोली '' मत आइये ऑफिस के लिए लेट हो रही हु ''तब मैंने बोला ''फिर कब आउ'' तो सोभा बोली '' फिर कभी आना''और सोभा तैयार हो कर अपने ऑफिस चली गई मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखर । 
 
सोभा ने इस तरह से जीभ को दिखाया मुझे


            अगले दिन सुबह करीब  10 बजे सोभा कपड़े लेकर छत पर चढ़ रही थी और मैं छत से नीचे उत्तर रहा था, सकरी सीढ़ियों में दोनों टकरा गए तो सोभा की चुचियो की हलकी से स्पर्श मेरे सीने पर लगी तो मेरे दिल में आग भभक गई मैंने सोभा की तरफ देखा और धीरे से सोभा की चूची को दबा दिया तो सोभा मुस्कुरा कर हड़बड़ाते हुए जल्दी से छत पर चली गई और जब नीचे उतरी तो मैं बाथरूम के पास ओलट में खड़ा हो गया जैसे ही सोभा  पास आई मैंने सोभा को पकड़ कर अपने तरफ खीच लिया और कसकर अपने सीने से चिपकाते हुए किस करने लगा और चुचियो को दबाने लगा तो सोभा मेरी पकड़ से आजाद होने के लिए छटपटाने लगी और धीरे से बोली 
''अरे छोड़िये न, कोई देख लेगा, आप बहुत गंदे हो'' तो मैंने सोभा के मुह में हाथ रखते हुए बोला ''अब मत तड़पाओ मेरी जान'' तब सोभा फिर से बोली '' छोड़िये कोई आ सकता है गेट खुला हुआ है'' तो मैंने बोला '' रुको गेट बंद करके आता हु'' तब सोभा कुछ नहीं बोली और मैं जल्दी से गया और गेट में अंदर की तरफ से ताला लगा दिया और सोभा के रूम में पहुंच गया तो सोभा वहा नहीं मिली तो मैंने धीरे से आबाज लगाया तो सोभा बोली ''मैं बाथरूम में हु'' तब मैंने सोभा को बोला ''दरवाजा खोलो न''  सोभा दरवाजा खोलने के लिए मना किया तो मैंने सोभा को बताया की गेट में ताला लगा दिया हु कोई नहीं आ पायेगा तब भी सोभा ना नुकुर करते हुए वाथरूम का दरवाजा नहीं खोली,मैं गिड़गिड़ाने लगा तो बोली ''आज नहीं फिर कभी, आज ऑफिस जल्दी जाना है'' और सोभा बाथरूम से निकली और जल्दी से अपने कमरे में घुस गई और दरवाजा लगा लिया और दोनों रूम के दरवाजे से दूर हटकर कपड़ा पहनने लगी मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया मैं मायूस होकर दरवाजे की तरफ देखता रहा कुछ देर से सोभा तैयार होकर ऑफिस जाने के लिए निकली तो गेट में ताला बंद था तो मुझे आवाज दिया ताला खोलने के लिए तब मैंने ताला खोलने से मना कर दिया और बोला ''आ जाओ यार 5 मिनट का काम है'' तो हसते हुए बोली ''5 मिनट में आप कुछ नहीं कर पायेगे'' तब मैंने कहा ''क्यों'' तो मुस्कुराते हुए बोली ''मैं बहुत टाइम लेती हु,थका दुगी आपको'' फिर सोभा गिड़गिड़ाने लगी गेट का ताला खोलने के लिए,तब मैंने ताला खोल दिया और ओ चली गई मैं अपने रूम में आकर सो गया । 

       और मैं 4 बजे ड्यूटी चला गया, रात में 1 बजे ड्यूटी से वापस आकर जब सोने लगा लाइट बंद करके तो सोभा के कमरे से कुछ खुसर - पुसर की आवाज आई तो मैंने दरवाजे के गेप में से झाकते हुए जीरो वाट के बल्ब के हलके उजाले में देखा की सोभा और उसका पति दोनों नंगे बेड पर चुदाई के खेल में ब्यस्त थे सोभा का पति पलंग से नीचे खड़ा होकर सोभा के कमर के नीचे एक तकिया रखकर दोनों पाँव को फैलाकर अपने लण्ड को आगे पीछे करके धक्के मार रहा था सोभा आराम से लेटे लेटे अपने पति के लण्ड की चोट खा रही थी और मुह से उ आह सी उ आह सी उ आह सी उ आह सी की आवाज निकाल रही थी [सोभा की दोनों लडकिया बगल के पलंग में सोई हुई थी] सोभा लण्ड के झटके खाते खाते बार बार उठने लगती और अपने पति को अपनी तरफ खीचने की कोशिस करती तो उसका पति सोभा के टांगो को अपने कंधे पर रखकर सोभा के गाल और चुचियो को खिलाता और सोभा को फिर से लिटा देता फिर अचानक सोभा का पति जल्दी जल्दी झटके मारने लगा और सोभा के ऊपर लेट गया और सोभा के गालो को चूमने लगा पर सोभा अभी तक अपने चूतडो को ऊपर नीचे अगल बगल चकरी की तरह घुमाये जा रही थी इस तरह करीब 45 सेकण्ड तक सोभा ने किया फिर अपने पति को अपने ऊपर से उठा दिया और अपनी  दोनों टांगो को आपस में जोर से दबाते हुए पलट कर पेट की तरफ से लेट गई । सोभा पूर्ण रूप से स्खलित नहीं हुई । सोभा का पति अपना लण्ड निकाले खड़ा था,उसका लण्ड लंबा तो 7-8 इंच का है पर उसके जैसे ही दुबला पतला मरियल सा है जो अब सुसुक कर ज़रा सी  ऊँगली की तरह हो गया । कुछ देर में सोभा उठी और पति की तरफ नफरत से देखती हुई अपने कपडे पहन कर लाइट बंद कर सो गई ।
 सोभा इस तरह से अपने बेड में अकेले लेटी 
हुई थी मेरे रूम के दरवाजे की ओर देखते हुए

                अगले दिन फिर वही दिनचर्या सोभा का पति सुबह ड्यूटी चला गया ,उसके बच्चे स्कुल चले गए सोभा ने  आज जल्दी ही नहा लिया था ।  9 बजकर 45 मिनट पर मेरी पत्नी ऑफिस चली गई,अब  घर में सिर्फ मैं और सोभा बची, परणीता के जाते ही मैंने मेन गेट में ताला लगा दिया और कमरे के अंदर से सोभा के रूम तरफ झाँककर देखा तो सोभा अपने बेड पर सिर्फ ब्रा और पेंटी पहने हुए लेटी थी, मैंने सोभा को आवाज दिया ''सोभा काफी पिलाओगी क्या '' तो सोभा उधर से बोली ''हां'' तो मैंने कहा ''आ जाओ बना दो'' तो सोभा फिर से धीरे से बोली '' दरवाजा खोलिए '' तो मैंने फिर से कहा '' खुला हुआ है '' तो सोभा बोली ''ओ नहीं ये वाला दरवाजा खोलए ''  इतना कह कर बीच के दरवाजे को ठोका तो मैंने बीच का दरवाजा खोल दिया और सोभा अंदर आ गई । सोभा एक लाल रंग का गाउन पहन रखी थी । सोभा आते ही किचेन में घुस गई और 7  मिनट के अंदर ही एक बड़े कप में कोफ़ी भर कर लाइ और मेरे पास सोफे की टेबल के सामने रख दिया और जाने लगी तो मैंने सोभा का हाथ पकड़ कर बिठाने लगा तो बोली '' रुकिए किचेन में दूध को फ्रीज़ में रह दू फिर आती हु'' तब मैंने सोभा का हाथ छोड़ दिया और सोभा चली गई और किचेन में कुछ बर्तन को साफ़ करने लगी तो बर्तन की आवाज सुनकर मैंने सोभा को आवाज दिया तो सोभा आई तो मैंने सोभा को पास में बैठा लिया और बोला ''लो कॉफ़ी पियो'' तो सोभा भी मेरे कप में काफी पीने
लगी,पर ज्यादा काफी मैंने ही पिया सोभा तो तीन-चार बार ही चुस्की लिया टीवी देखते हुए 10 मिनट में कॉफी ख़त्म हो गई तो सोभा कप उठाने लगी तो मैंने सोभा को फिर से पकड़ कर सोफे में बैठा लिया और किस करते हुए चूची को दबा दिया तो सोभा हाथ छिटक कर दूर हो गई और बोली '' दरवाजा खुला है कोई देख लेगा तो'' तब मैं जल्दी से से उठा और दरवाजा को अंदर से लगा लिया और दौड़ कर आया और सोभा को गोद में उठा लिया  और किस करते हुए अपने बेड पर ले आया और लिटा दिया । और सोभा के पाँव की एड़ियो से किस करना सुरु किया तो किस करते करते सोभा के घुटनो तक पहुंच गया और गाउन को ऊपर की तरफ खिसकाया और जांघो को सहलाते हुए किस करने लगा , जांघो को सहलाते सहलाते सोभा को पेट की तरफ से लिटा दिया और सोभा की पूरी गाउन को कमर तक खिसका दिया और सोभा की जांघो को पीछे  लगा किस करने लगा धीरे धीरे सोभा की पूरी गाउन को सोभाके गर्दन तक खिसका दिया और पीठ के  एक एक हिस्से पर पर  किस करने लगा चिकनी मुलायम पीठ को चाटने लगा करीब 5 मिनट बाद सोभा अपना हाथ उठाया और मेरे मुह पर घुमाने लगी और फिर उठी  तो मेरे गालो को किस करने लगी तब मैंने सोभा के गाउन को उतारने लगा तो सोभा ने अपने दोनों हाथ को ऊपर उठा दिया तो मैंने गाउन को उतार दिया अब सोभा मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में बैठी थी, अब सोभा के मस्त मस्त बूब्स ब्रा के अंदर झाकने लगी तो मैं झुक कर चुचियो की घाटियों में ऊगली घुमाने लगा,सोभा की चुचिया ज़रा सा भी नहीं लटकी हुई थी आज भी उसकी चूची टाइट लग रही है, मैं झुककर चुचियो की घाटियों की बीच में जीभ घुमाने लगा । सोभा भी मेरे जिस्म पर हाथ घुमाने लगी कभी मेरी जांघो पर तो कभी मेरी पीठ पर हाथ घुमाने लगी तो मैं झुक कर ब्रा का हुक खोलने तो ब्रा ज्यादा
सोभा की चूची इस तरह से बिना लटकी हुई सेक्सी है
टाइट थी नहीं खुल रही थी तब सोभा अपने दोनों हाथो को पीछे तरफ किया तो ब्रा ढीली हुई तब  मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और सोभा की मदमस्त चूची आजाद हो गई ब्रा से ओह माई गॉड क्या मस्त मस्त चूची है ज़रा सी भी
नहीं लटकी हुई  है , ऐसा लगता है जैसे किसी कुवारी  लड़की की चूची हो जिसमे कभी किसी चुदक्कड़ ने हाथ नहीं लगाया हो, मैंने सोभा को बेड पर बिठा दिया दोनों हाथ पीछे रखकर और मैं घुटने के बल सोभा के सामने खड़ा होकर चुचियो को चूसने लगा तो सोभा की चुचिया मीठी मीठी लग रही थी तो मैंने सोभा से पूछा की ये मीठी क्यों है तो सोभा बोली ''रोज शहद लगाती हु '' तो मैंने पूछा ''क्यों'' तो हसने लगी और बोली ''ये शहद का ही कमाल है जो आज भी
सोभा को अपनी कखौरी चटवाना बहुत अच्छा लगता है
ऐसी है '' इतना कहकर फिर से हँसने लगी और झुककर मुझे किस कर लिया मैं चुचियो को चूसता रहा अब सोभा बार बार अपनी चुचियो को झटक कर अलग करती मेरे मुह से मैं समझ गया अब ये गर्म होने लगी है तब मैंने सोभा की पेंटी उतारने लगा तो सोभा खड़ी हो गई तो मैंने पैंटी उतार कर बगल में रख दिया और सोभा को वापस बेड पर बैठा दिया और दोनों टांगो को ऊपर करके सोभा की चूत को चाटने लगा ,सोभा की चूत क्लीन सेव थी ऐसा लगता है की आज ही क्लीन किया है । जब चूत चाटने लगा तो सोभा ने मेरा सर पकड़ कर रोकने लगी तो मैंने सोभा की तरफ देखा तो सोभा अपने हाथ को उठाया और कखौरी की तरफ चाटने का इसारा किया तो मैं समझ गया [अभी तक 5 ओरतो -लड़कियों को चोद चुका हु पर पहली बार किसी की ओरत ''कखौरी'' चाट रहा हु] और सोभा की
''कखौरी'' को चाटने लगा ,बिलकुल क्लीन थी ज़रा सा भी खुरदुराहट नहीं थी ऐसा लग रहा था जैसे गाल चाट रहा हु एक एक करके आरी बारी से दोनों काखुरियो को चाटने लगा सोभा के मुह से उ अ उअ ऊॅऊॅऊॅ ऊॅऊॅऊॅ ऊॅऊॅऊॅ  आआ आआ आह्ह आअहहाहअ जा  जा आ ज्जा आज्जाआज्जजज करते करते मेरे लण्ड को टटोलने लगी जो पहले से ही नाग की तरफ फन उठाये चढ्ढी के नीचे फड़फड़ा रहा था सोभा के हाथ स्पर्श पाते ही काटने को दौड़ने लगा । सोभा मेरे कड़क ,मोटे-लम्बे लण्ड को अपनी चूत  लिए उतावली हो गई और जल्दी से मेरा हाफ लोवर और चढ्ढी को खिसका कर नीचे कर दिया और मस्त मस्त लण्ड को किस कर लिया तो मैंने लण्ड को सोभा के होठो में घिसने लगा तो सोभा लण्ड को नंगा कर दिया [सुपाड़े की चमड़ी पीछे खिसका दिया] और सुपाड़े पर अपने जीभ घुमाने लगी,सोभा की जीभ के स्पर्श से लण्ड बुर में घुसने  बेताब हो गया मेरे तन बदन में आग सी भभकने लगी तब मैंने सोभा को बेड पर गिराते हुए मैं  भी बगल में लेट गया और सोभा  बाहो में भरते हुए अपने ऊपर लिटा लिया और सोभा के होठो को चूसने लगा फिर जीभ को चूसने लगा सोभा मेरी जीभ को पूरा अपने मुह के अंदर ले लेती और आपस में जीभ से जीभ लड़ाती, कुछ देर बाद मैंने सोभा की चुचियो को मुह में डालने लगा तो सोभा अपने दोनों हाथो को
सोभा की चूत में जैसे ही लण्ड घुसा दर्द के कारण इस तरह से मुह फाड़ लिया
बिस्तर में मेरे हाथ के बगल में टेक कर आधी उठ गई तो मैं चुचियो को चूसने लगा तो सोभा मेरे गालो को,माथे को,आँखों को ,भौ को किस करती और बालो पर हाथ घुमाती उधर मेरा लण्ड पुरे सबाब था ओ तो अपनी बिल में घुसने के लिए बेक़रार हो रहा था मैं मेरे लण्ड को बार बार सोभा की चूत  जाता थोड़ा सा टच करता  वापस हटा लेता  20-25 बार  ऐसा किया तो सोभा लण्ड को पकड़ कर चूत में घुसेड़ने लगी लण्ड का सुपाड़ा घुसते ही सोभा मुह से उउउ  उउ उउ उउउ आआअच आ आ आ आआह करते हुए लण्ड को बाहर की तरफ निकाल दिया और बोली ''बहुत मोटा है यार तकलीफ हो रही है '' इतना कहकर नीचे उत्तर गई मेरे ऊपर से और बगल में लेट गई और बोली ''आप डालो न'' तब मैं उठा और तेल की सीसी निकला और एक ढक्कन तेल निकाल कर कुछ अपने लण्ड में लगा लिया और कुछ सोभा की चूत में डाल दिया और चूत में चारो तरफ तेल लगा दिया और बड़े आराम से लण्ड को धीरे से सोभा की चूत में डालने लगा ,चूत में लण्ड खूब टाइट जा रहा था सोभा से पूछा की ''इतनी टाइट क्यों है'' तो सोभा बोली ''दोनों बच्चे आप्रेसन से हुए है और इनका इतना मोटा नहीं है
इस लिए ये फैली ही नहीं '' मैं सोभा को किस करते हुए ,चुचियो को चूसते हुए धीरे धीरे लण्ड का सुपाड़ा घुसा दिया तब सोभा के मुह से हलके से ऊऊऊ आआ ह्ह की आवाज निकली पर मेरा लण्ड तो मुलायम,रशीले  चूत में आराम करने और चूत का रस पीने को बेताब था घुसे हुए सुपाड़े के साथ हलके हलके धक्के मारने लगा मैं हर एक धक्के में लण्ड थोड़ा थोड़ा अन्दर घुसता जाता सोभा बड़े मादक अंदाज में अपनी आँखे आधी बंद कर लेती और मुह से उ आह आह करती  ....... क्रमसः 



सच्ची कहानी का सबसे मजेदार,मनोरंजक पार्ट तो  बाकी है फिर से आना रीड करने ..