Thursday, 29 May 2014

काली कलूटी पडोशन को चोदा

मेरे पडोश में  18 वर्षो से कोयले की तरह काली - कलूटी एक सुतार फेमली रहती है | उसी फेमली की एक ओरत जो करीब 38 साल के आसपास होगी देखने में तो ओ भी कोयले की तरह काली कलूटी है पर साली  ने अपना जिस्म बढ़िया मेंटेन कर रखी है, मस्त बड़े बड़े बूब्स जब बाँध कर निकलती है तो लगता है  देखता ही रहु उसका पेट इस उम्र में भी बाहर नहीं निकला हुआ है लम्बाई भी अच्छी खासी है उसको  10  साल का एक लड़का और 3 साल की एक लड़की भी है जबकि पति छोटा सा ठिगना सा है ओ इससे भी ज्यादा काला कलूटा है | मैं गोरा चिठ्ठा हैंडसम 42 साल का छ:फुटा हट्टा कट्टा जवान हु |  पडोशी होने के कारण संबन्ध खराब नहीं है पर एक दूसरे के घर भी आना जाना नहीं है | ये खूब बन ठन कर कही नौकरी करने जाती है सुबह सुबह 7 बजे  और कोई टैम्पू पकड़ कर चली जाती है मैं भी उसी समय मैं भी मेरे ऑफिस के लिए निकलता हु मैंने सुरु सुरु में तो उसे कोई भाव नहीं दिया पर जब ओ अभी तीन माह से रोज मुझे देखकर मुस्कुराती पर मैं इग्नोर करके निकल जाता क्योकि मुझे मेरी बीबी का डर जो है ,उसे कही पता चल जाए तोघर में झगडे सुरु हो जायेगे ये सोच कर उसे इंगनोर करता पर उसकी चूत तो मेरे लण्ड की प्यासी थी  इस लिए ओ मुझे लाइन मारती | एक दिन साम को 8 बजे वापस घर जाने लगा तो रास्ते में मिल गई और मुझे हाथ देकर रोक लिया और बोली ''मैं भी चलूगी आपके  साथ कोई टैम्पू  नहीं मिल रहा है अब '' तो मैं बोला ''टीक है चलो पर कालोनी में घुसने रोड में उतार दुगा'' तो बोली ''चलेगा'' और इतना कहकर उछल कर मेरी बाइक में बैठ गई अपनी बड़ी बड़ी चुचियो के हलके स्पर्श के साथ, मुझे  अजीब से
मेरी पड़ोसन का जिस्म ऐसा ही लगता है
मादककता  छा गई क्योकि मैं पहली बार मेरी बीबी के अलावा किसी और महिला की चुचियो का स्पर्श हुआ है, साम से समय भीड़-भाड़ ज्यादा होने से कई बार ब्रेक लगाना पड़ता जब जब ब्रेक लगाता तब तब ओ अपने शरीर का पूरा बजन मेरे पीठ पर करती तो उसकी चुचियो का पूरा पूरा स्पर्श होता , मैं रोमांचित हो जाता इस स्पर्श के साथ और जान बूझकर ज्यादा ब्रेक मारता इस तरह 10 मिनट में कालोनी की रोड तक पहुंच गया और सोना को बाइक से उतारते हुए कहा की अब यहाँ से पैदल चली जाओ तो सोना मेरे से बात करने लगी तो  मैंने उसे मना  और बोला  कोई देख लेगा हम दोनों को बाते करते तो मेरे पत्नी को  बता देगा तो झगडे  होगे घर में तो सोना बोली अपना मोबाइल नंबर तो दो मुझे तो मैंने सोना को मेरा विजटिंग कार्ड पकड़ा दिया और चला आया वहा से | उस दिन से सोना अधिकांसतः मेरे साथ साम को 8 बजे जाने लगी और मोबाइल पर बाते करने लगी धीरे धीरे ओ बातो में खूब खुल गई और अपने पति की चुदाई की बाते भी बड़ी बेसर्मी  बताती तरह करीब 5 माह निकल गए अब मेरी भी इच्छा  पड़ने लगी उसकी चूत को चोदने की, काली है तो क्या हुआ चोदने में तो मजा देगी  ये सोच कर मैं कदम को आगे बढ़ा दिया ओ तो पके हुए आम की तरह गोद में गिरने को तैयार हो गई ओ तो कब से मेरे से चुदना चाहती थी ओ अब फोन पर खूब गन्दी गन्दी बाते करने लगी | 9  मई 2014 के दिन साम के समय ओ 8 बजे मेरी बाइक पर  बैठी मैंने उसे  अँधेरे में एक सुनसान जगह पर ले गय और एक खाली सुनसान जगह पर एक पुलिया में बैठकर बाते करने लगा बाते करते करते मैंने सोना को किस कर करते हुए चूचियाँ दबा दिया , सोना की चुचिया कड़क लगी मुझे तो मैंने ब्लाउज के अंदर हाथ डालते हुए चुचियो को खिलाने लगा और एक हाथ  से सोना की जांघो को सहलाने लगा मेरा लण्ड खड़ा हो गया सोना मेरे पेंट के ऊपर से लण्ड पर हाथ घुमाने लगी और कुछ देर में ही पेंट की जिप को नीचे खिसका दिया और अंदर हाथ डाल कर लण्ड को पकड़ लिया और बोली '' ये तो बहुत मस्त और कड़क है यार'' इतना कहकर झुककर लण्ड को किस कर लिया
सोना मेरे लण्ड के साथ अँधेरे में खेलती रही मैं सोना की चूचियो को दबाता रहा इतने में अचानक एक बाइक वाला निकला जिसकी बाइक की  हेड लाइट हम दोनों पर पड़ी तो हम दोनों जल्दी से उठ गए और मैंने जल्दी से पेंट की जिप बंद किया और दोनों बाइक पर बैठ कर वहा से निकल लिए रस्ते में सोना को बोला की कल बताउगा कैसे और कहा मिले फिर सोना को रोड पर उतार कर घर चला गया कुछ देर में सोना  घर के बाहर ही खड़ा था,सोना मेरी तरफ तिरक्षी नजर से देखते हुए हलकी से मुस्कान बिखेर दिया और चली अपने घर के अंदर | उसी दिन मैं शाम को खाना खाने के बाद रोड में अकेले ही घूम रहा था उसी समय सोना का फोन आया और बोली ''अकेले अकेले घूम  रहे हो ,भाभी को साथ नहीं लिया क्या'' तो मैंने पलट कर पूछ लिया ''तुम्हे कैसे पता की मैं अकेला हु '' तो बोली '' पीछे पलटिये और देखिये '' तो मैं पीछे पलट  कर देखा तो सोना एक गाउन पहनकर कुछ ही दूर खड़ी मुस्कुरा रही थी और बाते करते करते मेरे पास आ गई तो मैंने बोला '' कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा '' तो बोली ''इतना क्यों डरते हो भाभी से '' तो मैंने बोला '' डरू नहीं तो क्या करू '' तो बोली ''इतना नहीं डरना है बीबी से  '' और  हँसने  लगी तो मैंने सोना को कालोनी के सुनसान जगह तरफ इसारा किया और बोला ''सोना तुम उधर जाओ मैं आता हु कुछ देर में '' तो सोना अँधेरे में सुनसान रोड में खेतो की तरफ करीब आधा किलोमीटर दूर चली गई मैं भी कुछ देर में सोना के पास पहुंच गया सुनसान जगह पर जहा पर किसी के आने की कोई संभावना नहीं है मैं वहा पर एक पेड़ की ओलट में जाकर पेड़ के मोटे तने से टिक कर बैठ गया सोना भी मेरे पास आकर बैठ गई और दोनों एक दूसरे से चिपक गए और प्यार करने लगे, सोना  गाउन पहन रखी थी  गाउन के नीचे ब्रा और पेंटी पहन रखी और एक बड़ा सा दुपट्टा ओढ़
सोना की चूचियाँ ऐसी ही बड़ी बड़ी है
रखी थी. मैंने सोना की गाउन की बटन खोल दिया और पीछे से ब्रा के हुक भी खोल दिया और सोना की चुचियो को मसलने लगा और गाउन को जांघो के ऊपर खिसका दिया और जांघो को सहलाने लगा इधर सोना मेरी चढ्ढि के अंदर हाथ डालकर मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी , मेरा 9 इंची लंबा और खूब मोटा लण्ड तनतना कर खड़ा हो गया मैंने सोना के पेंटी को उतार कर टांगो को फैला दिया और झुककर सोना की चूत को चाटने लगा ,सोना अपनी चूत में कोई क्रीम लगा रही थी चूत से खुसबू आ रही थी, चूत में छोटे छोटे बाल थे ऐसा लगता है जैसे सोना ने  15 दिन पहले बालो को साफ़ किया था,  मुस्किल से 3 मिनट की चूत चटाई में सोना के
सोना  इस तरह से मेरे लण्ड को घुसेड कर चुदवाने लगी
मुह से उ उउउ उ उ उ उॅहहहह आह्ह्ह आह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह सी अस् स्स सस्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स की आवाज करने करने लगी और मेरे लण्ड को मरोड़ने लगी अपने हाथो से तो मैंने मेरी टांगो को फैला कर पेड़ के सहारे बैठ गया और सोना से बोला की गाउन उतार दो तो बोली कोई आ नहीं जाए तो मैंने कहा टीक है गाउन ऊपर कर लो तब सोना गाउन ऊपर करके मेरी तरफ घूमते हुए लण्ड को घुसेड़ लिया और मेरी जांघो पर अपने घुटने मोड़ कर बैठ गई और अपने चूतडो को मेरी जांघो पर चकरी की तरह घुमाने लगी तो मैं सोना की बड़ी बड़ी चुचियो को मसलने लगा  हाथो से और चुचियो को चूसने लगा जोर जोर से तो सोना की चुचियो से दूध निकलने लगा [सोना की बेटी अभी 3 साल की ही है और अभी भी उसे दूध पिलाती है] सोना का दूध मेरे  को अच्छा लगने लगा मैं सोना का दूध जैसे जैसे पीने लगा सोना  उत्तेजित होकर मेरे लण्ड पर कूदने लगे जोर जोर से मैं सोना का दूध पीता रहा सोना  रही कुछ देर में सोना के गाउन बार बार नीचे की तरफ खिसकने लगी तो मैंने सोना की  उतार दिया और सोना एकदम से नंगी हो गई 4-5 मिनट की चुदाई में सोना थक गई तो मैंने सोना की गाउन और उसकी चुन्नी को जमीन पर बिछा दिया और सोना को पीठ बल लिटा दिया और अँधेरे में सोना के ऊपर चढ़ कर चुदाई करने लगा मेरे एक एक झटके  सोना 
उ उउउ उ उ उ उॅहहहह आह्ह्ह आह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह सी अस् स्स सस्स्
सोना को घोड़ी बनाकर तरह से चुदाई किया
स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्
उ उउउ उ उ उ उॅहहहह आह्ह्ह आह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह सी अस् स्स सस्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् उ उउउ उ उ उ उॅहहहह आह्ह्ह आह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह सी अस् स्स सस्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् उ उउउ उ उ उ उॅहहहह आह्ह्ह आह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह सी अस् स्स सस्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् उ उउउ उ उ उ उॅहहहह आह्ह्ह आह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह सी अस् स्स सस्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् उ उउउ उ उ उ उॅहहहह आह्ह्ह आह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह सी अस् स्स सस्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स् की आवाज करने लगी  जोर जोर से मैं पूरी ताकत से सोना की चूत में झटके मारने लगा तो सोना अपनी दोनों टांगो को मेरे चूतडो पर रखकर जोर से कस लिया इससे मेरा झटका मारना रुक गया  मैं धीरे धीरे झटके मारते रहा इतने में सोना की जांघो पकड़ कमजोर पड़ गई  और सोना स्खलित हो गई परमैं अभी तक स्खलित  नहीं हुआ तो सोना को घोड़ी बनाकर चोदने लगा बार बार सोना  चूतडो पर मारता अँधेरे में फट फट आवाज गुजती और 3 मिनट में ही मैं झर गया दोनों जल्दी से उठे अपने अपने कपडे पहना और अलग अलग रास्ते से रोड के उजाले में आ गए | सोना के गाल में और मेरे घुटनो मिटटी लगी थी मैंने सोना की और अपने घुटनो की मिटटी साफ़ किया और अलग अलग रस्ते से घर चले गए | अगले दिन दोपहर में 12 सोना ने किया और बेसर्मी  बाते करने लगी बोली ''मजा नहीं आया यार'' मैंने बोला ''हां मजा तो नहीं आया'' तो सोना बोली ''आपको मजा क्यों नहीं आया'' तो मैंने बोला ''जब तक उजाले में तुम्हारे जिस्म को नहीं देखू तब  आता '' तो सोना बोली ''चलिए कही बाहर चलते है '' तो मैंने कहा की ''चलो कल चलते है कही '' तो सोना बोली'' कल नहीं ये {पति का नाम लिया} तीन दिन बाद बाहर जा रहे है तब चलूगी आराम से '' तो मैंने कहा ''टीक है'' और तीन दिन बाद 14 मई 2014 को बुधवार के दिन सुबह 7 बजे दोनों एक जगह पर मिल गए और दोनों अपने अपने मुह को ढक लिए और बाइक में बैठकर पास के ही 50 KM दूर एक शहर के लिए निकल लिए रस्ते भर खूब बाते करते हुए सोना रस्ते भर चिपक कर बैठी रही, सोना बार बार कहती ''आज का दिन यादगार बना दो यार'' मैं समझ गया सोना आज भरपूर चुदाई करवाना चाहती है इसलिए रास्ते में ही एक हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से वियाग्रा का एक पैकेट और कोहिनूर कंडोम  पैकेट खरीद लिया और रस्ते में गन्ने के जूस की दूकान में टाइलेट करते समय एक वियग्रा की टेबलेट खा लिया था फिर गन्ने का जुस ले लिया और दूकान से निकल लिए करीब
8.50  सुबह पर पहुंच गए और एक अच्छे से AC होटल में रुक गए | होटल  जाते ही नास्ता मँगवाया दोनों नास्ता किया तब तक साढ़े नौ बज गए वियाग्रा असर से मेरा लण्ड तनतना कर खड़ा होने लगा तब मैंने सोना को बोला ''मैं नहा लू जानू '' तो सोना बोली '' पहले मैं नहाऊगी '' तो मैंने कहा ''ठीक है तुम नहा लो पहले मैं बाद में नहा लूगा'' इतना कहने  सोना अपनी साड़ी को उतार कर सोफे में रख दिया और अंदर जाने लगी तो मैंने टोक दिया ''बाकी कपडे गीला करोगी क्या '' तो सोना बोली 'नहीं'तो मैंने कहा सभी उतार ढोकर जाओ तो सोना अपना ब्लाउज ,पेटीकोट भी उतार कर ब्रा-पेंटी के बाथरूम घुस गई  नल से पानी गिरने की आवाज आने लगी |  सोना मुस्किल से 3 मिनट नहाईं होगी की मैं भी बाथरुम में कंडोम साथ लेकर घुस गया पहले तो सोना सरमाई पर बाद में बोली ''आओ जानू नहला दो तबियत से '' और फिर मैंने सोना के वदन के एक एक हिस्से में डव साबुन लगा-लगा कर एक एक अंग को चिकना कर करके सोना के चिकने वदन की मालिस करने लगा, मालिस करते करते सोना की बड़ी बड़ी चुचियो पर साबुन लगा कर चुचियो को खिलाने लगा तो सोना  गर्म होने लगी चुदाई के लिए और मेरे लण्ड में साबुन लगा कर लण्ड  खिलाने लगी मेरा लण्ड तो पहले  से ही खड़ा था सोना का हाथ लगते  ही  काले नाग की तरफ फन निकाल कर खड़ा हो गया, सोना बार बार लण्ड को खीचने लगी सावर चालु कर दिया और दोनों के वदन साबुन बहने लगा हम दोनों के जिस्म से साबुन निकल गया  तो मैंने सोना को वही बाथरूम में ही बैठा दिया और सावर को हलके हलके चालु कर दिया पानी की रिमझिम रिमझिम बरसात होने लगी दोनों के ऊपर मैंने सोना की दोनों टांगो को फैला कर पकड़ा और अपनी तरफ खीच लिया मैं भी अपनी टांगो को फैलाया और सोना की चूत के पास लण्ड ले गया तो सोना आगे होकर अपने चूतडो को आगे खिसकाया और लण्ड  को डालने लगी तो मैंने वोला रुको कंडोम लगा लेता हु और फिर कंडोम को लण्ड के  चढ़ाया और सोना के चूत लंड किया तो सोना अपनी
सोना को इस तरह से बाथरूम में चोद दिया
चिकनी चूत को लण्ड के पास लाइ और गप्प से मेरे पुरे लण्ड को लील गई [सोना की चूत बहुत ढीली है] तब मैं सोना की दोनों टांगो को पकड़ा और वाथरूम की चिकनी फर्श में सोना के चूतड़ो को आगे पीछे करने लगा तो सोना अपने दोनों हाथो को फर्स पर रख लिया और अपने चूतडो को मेरे लंड पर टकराने लगी, लगातार ३-४ मिनट तक चूत को मेरे लंड पर पटकती रही कुछ देर में  कोमोड कर बैठ गया और सोना की दोनों टांगो को पकड़ कर कमर में हाथ रखते हुए अपने लण्ड से सटा लिया सोना ने अपने दोनो  हाथ को फर्स टिका लिया और सावर के रिमझिम बर्षा  साथ साथ मेरे लण्ड के ठोकरों की बरसात सुरु कर दिया सोना की चूत में लण्ड के एक एक प्रहार में सोना आ आह आ हह आह आह आह आआ आ उइमां उइमां आक आक आआ की आवाज निकालने लगी जोर जोर से और बार बार बोलती और जोर और  जोर  मारो झटके स्वर्ग दिखाई दे रहा है और जोर जोर से अपने चूतडो को हिलाती .............
क्रमसः 



.......अभी सत्य कहानी अधूरी है  

Monday, 19 May 2014

करके चिकनी जांघें चौड़ा,दबा-दबा के बूब्स मरोड़ा


करके चिकनी जांघें चौड़ा,
दबा-दबा के बूब्स मरोड़ा,
कसी चूत में डाला लौंड़ा,
सील बन गयी राह का रोड़ा.
लण्ड घुसा ज्यों थोड़ा-थोड़ा,
चूत बन गयी मस्त पकौड़ा,
लण्ड हुआ फिर गरम हथौड़ा.
चोट मार के सील को तोड़ा.
मींज-मींज के बूब्स का जोड़ा,
मसल-मसल के चूतर थोड़ा,
लण्ड हो गया जैसे घोड़ा,
दे दनादन दौड़ा दौड़ा.
जोर-जोर से लण्ड घुसेड़ा,
चूत कुँवारी लौंड़ा तगड़ा,
पेला चोदा चूत को रगड़ा,
लण्ड-चूत ने पानी छोड़ा




Tuesday, 13 May 2014

चचेरी भाभी को जबरजस्ती चोद दिया

भाभी  का फेस ऐसा ही है
 मेरा नाम रोहित सिंह है मैं सूरत में  जॉब करता हु , गाँव में मेरा एक दोस्त है सज्जन पटेल, सज्जन नाम से ही सज्जन है पर ओ है बहुत बड़ा दुर्जन | अभी मैं गाँव गया तो सज्जन ने अपनी भाभी के बलात्कार करनकी बात बताई जो  इस तरह से है | 


आगे सज्जन की जुबानी ------------>

मेरे बड़े ताऊ के लड़के दिल्ली में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है उनकी बीबी (मेरी चचेरी भाभी) गाँव आई हुई थी, उनके पास सामान ज्यादा था तो मुझे बोली ट्रेन में बैठा दो लल्ला जी तो मैंने बोला  बैठा दुगा | फिर मैं 11 अप्रैल 2014 को भाभी का सामान पैक करके एक प्राइवेट कार से  निकल लिए दोपहर को 12  बजे और 2  बजे शहर में भाभी की बहन के घर पहुंच | [गर्मी का महीना था खूब गर्मी पड़ रही थी ] 
गया, भाभी की बहन ने खूब आव भगत किया मेरा [रिश्ते में जीजा जो ठहरा] साम को 6 बजे भाभी की बहन का गाव से फोन आया कुछ जरुरी काम था तो ओ दोनों गाँव चले गए उनके बच्चे पहले से ही गाँव में थे अब घर में मैं और मेरी भाभी बची | मेरी भाभी की उम्र 30 के आसपास होगी , गोरी चिठ्ठी गठीला वदन , बड़े बड़े बोबे ,भारी भरे बड़े बड़े लाल टमाटर की तरह सुर्ख गुलाबी गाल ऐसे की छू  निकल जाए | 5 फिट 3 इंच के लगभग लम्बाई और मैं भाभी से 5 साल छोटा गांव का कसरती दूध -घी खाया मजबूत वदन करीब 5 फिट 10 इंच लंबा सावला
सिर्फ पेटी कोट और ब्लाउज में भाभी को देखा 
रंग | भाभी ज्यादा हसी मजाक नहीं करती और घमंडी स्वभाव की है भाभी को अपने पति [ ताऊ जी के लड़के मेरे बड़े भाई] की सेलरी का ठसका [घमंड] कुछ ज्यादा ही है , हम गाँव वालो को कुछ समझती ही नहीं कहती है की तुम लोग जितना साल भर में कमाते हो उतना तो मैं दो महीने में खर्च कर देती हु, भाभी की सैक्सी जिस्म देखकर कई बार ललचाया हु, एक बार भाभी अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तब मैं गलती से भाभी के कमरे में घुस गया था तब भाभी को सिर्फ पेटी कोट और ब्लाउज में देख लिया था तबसे भाभी को चोदने का मन करता था पर मौका नहीं मिल रहा था पर आज मौका मिल गया | 

 
          साम के 7 बज गए भाभी को बोला की ''भाभी जी प्यास लगी है प्यास बुझाओ'' तो बोली '' क्यों मेरी देवरानी प्यास नहीं बुझाती क्या '' तो मैं हस्ते हुए बोला '' ओ तो बुझाती है आज आप बुझा दो '' तो भाभी हसने लगी और फ्रीज़ से पानी की बोतल निकाली और सर्बत बनाने लगी और द्विअर्थी संवाद में बाते करने लगी हसी मजाक की तो मेरा मन बढ़ गया तब तक भाभी एक गिलास में सरबत  लेकर आई तो मैं भाभी के हाथ को छूते हुए गिलास पकड़ा तो भाभी के हाथ के स्पर्श से करेंट सा लगा और मैं जानबूझकर गिलास छोड़ दिया तो काँच गिलास फर्श पर गिरा और टूट गया तब भाभी दूसरा गिलास दिया और कांच के टुकड़े को समेटने लगी तो भाभी की चुचियो के हलके से दर्शन हुए मस्त टाइट चुचिया है भाभी की, टूटी गिलास को रखने के बाद भाभी मेरे पास ही सामने सोफे में बैठकर सर्बत पीने लगी,भाभी के गाउन से भाभी की बड़ी बड़ी टाइट चूची को मैं देखने लगा तो भाभी सरमा कर कमरे से चली गई और जाते जाते बोली मैं नहाने जा रही हु गर्मी बहुत है , आप अभी यही रहना टीवी देखना तो मैं कुछ नहीं कहा और हलके से मुस्कुरा
भाभी इस तरह के कपडे में बाथरूम से बाहर निकली
दिया कुछ देर में बाथरूम से नहाने के आवाज आने लगी तो मैं चुपचाप बाथरूम के बाहर लगा  नल का बाल्व  बंद कर दिया तो भाभी ने आवाज दिया '' लल्ला पानी ख़त्म हो गया टंकी का दो बाल्टी पानी रख दो '' तो मैं बोला ''ठीक  है भाभी'' और दूसरे नल से पानी भर के बाथरूम के सामने रख दिया और बोला दिया की पानी रखा हुआ है तो भाभी बोलती है '' आप यहाँ से जाइए '' तो मैं बोला '' भाभी मैं पहले ही चला आया वहा से '' तो भाभी बाथरूम से बाहर निकली और पानी की बाल्टी लेने लगी , मैं अपने रूम के दरवाजे के ओलट में [जो वाथरूम के टीक सामने है] छिपकर भाभी को देखने लगा,भाभी गीले पेटीकोट और ब्रा में थी , मैं

भाभी की चुचिया 100  टका ऐसी ही है
भाभी को इस हालत में देख कर अपना आपा खो दिया ऐसा लगने लगा की घुस जाओ बाथरूम में और वही भाभी को पटक कर चोदने लगु पर हिम्मत नहीं पडी और चुपचाप भाभी को नहाते हुए देखता रहा  कुछ देर में भाभी बाथरूम से टॉवेल लगाकर निकली जिसमे भाभी की चिकनी जांघे और चिकनी पीठ दिखाई दे रही थी , भाभी बैडरूम में घुस गई और सभी खिड़की दरवाजे लगा कर [ पर अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो मैं चुपचाप खिड़की के छेद में से भाभी को देखने लग्गा] अपने सेक्सी जिस्म को टॉवेल से पोछने लगी,अब भाभी एकदम से नंगी थी उनकी टाइट चुचिया ऐसी थी जैसे इस फोटो में है | भाभी नंगी होकर ड्रेसिंगः टेबल के सामने खड़ी हो कर पुरे वदन में कोई क्रीम मसलने लगी ,[भाभी को  ये नहीं पता की मैं उन्हें देख रहा हु] क्रीम लगाने के बाद भाभी बेड पर पालथी मार कर बैठ गई और क्रीम को सुखाने लगी फिर एक और कोई क्रीम निकला और  बूब्स पर लगा बूब्स को ऊपर की तरफ मालिश करने लगी मैं ये सब देख रहा था मेरा लण्ड फन फना कर खड़ा हो गया कुछ देर बूब्स को मालिश करने के बाद भाभी उठी और ब्रा -पेंटी पहन कर एक गाउन पहन कर निकली पर मैं वहा से हट नहीं पाया और भाभी ने मुझे देख लिया और बोली ''क्या देख रहो हो लल्ला'' तब मैं सर्मिन्दा हो गया और कुछ नहीं बोला , तब भाभी फिर से बोली '' बहुत गलत है इस तरह से किसी को देखना '' तब मैं बोला ''भाभी अभी अभी तो आया हु '' तो भाभी बोली क्या क्या देख लिया तब मैंने बोला '' सब कुछ देख लिया आपका '' तो भाभी नाराज पड़ कर किचेन में चली गई और खाना बनाने लगी मैं सरम के मारे भाभी के पास नहीं गया और टीवी देखने लगा फिर साम को खाना दिया और मैं खाना खाकर एक दूसरे कमरे में सोने चला गया भाभी अपने बहन की बैडरूम में सो गई दरवाजा लगाकर, रात में 1 बजे मैं उठा और खिड़की से झाक कर देखा तो भाभी सिर्फ ब्रा और पेंटी में सोई हुई थी, अब मेरे सैतान मन ने ठान लिया की भाभी को आज चोदता हु देखेगे बाद में जो होगा और मन कठ्ठा करके भाभी के दरवाजे को खोला तो नहीं खुला तब खिड़की में से हाथ डाल कर दरवाजे की सिटकनी खोल दिया और भाभी के बगल में लेट गया,भाभी गहरी नींद में थी, मैं भाभी की जांघो  को सहलाने लगा तो उनकी नींद खुल गई  और ओ हड़बड़ा कर उठकर बैठ गई और जोर से डाटते हुए बोली '' क्या कर रहे हो , जाओ आपने कमरे में '' तो मैं भाभी के मुह को पकड़कर दबा दिया और बोला '' धीरे से बोलो'' तो भाभी ने मुझे धक्का देकर बिस्तर से नीचे गिराने लगी तब मैं भाभी के दोनों हाथ को एक दुपट्टे से बाँध दिया और बोला '' भाभी सिर्फ एक बार करवा लो '' तो भाभी बोली ''नहीं लल्ला जी ये गलत है आप गलत कर रहे हो मेरे साथ'' तो मैंने बोला ''भाभी मैं गलत कर रहा हु पता है मुझे पर आज एक बार करवा लो बस इसके बाद आपको कभी छुऊगा  नहीं '' तोभाभी फिर से बोली ''नहीं मैं नहीं करने दुगी'' तो मैं बोला ''भाभी आप नहीं करने दोगी तो मैं आज जबरजस्ती करुगा आपके साथ '' तो भाभी बोली ''आपके भैया को और काका साहब [मेरे पापा को काका साहब कहती है भाभी] को बता दुगी आपके ये हरकत '' तो मैंने बोला आपको जो  बताना हो बता देना पर आज नहीं मानुगा '' और इतना कहकर भाभी के दोनों हाथ को पकड़ लिया और किस करने लगा भाभी
भाभी इस तरह से ब्रा और पेंटी में सोई हुई थी
बार बार कह रही थी '' मैं रिपोर्ट लिखा दुगी आपको जेल भेज दुगी '' मैंने बोला ''सुबह फ़ासी में चढ़ा देना पर आज किये बिना नहीं मानुगा'' मेरे ऊपर जैसे   सैतान सवार हो गया मैं कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था भाभी के दोनों बँधे हुए हाथो को  अपने एक हाथ से पकड़ कर पेंटी को निकाल दिया तो भाभी अपनी दोनों टांगो को आपस में जोड़ कर बिस्तर में पेट की तरफ से 
लेट गई तो मैं भाभी की चूतडो  पर पर हाथ घुमाने लगा और ब्रा का हुक खोल दिया, चूतडो के बीच में चूत में एक ऊँगली डाल कर चूत को सहलाने लगा तब भाभी और जोर से अपनी टांगो को आपस में जोड़ लिया और चिल्लाने लगी मुझे गाली देने लगी मैं उनकी गाली को परवाह किये बिना उनकी चूत को सहलाता रहा इतने में भाभी जल्दी से पलटी मार कर पीठ की तरफ से लेट गई और अपनी टांगो को एक दूसरे के ऊपर चढ़ा लिया तो मैंने एक हाथ से उनके बंधे हुए दोनों हाथों को पकड़ा और दूसरे हाथ से उनकी जांघो को फैला दिया और चूत को चाटने लगा भाभी बार बार आपने टांगो को आपस में जोड़ती पर मैं मजबूत हाथ से उनकी टांगो को फैला देता और चूत को चाटने लगता इस तरह से छीना झपटी में भाभी थक गई तो मैं उनके सुन्दर सेक्सी गोलाई लिए हुए बिना लटके टाइट  चुचियो पर हाथ घुमाने लगा चुचियो की निप्पल को जीभ से चाटने लगा अब उनका बिरोध कम हो गया तो मैं भाभी की चूत को फिर से चाटने लगा 3 मिनट तक चूत को चाटते चाटते भाभी की चूत से पानी आने लगा उनकी चुचियो की निप्पल टाइट पड़ गई मैं समझ गया भाभी भी गर्म पड़ चुकी है तब मैंने गाँव का सुद्ध दूध-घी खाया मोटा और
15-20 बार लण्ड के झटके खाने के बाद भाभी  इस तरह से  मेरी तरफ देखी और बोली ''लल्ला हाथ खोल दो''
तगड़ा लण्ड भाभी की चूत में पेलने लगा तो भाभी फिर से अपनी दोनों टांगो को आपस में जोड़ने लगी तो मैंने 
दोनों हाथो से टांगो को फैला कर पकडे रहा और धीरे से अपना लण्ड घुसेड़ दिया और लण्ड आगे पीछे करने लगा 15-20 बार लण्ड के झटके खाने के बाद भाभी का  फेस बदलने लगा भाभी मेरी तरफ मदहोश नजरो से देखने लगी क्योकि भाभी को चुदाई में  मजा आने लगा भाभी बहुत मादक अंदाज और नशीली आवाज में लड़खड़ाते हुए बोली '' लल्ला मेरा हाथ खोल दो दर्द कर रहा है '' तब मैंने भाभी से कहा की ''नहीं आप मरोगी मुझे '' तो भाभी बोली '' नहीं मारुंगी '' तब मैंने बोला ''पक्का नहीं मारोगी '' तब भाभी बोली ''आपकी कसम नहीं मारुंगी'' तब मैंने भाभी के बंधे हुए हाथो को खोल दिया जैसे ही हाथ खोला भाभी ने  जोर से मुझे पकड़ा और
भाभी के ऊपर इस तरह से लेट कर खूब चोदा, भाभी खुस हो गई और रात में 4 बार चुदवाया उनकी ट्रेन छूट गई इस चुदाई में
चिपक गई मुझे किस करने लगी, मेरी तो मुह मांगी मुराद पूरी हो गई , मैं भाभी की रशीले होठो को चूसने लगा उनकी जीभ को चूसते हुए झटके मारने लगा तब भाभी ने एक तकिया दिया और बोली ''इसे मेरी कमर के नीचे रख दो लल्ला'' और इतना कहकर भाभी ने अपने चूतडो को ऊपर उठाया तो मैंने तकिया [पिलो] को भाभी के कमर और चूतडो के नीचे रख दिया तो भाभी की चूत ऊपर की तरफ उठ गई और मैं भाभी के ऊपर लेट कर दे दना दन 
दे दना दन दे दना दन दे दना दन दे दना दन दे दना दन दे दना दन लण्ड के झटके मारने लगा भाभी बड़े प्यार से एक एक झटके में स्वर्ग का सैर करने लगी भाभी के मुह से अब उउउ आए आआअ आह आह आह आह्हा आःह्हाआ  आह्ह्हा आसासा आए आआआआआआआआ उउउउउउउउउउउउउउउ सासासासासा आह आह उउउउ उहुहुहुहुह उहुहुयह्यह्यह्यः हाहाहाहाहा आ आ आ अ अहहहः आकश आकश आ आ आ जोर जोर से करने लगी मैं लगातार भाभी के खेत [बुर] की जुताई खूब तबियत से कर रहा था भाभी बीच बीच में
भाभी ने पलटी मार कर खूब चुदवाया
झटके मारना कम कर देता तो भाभी तड़प कर मेरे चूतडो को पकड़ कर अपने हाथो से आगे पीछे करने लगती तब मैंने भाभी को हलके से पलटा कर उनकी एक टांग को ऊपर की तरफ उठा लिया और चूत की पूरी गहराई तक लण्ड को बार बार पेलता और निकालता भाभी अपने होठो को बार बार चबाती और मुह से
उउउउउउउउ सासासासासा आह आह उउउउ उहुहुहुहुह उहुहुयह्यह्यह्यः हाहाहाहाहा आ आ आवाज निकलती  मेरे सीने पर अपना हाथ घुमाती 15 मिनट तक लगातार झटके खाने के बाद भाभी अचानक फिर से पीठ की तरफ से लेट गई मैं फिर से भाभी के ऊपर लेट कर और जोर जोर से झटके मारने लगा रात के सन्नाटे में कमरे में फट फट की आवाज गुजने लगी भाभी ने अपनी चूत को कसकर दबाने लगी मेरा लण्ड एकदम से टाइट जाने लगा उनकी चूत में और भाभी अचानक सिथिल पड़ गई मैं समझ गया ये झर चुकी है तब मैंने जल्दी जल्दी 20-30 झटके मारा और वीर्य को भाभी की बुर में उड़ेल दिया और हाँफते हुए भाभी के ऊपर लेट गया करीब 3 मिनट तक लेटे  रहते के बाद
भाभी केब्रा का हुक लगाया
मैं उठ गया भाभी के ऊपर से तब भाभी अपने चद्दर से मुह को ढाक कर सिसकने लगी और रट हुए कहने लगी '' ये क्या किया लल्ला आपके भैया को कैसे मुह दिखाओगी '' तब मैंने भाभी के बड़े प्यार से अपने गोद में उठकर लिटा लिया और प्यार से गाल पर हाथ घुमाने लगा कुछ देर में भाभी का रोना बंद हो गया और ओ उठकर अपनी ब्रा और पेंटी पहनने लगीतो उनके हाथ काँप रहे थे ब्रा का हुक नहीं लग रहा था तो मैंने ब्रा का हुक लगा दिया और पीठ को चूमने लगा तो भाभी ने धक्का देकर मुझे लगा कर दिया और बोली '' आपने ये ठीक नहीं किया लल्ला '' तो मैंने भाभी के कदमो में अपना सर रख दिया और बोला ''माफ़ कर दो भाभी गलती हो गई '' तो भाभी कुछ नहीं बोली और उठकर बाथरूम चली गई और आकर लेट गई बेड पर और बोली ''अब आप जाओ इस कमरे से'' तो मैंने बोला ''नहीं भाभी अभी मन नहीं भरा '' तो भाभी बोली ''जान लोगे क्या मेरी, अब नहीं मैं बहुत थक गई हु'' तब मैंने बोला ''टीक है आराम कर लो दो घंटे बाद करवा लेना फिर से '' तो भाभी बोली ''देखूँगी'' तब मैं उठकर पेसाब करने चला गया लौट कर आया तो देखा की रूम के दरवाजे को अंदर से लगा लिया है मैंने कई बार बोला पर भाभी ने दरवाजा नहीं खोला तब मैं बगल के रूम में जाकर सो गया घड़ी में उस समय 2 बजकर 15 मिनट हो गए थे मुझे नींद नहीं आ रही थी तब मैं 3 बजे फिर से भाभी के रूम के दरवाजे को खटखटाया तो भाभी उठी और दरवाजा खोल दिया मैं भाभी से चिपक गया और फिर से तैयार कर लिया भाभी को और फिर से जबरजस्त चुदाई किया भाभी की फिर दोनों सो गए एक साथ सुबह 7 बजे नींद खुली भाभी की ट्रेन सुबह 6 बजे थी जो जा चुकी होगी , जब भाभी की नींद खुली तो मेरे ऊपर बहुत गुस्सा हुई और बोली '' आप जाओ और फिर से रिजर्वेसन कराओ सेकण्ड AC का '' तो मैंने कहा ''टीक है'' और सुबह 10.30 पर जाकर तत्काल का टिकट करवाया | 


 
भाभी  ऐसी ही लगती है
  भाभी की बहन गाँव से नहीं आई उस दिन भी तब रात में फिर से दो बार चोदा भाभी को और अगले दिन भाभी को ट्रेन में बिठा दिया और आते समय भाभी का मोबाइल नंबर लिया वा पाँव छूकर आ गया | तीन दिन बाद भाभी से बात किया तो भाभी खुस थी मैंने रात की याद दिलाया तो बोली बहुत बेसरम मत बनो तो मैंने भाभी से पूछा की भाभी मजा आया था की नहीं तो भाभी पहले सरमाई फिर बोली '' हां '' और फोन काट दिया | अभी तक कई बार भाभी से बात कर चुका हु भाभी मुझे दिल्ली आने का निमत्रण भी दे चुकी है सोच रहा हु की दिल्ली जाकर भाभी की फिर से चुदाई करू | 


                 

Sunday, 11 May 2014

धीरे धीरे रण्डी बनती जा रही हूँ

मैं  ऐसी ही हु 

[एक औरत ने मेल किया अपनी आप बीती ]

मेरी शादी हुए करीब दस साल हो गये थे। इन दस सालों में मैं अपने पति से ही तन का सुख प्राप्त करती थी। उन्हें अब डायबिटीज हो गई थी और काफ़ी बढ़ भी गई थी। इसी कारण से उन्हें एक बार हृदयघात भी हो चुका था। अब तो उनकी यह हालत हो गई थी कि उनके लण्ड की कसावट भी ढीली होने लगी थी। लण्ड का कड़कपन भी नहीं रहा था। उनका शिश्न में बहुत शिथिलता आ गई थी। वैसे भी जब वो मुझे चोदने की कोशिश करते थे तो उनकी सांस फ़ूल जाती थी, और धड़कन बढ़ जाती थी। अब धीरे धीरे रणवीर से मेरा शारीरिक सम्बन्ध भी समाप्त होने लगा था। पर अभी मैं तो अपनी भरपूर जवानी पर थी, 35 साल की हो रही थी।

जब से मुझे यह महसूस होने लगा कि मेरे पति मुझे चोदने के लायक नहीं रहे तो मुझ पर एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव होने लगा। मेरी चुदाई की इच्छा बढ़ने लगी थी। रातों को मैं वासना से तड़पने लगी थी। रणवीर को यह पता था पर मजबूर था। मैं उनका लण्ड पकड़ कर खूब हिलाती थी और ढीले लण्ड पर मुठ भी मारती थी, पर उससे तो उनका वीर्य स्खलित हो जाया करता था पर मैं तो प्यासी रह जाती थी।

मैं मन ही मन में बहुत उदास हो जाती थी। मुझे तो एक मजबूत, कठोर लौड़ा चाहिये था ! जो मेरी चूत को जम के चोद सके। अब मेरा मन मेरे बस में नहीं था और मेरी निगाहें रणवीर के दोस्तों पर उठने लगी थी। एक दोस्त तो रणवीर का खास था, वो अक्सर शाम को आ जाया करता था।

मेरा पहला निशाना वही बना। उसके साथ अब मैं चुदाई की कल्पना करने लगी थी। मेरा दिल उससे चुदाने के लिये तड़प जाता था। मैं उसके सम्मुख वही सब घिसी-पिटी तरकीबें आजमाने लगी। मैं उसके सामने जाती तो अपने स्तनो को झुका कर उसे दर्शाती थी। उसे बार बार देख कर मतलबी निगाहों से उसे उकसाती थी। यही तरकीबें अब भी करगार साबित हो रही थी। मुझे मालूम हो चुका था था कि वो मेरी गिरफ़्त में आ चुका है, बस उसकी शरम तोड़ने की जरूरत थी। मेरी ये हरकतें रणवीर से नहीं छुप सकी। उसने भांप लिया था कि मुझे लण्ड की आवश्यकता है।

अपनी मजबूरी पर वो उदास सा हो जाता था। पर उसने मेरे बारे में सोच कर शायद कुछ निर्णय ले लिया था। वो सोच में पड़ गया ...

"कोमल, तुम्हें भोपाल जाना था ना... कैसे जाओगी ?"

"अरे, वो है ना तुम्हारा दोस्त, राजा, उसके साथ चली जाऊंगी !"

"तुम्हें पसन्द है ना वो..." उसने मेरी ओर सूनी आंखो से देखा।

मेरी आंखे डर के मारे फ़टी रह गई। पर रणवीर के आंखो में प्यार था।

"नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है ... बस मुझे उस पर विश्वास है।"

"मुझे माफ़ कर देना, कोमल... मैं तुम्हें सन्तुष्ट नहीं कर पाता हूं, बुरा ना मानो तो एक बात कहूं?"

"जी... ऐसी कोई बात नहीं है ... यह तो मेरी किस्मत की बात है..."

"मैं जानता हूं, राजा तुम्हें अच्छा लगता है, उसकी आंखें भी मैंने पहचान ली है..."

"तो क्या ?..." मेरा दिल धड़क उठा ।

"तुम भोपाल में दो तीन दिन उसके साथ किसी होटल में रुक जाना ... तुम्हें मैं और नहीं बांधना चाहता हूं, मैं अपनी कमजोरी जानता हूँ।"

"जानू ... ये क्या कह रहे हो ? मैं जिन्दगी भर ऐसे ही रह लूंगी।" मैंने रणवीर को अपने गले लगा लिया, उसे बहुत चूमा... उसने मेरी हालत पहचान ली थी। उसका कहना था कि मेरी जानकारी में तुम सब कुछ करो ताकि समय आने पर वो मुझे किसी भी परेशानी से निकाल सके। राजा को भोपाल जाने के लिये मैंने राजी कर लिया।

पर रणवीर की हालत पर मेरा दिल रोने लगा था। शाम की डीलक्स बस में हम दोनों को रणवीर छोड़ने आया था। राजा को देखते ही मैं सब कुछ भूल गई थी। बस आने वाले पलों का इन्तज़ार कर रही थी। मैं बहुत खुश थी कि उसने मुझे चुदाने की छूट दे दी थी। बस अब राजा को रास्ते में पटाना था। पांच बजे बस रवाना हो गई। रणवीर सूनी आंखों से मुझे देखता रहा। एक बार तो मुझे फिर से रूलाई आ गई... उसका दिल कितना बड़ा था ... उसे मेरा कितना ख्याल था... पर मैंने अपनी भावनाओं पर जल्दी ही काबू पा लिया था।

हमारा हंसी मजाक सफ़र में जल्दी ही शुरू हो गया था। रास्ते में मैंने कई बार उसका हाथ दबाया था, पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। पर कब तक वो अपने आप को रोक पाता... आखिर उसने मेरा हाथ भी दबा ही दिया। मैं खुश हो गई...

रास्ता खुल रहा था। मैंने टाईट सलवार कुर्ता पहन रखा था। अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी, ब्रा भी नहीं पहनी थी। यह मेरा पहले से ही सोचा हुआ कार्यक्रम था । वो मेरे हाथों को दबाने लगा। उसका लण्ड भी पैंट में उभर कर अपनी उपस्थिति दर्शा रहा था। उसके लण्ड के कड़कपन को देख कर मैं बहुत खुश हो रही थी कि अब इसे लण्ड से मस्ती से चुदाई करूंगी। मैं किसी भी हालत में राजा को नहीं छोड़ने वाली थी।

"कोमल ... क्या मैं तुम्हें अच्छा लगता हूं...?"

"हूं ... अच्छे लोग अच्छे ही लगते हैं..." मैंने जान कर अपना चहरा उसके चेहरे के पास कर लिया। राजा की तेज निगाहें दूसरे लोगों को परख रही थी, कि कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है। उसने धीरे से मेरे गाल को चूम लिया। मैं मुस्करा उठी ... मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघो पर रख दिया और हौले हौले से दबाने लगी। मुझे जल्दी शुरूआत करनी थी, ताकि उसे मैं भोपाल से पहले अपनी अदाओं से घायल कर सकूं।

यही हुआ भी ...... सीटे ऊंची थी अतः वो भी मेरे गले में हाथ डाल कर अपना हाथ मेरी चूचियों तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा। पर हाय राम ! बस एक बार उसने कठोर चूचियों को दबाया और जल्दी से हाथ हटा लिया। मैं तड़प कर रह गई। बदले में मैंने भी उसका उभरा लण्ड दबा दिया और सीधे हो कर बैठ गई। पर मेरा दिल खुशी से बल्लियों उछल रहा था। राजा मेरे कब्जे में आ चुका था। अंधेरा बढ़ चुका था... तभी बस एक मिड-वे पर रुकी।

राजा दोनों के लिये शीतल पेय ले आया। कुछ ही देर में बस चल पड़ी। दो घण्टे पश्चात ही भोपाल आने वाला था। मेरा दिल शीतल पेय में नहीं था बस राजा की ओर ही था। मैं एक हाथ से पेय पी रही थी, पर मेरा दूसरा हाथ ... जी हां उसकी पैंट में कुछ तलाशने लगा था ... गड़बड़ करने में मगशूल था। उसका भी एक हाथ मेरी चिकनी जांघों पर फ़िसल रहा था। मेरे शरीर में तरावट आने लगी थी। एक लम्बे समय के बाद किसी मर्द के साथ सम्पर्क होने जा रहा था। एक सोलिड तना हुआ लण्ड चूत में घुसने वाला था। यह सोच कर ही मैं तो नशे में खो गई थी।

तभी उसकी अंगुली का स्पर्श मेरे दाने पर हुआ। मैं सिह उठी। मैंने जल्दी से इधर उधर देखा और किसी को ना देखता पा कर मैंने चैन की सांस ली। मैंने अपनी चुन्नी उसके हाथ पर डाल दी। अंधेरे का फ़ायदा उठा कर उसने मेरी चूचियाँ भी सहला दी थी। मैं अब स्वतन्त्र हो कर उसके लण्ड को सहला कर उसकी मोटाई और लम्बाई का जायजा ले रही थी।

मैं बार बार अपना मुख उसके होंठों के समीप लाने का प्रयत्न कर रही थी। उसने भी मेरी तरफ़ देखा और मेरे पर झुक गया। उसके गीले होंठ मेरे होंठों के कब्जे में आ गये थे। मौका देख कर मैंने पैंट की ज़िप खोल ली और हाथ अन्दर घुसा दिया। उसका लण्ड अण्डरवियर के अन्दर था, पर ठीक से पकड़ में आ गया था।

वो थोड़ा सा विचलित हुआ पर जरा भी विरोध नहीं किया। मैंने उसकी अण्डरवियर को हटा कर नंगा लण्ड पकड़ लिया। मैंने जोश में उसके होंठों को जोर से चूस लिया और मेरे मुख से चूसने की जोर से आवाज आई। राजा एक दम से दूर हो गया। पर बस की आवाज में वो किसी को सुनाई नहीं दी। मैं वासना में निढाल हो चुकी थी। मन कर रहा था कि वो मेरे अंगों को मसल डाले। अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा डाले ... पर बस में तो यह सब सम्भव नहीं था। मैं धीरे धीरे झुक कर उसकी जांघों पर अपना सर रख लिया। उसकी जिप खुली हुई थी, लण्ड में से एक भीनी भीनी से वीर्य जैसी सुगन्ध आ रही थी। मेरे मुख से लण्ड बहुत निकट था, मेरा मन उसे अपने मुख में लेने को मचल उठा। मैंने उसका लण्ड पैंट में से खींच कर बाहर निकाल लिया और अपने मुख से हवाले कर लिया। राजा ने मेरी चुन्नी मेरे ऊपर डाल दी। उसके लण्ड के बस दो चार सुटके ही लिये थे कि बस की लाईटें जल उठी थी। भोपाल आ चुका था। मैंने जैसे सोने से उठने का बहाना बनाया और अंगड़ाई लेने लगी। मुझे आश्चर्य हुआ कि सफ़र तो बस पल भर का ही था ! इतनी जल्दी कैसे आ गया भोपाल ? रात के नौ बज चुके थे।

रास्ते में बस स्टैण्ड आने के पहले ही हम दोनों उतर गये। राजा मुझे कह रहा था कि घर यहाँ से पास ही है, टैक्सी ले लेते हैं। मैं यह सुन कर तड़प गई- साला चुदाई की बात तो करता नहीं है, घर भेजने की बात करता है।

मैंने राजा को सुझाव दिया कि घर तो सवेरे चलेंगे, अभी तो किसी होटल में भोजन कर लेते हैं, और कहीं रुक जायेंगे। इस समय घर में सभी को तकलीफ़ होगी। उन्हें खाना बनाना पड़ेगा, ठहराने की कवायद शुरू हो जायेगी, वगैरह।

उसे बात समझ में आ गई। राजा को मैंने होटल का पता बताया और वहाँ चले आये।

"तुम्हारे घर वाले क्या सोचेंगे भला..."

"तुम्हें क्या ... मैं कोई भी बहाना बना दूंगी।"

कमरे में आते ही रणवीर का फोन आ गया और पूछने लगा। मैंने उसे बता दिया कि रास्ते में तो मेरी हिम्मत ही नहीं हुई, और हम दोनों होटल में रुक गये हैं।

"किसका फोन था... रणवीर का ...?"

"हां, मैंने बता दिया है कि हम एक होटल में अलग अलग कमरे में रुक गये हैं।"

"तो ठीक है ..." राजा ने अपने कपड़े उतार कर तौलिया लपेट लिया था, मैंने भी अपने कपड़े उतारे और ऊपर तौलिया डाल लिया।

"मैं नहाने जा रही हूँ ..."

"ठीक है मैं बाद में नहा लूंगा।"

मुझे बहुत गुस्सा आया ... यूं तो हुआ नहीं कि मेरा तौलिया खींच कर मुझे नंगी कर दे और बाथ रूम में घुस कर मुझे खूब दबाये ... छीः ... ये तो लल्लू है। मैं मन मार कर बाथ रूम में घुस गई और तौलिया एक तरफ़ लटका दिया। अब मैं नंगी थी।

मैंने झरना खोल दिया और ठण्डी ठण्डी फ़ुहारों का आनन्द लेने लगी।

"कोमल जी, क्या मैं भी आ जाऊं नहाने...?"

मैं फिर से खीज उठी... कैसा है ये आदमी ... साला एक नंगी स्त्री को देख कर भी हिचकिचा रहा है। मैंने उसे हंस कर तिरछी निगाहों से देखा। वो नंगा था ...

उसका लण्ड तन्नाया हुआ था। मेरी हंसी फ़ूट पड़ी।

"तो क्या ऐसे ही खड़े रहोगे ... वो भी ऐसी हालत में ... देखो तो जरा..."

मैंने अपना हाथ बढ़ाकर उसका हाथ थाम लिया और अपनी ओर खींच लिया। उसने एक गहरी सांस ली और उसने मेरी पीठ पर अपना शरीर चिपका लिया। उसका खड़ा लण्ड मेरे चूतड़ों पर फ़िसलने लगा। मेरी सांसें तेज हो गई। मेरे गीले बदन पर उसके हाथ फ़िसलने लगे। मेरी भीगी हुई चूचियाँ उसने दबा डाली। मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा था। हम दोनों झरने की बौछार में भीगने लगे। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार को चीर कर छेद तक पहुंच गया था। मैं अपने आप झुक कर उसके लण्ड को रास्ता देने लगी। लण्ड का दबाव छेद पर बढ़ता गया और हाय रे ! एक फ़क की आवाज के साथ अन्दर प्रवेश कर गया। उसका लण्ड जैसे मेरी गाण्ड में नहीं बल्कि जैसे मेरे दिल में उतर गया था। मैं आनन्द के मारे तड़प उठी।

आखिर मेरी दिल की इच्छा पूरी हुई। एक आनन्द भरी चीख मुख से निकल गई।

उसने लण्ड को फिर से बाहर निकाला और जोर से फिर ठूंस दिया। मेरे भीगे हुये बदन में आग भर गई। उसके हाथों ने मेरे उभारों को जोर जोर से हिलाना और मसलना आरम्भ कर दिया था। उसका हाथ आगे से बढ़ कर चूत तक आ गया था और उसकी दो अंगुलियां मेरी चूत में उतर गई थी। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला ली थी।

उसके शॉट तेज होने लगे थे। अतिवासना से भरी मैं बेचारी जल्दी ही झड़ गई।

उसका वीर्य भी मेरी टाईट गाण्ड में घुसने के कारण जल्दी निकल गया था।

हम स्नान करके बाहर आ गये थे। पति पत्नी की तरह हमने एक दूसरे को प्यार किया और रात्रि भोजन हेतु नीचे प्रस्थान कर गये।

तभी रणवीर का फोन आया," कैसी हो। बात बनी या नहीं...?"

"नहीं जानू, वो तो सो गया है, मैं भी खाना खाकर सोने जा रही हूँ !"

"तुम तो बुद्धू हो, पटे पटाये को नहीं पटा सकती हो...?"

"अरे वो तो मुझे भाभी ही कहता रहा ... लिफ़्ट ही नहीं मार रहा है, आखिर तुम्हारा सच्चा दोस्त जो ठहरा !"

"धत्त, एक बार और कोशिश करना अभी ... देखो चुद कर ही आना ...।"

"अरे हां मेरे जानू, कोशिश तो कर रही हूँ ना ... गुडनाईट"

मैं मर्दों की फ़ितरत पहचानती थी, सो मैंने चुदाई की बात को गुप्त रखना ही बेहतर समझा। राजा मेरी बातों को समझने की कोशिश कर रहा था। हम दोनों खाना खाकर सोने के लिये कमरे में आ गये थे। मेरी तो यह यात्रा हनीमून जैसी थी, महीनों बाद मैं चुदने वाली थी। गाण्ड तो चुदा ही चुकी थी। मैंने तुरंत हल्के कपड़े पहने और बिस्तर पर कूद गई और टांगें पसार कर लेट गई।

"आओ ना ... लेट जाओ ..." उसका हाथ खींच कर मैंने उसे भी अपने पास लेटा दिया।

"राजा, घर पर तुमने खूब तड़पाया है ... बड़े शरीफ़ बन कर आते थे !"

"आपने तो भी बहुत शराफ़त दिखाई... भैया भैया कह कर मेरे लण्ड को ही झुका देती थी !"

"तो और क्या कहती, सैंया... सैंया कहती ... बाहर तो भैया ही ठीक रहता है।"

मैं उसके ऊपर चढ़ गई और उसकी जांघों पर आ गई।

"यह देख, साला अब कैसा कड़क रहा है ... निकालूँ मैं भी क्या अपनी फ़ुद्दी..." मैंने आंख मारी।

"ऐ हट बेशरम ... ऐसा मत बोल..." राजा मेरी बातों से झेंप गया।

"अरे जा रे ... मेरी प्यारी सी चूत देख कर तेरा लण्ड देख तो कैसा जोर मार रहा है।"

"तेरी भाषा सुन कर मेरा लण्ड तो और फ़ूल गया है..."

"तो ये ले डाल दे तेरा लण्ड मेरी गीली म्यानी में...।"

मैंने अपनी चूत खोल कर उसका लाल सुपाड़ा अपनी चूत में समा दिया। एक सिसकारी के साथ मैं उससे लिपट पड़ी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि किसी गैर मर्द का लण्ड मेरी प्यासी चूत में उतर रहा है। मैंने अपनी चूत का और जोर लगाया और उसे पूरा समा लिया। उसका फ़ूला हुआ बेहद कड़क लौड़ा मेरी चूत के अन्दर-बाहर होने लगा था। मैं आहें भर भर कर अपनी चूत को दबा दबा कर लण्ड ले रही थी। मुझमें अपार वासना चढ़ी जा रही थी। इतनी कि मैं बेसुध सी हो गई। जाने कितनी देर तक मैं उससे चुदती रही। जैसे ही मेरा रस निकला, मेरी तन्द्रा टूटी। मैं झड़ रही थी, राजा भी कुछ ही देर में झड़ गया।

मेरा मन हल्का हो गया था। मैं चुदने से बहुत ही प्रफ़ुल्लित थी। कुछ ही देर में मेरी पलकें भारी होने लगी और मैं गहरी निद्रा में सो गई। अचानक रात को जैसे ही मेरी गाण्ड में लण्ड उतरा, मेरी नींद खुल गई। राजा फिर से मेरी गाण्ड से चिपका हुआ था। मैं पांव फ़ैला कर उल्टी लेट गई। वो मेरी पीठ चढ़ कर मेरी गाण्ड मारने लगा। मैं लेटी लेटी सिसकारियाँ भरती रही। उसका वीर्य निकल कर मेरी गाण्ड में भर गया। हम फिर से लेट गये। गाण्ड चुदने से मेरी चूत में फिर से जाग हो गई थी। मैंने देखा तो राजा जाग रहा था। मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और मैं एक बार फिर से राजा के नीचे दब गई। उसका लण्ड मेरी चूत को मारता रहा। मेरी चूत की प्यास बुझाता रहा। फिर हम दोनों स्खलित हो गये। एक बार फिर से नींद का साम्राज्य था। जैसे ही मेरी आंख खुली सुबह के नौ बज रहे थे।

"मैं चाय मंगाता हूँ, जितने तुम फ़्रेश हो लो !"

नाश्ता करने के बाद राजा बोला,"अब चलो तुम्हें घर पहुंचा दूँ..."

पर घर किसे जाना था... यह तो सब एक सोची समझी योजना थी।

"क्या चलो चलो कर रहे हो ?... एक दौर और हो जाये !"

राजा की आंखे चमक उठी ... देरी किस बात की थी... वो लपक कर मेरे ऊपर चढ़ गया।

मेरे चूत के कपाट फिर से खुल गये थे। भचाभच चुदाई होने लगी थी। बीच में दो बार रणवीर का फोन भी आया था। चुदने के बाद मैंने रणवीर को फोन लगाया।

"क्या रहा जानू, चुदी या नहीं...?"

"अरे अभी तो वो उठा है ... अब देखो फिर से कोशिश करूंगी..."

तीन दिनों तक मैं उससे जी भर कर चुदी, चूत की सारी प्यास बुझा ली। फिर जाने का समय भी आया। राजा को अभी तक समझ नहीं आया था कि यहाँ तीन तक हम दोनों मात्र चुदाई ही करते रहे... मैं अपने घर तो गई ही नहीं।

"पर रणवीर को पता चलेगा तो...?"

"मुझे रणवीर को समझाना आता है !"

घर आते ही रणवीर मुझ पर बहुत नाराज हुआ। तीन दिनों में तुम राजा को नहीं पटा सकी।

"क्या करूँ जानू, वो तो तुम्हारा सच्चा दोस्त है ना... हाथ तक नहीं लगाया !"

"अच्छा तो वो चिकना अंकित कैसा रहेगा...?"

"यार उसे तो मैं नहीं छोड़ने वाली, चिकना भी है... उसके ऊपर ही चढ़ जाऊंगी..."

रण्वीर ने मुझे फिर प्यार से देखा और मेरे सीने को सहला दिया।

"सीऽऽऽऽऽऽ स स सीईईईई ...ऐसे मत करो ना ... फिर चुदने की इच्छा हो जाती है।"

"ओह सॉरी... जानू ... लो वो अंकित आ गया !"

अंकित को फ़ंसाना कोई कठिन काम नहीं था, पर रणवीर के सामने यह सब कैसे होगा...। उसे भी धीरे से डोरे डाल कर मैंने अपने जाल में फ़ंसा लिया। फिर दूसरा पैंतरा आजमाया। सुरक्षा के लिहाज से मैंने देखा कि अंकित का कमरा ही अच्छा था। उसके कमरे में जाकर चुद आई और रणवीर को पता भी ही नहीं चल पाया।

मुझे लगा कि जैसे मैं धीरे धीरे रण्डी बनती जा रही हूँ ... मेरे पति देव अपने दोस्तों को लेकर आ जाते थे और एक के बाद एक नये लण्ड मिलते ही जा रहे थे ... और मैं कोई ना कोई पैंतरा बदल कर चुद आती थी... है ना यह गलत बात !

पतिव्रता होना पत्नी का पहला कर्तव्य है। पर आप जानते है ना चोर तो वो ही होता है जो चोरी करता हुआ पकड़ा जाये ... मैं अभी तक तो पतिव्रता ही हूँ ... पर चुदने से पतिव्रता होने का क्या सम्बन्ध है ? यह विषय तो बिल्कुल अलग है। मैं अपने पति को सच्चे दिल से चाहती हूँ। उन्हें चाहना छोड़ दूंगी तो मेरे लिये मर्दों का प्रबन्ध कौन करेगा भला ?

मेरे जानू... मेरे दिलवर, तुम्हारे लाये हुये मर्द से ही तो मैं चुदती हूँ ...