बात उस समय कि है जब मेरी भाभी सादी करके मेरे घर आई उस समय मैं 10 वी क्लास में पढ़ता था मेरी उम्र लगभग 17 साल रही होगी भाभी का मायका खुरैठ पटना से 35 दूर है और मेरा गाव मनेर पटना से करीब 31 किलोमीटर दूर है | भाभी मायका और ससुराल के बीच करीब 25 किलोमीटर कि दुरी है | जब भाभी ससुराल आई तो क्या बला कि खूबसूरत थी ,भाभी कि खूब्सूरती कि चर्चा पुरे गाव कि महिलाओ में फ़ैल गई मैं [क्योकि दुल्हन का मुह देखने कि रस्म होती है] कई बार सोचा कि भाभी को देखु पर गाव में पर्दा अधिक होने के कारण भाभी कि सूरत सादी के समय जब आई थी तो देख ही नहीं पाया था फिर भाभी जब ठंढी के महीने में गवने में आई तब भाभी को देखा ओ भी ज़रा सा
भाभी गाव में इस तरह से घुघट में रहती थी |
भैया जब वापस मिलेट्री में वापस चले जाते तब ' क्योकि जब तक भैया गाव में रहते तब तक ओ भाभी को छोड़ते ही नहीं थे दिन भर साथ साथ कमरे में ही रहते थे इतने पर्दा के बाद भी' | एक दिन साम के समय ठंडी का महीने में मेरी दादी और हम कुछ भाई [चाचा के लड़के] आगन में आग ताप रहे थे तभी भाभी भी के पास खड़ी हो गई घुघट में तो दादी ने मुझे बोला ज़रा खिसक जा भौजाई को भी बैठने दे तब मैं खिसक गया और भाभी मेरे पास आकर बैठ गई सटकर क्योकि जगह कम ही थी वहा जब भाभी पास में सटकट बैठी तो मैं थोड़ा सा खिक लिया तो भाभी धीरे से कान के पास बोलती है 'बबुआ करंट लगा क्या' तो मैं कुछ नहीं बोला और भाभी कि तरफ घुघट के अंदर उनकी नसीली आँखों में एक चंचल नारी दिखाई दिया | भाभी एक दिन ब्रश कर रही थी बातरूम [मिट्टी के दीवारो का बना बाथरूम जिसमे एक हल्का सा दरवाजा लगा था जिसमे कई सुराग थे ] मैं भी धोखे से घुस गया और भाभी को देख कर वापस आने लगा तो भाभी हँसी और बोली कि आ जाओ बाबुआ करंट नहीं लगेगा और हसने लगी भाभी का पूरा मुह खुला था पहली बार भाभी को बिना घुघट में देखा माँ कसम भाभी बला कि खूबसूरत थी बड़ी बड़ी मदमस्त आँखे भरे लाल लाल टमाटर की तरह गाल कानो में बड़े बड़े बाले ' चुचिया तो दिखाई नहीं दे रही थी क्योकि अंचल में ढकी थी | एक दिन भाभी के नहाने के लिए पानी नहीं था [नौकरानी ' दाई पानी नहीं भर के गई थी ] तो भाभी ने कहा कि पानी ला दो कुए से तो मैं तीन चार बाल्टी पानी लाकर दे दिया भाभी को भाभी मेरे ऊपर बहुत खुस हुई और जब नहा कर निकली तो अपने कमरे में कपडे पहनने के बाद मुझे आवाज लगाया तो मैं गया उस समय भाभी ने मुझे 20 रुपये निकाल कर दिया और बोली कि आज आपने सेवा किया है ये लो इनाम तब मैंने ओ 20 रुपये भाभी को लौटा दिया और बोला कि भाभी जी ओ तो मेरा फ़र्ज़ है तब भाभी बोली कि बहुत समझदार हो बबुआ इस उमर में भी इस तरह से भाभी से बातचीत का सिलसिला सुरु हुआ तो आज तक चालु है आज भी भाभी अपने सभी देवरो में मुझे सबसे अधिक चाहती है यहाँ तक कि मेरी पत्नी से कभी भी लड़ाई नहीं किया और दोनों देवरानी -जेठानी में बहुत पटती है आपस में ठंडियो कि छुट्टी ख़त्म हुए और मैं वापस पटना चला गया पढने के लिए |और दो साल बाद कालेज जाने लायक हो गया भाभी के सादी हुए दो साल हो गए भइआ साल में दो बार आते छुट्टी लेकर एक बार 2 माह के लिए और फिर एक बार 1 माह के लिए जब भैया आते तो कभी कभी पटना भी आते भाभी को घूमने -फिराने के लिए और हैम लोगो के किराये के रूम में कुछ दिन रुकते भी ' जब भइआ वापस जाते तो भाभी बहुत उदास होजाती कई बार भाभी को रोते हुए देखा |
मैं पटना के बी डी कालेज में एड्मीसन ले लिया और रोज कालेज जाता ओक्टुबर का महीना था एक दिन एक लड़की मेरी तरफ देख मुस्कुराई तो मैं उसे ध्यान से देखा और लगा कि इसका चेहरा तो मेरी भाभी से मिलता जुलता है पर मैं डर [मैं लड़कियो से बात करने में बहुत घबराता था संकोची स्वभाव के कारण] के मारे उसके पास नहीं गया और इग्नोर करके निकल गया अगले दिन ओ लड़की फिर से कालेज के गेट पर मिली और मुझे देखकर मुस्कुराई और इसारा करके पास बुलाया तो मैं नजदीक गया तो बोली कि पहचान नहीं रहे है बबुआ जी तब मैं उनकी आवाज से जान गया कि ये तो मेरी भाभी है 'मैं इतना खुस हुआ उस समय भाभी को कालेज में देखकर कि ओ खुसी आज भी याद है इतने साल बाद मैं मारे खुसी के भाभी के हाथ पकड़ लिया [भाभी का सरीर पहली बार छुआ मैंने] तो भाभी भी बहुत खुस हुई और बोली कि कल नहीं पहचान पाये थे क्या तो मैं बोला कि नहीं |भाभी और मैं कालेज के एक क्लास में बैठकर बहुत देर तक बाते किया भाभी ने मुझे मना किया कि आप किसी को नहीं बताना कि आप मेरे कौन लगते है मैंने बोला ओके भाभी जी तो भाभी बोली कि यहाँ पर भाभी नहीं बोलना मेरा नाम लेना तब मैंने बोला कि नहीं भाभी ये तो नहीं होगा मैं आपका नाम कैसे लू आप बड़ी है मेरे से तो भाभी बोली कि फिर भी यहाँ भाभी नहीं कहना नाम ही लेना तब मैं बोला कि टीक है पर मैं ज्यादा नाम नहीं लिया करुगा ' भाभी ने बताया कि दिन भर गाव में बेकार बैठी रहती हु इस कारण पापा ने कहा कि कालेज कि पढ़ाई कर ले और भाभी ने ये भी बताया कि गाव [मेरे गाव भाभी कि ससुराल] में भी किसी को नहीं बताना मैंने बोला टीक है अब भाभी रोज कालेज में मिलती तो बहुत देर तक बाते करते भाभी कालेज के सामने ही गाव वाली बस से उतरती और कालेज के सामने ही बस पर चढ़ कर चली जाती अपने गाव ' कालेज में लड़किया कम ही थी इस लिए लड़कियो पर लड़को कि निगाहें ज्यादा ही रहती ' तबियत खराब होने मैं तीन चार दिन कालेज नहीं आया उस जमाने में मोबाइल फोन कि सुबिधा तो थी नहीं इस कारण भाभी से बात भी नहीं हो पाई जब मैं कालेज आया तो मेरे एक दोस्त ने बताया कि " तेरी वाली "[उस जमाने में गर्ल फ्रेंड बोलने का फैसन नहीं था] को एक लड़के ने कल कुछ बोल दिया था तो ओ रोते हुए कालेज से चली गई थी तब मैंने दोस्त को बोला कि बता कौन है तो उसने नाम बताया उस लड़के का पर ओ उस दिन नहीं आया था जब भाभी कालेज आई तो मैंने उनसे पूछा कि क्या हुआ था तो भाभी ने टाल दिया और बोली जाने दीजिये मैंने बहुत पूछा पर भाभी ने नहीं बताया बोली कि आप झगड़ा करोगे मैं भी उस समय सांत हो गया पर उस लड़के के ऊपर निगाह रखने लगा' | एक दिन उस लड़के ने भाभी को देखकर फिर से कमेंट्स किया उसने बोला 'क्या चिकनी है ' और मैंने ये कमेंट्स सुन लिया ,सुन तो भाभी ने भी लिया पर भाभी झगडे के डर से इग्नोर कर दिया पर मैं दोस्तों के साथ मिलकर उस लड़के को भाभी के सामने धुनाई कर दिया ओ चला गया उसके जाने के बाद भाभी और मैं कालेज में एक खाली क्लास में बैठ गए तब भाभी ने मुझे बहुत डाटा बोली कि क्या जरुरत थी मेरे लिए झगड़ा करने कि भाभी कोबोला कि की इज्जत है आपको कोई गलत निगाहो से देखेगा तो उसकी गर्दन मरोड़ दुगा तो भाभी बोली कि इतना प्यार आपको इज्जत से है या मेरे से तो मैं बोला कि दोनों से तब भाभी बोली ज्यादा किससे है तब मैंने बोला कि आपसे तब भाभी ने मेरे हाथ को
भाभी के आँखे और भौ ,चितवन टीक इसी तरह से है |
पकड़ा और चूम लिया बदले में मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर चूम लिया [ये पहला मोका है जब मैंने भाभी का हाथ चूमा और भाभी ने मेरा हाथ चूमा] अब भाभी रोज कालेज आती तो किसी सुनसान जगह पर बैठ कर खूब द्विअर्थी सब्दो बाते करती मजाक भी खूब करती कालेज में ज्यादातर लड़के भाभीको मेरी प्रेमिका समझते ये बात एक दिन भाभी को बोला तो हसने लगी और बोली समझने दीजिये जिसको जो समझना है सादी के पहलेकिसी से प्यार नहीं किया चलो सादी के बाद ही प्यार कर लू ओभी देवर से और जोर से हस पडी तो मैं सरमा गया ' भाभी से रोज मिलता बाते करता कब ठंडी निकल गई पता ही नहीं चला गर्मी का महीना आ गया मई में एक्जाम थी मेरी भी और भाभी कि भी | अप्रैल महीने में एक दिन भाभी ने कहा कि चलिए आज मेरे साथ गाव तो मैं बोला कि ससुराल नहीं जाना चाहिए ज्यादा तो हसने लगी और बोली कि आज तो चलना ही पडेगा और बहुत आग्रह करने के बाद मैं भाभी के साथ बस में बैठ गया और भाभी के गाव पहुच गया [सादी के बाद मैं पहली बार भैया कि ससुराल गया] रास्ते में बस भयंकर गर्मी थी मैंने भाभी को बोला कि आप रोज कैसे सफ़र करती है तो भाभी बोली कि क्या करू मजबूरी है तब मैंने बोला कि आप हमारे साथ क्यों नहीं रहती है रूम में तो भाभी ने बोला कि मम्मी पापा मना करते है कि कैसे रहेगी जवान देवरो के साथ अकेले रूम में, मुझे भी ये बात टीक लगी मैंने बोला हां भाभी जी ये बात भी सही है पर मैंने भाभी को बोला कि आप मेरे सामने कहना अपनी मम्मी से मैं समझाउगा उन्हें भाभी ने बोला टीक है और हम दोनों का प्लान कामयाब हो गया भाभी कि मम्मी परिक्षा के
मुन्नी ऐसी ही लगती थी उस समय पर |
' मई का महीना आ गया भाभी और मेरी परीक्षाये सुरु गई कि एक दिन अचानक भइआ 7 दिन कि छुट्टी लेकर आ गए और हमारे ही रूम में रहने लगे 'किराए के मकान में दो कमरे किचेन और आन्गन के बगल में लेट्रिन वाथरूम था , लेट्रिन वाथरूम जाने का रास्ता बीच के कमरे से ही था इस कारण भैया भाभी आगे के रूम में सो जाते थे और बीच के रूम में मैं और मुन्नी [भाभी कि बहन मेरी साली] सो जाती थी अलग अलग पलंग में / रात में जब भैया भाभी का खेल चलता था तो उसकी आवाज और आहाट हम दोनों [मुन्नी और मैं ] सुनते थे मैं तो दरवाजे के छेद से काम लीला भी देखता था [ मुन्नी कि भी चुदाई किया था ये सत्य बात अलग से लिखुगा] भैया सराब बहुत पीते थे इस कारण भाभी कभी भी भैया का जीभ नहीं चूसती थी होठो का किस नहीं करती थी इस बात के लिए कई बार भैया ने भाभी को मारा भी चुदाई करते समय ज्यादा तर समय में भाभी चुपचाप पलंग पर पडी रहती और भैया चुदाई करके एक किनारे सो जाते थे भाभी को संतुष्ट किये बिना भैया भाभी कि चुदाई मैंने और मुन्नी ने सिर्फ एक ही दिन देखा अगले दिन मुन्नी का भाई आया तो मुन्नी को अपने साथ ले गया अब मैं रात में निःसंकोच भैया भाभी कि चुदाई देखता और मुठ मार कर सो जाता 7 दिन बाद भैया चले गए भैया को मेरे ऊपर ज़रा सी भी संका नहीं था | अब कमरे में सिर्फ मैं और भाभी ही बचे , पर इस बारे में भाभी के वालो को नहि पता था ,भाभी के मायके वालो को यही लगा कि मेरे भैया तीन माह कि छुट्टी पर आये है इस कारण उन लोगो को कोई चिंता नहीं थी भाभी का इस कारण भाभी के मायके से कोई नहीं आया तीन माह तक उस समय पर कालेजो कि परिक्षा दो दो माह तक चलती थी भैया के जाने के बाद मैं आगे के रूम में सोता और भाभी बीच वाले रूम में सोती थी बीच के रूम से ही बाथरूम में जाता था मैं इस कारण भाभी ने कभी रात में दरवाजा नहीं लगाती थी | एक दिन मैं कुछ नोट्स लेने दोस्त के घर गया था दो तीन घंटे के लिए सुबह 9 बजे पर दोस्त नहीं मिला तो मैं 9. 30 बजे जब लौट कर आया तो आगे के दरवाजे में साकल लगी थी जिसे मैं खिड़की में हाथ डाल कर खोल लिया [रात में साकल में ताला लगाते है] और अंदर आ गया मैं किचेन तक पानी पीने के लिए गया तो देखा कि भाभी बाथरूम के सामने ओपन जगह पर नहा रही थी [बाथरूम कि नाली चोक हो गई थी इस कारण बाथरूम में नहीं नहा रही थी] जहा पर बर्तन धोते है मैं चुपचाप भाभी को नाहते हुए देखने लगा भाभी एक दम से नंगी थी [मैंने जीवन में पहली बार किसी ओरत को नंगी देखा ] क्या खूबसूरत जिस्म था भाभी का उस समय, मीडियम आकार कि चुचिया, मस्त मस्त चूतड़ कसी हुई सुन्दर सुडौल जाँघे, भाभी बड़े आराम से नहा रही थी और मैं उनके सेक्सी जिस्म को देख देख कर पागल हुआ जा रहा था ऐसा लगता था कि जाकर लिपट जाउ और दबा दू खूबसूरत चुचिया पर हिम्मत नहीं पडी मेरा लौड़ा तन कर खड़ा हो गया भाभी जैसे जैसे पर साबुन मलती अपनी चुचियो पर वैसे वैसे मैं मुठ मारना सुरु कर दिया और ढेर सारा वीर्य फर्श पर गिरा दिया जब भाभी नहा कर ननगि ही किचेन कि तरफ आने लगी तो मैं हड़बड़ाहट में वीर्य को पोछे बिना ही आगे के रूम में घुस गया और कपडे उतारने लगा भाभी जैसे ही किचेन में घुसी उनका पाँव मेरे गिरे हुए गाढ़े गाढ़े वीर्य पर पड़ा गया ओ समझ नहीं पाई क्या है ये ,भाभी ने समझा कि चावल का माड गिर गया पर भाभी का मन नहीं माना तो ओ वीर्य को उगली लगाकर देखी और सूंघ कर चख लिया और अजीब सा मुह बनाया और कपडे पहनने लगी कपडे
भाभी का जिस्म पीछे से उस समय १००% ऐसा ही था |
पहन कर जब आगे के कमरे में आई तो मैं दिखा तो मेरे से पूछती है कि कब आये बबुआ आप तो मैंने बोला कि अभी अभी आया हु बस कपडे ही बदलकर बैठा हु तो भाभी मेरी तरफ अजीब निगाहो से देखी और बोली कि सही सही बताये आप कब आये तो मैंने मेरा वही पुराना उत्तर दोहरा दिया तो भाभी कुछ नहीं बोली और किचेन में घुस गई पर मेरी नजरो में अभी भी भाभी का जिस्म नाच रहा था , मैंने खाना खाते समय भाभी कि सुंदरता कि बखान कर देता था कभी कभी तो भाभी बहुत खुस हो जाती थी [किसी भी ओरत को पटाना हो तो उसकी खूबसूरती का खूब बखान करे] खाना खाने के बाद मैं सो गया भाभी बीच वाले रूम में सो गई जब हम 4 बजे सो कर उठे और आपस में बाते करने लगे भाभी का विषय [Bsc] जीव बिज्ञान था जिसमे प्रजनन को लेकर एक चैप्टर था उस पर भाभी ने खुल कर चर्चा किया बहुत अच्छा लगता मुझे , उसी दिन साम को 6 बजे बोली कि चलिए बबुआ जी 'शिलशिला' फ़िल्म देख कर आते है उस समय अमित जी कि ये फ़िल्म बहुत हिट थी भाभी कि चाचा कि लड़की भी पटना में रहती थी ओ भी कालेज में थी हम तीनो रात का 9 से 12 वाला सो देखने चल दिए एक ही साइकल रिक्सा पर तीनो बैठ गए बड़ी मुस्किल से भाभी मेरे पास बैठी सटकर भाभी कि चूतड़ो कि रगड़ मुझे उत्तेजित कर रही थी हम तीनो टाकीज में आसपास बैठे मेरे बगल में भाभी और भाभी बगल में उनकी बहन [चाचा कि लड़की] मैं अँधेरे का फायदा उठाकर भाभी के कंधे में हाथ रख लिया भाभी ने कोई आपत्ति नहीं किया फ़िल्म में जब रोमांटिक सीन आता तो मैं भाभी के हाथ की बाहे दबा देता भाभी ने तब भी कोई आपत्ति नहीं लिया एकांत बार तो मैंने भाभी कि जांघो को सहला दिया ,जांघो को दबा देता तो भाभी अँधेरे में मेरे हाथ के उपर अपना हाथ रख देती मन तो कर रहा था कि अँधेरे में भाभी को चूम लू और चुचियो को दबा दू पर हिम्मत नहीं पडी फ़िल्म ख़त्म होने के बाद रात के 12 बजे हम घर आ गए रास्ते में भाभी कि बहन का घर पड़ता था ओ रिक्से से अपने घर के सामने उअतर कर चली गई मैं और भाभी अपने कमरे में आ गए और सो गए अलग अलग कमरे में पर मेरी आँखों से नेड गायब थी भाभी का नंगा जिस्म आँखों के सामने घूम रहा है मैं रात में करीब 3 बजे उठा पेसाब करने तो देखा कि भाभी के सुन्दर -सुन्दर टाँगे खुली हुई थी गाउन जांघो के ऊपर तक खिसक गई थी मैं बहुत देर तक भाभी कि सुंदरता को देखता रहा गाउन कि बटन खुली थी ब्रा के अंदर चुचियो कि घाटियां साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी पर मैं हिम्मत नहीं कर पाया कुछ करने का और अपने बिस्तर में आकर सो गया सुबह 8 बजे नीद खुली तो भाभी बाथरूम में थी नहाने कि आवाज आ रही थी मैं बाहर ही [जहा बर्तन धोते है] पेसाब करने लगा इतने में भाभी ने दरवाजा खोला बाहर निकलने के लिए तो मैं सरम के मारे खड़ा हो गया और मेरा लण्ड लुंगी में तम्बू बनाते हुए खड़ा था [सुबह सुबह पेसाब के समय लण्ड बहुत टाइट रहता है] भाभी के नजर मेरे लण्ड पर गई ओ आवाक आश्चर्यचकित हो कर लण्ड कि तरफ देखते हुए हल्की से मुस्कान बिखेर कर चली गई भाभी उस समय साड़ी में अपने वदन को लपेट रखा था पानी के कारण साडी वदन से चिपकी हुई थी भाभी किचेन में जाकर कपडे पहनने लगी मैं बाथरूम से पेसाब करके निकला ओर् किचेन से होते हुए जाने लगा तो देखा कि भाभी मेरी तरफ पीठ करके साडी पहन रही थी भाभी कि नंगी पीठ दिखाई दे रही थी भाभी मेरे कोदेखकर ज़रा सा भी नहीं सरमाई और साडी पहनती रही जब मैं कमरे के अंदर चला गया तो भाभी ने आवाज दिया मुझे और बोली कि मेरी बनियान [ब्रा] बीच के कमरे में है दे दीजिये तब मैं भाभी कि 32 नंबर कि ब्रा को तलास कर भाभी को दे दिया भाभी कपडे पहनने के बाद खाना बनाने लगी मैं भाभी के पास ही बैठ गया बात करने लगा कुछ देर बाद भाभी ने कहा कि जाओ नहा लो आप भी तो मैं बाहर ही नहाने लगा तो भाभी बाहर आई तो मैं सरमाने लगा तो बोली कि काहे को सरमा रहे हो बबुआ नहा लो आराम से मैं नाहता रहा और भाभी मुझे नहाते हुए देखती रही और बात करती रही तब मैं बोला कि आप जाओ अंदर नहीं तो कल से मैं भी आपको नहाते हुए देखुगा तो भाभी बोली कि देख लेना और हसने लगी मैं नहा कर निकला और सिर्फ चड्ढी पहन कर तेल लगाने लगा भाभी मुझे तेल लगाते हुए देखती रही तो मैंने भाभी को बोला कि मेरी पेठ में तेल लगा दीजिये तो भाभी मेरी पीठ और पेट में तेल लगाईं फिर मेरे सीने पर तेल लगाकर मेरी छाती [जहा पर निप्पल रहती है] को दबा और बोली बहुत मजबूत लगता है आपका शरीर और पीठ थपथपाने लगी और पीठ पर किस कर लिया मैं कुछ देर तक बाद फिर मैं बनियान पहन लिया और आगे के कमरे में जाकर बैठ गया तब तक 10 बज गए भाभी का छोटा भाई गाव से आ गया और भाभी से पूछा कि जीजा जी कहा है तो भाभी ने बता कि आज ही सुबह चले गए 8 बजे तो ओ कुछ नहीं बोला फिर मैं भाभी के भाई के साथ बाते करने लगा 12 बजे तक हम दोनों [भाभी का भाई और मैं] ने एक साथ खाना खाये और ओ खाना खाकर गाव चला गया , दोपहर में हम दोनों [भाभी और मैं]अपने अपने कमरे में सो गए साम को 5 बजे के करीब भाभी क भाई मुन्नी को वापस छोड़ कर 6 बजे तक गाव वापस चला गया अब मुन्नी ,भाभी और मैं तीन रह गए कमरे में हमारी एक्जाम सुरु हो गई मैंने और भाभी ने पढाई में पूरा पूरा ध्यान दिया सभी पेपर बहुत अच्छे गए इस दो महीने में मैं और भाभी बहुत नजदीक हो गए खुल कर मजाक होता मुन्नी भी साथ देती 18 जून को भाभी और मुन्नी दोनों गाव चली गई मैं भी गर्मियोंकी छुट्टी में गाव चला गया गर्मी ख़त्म हुई तो अगस्त में मुन्नी ने भी हमारे कालेज में एडमीशन ले लिया और मुन्नी और भाभी रोज रोज अप डाउन करती हम तीनो कालेज में मिलते बाते करते और फिर बिछड़ जाते मैं भाभी कि याद में बहुत तड़पता पर मुन्नी के सामने कुछ कह नहीं पाता मुन्नी भाभी के साथ परछाई कि तरह लगी रहती 6 महीने गए पता ही नहीं चला नवम्बर आया और भैया 1 महीने कि छुट्टी पर गाव आये तो भाभी मेरे गाव [अपनी ससुराल] चली गया 20 दिन भैया के साथ गाव में रही तो मुन्नी अब अकेले ही कालेज आती मेरे से खूब बाते करती एक दिन मुन्नी को बोला कि चलो फ़िल्म देखते है तो मुन्नी ज़रा सा भी ना नुकुर नहीं किया और मेरे साथ दोपहर वाला सो देखने चल दिया हैम दोनों आराम से फ़िल्म देखे पर मुन्नी के वदन को छुआ तक नहीं फ़िल्म देखते समय उस दिन से के बाद से जब भी मुन्नी को कह देता मुन्नी फ़िल्म देखने के लिए चल देती मुन्नी के साथ 4 फिल्मे देखा पर मुन्नी को अंधेरे में हाथ तक नहीं लगाया इस कारण मुन्नी कोपूरा विश्वास हो गया मेरे ऊपर और मुन्नी खूब घुलमिल गई फिल्मो कि प्यार मोहब्बत के बाते खूब करती मुन्नी | फिर 10 दिन के लिए भैया और भाभी पटना आ गए और हमारे ही कमरे में रहने लगे , मैं रात में अक्सर भैया भाभी कि चुदाई को देखता और कभी कभी मुठ मार कर सो जाता भइआ भाभी को बहुत कम संतुष्ट कर पाते क्योकि भैया सराब के नशे में अधिकतर सम्भोग करते और
भाभी का फेस और चुचिया 90 % ऐसी ही थी उस समय |
20 दिसंबर को मेरी मम्मी कि तबियत खराब हुई तो पापा और मम्मी मेरे कमरे में आ गए रहने के लिए मम्मी को डाक्टर को दिखाना था ये बात मैंने जब भाभी को बताया तो भाभी बोलि की मैं चलती हु खाना बना दिया करुँगी और मम्मी कि देखभाल भी कर लिया करुँगी तो मैंने भाभी को मना किया कि नहीं ऐसा नहीं मैं आपको बुलाने आउगा आपके घर और मम्मी कि बीमारी कि बजह बताउगा तब आप आना तो भाभी ने कहा टीक है और बोली आप स्मार्ट और होसियार दोनों है और फिर गाव वाली बस में बैठकर चली गई , मैं जब कालेज से वापस गया तो पापा को बोला कि भाभी को बुला लाउ यहाँ खाना बनाने कि दिक्कत रही है तो पापा ने कहा कि टेक है बुला लाओ तो मैं अगले दिन भाभी को बुला लाया भाभी रास्ते में खूब चहक चहक कर बाते कर रही थी भाभी आज बहुत खुस थी भाभी आते ही मम्मी पापा के पाँव छुए और काम में लग गई रात का खाना बनाया मम्मी पापा ने खाया मैं भाभी के साथ खाना खाया और रात में सोने कि ब्यवस्था कर दिया मम्मी पापा आगे के रूम में सो गए मैं बीच के रूम में [मम्मी की तबियत खराब थी इस कारण रूम हीटर भी मम्मी के कमरे में लगा दिया ]और भाभी के लिए किचेन में पर्दा [बीच के रूम में भाभी नहीं सोई क्योकि पापा उसी कमरे से बाथरूम जाते है ] लगाकर किचेन में चारपाई बिछा दिया ' उस समय भयंकर ठंढी पड़ रही थी, रजाई तीन थी सोने वाले चार थे पतला सा कम्बल भाभी के हिस्से आया रात में 12 बजे मेरे नीद खुली तो मैं पर्दा उठाकर देखा तो भाभी कम्बल में दुबकी हुई थी ठण्ड के मारे काप रही थी उन्हें नीद नहीं आई तब मैं चुपचाप मेरी रजाई भाभी के ऊपर डाल दिया और मैं खुद मेरे स्वेटर पहन कर एक और कम्बल था उसे मैं ओढ़ लिया पर ठण्ड के मारे मेरी नीद गायब हो गई रात में करीब 12 बजकर 20 मिनट पर भाभी मेरे पास आई और कान में धीरे से फुसफुसा कर बोली कि आप अपनी रजाई मुझे दे दिया और खुद ठण्ड में अकड़ रहे है और मेरा हाथ पकड़ कर बोली कि चलिए मेरे बिस्तर में सो जाए नहीं तो बीमार पड जायेगे, तब मैंने भाभी के कान में फुसफुसा कर बोला [सभी कमरो में परदे लगे होने के कारण मम्मी पापा को हमारे कमरे का कुछ भी दिखाई नहीं देता ऊपर से लाइट बंद है] भाभी पापा या मम्मी उठेगए ओर मुझे यहाँ नहीं पायेगे तो क्या सोचेगे ,इससे अच्छा ये है कि आप ही आ जाओ मेरे बिस्तर में अपनी रजाई और कम्बल लेकर चुपचाप पड़ी रहेगी तो दिखाई भी नहीं देगी और आपके कमरे में मम्मी पापा पर्दा उठाकर नहीं देखेगे तब भाभी ने कान में धीरे से कहा कि बहुत होसियार हो बबुआ जी आप और गाल में एक हलकी से चपत लगाईं और अपनी रजाई कम्बल लेकर मेरे बिस्तर में आकर लेट गई , मैं सर्म के मारे एक किनारे दुबका रहा और भाभी भी सरमा रही थी ओ भी एक किनारे रजाई में पड़ी थी , रजाई के बीच में गैप् से हवा आ रही थी इस कारण दोनों को ठंडी लग रही थी और रजाई भी कम पड रही थी मैं रजाई खींचू तो भाभी को ठण्ड लगे और भाभी खीचे तो मुझे ठण्ड लगे , भाभी मेरी तरफ पीठ करके सोई थी मुह रजाई के अंदर करके मैं भी मेरी पीठ को भाभी कि पीठ से चिपका कर सोने लगा [पर आग और पेट्रोल कब तक साथ रह सकते है ओ तो भभका मार कर जलेगे] कुछ देर बाद मैंने करवट लिया और भाभी की पीठ कि तरफ मुह करके सोने लगा भाभी कि पीठ से गैप बनाकर, मेरे लण्ड में तनाव बढ़ने लगा मेरे तब बदन पर आग से जलने लगी सेक्स का तूफ़ान उठने लगा लण्ड खड़ा होकर पूरी जवानी में तन गया मेरे से कंट्रोल नहीं हुआ और मैं करवट बदल कर भाभी कि पीठ से चिपक गया और भाभी के पेट में हाथ रखकर अपनी तरफ खीच कर चिपका लिया भाभी को भाभी अपने चूतड़ो को ज़रा सा धक्का दिया और मेरे से चिपक गई मैं भाभी के पेट में हाथ रखे रहा और पीठ के खुले हिस्से को किस कर लिया और पीठ को सहलाने लगा, कभी जांघो को सहलाता साडी के ऊपर से तो कभी कंधो को सहलाता कभी भाभी का पेट सहलाता भाभी को बहुत अच्छा लग रहा था पर ओ बोल कुछ नहीं रही थी तब मैं भाभी कि जांघो के पास से साडी को ऊपर कि तरफ खिसकाया और जांघो को सहलाने लगा तो भाभी ने जांघो को वापस ढक लिया साडी से और मेरे हाथ को पकड़ कर खिसका दिया तो मैं डर कर को उनके वदन से हटा लिया और चुपचाप सोने का प्रयास करने लगा 15 मिनट बाद भाभी करवट बदल कर मेरी तरफ मुह करके घूम गई , भाभी की सासो में प्रकार कि खुस्बू आ रही थी जो मुझे सेक्स के लिए और अधिक उकसा रही थी मैं करीब 30 मिनट तक चुपचाप लेटा रहा भाभी कि साँसो कि गर्मी और खुसबू लेते हुए भाभी सो गई तो मैं धीरे से भाभी के ब्लाउज और ब्रा का हुक खोल दिया और भाभी कि चुचियो कि निप्पल को जीभ से सहलाने लगा और फिर चुचियो को चाटने लगा 15 मिनट बाद भाभी ने अपना हाथ मेरे कमर में रख दिया तो मैंने मेरी दाए टांग को भाभी कि कमर में लाद दिया और हाथ भाभी कि कमर में डालकर नजदीक खीच लिया और गाल पर किस कर लिया तब भाभी धीरे से कापती हुई आवाज में बोलती है [आज भी भाभी कि ओ मदमस्त आवाज याद है] ''मत परेशान करिये, सो जाइये ना '' तब मैंने भाभी के कान में धीरे से बोला कि ''मत सताइये अब, नहीं तो सुबह जिन्दा नहीं पायेगी आप मुझे , मैं मेरी ही आग में जल जाउगा '' तब भाभी ने मुझे किस कर लिया और जोर से चपका लिया अपनी तरफ खीचते हुए पर उसी समय मम्मी खाँसी तो हम दोनों बहुत डर गए कि अब क्या होगा कही मम्मी देख ना ले हम दोनों को तब मैं और भाभी आपस में जोर से चिपक गए कि जिससे बिस्तर में कोई एक ही मम्मी को दिखे और हम दोनों सासे थामे पड़े रहे मम्मी उठी और बाथरूम गई और वापस आकर बिस्तर में लेट गई पर बार बार खांस रही थी मम्मी इस कारण मुझे लगा कि मम्मी जाग रही है तब मैं मम्मी के पास उठकर गया और पूछा कि कैसी तबियत है मम्मी तो बोली कि टीक है तू सो जा , तो मैं पेसाब करके आया ओर स्वेटर उतार कर सिर्फ बनियान और चढ्ढी में लेट गया और भाभी की चुचियो को चूसने लगा और खिलाने लगा हाथ से सहलाने लगा चुचियो को [मैंने पहली बार किसी जवान ओरत के स्तनो को हाथ लगाया] आज भी ओ पहला स्पर्श याद है मुझे भाभी कि चुचियो का | मैं चुचियो को चूसने लगा तो भाभी भी गर्म पड़कर मेरे चिकने -चिकने फुले हुए गाल पर हाथ घुमाने लगी तब मैं भाभी कि साडी को उतारने के लिए खीचने लगा तो भाभी ने कान में धीरे से बोलकर मना कर दिया बोली कि अँधेरे में साडी पहनते नहीं बनेगी मत उतारिये तो मैं साड़ी को कमर तक उठा दिया और अंदर हाथ लगाया तो भाभी की पैंटी [उस समय पर भाभी नाइलोन कि फूल पैंटी पहनती थी] थी तब मैं पैंटी को खीचने लगा तो भाभी कान में फुसफुसाई और बोली कि रहने दी दो कुछ मत करो कंडोम नहीं है और अभी दो दिन पहले ही बाल धोया है [बाल धोने का मतलब माहवारी से फुर्सत होना] कही रुक गया तो मुसीबत हो जायेगी , तब मैं भाभी को बोला कि मैं बहुत भूखा हु और आप सामने कि थाली खीच रही है तो भाभी ने फिर कान में फुसफुसाई बोली कि ''जितनी भूख होगी उतना खाना अच्छा लगेगा '' तब मैंने फिर बोला ''मैं भूख से तड़प रहा हु '' तो भाभी बोली कि '' भूख तो मुझे भी बहुत लगी है पर डर रही हु '' तब मैं बोला कि '' डरिये मत भाभी आज जमाने में सारे इंतजाम है '' तो भाभी कुछ नहीं बोली , मतलब उनकी मौन सहमति थी तब मैंने भाभी कि पैंटी को उतारने लगा तो भाभी ने अपनी टांगो को रजाई के अंदर ऐसा कर लिया कि पैंटी आसानी से उतर जाए और मैंने पैंटी को उतार दिया [भाभी का परिवार उस जमाने में भी बहुत आधुनिक था क्योकि भाभी के पापा सरकारी नौकरी में थे,ऊची जाती से है इस कारण जमीन भी खूब है, खेती बाड़ी कि कमाई भी खूब है इस कारण आधुनिकता भी खूब थी परिवार में ] और भाभी कि बुर पर हाथ घुमाने लगा भाभी कि बुर पर एक भी बाल नहीं थे चिकनी थी बुर ,मैं बुर पर उगलिया घुमाने लगा और इधर भाभी कि रशीले होठो का रस पीने लगा ,जीभ के अमृत सामान रस को चूसने लगा ,भाभी के मुह से बहुत ही सुन्दर महक आ रही थी ,काँखों के नीचे से अजीब से मदमाती खुसबू निकल रही थी मैं भाभी के होठो को चूमने लगा और अपनी जीभ भाभी के मुह के अंदर दाल दिया भाभी भी मेरी जीभ को चूसने लगी मैं भाभी कि चुचियो को हलके हलके हाथ से दबाने लगा भाभी सेक्स के लिए प्यूरी तरह से तैयार हो गई भाभी ने कापते हाथ से मेरे लण्ड को चढ्ढी के ऊपर से टटोलने लगी फिर चढ्ढी के नीचे हाथ डालकर लण्ड को पकड़ लिया मेरा 9 इंच से अधिक लंबा और भाभी कि कलाई से भी ज्यादा मोटा लण्ड फुफकार रहा था भाभी ने कान में धीरे से बोला '' बहुत गुस्सा हो रहा है इसे जल्दी से शांत करो '' और इतना कह कर लण्ड को हाथो से दबाने लगी तब मैं मेरी चढ्ढी और बनियान को उतार दिया और भाभी की साड़ी को कमर तक खिसका दिया और भाभी के ऊपर चढ़ गया तो भाभी ने लण्ड को पकड़ कर लण्ड के आगे कि चमड़ी को पीछे खिसकाया और बुर के मुह के पास ले आई तब मैं बुर में हलके से पूस कर दिया लण्ड को ,बुर मख्खन कि तरह मुलायम और चिकनी हो रही थी [तब मुझे ये नहीं पता था कि सेक्स के समय बुर से चिकना पानी रिसने लगता था मैंने उस समय सोचा था कि भाभी ने कोई क्रीम लगा राखी थी ] भाभी कि बुर टाइट थी थोड़ी से ताकत लगाया तो बुर में घुस गया तब मैं चारपाई के पाँव कि तरफ वाली लकड़ी में पाँव के पंजे को टिकाया और पूरी ताकत लगाकर लण्ड को पेल दिया भाभी कि मुलायम और चिकनी चूत में जैसे घोड़ा पूरी ताकत लगा देता है उसी तरह से मैंने भी पूरी ताकत से लण्ड को पेला तो भाभी के मुह से जोर कि आह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कि आवाज आई तो मैं भाभी के मुह में हाथ रख दिया और गालो को चूमने लगा और कान में धीरे से बोला कि '' दर्द हुआ क्या '' तो भाभी कान में धीरे से बोली कि ''जान लोगे क्या '' तब मैंने बोला कि आप कोई
पहली बार भाभी को इस तरह से चोदा |
भाभी कि चुचिया उस समय 99 % ऐसी ही थी |
आधा घंटे बाद वापस आ गया तो देखा कि भाभी दरवाजे के पास खड़ी मेरा ही इन्तजार कर रही थी मैं आते ही पूछा क्या हुआ भाभी जी किसे देख रही है तो बोली ''मेरे चाँद को '' तो मैंने मजाक में पूछ लिया '' आपका चाँद इतने दूर से दिख रहा है '' तो बोली के ''मेरे चाँद तो सामने खड़े है ''और इतना कहकर जैसे ही कमरे अंदर आई मैंने भाभी को पकड़ कर चूम लिया और चूची को दबा दिया और आगे के कमरे में बैठकर कपडे उतारने लगा भाभी मुझे अपलक देखती रही मैं कपडे उतार का लुंगी ढूढ़ने लगा नहीं मिली तो मैं बीच के कमरे में गया तो बीच का कमरा इस ठंढी में भी गर्म था और जमीन में बिस्तर लगा था और एक किनारे रूम हीटर चल रहा था मैं भाभी कि तरफ देखा तो ओ मुस्कुराई तब मैंने पूछ लिया कि जमीन में बिस्तर क्यों तो भाभी ने कहा कि चारपाई में सोने में मजा नहीं आता इस लगा लिया , तब मैं बिस्तर में बैठ गया तो पता चला कि भाभी ने सरे गद्दे बिछा लिया है जमीन पर ' इतने में भाभी ने मेरी लुंगी मुझे दिया मैं लुंगी लगा लिया कुछ देर में भाभी खाना लाइ तब एक ही थाली में दोनों ने खाना खाया खाकर उठे तो घड़ी में 10 बजकर 20 मिनट हो रहे थे ,भाभी बर्तन धोने चली गई तब तक मैं बिस्तर में रूम हीटर को सामने करके लेट गया 10 मिनट में भाभी आ गई मैंने सारे दरवाजे बंद कर लिया रूम अच्छा गर्म हो गया था भाभी बिस्तर पर जैसे ही बैठी अपना ठंडा हाथ मेरे गालो पर छू दिया तब मैं भाभी का हाथ पकड़ कर रूम हीटर के सामने कर के हाथ को गर्म करने लगा तो भाभी ने मुझे किस कर लिया और बोली ''इतना मत चाहो बबुआ जी कही किसी कि नजर नहीं लग जाए '' तब मैं बोला कि '' मेरी चांदनी को कोई नजर लगाएगा तो मैं उसकी आँखे फोड़ दुगा '' इतना कहते ही भाभी ने किस कर लिया गालो में तब मैं भाभी को मेरी बाहो में भर लिया और किस करने लगा गालो को ,गर्दन पर ,बाहो पर और भाभी को पकड़ कर गोद में लिटा लिया और भाभी कि चुचियो को दबाने लगा और ब्लाउज के हुक खोल दिया और ब्रा के ऊपर से चुचियो पर हाथ घुमाने लगा और झुककर भाभी के रसीले होठो को फिर से किस कर लिया और भाभी को गोद से उठाकर सीने से चिपका लिया और ब्रा का हुक खोल दिया कमरे में टुबलाइट जल रही थी दूधिया उजाले में भाभी का दूधिया चुचिया दिखाई दी क्या गजब की चुचिया थी भाभी कि थोड़ी सी लटकी और थोड़ी सी ढीली थी,[भाभी ने बाद में बताया कि भैया बहुत बेरहमी के साथ मसलते है इस कारण हलकी हलकी लटक गई] फिर मैंने भाभी के पेटीकोट का नाड़े कि गाँठ खोल दिया और पेटीकोट को खिसकाने लगा नीचे कि तरफ तो भाभी बोली कि ''लाइट तो बंद कर दीजिये सर्म आ रही है' तो मैंने बोला ''अब कैसी सर्म भाभी '' तब भाभी कुछ नहीं बोली और मेरे सीने के अपना मुह छिपा लिया और मैं भाभी के वदन से साडी और पेटीकोट और ब्लाउज, ब्रा को उतार दिया अब भाभी के वदन में सिर्फ एक पैंटी थी जिसमे भाभी कि सुडौल सेक्सी जांघे झांक रही थी मैंने उसे भी उतार कर अलग कर दिया अब भाभी निर्वस्त्र होकर मेरी गोद में पड़ी थी सीने में मुह छिपाए तब मैं भाभी का मुह अपनी ओर किया और किस करने लगा भाभी सर्म के मारे आँखे मूदे हुए थी बार बार कहती कि लाइट बंद कर दीजिये न सर्म आ रही है पर मैं नहीं माना और भाभी की पीठ ,स्तन ,जांघे , चूतड़ ,आख ,कान ,नाक , शरीर का एक एक पार्ट को किस करने लगा तो भाभी भी सेक्स के लिए गर्म पड़ने लगी और मुझे कस करने लगी मेरे सीने पर ,छाती पर और मेरी पीठ पर सर पर हाथ घुमाते घुमाते मेरे लण्ड को पकड़ लिया चढ्ढी के अंदर हाथ डालकर और लण्ड को खिलाने लगी [कमरा इतना गर्म हो गया था कि रजाई ओढने कि जरुरत ही नही थी] और कुछ देर बाद चढ्ढी को उतारने लगी तो मैं मेरे सारे कपडे उतार दिया और भाभी के आगे नंगा हो गया मेरा 9 इंची लंबा और मोटा लण्ड खड़ा हो गया भाभी खड़े लण्ड को देखकर रोमांचित हो गई और लण्ड को चूमने लगी तब मैं झुक कर भाभी कि चूत को किस कर लिया ये पहली किस थी किसी चूत कि चूत से भी खुसबू आ रही थी [भाभी ने बाद में बताया कि खुसबू वाली क्रीम लगाया था जांघो कि चमड़ी खीचा रही थी ठंढी के कारण] और मैंने बुर को जीभ चाट लिया तो भाभी कहती है है कि ''छि छि कितने गंदे है आप ,मुह नहीं लगाए '' तब भी मैं नहीं माँना और बुर को चाटता रहा 'जैसे कोई जानवर अपने छोटे से बच्चे को चाटता है उसी तरह मैं भाभी कि बुर को चाटने लगा भाभी बार बार मना करती , मेरे सर को पकड़ कर खींचती पर मैं नहीं माना और भाभी कि बुर चाटते चाटते बुर के अंदर जीभ डालकर चाटने लगा तो भाभी के मुह से आह आह आह उ उ उउउउ ऊ आह सी अस्स्स्स्स्स्स्स स्स्स्स सस कि आवाज निकलने लगी और भाभी अब मेरे जिस्म पर बड़े प्यार से हाथ घुमाने लगी और लण्ड को पकड़ कर दबाने लगी मैं बुर को चाटता रहा भाभी इतनी गर्म पड़ गई कि बार बार मेरे सर को बुर के पास से हटाने लगी पर मैं जबरजस्ती चाटे जा रहा था तब भाभी ने मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया और लेट गई और अपने ऊपर खीचने लगी मुझे मेरा लण्ड घोड़े के लण्ड कि तरह सनसना कर खड़ा था भाभी ने लण्ड को पकड़ कर सुपाड़ा को खोला [लण्ड के आगे कि चमड़ी को खिसका दिया] अपनी बुर में लगाने लगी तब मैं लण्ड को हाथ से पकड़ कर भाभी कि बुर पर पटकने लगा हलके हलके हाथो से भाभी ने मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया मैं भाभी के ऊपर लेट गया तो भाभी ने फिर से लण्ड को पकड़ा और बुर के मुह पर रख दिया और अपने चूतड़ो को थोड़ा सा नीचे किया तो लण्ड ज़रा सा बुर में घुस गया तो भाभी ने जोर से पकड़ कर मुझे खीचा और सीने से चिपका लिया और कान में कापती हुई आवाज में बोली '' अब मत तरसाओ '' तब भी मैं लण्ड पूरा नहीं डाला जरा सा छुआ रखा था बुर में लण्ड को | अब भाभी कि सहनशीलता ख़त्म हो गई तो ओ मुझे नीचे कि तरफ गिरा दिया तो मैं
पीठ के बल लेट गया और खड़े लण्ड को भाभी ने हाथ से पकड़ा और धीरे से बुर के मुह में लण्ड को छुआया और लण्ड पर बैठ गई तो पूरा का पूरा लंड घुस गयाभाभी कि बुर में तब भाभी मेरे ऊपर पेट के बल लेट गई और मेरे पाँव की एडियो एड़ी को टिका लिया और हाथ को बिस्तर पर रख लिया और अपने सरीर को मेरे ऊपर आगे पीछे खिसकाने लगी तब मैं भाभी कि पतली पतली कमर में हाथ लगा कर भाभी को आगे -पीछे खिसकाने लगा भाभी बीच बीच में मेरे होटो को किस करती मैं भी बीच बीच में भाभी कि चुचियो को चूसने लगता तो भाभी झटके देकर चुचियो को मुह से अलग कर लेती ये क्रम लगातार 5 मिनट तक चलता रहा भाभी कुछ थकने लगी तो मैंने भाभी को गोद में उठा लिया [भाभी का बजन करीब 45 किलो के आसपास रहा होगा जबकि मेरा बजन 75 किलो था उस समय ] घुसे हुए लण्ड के साथ तो भाभी ने हाथो को मेरी गर्दन में डाल दिया और दोनों पावो को कमर में लिपटा लिया मैंने दोनों हाथो को भाभी के चूतड़ो के नीचे लगा लिया और भाभी को उछाल उछाल कर चोदने लगा उस समय भाभी के बाल हवा में ऊपर नीचे झूल रहे थे भाभी पुरे जोस के साथ कूद रही थी कूदते हुए मेरे गालो में ,गर्दन में किस भी करती जाती उस समय मुझे भाभी का बजन 15 किलो से भी कम लग रहा था मैं भाभी को लगा तार 9-10 मिनट तक हवा में उछाल उछाल कर चोदता रहा भाभी को अब भाभी कि पकड़ कमजोर पड़ने लग तो मैंने भाभी को बिस्तर पर घोड़ी बना दिया और मैं किसी घोड़े कि तरह पुरे जोर जोर से झटके मारने लगा कमरे में फट फट कि जोर जोर आबाज गुजने लगी 50-60 झटके खाने के बाद भाभी पीठ के बल लेट गई बिस्तर में और मैं भाभी के ऊपर लेट कर जोर जोर से झटके मारने लगा भाभी ने मेरे कमर को जोर से खीच कर पकड़ लिया और धीरे धीरे कान में कहने लगी और जोर जोर से मारो धक्के बहुत अच्छा लग रहा रहा और भाभी आ आ आ आह आहा हा हा अह अह आह आह आहा आह ऊ उ उउउउ आ सस सस ई आ आए आआ आआआ आआ उउउउउउऊ ऊऊऊऊ सीईईई ईईई ईए आआ उई उई उए आ आह आ आ अ अ कि हलकी हलकी आवाज निकालने लगी मैं जोर जोर से झटके मारते रहा और भाभी ने जोर से मुझसे चिपक गई और ठंडी पड़ गई मैं समझ गया भाभी कि कामग्नि बुझ गई तो मैं जल्दी जल्दी 15-20 झटके मारा और बहुत सा वीर्य भाभी कि बुर में उड़ेल दिया और जोर से चिपक गया भाभी से लगातार 20 मिनट कि चुदाई में मैं और भाभी दोनों हाफ़ने लगे जैसे कई किलोमीटर दौड़ कर आये हो इस ठंडी में दोनों पसीना पसीना हो गाये 3 मिनट तक दोनों चिपक कर पड़े रहे फिर भाभी उठी तो उनकी बुर से वीर्य बहने लगा तो अपना पेटीकोट उठाया और उससे पोछ लिया और कपडे पहनने लगी तो मैंने बोला क्यों पहन रही है रात भर ऐसे सो जाए तो बोली टीक है और भाभी एक साल ओढ़कर पेसाब करने चली गई जब ओ लौट कर आई तब मैं गया साल ओढ़कर पेसाब करने लौट कर आया तो भाभी ने ब्रा और पैंटी पहल कर रजाई ओढ़कर लेट गई मैं भी चढ्ढी - बनियान पहन कर लेट गया भाभी के पास घडी में देखा तो 11 बज चुके थे दोनों सो गए तो सुबह 8 बजे नीद खुली तो देखा कि भाभी उठ चुकी थी और किचेन में चाय बना रही थी दोनों ने चाय पिया और फिर पानी गरम हो गया तो दोनों नहाये फिर नहाने के बाद मैं हास्पिटल चला गया मम्मी पापा के लिए नास्ता लेकर और फिर 12 बजे वापस आया तो भाभी ने दोपहर का खाना बना चुकी थी हैम दोनों ने एक ही थाली में खाना खाये और दोनों मम्मी पापा के लिए खाना देने चल गए , मम्मी 5 दिन हास्पिटल में रही न 5 दिनों में रोज रोज भाभी को चोदा पर भाभी अब कंडोम के साथ चुदवाती तो मैं और देर तक रुकता और भाभी को अलग अलग पोजीसनो में चोदता ,मम्मी हास्पिटल से छुट्टी लेकर आ गई और घर चली गई पापा अपनी नौकरी पर चले गए और भाभी को उनके मायके छोड़ कर मैं वापस आ गया , भाभी मुन्नी के साथ कालेज आती मुन्नी भाभी के साथ साये की तरह रहती इस कारण भाभी को चोदने का मोका नहीं मिला फिर गर्मी का माहीना आ गया और परीक्षाये सुरु हो गई तो मुन्नी भी भाभी के साथ रहने आ गई कमरे में तभी भैया ने एक सप्ताह कि छुट्टी कि जुगाड़ करके हमारे ही कमरे में रहने आ गए तभी मुन्नी को चोदने का मोका मिला कैसे पढ़ो
'' भाभी कि बहन मुन्नी कि चुदाई '' में |