मैं अपने घर में एकलौती लड़की हूँ. लाड़ प्यार ने मुझे जिद्दी बना दिया था. बोलने में भी मैं लाड़ के कारण तुतलाती थी. मैं सेक्स के बारे में कम ही जानती थी. पर हां कॉलेज तक आते आते मुझे चूत और लण्ड के बारे में थोड़ा बहुत मालूम हो गया था. मेरी माहवारी के कारण मुझे थोड़ा बहुत चूत केबारे में पता था पर कभी सेक्स की भावना मन में आई ही नहीं. लड़को से भी मैं बातें बेहिचक कियाकरती थी. पर एक दिन तो मुझे सब मालूम पड़ना ही था. आज रात को जैसे ही मैंने अपना टीवी बन्द किया, मुझे मम्मी पापा के कमरे से एक अनोखी सीआवाज आई. मैंने बाहर निकल कर अपने से लगे कमरे की तरफ़ देखा तो लाईट जल रही थी पर कमर सब तरफ़ से बन्द था. मैं अपने कमरे में वापस आ गई. मुझे फिर वही आवाज आई. मेरी नजर मेरे कमरे से लगे हुये दरवाजे पर टिक गई. मैंने परदा हटाया तो बन्द दरवाजे में एक छेद नजरआया, जो नीचे था. मैंने झुक के कमरे में देखने की कोशिश की. एक ही नजर में मुझे मम्मी पापा दिख गये. वे नंगे थे और कुछ कर रहे थे.
मैंने तुरन्त कमरे की लाईट बन्द की और फिर उसमें से झांकने लगी. पापा के चमकदार गोल गोलचूतड़ साफ़ नजर आ रहे थे. सामने बड़ी सी उनकी सू सू तनी हुई दिख रही थी. पापा के चूतड़ कितनेसुन्दर थे, उनका नंगा शरीर बिल्कुल किसी हीरो … नहीं ही-मैन … नहीं सुपरमैन… की तरह था. मैंतो पहली नजर में ही पापा पर मुग्ध हो गई. पापा की सू सू मम्मी के चूतड़ो में घुसी हुई सी नजर आरही थी. पापा बार बार मम्मी के बोबे दबा रहे थे, मसल रहे थे. मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया.झुक कर बस देखती रही… हां, मम्मी को इसमें आनन्द आ रहा था और पापा को भी बहुत मजा आरहा था. कुछ देर तक तो मैं देखती रही फिर मैं बिस्तर पर आ कर लेट गई. सुना तो था कि सू सू तोलड़कियों की सू सू में जाती है… ये तो चूतड़ों के बीच में थी. असमन्जस की स्थिति में मैं सो गई.
दूसरे दिन मेरा चचेरा भाई चीकू आ गया. मेरी ही उम्र का था. उसका पलंग मेरे ही कमरे में दूसरी तरफ़ लगा दिया था. सेक्स के मामले में मैं नासमझ थी. पर चीकू सब समझता था. रात को हमदोनों मोबाईल से खेल रहे थे… कि फिर से वही आवाज मुझे सुनाई दी. चीकू किसी काम से बाहरचला गया था. मैंने भाग कर परदा हटा कर छेद में आंख लगा दी. पापा मम्मी के ऊपर चढ़े हुए थेऔर अपने चूतड़ को आगे पीछे कर के रगड़ रहे थे. इतने में चीकू आ गया…
“क्या कर रही है गौरी… ?” चीकू ने धीरे से पूछा.
“श श … चुप… आजा ये देख… अन्दर मम्मी पापा क्या कर रहे हैं?” मैंने मासूमियत से कहा.
“हट तो जरा … देखूँ तो !” और चीकू ने छेद पर अपनी आंख लगा दी. उसे बहुत ही मजा आने लगाथा.
“गौरी, ये तो मजे कर रहे हैं … !” चीकू उत्सुकता से बोला.
पजामे में भी चीकू के चूतड़ भी पापा जैसे ही दिख रहे थे. अनजाने में ही मेरे हाथ उसके चूतड़ों परपहुंच गये और सहलाने लगे.
“अरे हट, ये क्या कर रही है… ?” उसने बिना मुड़े छेद में देखते हुये मेरे हाथ को हटाते हुये कहा.
“ये बिल्कुल पापा की तरह गोल गोल मस्त हैं ना… !” मैंने फिर से उसके चूतड़ों पर हाथ फ़ेरा. मैंनेअब हाथ नीचे ले जाते हुये पजामें में से उसका लण्ड पकड़ लिया… वो तो बहुत कड़ा था और तनाहुआ था… !
“चीकू ये तो पापा की सू सू की तरह सीधा है… !”
वो एक दम उछल सा पड़ा…
“तू ये क्या करने लगी है … चल हट यहां से… !” उसने मुझे झिड़कते हुये कहा.
पर उसका लण्ड तम्बू की तरह उठा हुआ था. मैंने फिर से भोलेपन में उसका लण्ड पकड़ लिया…
“पापा का भी ऐसा ही है ना मस्त… ?” मैंने जाने किस धुन में कहा. इस बार वो मुस्करा उठा.
“तुझे ये अच्छा लगता है…? ” चीकू का मन भी डोलने लगा था.
“आप तो पापा की तरह सुपरमैन हैं ना… ! देखा नहीं पापा क्या कर रहे थे… मम्मी को कितना मजाआ रहा था… ऐसे करने से मजा आता है क्या… ” मेरा भोलापन देख कर उसका लण्ड और कड़कगया.
“आजा , वहाँ बिस्तर पर चल… एक एक करके सब बताता हूँ !” चीकू ने लुफ़्त उठाने की गरज सेकहा. हम दोनों बिस्तर पर बैठ गये… उसका लण्ड तना हुआ था.
“इसे पकड़ कर सहला… !” उसने लण्ड की तरफ़ इशारा किया. मैंने बड़ी आसक्ति से उसे देखा औरउसका लण्ड एक बार और पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी. उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी.
“मजा आ रहा है भैया… ?”
उसने सिसकारी भरते हुये हां में सर हिलाया,”आ अब मैं तेरे ये सहलाता हूँ… देख तुझे भी मजाआयेगा… !” उसने मेरी चूंचियों की तरफ़ इशारा किया.
मैंने अपना सीना बाहर उभार दिया. मेरी छोटी छोटी दोनों चूंचियां और निपल बाहर से ही दिखनेलगे.
उसने धीरे से अपना हाथ मेरी चूंचियों पर रखा और दबा दिया. मेरे शरीर में एक लहर सी उठी. अबउसके हाथ मेरी पूरी चूंचियों को दबा रहे थे, मसल रहे थे. मेरे शरीर में वासना भरी गुदगुदी भरने लगी. लग रहा था कि बस दबाते ही रहे. ज्योंही उसने मेरे निपल हल्के से घुमाये, मेरे मुँह से आनन्दभरी सीत्कार निकल गई.
“भैया, इसमें तो बड़ा मजा आता है… !”
“तो मम्मी पापा यूँ ही थोड़े ही कर रहे हैं… ? मजा आयेगा तभी तो करेंगे ना… ?”
“पर पापा मम्मी के साथ पीछे से सू सू घुसा कर कुछ कर रहे थे ना… उसमें भी क्या… ?”
“अरे बहुत मजा आता है … रुक जा… अभी अपन भी करेंगे… देख कैसा मजा आता है !”
“देखो तो पापा ने अपनी सू सू मेरे में नहीं घुसाई… बड़े खराब हैं … !”
“ओह हो… चुप हो जा… पापा तेरे साथ ये सब नहीं कर सकते हैं … हां मैं हूँ ना !”
“क्या… तुझे आता है ये सब… ? फिर ठीक है… !”
“अब मेरे लण्ड को पजामे के अन्दर से पकड़ और फिर जोर से हिला… “
“क्या लण्ड … ये तो सू सू है ना… लण्ड तो गाली होती है ना ?”
“नहीं गाली नहीं … सू सू का नाम लण्ड है… और तेरी सू सू को चूत कहते हैं !”
मैं हंस पड़ी ऐसे अजीब नामों को सुनकर. मैंने उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचेकरके उसका तन्नाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और कस कर दबा लिया.
“ऊपर नीचे कर … आह हां … ऐसे ही… जरा जोर से कर… !”
मैं लण्ड उसके कहे अनुसार मसलती रही… और मुठ मारती रही.
“गौरी, मुझे अपने होंठो पर चूमने दे… !”
उसने अपना चेहरा मेरे होंठो से सटा दिया और बेतहाशा चूमने लगा. उसने मेरा पजामा भी नाड़ाखोल कर ढीला कर दिया… और हाथ अन्दर घुसा दिया. उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया. मेरासारा जिस्म पत्ते की तरह कांपने लगा था. सारा शरीर एक अद्भुत मिठास से भर गया था. ऐसामहसूस हो रहा था कि अब मेरे साथ कुछ करे. मेरे में समां जाये… … शायद पापा की तरह लण्ड घुसादे… .
उसने जोश में मुझे बिस्तर पर धक्का दे कर लेटा दिया और मेरे शरीर को बुरी तरह से दबाने लगाथा. पर मैंने अभी तक उसका लण्ड नहीं छोड़ा था. अब मेरा पजामा भी उतर चुका था. मेरी चूतपानी छोड़ने लगी थी. पर मस्ती में मुझे यह नहीं मालूम था कि चूत चुदने के लिये तैयार हो चुकीथी. मेरा शरीर लण्ड लेने के लिये मचल रहा था.
अचानक चीकू ने मेरे दोनों हाथ दोनों तरफ़ फ़ैला कर पकड़ लिये और बोला,”गौरी, मस्ती लेनी हो तोअपनी टांगें फ़ैला दे… !”
मुझे तो स्वर्ग जैसा मजा आ रहा था. मैंने अपनी दोनों टांगें खोल दी… उससे चूत खुल गई. चीकू मेरेऊपर झुक गया और मेरे अधरों को अपने अधर से दबा लिया… उसका लण्ड चूत के द्वार पर ठोकरेंमार रहा था. उसके चूतड़ों ने जोर लगाया और लण्ड मेरी चूत के द्वार पर ही अटक कर फ़ंस गया.मेरे मुख से चीख सी निकली पर दब गई. उसने और जोर लगाया और लण्ड करीब चार इंच अन्दरघुस गया. मेरा मुख उसके होंठो से दबा हुआ था. उसने मुझे और जोर से दबा लिया और लण्ड काएक बार फिर से जोर लगा कर धक्का मारा … लण्ड सब कुछ चीरता हुआ, झिल्ली को फ़ाड़ताहुआ… अन्दर बैठ गया.
मैं तड़प उठी. आंखों से आंसू निकल पड़े. उसने बिना देरी किये अपना लण्ड चलाना आरम्भ करदिया. मैं नीचे दबी कसमसाती रही और चुदती रही. कुछ ही देर में चुदते चुदते दर्द कम होने लगाऔर मीठी मीठी सी कसक शरीर में भरने लगी. चीकू को चोदते चोदते पसीना आ गया था. पर जोशजबरदस्त था. दोनों जवानी के दहलीज़ पर आये ही थे. अब उसके धक्के चलने से मुझे आनन्द आनेलगा था. चूत गजब की चिकनी हो उठी थी. अब उसने मेरे हाथ छोड़ दिये थे … और सिसकारियाँभर रहा था.
मेरा शरीर भी वासना से भर कर चुदासा हो उठा था. एक एक अंग मसले जाने को बेताब होने लगाथा. मुझे मालूम हो गया था कि मम्मी पापा यही आनन्द उठाते हैं. पर पापा यह आनन्द मुझे क्योंनहीं देते. मुझे भी इस तरह से लण्ड को घुसा घुसा कर मस्त कर दें … . कुछ देर में चीकू मुझसेचिपक गया और उसका वीर्य छूट गया. उसने तेजी से लण्ड बाहर निकाला और चूत के पास दबादिया. उसका लण्ड अजीब तरीके से सफ़ेद सफ़ेद कुछ निकाल रहा था. मेरा यह पहला अनुभव था. पर मैं उस समय तक नहीं झड़ी थी. मेरी उत्तेजना बरकरार थी.
“कैसा लगा गौरी…? मजा आता है ना चुदने में…? “
“भैया लगती बहुत है… ! आआआआ… ये क्या…?” बिस्तर पर खून पड़ा था.
“ये तो पहली चुदाई का खून है… अब खून नहीं निकलेगा… बस मजा आयेगा… !”
मैं भाग कर गई और अपनी चूत पानी से धो ली… चादर को पानी में भिगो दी. वो अपने बिस्तर मेंजाकर सो गया पर मेरे मन में आग लगी रही. वासना की गर्मी मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई. रात को मैंउसके बिस्तर पर जाकर उस पर चढ़ गई. उसकी नींद खुल गई…
“भैया मुझे अभी और चोदो… पापा जैसे जोर से चोदो… !”
“मतलब गाण्ड मरवाना है… !”
“छीः भैया, गन्दी बात मत बोलो … चलो… मैंने अपना पजामा फिर से उतार दिया और मम्मी जैसेगाण्ड चौड़ी करके खड़े हो गई. चीकू उठा और तुरंत क्रीम ले कर आया और मेरी गाण्ड में लगा दी.
“गौरी, गाण्ड को खोलने की कोशिश करना … नहीं तो लग जायेगी… ” मैंने हाँ कर दी.
उसने लण्ड को मेरी गाण्ड के छेद पर लगाया और कहा,”गाण्ड भींचना मत … ढीली छोड़ देना… “और जोर लगाया.
एक बार तो मेरी गाण्ड कस गई, फिर ढीली हो गई. लण्ड जोर लगाने से अन्दर घुस पड़ा. मुझे हल्कासा दर्द हुआ… उसने फिर जोर लगा कर लण्ड को और अन्दर घुसेड़ा. चिकनाई से मुझे आराम था.लण्ड अन्दर बैठता गया.
“हाय… पूरा घुस गया ना, पापा की तरह… ?” मुझे अब अच्छा लगने लगा था.
“हां गौरी … पूरा घुस गया… अब धक्के मारता हूँ… मजा आयेगा अब… !”
उसने धक्के मारने शुरू कर दिये, मुझे दर्द सा हुआ पर चुदने लायक थी. कुछ देर तक तो वो गाण्ड मेंलण्ड चलाता रहा. मुझे कुछ खास नहीं लगा, पर ये सब कुछ मुझे रोमांचित कर रहा था. पर वासनाके मारे मेरी चूत चू रही थी.
“चीकू, मुझे जाने कैसा कैसा लग रहा है… मेरी चूत चोद दे यार… !”
चीकू को मेरी टाईट गाण्ड में मजा आ रहा था. पर मेरी बात मान कर उसने लण्ड मेरी चूत में टिकादिया और इस बार मेरी चूत ने लण्ड का प्यार से स्वागत किया. चिकनी चूत में लण्ड उतरता गया.इस बार कोई दर्द नहीं हुआ पर मजा खूब आया. तेज मीठा मीठा सा कसक भारा अनुभव. अब लगाकि वो मुझे जम कर चोदे. मम्मी इतना मजा लेती हैं और मुझे बताती भी नहीं हैं … सब स्वार्थी होतेहैं … सब चुपके चुपके मजे लेते रहते हैं … . मैंने बिस्तर अपने हाथ रख दिये और चूत और उभार दी.अब मैं पीछे से मस्ती से चुद रही थी. मेरी चूत पानी से लबरेज थी. मेरे चूतड़ अपने आप ही उछलउछल कर चुदवाने लगे थे. उसका लण्ड सटासट चल रहा था… और … और… मेरी मां… ये क्याहुआ… चूत में मस्ती भरी उत्तेजना सी आग भरने लगी और फिर मैं उसे सहन नहीं कर पाई… मेरीचूत मचक उठी… और पानी छोड़ने लगी… झड़ना भी बहुत आनन्द दायक था.
तभी चीकू के लण्ड ने भी फ़ुहार छोड़ दी… और उसका वीर्य उछल पड़ा. लण्ड बाहर निकाल कर वोमेरे साथ साथ ही झड़ता रहा. मुझे एक अजीब सा सुकून मिला. हम दोनों शान्त हो चुके थे.
“चीकू… मजा आ गया यार… अब तो रोज ही ऐसा ही करेंगे … !” मैंने अपने दिल की बात कह दी.
“गौरी, मेरी मासूम सी गौरी … कितना मजा आयेगा ना… अपन भी अब ऐसे ही मजे करेंगे… परकिसी को बताना नहीं… वर्ना ये सब बंद तो हो ही जायेगा… पिटाई अलग होगी…!”
“चीकू … तुम भी मत बताना … मजा कितना आता है ना, अपन रोज ही मस्ती मारेंगे… “
(मेल से प्राप्त कहानी )
मैंने तुरन्त कमरे की लाईट बन्द की और फिर उसमें से झांकने लगी. पापा के चमकदार गोल गोलचूतड़ साफ़ नजर आ रहे थे. सामने बड़ी सी उनकी सू सू तनी हुई दिख रही थी. पापा के चूतड़ कितनेसुन्दर थे, उनका नंगा शरीर बिल्कुल किसी हीरो … नहीं ही-मैन … नहीं सुपरमैन… की तरह था. मैंतो पहली नजर में ही पापा पर मुग्ध हो गई. पापा की सू सू मम्मी के चूतड़ो में घुसी हुई सी नजर आरही थी. पापा बार बार मम्मी के बोबे दबा रहे थे, मसल रहे थे. मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया.झुक कर बस देखती रही… हां, मम्मी को इसमें आनन्द आ रहा था और पापा को भी बहुत मजा आरहा था. कुछ देर तक तो मैं देखती रही फिर मैं बिस्तर पर आ कर लेट गई. सुना तो था कि सू सू तोलड़कियों की सू सू में जाती है… ये तो चूतड़ों के बीच में थी. असमन्जस की स्थिति में मैं सो गई.
दूसरे दिन मेरा चचेरा भाई चीकू आ गया. मेरी ही उम्र का था. उसका पलंग मेरे ही कमरे में दूसरी तरफ़ लगा दिया था. सेक्स के मामले में मैं नासमझ थी. पर चीकू सब समझता था. रात को हमदोनों मोबाईल से खेल रहे थे… कि फिर से वही आवाज मुझे सुनाई दी. चीकू किसी काम से बाहरचला गया था. मैंने भाग कर परदा हटा कर छेद में आंख लगा दी. पापा मम्मी के ऊपर चढ़े हुए थेऔर अपने चूतड़ को आगे पीछे कर के रगड़ रहे थे. इतने में चीकू आ गया…
“क्या कर रही है गौरी… ?” चीकू ने धीरे से पूछा.
“श श … चुप… आजा ये देख… अन्दर मम्मी पापा क्या कर रहे हैं?” मैंने मासूमियत से कहा.
“हट तो जरा … देखूँ तो !” और चीकू ने छेद पर अपनी आंख लगा दी. उसे बहुत ही मजा आने लगाथा.
“गौरी, ये तो मजे कर रहे हैं … !” चीकू उत्सुकता से बोला.
पजामे में भी चीकू के चूतड़ भी पापा जैसे ही दिख रहे थे. अनजाने में ही मेरे हाथ उसके चूतड़ों परपहुंच गये और सहलाने लगे.
“अरे हट, ये क्या कर रही है… ?” उसने बिना मुड़े छेद में देखते हुये मेरे हाथ को हटाते हुये कहा.
“ये बिल्कुल पापा की तरह गोल गोल मस्त हैं ना… !” मैंने फिर से उसके चूतड़ों पर हाथ फ़ेरा. मैंनेअब हाथ नीचे ले जाते हुये पजामें में से उसका लण्ड पकड़ लिया… वो तो बहुत कड़ा था और तनाहुआ था… !
“चीकू ये तो पापा की सू सू की तरह सीधा है… !”
वो एक दम उछल सा पड़ा…
“तू ये क्या करने लगी है … चल हट यहां से… !” उसने मुझे झिड़कते हुये कहा.
पर उसका लण्ड तम्बू की तरह उठा हुआ था. मैंने फिर से भोलेपन में उसका लण्ड पकड़ लिया…
“पापा का भी ऐसा ही है ना मस्त… ?” मैंने जाने किस धुन में कहा. इस बार वो मुस्करा उठा.
“तुझे ये अच्छा लगता है…? ” चीकू का मन भी डोलने लगा था.
“आप तो पापा की तरह सुपरमैन हैं ना… ! देखा नहीं पापा क्या कर रहे थे… मम्मी को कितना मजाआ रहा था… ऐसे करने से मजा आता है क्या… ” मेरा भोलापन देख कर उसका लण्ड और कड़कगया.
“आजा , वहाँ बिस्तर पर चल… एक एक करके सब बताता हूँ !” चीकू ने लुफ़्त उठाने की गरज सेकहा. हम दोनों बिस्तर पर बैठ गये… उसका लण्ड तना हुआ था.
“इसे पकड़ कर सहला… !” उसने लण्ड की तरफ़ इशारा किया. मैंने बड़ी आसक्ति से उसे देखा औरउसका लण्ड एक बार और पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी. उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी.
“मजा आ रहा है भैया… ?”
उसने सिसकारी भरते हुये हां में सर हिलाया,”आ अब मैं तेरे ये सहलाता हूँ… देख तुझे भी मजाआयेगा… !” उसने मेरी चूंचियों की तरफ़ इशारा किया.
मैंने अपना सीना बाहर उभार दिया. मेरी छोटी छोटी दोनों चूंचियां और निपल बाहर से ही दिखनेलगे.
उसने धीरे से अपना हाथ मेरी चूंचियों पर रखा और दबा दिया. मेरे शरीर में एक लहर सी उठी. अबउसके हाथ मेरी पूरी चूंचियों को दबा रहे थे, मसल रहे थे. मेरे शरीर में वासना भरी गुदगुदी भरने लगी. लग रहा था कि बस दबाते ही रहे. ज्योंही उसने मेरे निपल हल्के से घुमाये, मेरे मुँह से आनन्दभरी सीत्कार निकल गई.
“भैया, इसमें तो बड़ा मजा आता है… !”
“तो मम्मी पापा यूँ ही थोड़े ही कर रहे हैं… ? मजा आयेगा तभी तो करेंगे ना… ?”
“पर पापा मम्मी के साथ पीछे से सू सू घुसा कर कुछ कर रहे थे ना… उसमें भी क्या… ?”
“अरे बहुत मजा आता है … रुक जा… अभी अपन भी करेंगे… देख कैसा मजा आता है !”
“देखो तो पापा ने अपनी सू सू मेरे में नहीं घुसाई… बड़े खराब हैं … !”
“ओह हो… चुप हो जा… पापा तेरे साथ ये सब नहीं कर सकते हैं … हां मैं हूँ ना !”
“क्या… तुझे आता है ये सब… ? फिर ठीक है… !”
“अब मेरे लण्ड को पजामे के अन्दर से पकड़ और फिर जोर से हिला… “
“क्या लण्ड … ये तो सू सू है ना… लण्ड तो गाली होती है ना ?”
“नहीं गाली नहीं … सू सू का नाम लण्ड है… और तेरी सू सू को चूत कहते हैं !”
मैं हंस पड़ी ऐसे अजीब नामों को सुनकर. मैंने उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचेकरके उसका तन्नाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और कस कर दबा लिया.
“ऊपर नीचे कर … आह हां … ऐसे ही… जरा जोर से कर… !”
मैं लण्ड उसके कहे अनुसार मसलती रही… और मुठ मारती रही.
“गौरी, मुझे अपने होंठो पर चूमने दे… !”
उसने अपना चेहरा मेरे होंठो से सटा दिया और बेतहाशा चूमने लगा. उसने मेरा पजामा भी नाड़ाखोल कर ढीला कर दिया… और हाथ अन्दर घुसा दिया. उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया. मेरासारा जिस्म पत्ते की तरह कांपने लगा था. सारा शरीर एक अद्भुत मिठास से भर गया था. ऐसामहसूस हो रहा था कि अब मेरे साथ कुछ करे. मेरे में समां जाये… … शायद पापा की तरह लण्ड घुसादे… .
उसने जोश में मुझे बिस्तर पर धक्का दे कर लेटा दिया और मेरे शरीर को बुरी तरह से दबाने लगाथा. पर मैंने अभी तक उसका लण्ड नहीं छोड़ा था. अब मेरा पजामा भी उतर चुका था. मेरी चूतपानी छोड़ने लगी थी. पर मस्ती में मुझे यह नहीं मालूम था कि चूत चुदने के लिये तैयार हो चुकीथी. मेरा शरीर लण्ड लेने के लिये मचल रहा था.
अचानक चीकू ने मेरे दोनों हाथ दोनों तरफ़ फ़ैला कर पकड़ लिये और बोला,”गौरी, मस्ती लेनी हो तोअपनी टांगें फ़ैला दे… !”
मुझे तो स्वर्ग जैसा मजा आ रहा था. मैंने अपनी दोनों टांगें खोल दी… उससे चूत खुल गई. चीकू मेरेऊपर झुक गया और मेरे अधरों को अपने अधर से दबा लिया… उसका लण्ड चूत के द्वार पर ठोकरेंमार रहा था. उसके चूतड़ों ने जोर लगाया और लण्ड मेरी चूत के द्वार पर ही अटक कर फ़ंस गया.मेरे मुख से चीख सी निकली पर दब गई. उसने और जोर लगाया और लण्ड करीब चार इंच अन्दरघुस गया. मेरा मुख उसके होंठो से दबा हुआ था. उसने मुझे और जोर से दबा लिया और लण्ड काएक बार फिर से जोर लगा कर धक्का मारा … लण्ड सब कुछ चीरता हुआ, झिल्ली को फ़ाड़ताहुआ… अन्दर बैठ गया.
मैं तड़प उठी. आंखों से आंसू निकल पड़े. उसने बिना देरी किये अपना लण्ड चलाना आरम्भ करदिया. मैं नीचे दबी कसमसाती रही और चुदती रही. कुछ ही देर में चुदते चुदते दर्द कम होने लगाऔर मीठी मीठी सी कसक शरीर में भरने लगी. चीकू को चोदते चोदते पसीना आ गया था. पर जोशजबरदस्त था. दोनों जवानी के दहलीज़ पर आये ही थे. अब उसके धक्के चलने से मुझे आनन्द आनेलगा था. चूत गजब की चिकनी हो उठी थी. अब उसने मेरे हाथ छोड़ दिये थे … और सिसकारियाँभर रहा था.
मेरा शरीर भी वासना से भर कर चुदासा हो उठा था. एक एक अंग मसले जाने को बेताब होने लगाथा. मुझे मालूम हो गया था कि मम्मी पापा यही आनन्द उठाते हैं. पर पापा यह आनन्द मुझे क्योंनहीं देते. मुझे भी इस तरह से लण्ड को घुसा घुसा कर मस्त कर दें … . कुछ देर में चीकू मुझसेचिपक गया और उसका वीर्य छूट गया. उसने तेजी से लण्ड बाहर निकाला और चूत के पास दबादिया. उसका लण्ड अजीब तरीके से सफ़ेद सफ़ेद कुछ निकाल रहा था. मेरा यह पहला अनुभव था. पर मैं उस समय तक नहीं झड़ी थी. मेरी उत्तेजना बरकरार थी.
“कैसा लगा गौरी…? मजा आता है ना चुदने में…? “
“भैया लगती बहुत है… ! आआआआ… ये क्या…?” बिस्तर पर खून पड़ा था.
“ये तो पहली चुदाई का खून है… अब खून नहीं निकलेगा… बस मजा आयेगा… !”
मैं भाग कर गई और अपनी चूत पानी से धो ली… चादर को पानी में भिगो दी. वो अपने बिस्तर मेंजाकर सो गया पर मेरे मन में आग लगी रही. वासना की गर्मी मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई. रात को मैंउसके बिस्तर पर जाकर उस पर चढ़ गई. उसकी नींद खुल गई…
“भैया मुझे अभी और चोदो… पापा जैसे जोर से चोदो… !”
“मतलब गाण्ड मरवाना है… !”
“छीः भैया, गन्दी बात मत बोलो … चलो… मैंने अपना पजामा फिर से उतार दिया और मम्मी जैसेगाण्ड चौड़ी करके खड़े हो गई. चीकू उठा और तुरंत क्रीम ले कर आया और मेरी गाण्ड में लगा दी.
“गौरी, गाण्ड को खोलने की कोशिश करना … नहीं तो लग जायेगी… ” मैंने हाँ कर दी.
उसने लण्ड को मेरी गाण्ड के छेद पर लगाया और कहा,”गाण्ड भींचना मत … ढीली छोड़ देना… “और जोर लगाया.
एक बार तो मेरी गाण्ड कस गई, फिर ढीली हो गई. लण्ड जोर लगाने से अन्दर घुस पड़ा. मुझे हल्कासा दर्द हुआ… उसने फिर जोर लगा कर लण्ड को और अन्दर घुसेड़ा. चिकनाई से मुझे आराम था.लण्ड अन्दर बैठता गया.
“हाय… पूरा घुस गया ना, पापा की तरह… ?” मुझे अब अच्छा लगने लगा था.
“हां गौरी … पूरा घुस गया… अब धक्के मारता हूँ… मजा आयेगा अब… !”
उसने धक्के मारने शुरू कर दिये, मुझे दर्द सा हुआ पर चुदने लायक थी. कुछ देर तक तो वो गाण्ड मेंलण्ड चलाता रहा. मुझे कुछ खास नहीं लगा, पर ये सब कुछ मुझे रोमांचित कर रहा था. पर वासनाके मारे मेरी चूत चू रही थी.
“चीकू, मुझे जाने कैसा कैसा लग रहा है… मेरी चूत चोद दे यार… !”
चीकू को मेरी टाईट गाण्ड में मजा आ रहा था. पर मेरी बात मान कर उसने लण्ड मेरी चूत में टिकादिया और इस बार मेरी चूत ने लण्ड का प्यार से स्वागत किया. चिकनी चूत में लण्ड उतरता गया.इस बार कोई दर्द नहीं हुआ पर मजा खूब आया. तेज मीठा मीठा सा कसक भारा अनुभव. अब लगाकि वो मुझे जम कर चोदे. मम्मी इतना मजा लेती हैं और मुझे बताती भी नहीं हैं … सब स्वार्थी होतेहैं … सब चुपके चुपके मजे लेते रहते हैं … . मैंने बिस्तर अपने हाथ रख दिये और चूत और उभार दी.अब मैं पीछे से मस्ती से चुद रही थी. मेरी चूत पानी से लबरेज थी. मेरे चूतड़ अपने आप ही उछलउछल कर चुदवाने लगे थे. उसका लण्ड सटासट चल रहा था… और … और… मेरी मां… ये क्याहुआ… चूत में मस्ती भरी उत्तेजना सी आग भरने लगी और फिर मैं उसे सहन नहीं कर पाई… मेरीचूत मचक उठी… और पानी छोड़ने लगी… झड़ना भी बहुत आनन्द दायक था.
तभी चीकू के लण्ड ने भी फ़ुहार छोड़ दी… और उसका वीर्य उछल पड़ा. लण्ड बाहर निकाल कर वोमेरे साथ साथ ही झड़ता रहा. मुझे एक अजीब सा सुकून मिला. हम दोनों शान्त हो चुके थे.
“चीकू… मजा आ गया यार… अब तो रोज ही ऐसा ही करेंगे … !” मैंने अपने दिल की बात कह दी.
“गौरी, मेरी मासूम सी गौरी … कितना मजा आयेगा ना… अपन भी अब ऐसे ही मजे करेंगे… परकिसी को बताना नहीं… वर्ना ये सब बंद तो हो ही जायेगा… पिटाई अलग होगी…!”
“चीकू … तुम भी मत बताना … मजा कितना आता है ना, अपन रोज ही मस्ती मारेंगे… “
(मेल से प्राप्त कहानी )