Friday, 27 March 2015

पहली चुदाई

मैं अपने घर में एकलौती लड़की हूँ. लाड़ प्यार ने मुझे जिद्दी बना दिया था. बोलने में भी मैं लाड़ के कारण तुतलाती थी. मैं सेक्स के बारे में कम ही जानती थी. पर हां कॉलेज तक आते आते मुझे चूत और लण्ड के बारे में थोड़ा बहुत मालूम हो गया था. मेरी माहवारी के कारण मुझे थोड़ा बहुत चूत केबारे में पता था पर कभी सेक्स की भावना मन में आई ही नहीं. लड़को से भी मैं बातें बेहिचक कियाकरती थी. पर एक दिन तो मुझे सब मालूम पड़ना ही था. आज रात को जैसे ही मैंने अपना टीवी बन्द किया, मुझे मम्मी पापा के कमरे से एक अनोखी सीआवाज आई. मैंने बाहर निकल कर अपने से लगे कमरे की तरफ़ देखा तो लाईट जल रही थी पर कमर सब तरफ़ से बन्द था. मैं अपने कमरे में वापस आ गई. मुझे फिर वही आवाज आई. मेरी नजर मेरे कमरे से लगे हुये दरवाजे पर टिक गई. मैंने परदा हटाया तो बन्द दरवाजे में एक छेद नजरआया, जो नीचे था. मैंने झुक के कमरे में देखने की कोशिश की. एक ही नजर में मुझे मम्मी पापा दिख गये. वे नंगे थे और कुछ कर रहे थे.
मैंने तुरन्त कमरे की लाईट बन्द की और फिर उसमें से झांकने लगी. पापा के चमकदार गोल गोलचूतड़ साफ़ नजर आ रहे थे. सामने बड़ी सी उनकी सू सू तनी हुई दिख रही थी. पापा के चूतड़ कितनेसुन्दर थे, उनका नंगा शरीर बिल्कुल किसी हीरो … नहीं ही-मैन … नहीं सुपरमैन… की तरह था. मैंतो पहली नजर में ही पापा पर मुग्ध हो गई. पापा की सू सू मम्मी के चूतड़ो में घुसी हुई सी नजर आरही थी. पापा बार बार मम्मी के बोबे दबा रहे थे, मसल रहे थे. मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया.झुक कर बस देखती रही… हां, मम्मी को इसमें आनन्द आ रहा था और पापा को भी बहुत मजा आरहा था. कुछ देर तक तो मैं देखती रही फिर मैं बिस्तर पर आ कर लेट गई. सुना तो था कि सू सू तोलड़कियों की सू सू में जाती है… ये तो चूतड़ों के बीच में थी. असमन्जस की स्थिति में मैं सो गई.
दूसरे दिन मेरा चचेरा भाई चीकू आ गया. मेरी ही उम्र का था. उसका पलंग मेरे ही कमरे में दूसरी तरफ़ लगा दिया था. सेक्स के मामले में मैं नासमझ थी. पर चीकू सब समझता था. रात को हमदोनों मोबाईल से खेल रहे थे… कि फिर से वही आवाज मुझे सुनाई दी. चीकू किसी काम से बाहरचला गया था. मैंने भाग कर परदा हटा कर छेद में आंख लगा दी. पापा मम्मी के ऊपर चढ़े हुए थेऔर अपने चूतड़ को आगे पीछे कर के रगड़ रहे थे. इतने में चीकू आ गया…
“क्या कर रही है गौरी… ?” चीकू ने धीरे से पूछा.
“श श … चुप… आजा ये देख… अन्दर मम्मी पापा क्या कर रहे हैं?” मैंने मासूमियत से कहा.
“हट तो जरा … देखूँ तो !” और चीकू ने छेद पर अपनी आंख लगा दी. उसे बहुत ही मजा आने लगाथा.
“गौरी, ये तो मजे कर रहे हैं … !” चीकू उत्सुकता से बोला.
पजामे में भी चीकू के चूतड़ भी पापा जैसे ही दिख रहे थे. अनजाने में ही मेरे हाथ उसके चूतड़ों परपहुंच गये और सहलाने लगे.
“अरे हट, ये क्या कर रही है… ?” उसने बिना मुड़े छेद में देखते हुये मेरे हाथ को हटाते हुये कहा.
“ये बिल्कुल पापा की तरह गोल गोल मस्त हैं ना… !” मैंने फिर से उसके चूतड़ों पर हाथ फ़ेरा. मैंनेअब हाथ नीचे ले जाते हुये पजामें में से उसका लण्ड पकड़ लिया… वो तो बहुत कड़ा था और तनाहुआ था… !
“चीकू ये तो पापा की सू सू की तरह सीधा है… !”
वो एक दम उछल सा पड़ा…
“तू ये क्या करने लगी है … चल हट यहां से… !” उसने मुझे झिड़कते हुये कहा.
पर उसका लण्ड तम्बू की तरह उठा हुआ था. मैंने फिर से भोलेपन में उसका लण्ड पकड़ लिया…
“पापा का भी ऐसा ही है ना मस्त… ?” मैंने जाने किस धुन में कहा. इस बार वो मुस्करा उठा.
“तुझे ये अच्छा लगता है…? ” चीकू का मन भी डोलने लगा था.
“आप तो पापा की तरह सुपरमैन हैं ना… ! देखा नहीं पापा क्या कर रहे थे… मम्मी को कितना मजाआ रहा था… ऐसे करने से मजा आता है क्या… ” मेरा भोलापन देख कर उसका लण्ड और कड़कगया.
“आजा , वहाँ बिस्तर पर चल… एक एक करके सब बताता हूँ !” चीकू ने लुफ़्त उठाने की गरज सेकहा. हम दोनों बिस्तर पर बैठ गये… उसका लण्ड तना हुआ था.
“इसे पकड़ कर सहला… !” उसने लण्ड की तरफ़ इशारा किया. मैंने बड़ी आसक्ति से उसे देखा औरउसका लण्ड एक बार और पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी. उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी.
“मजा आ रहा है भैया… ?”
उसने सिसकारी भरते हुये हां में सर हिलाया,”आ अब मैं तेरे ये सहलाता हूँ… देख तुझे भी मजाआयेगा… !” उसने मेरी चूंचियों की तरफ़ इशारा किया.
मैंने अपना सीना बाहर उभार दिया. मेरी छोटी छोटी दोनों चूंचियां और निपल बाहर से ही दिखनेलगे.
उसने धीरे से अपना हाथ मेरी चूंचियों पर रखा और दबा दिया. मेरे शरीर में एक लहर सी उठी. अबउसके हाथ मेरी पूरी चूंचियों को दबा रहे थे, मसल रहे थे. मेरे शरीर में वासना भरी गुदगुदी भरने लगी. लग रहा था कि बस दबाते ही रहे. ज्योंही उसने मेरे निपल हल्के से घुमाये, मेरे मुँह से आनन्दभरी सीत्कार निकल गई.
“भैया, इसमें तो बड़ा मजा आता है… !”
“तो मम्मी पापा यूँ ही थोड़े ही कर रहे हैं… ? मजा आयेगा तभी तो करेंगे ना… ?”
“पर पापा मम्मी के साथ पीछे से सू सू घुसा कर कुछ कर रहे थे ना… उसमें भी क्या… ?”
“अरे बहुत मजा आता है … रुक जा… अभी अपन भी करेंगे… देख कैसा मजा आता है !”
“देखो तो पापा ने अपनी सू सू मेरे में नहीं घुसाई… बड़े खराब हैं … !”
“ओह हो… चुप हो जा… पापा तेरे साथ ये सब नहीं कर सकते हैं … हां मैं हूँ ना !”
“क्या… तुझे आता है ये सब… ? फिर ठीक है… !”
“अब मेरे लण्ड को पजामे के अन्दर से पकड़ और फिर जोर से हिला… “
“क्या लण्ड … ये तो सू सू है ना… लण्ड तो गाली होती है ना ?”
“नहीं गाली नहीं … सू सू का नाम लण्ड है… और तेरी सू सू को चूत कहते हैं !”
मैं हंस पड़ी ऐसे अजीब नामों को सुनकर. मैंने उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचेकरके उसका तन्नाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और कस कर दबा लिया.
“ऊपर नीचे कर … आह हां … ऐसे ही… जरा जोर से कर… !”
मैं लण्ड उसके कहे अनुसार मसलती रही… और मुठ मारती रही.
“गौरी, मुझे अपने होंठो पर चूमने दे… !”
उसने अपना चेहरा मेरे होंठो से सटा दिया और बेतहाशा चूमने लगा. उसने मेरा पजामा भी नाड़ाखोल कर ढीला कर दिया… और हाथ अन्दर घुसा दिया. उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया. मेरासारा जिस्म पत्ते की तरह कांपने लगा था. सारा शरीर एक अद्भुत मिठास से भर गया था. ऐसामहसूस हो रहा था कि अब मेरे साथ कुछ करे. मेरे में समां जाये… … शायद पापा की तरह लण्ड घुसादे… .
उसने जोश में मुझे बिस्तर पर धक्का दे कर लेटा दिया और मेरे शरीर को बुरी तरह से दबाने लगाथा. पर मैंने अभी तक उसका लण्ड नहीं छोड़ा था. अब मेरा पजामा भी उतर चुका था. मेरी चूतपानी छोड़ने लगी थी. पर मस्ती में मुझे यह नहीं मालूम था कि चूत चुदने के लिये तैयार हो चुकीथी. मेरा शरीर लण्ड लेने के लिये मचल रहा था.
अचानक चीकू ने मेरे दोनों हाथ दोनों तरफ़ फ़ैला कर पकड़ लिये और बोला,”गौरी, मस्ती लेनी हो तोअपनी टांगें फ़ैला दे… !”
मुझे तो स्वर्ग जैसा मजा आ रहा था. मैंने अपनी दोनों टांगें खोल दी… उससे चूत खुल गई. चीकू मेरेऊपर झुक गया और मेरे अधरों को अपने अधर से दबा लिया… उसका लण्ड चूत के द्वार पर ठोकरेंमार रहा था. उसके चूतड़ों ने जोर लगाया और लण्ड मेरी चूत के द्वार पर ही अटक कर फ़ंस गया.मेरे मुख से चीख सी निकली पर दब गई. उसने और जोर लगाया और लण्ड करीब चार इंच अन्दरघुस गया. मेरा मुख उसके होंठो से दबा हुआ था. उसने मुझे और जोर से दबा लिया और लण्ड काएक बार फिर से जोर लगा कर धक्का मारा … लण्ड सब कुछ चीरता हुआ, झिल्ली को फ़ाड़ताहुआ… अन्दर बैठ गया.
मैं तड़प उठी. आंखों से आंसू निकल पड़े. उसने बिना देरी किये अपना लण्ड चलाना आरम्भ करदिया. मैं नीचे दबी कसमसाती रही और चुदती रही. कुछ ही देर में चुदते चुदते दर्द कम होने लगाऔर मीठी मीठी सी कसक शरीर में भरने लगी. चीकू को चोदते चोदते पसीना आ गया था. पर जोशजबरदस्त था. दोनों जवानी के दहलीज़ पर आये ही थे. अब उसके धक्के चलने से मुझे आनन्द आनेलगा था. चूत गजब की चिकनी हो उठी थी. अब उसने मेरे हाथ छोड़ दिये थे … और सिसकारियाँभर रहा था.
मेरा शरीर भी वासना से भर कर चुदासा हो उठा था. एक एक अंग मसले जाने को बेताब होने लगाथा. मुझे मालूम हो गया था कि मम्मी पापा यही आनन्द उठाते हैं. पर पापा यह आनन्द मुझे क्योंनहीं देते. मुझे भी इस तरह से लण्ड को घुसा घुसा कर मस्त कर दें … . कुछ देर में चीकू मुझसेचिपक गया और उसका वीर्य छूट गया. उसने तेजी से लण्ड बाहर निकाला और चूत के पास दबादिया. उसका लण्ड अजीब तरीके से सफ़ेद सफ़ेद कुछ निकाल रहा था. मेरा यह पहला अनुभव था. पर मैं उस समय तक नहीं झड़ी थी. मेरी उत्तेजना बरकरार थी.
“कैसा लगा गौरी…? मजा आता है ना चुदने में…? “
“भैया लगती बहुत है… ! आआआआ… ये क्या…?” बिस्तर पर खून पड़ा था.
“ये तो पहली चुदाई का खून है… अब खून नहीं निकलेगा… बस मजा आयेगा… !”
मैं भाग कर गई और अपनी चूत पानी से धो ली… चादर को पानी में भिगो दी. वो अपने बिस्तर मेंजाकर सो गया पर मेरे मन में आग लगी रही. वासना की गर्मी मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई. रात को मैंउसके बिस्तर पर जाकर उस पर चढ़ गई. उसकी नींद खुल गई…
“भैया मुझे अभी और चोदो… पापा जैसे जोर से चोदो… !”
“मतलब गाण्ड मरवाना है… !”
“छीः भैया, गन्दी बात मत बोलो … चलो… मैंने अपना पजामा फिर से उतार दिया और मम्मी जैसेगाण्ड चौड़ी करके खड़े हो गई. चीकू उठा और तुरंत क्रीम ले कर आया और मेरी गाण्ड में लगा दी.
“गौरी, गाण्ड को खोलने की कोशिश करना … नहीं तो लग जायेगी… ” मैंने हाँ कर दी.
उसने लण्ड को मेरी गाण्ड के छेद पर लगाया और कहा,”गाण्ड भींचना मत … ढीली छोड़ देना… “और जोर लगाया.
एक बार तो मेरी गाण्ड कस गई, फिर ढीली हो गई. लण्ड जोर लगाने से अन्दर घुस पड़ा. मुझे हल्कासा दर्द हुआ… उसने फिर जोर लगा कर लण्ड को और अन्दर घुसेड़ा. चिकनाई से मुझे आराम था.लण्ड अन्दर बैठता गया.
“हाय… पूरा घुस गया ना, पापा की तरह… ?” मुझे अब अच्छा लगने लगा था.
“हां गौरी … पूरा घुस गया… अब धक्के मारता हूँ… मजा आयेगा अब… !”
उसने धक्के मारने शुरू कर दिये, मुझे दर्द सा हुआ पर चुदने लायक थी. कुछ देर तक तो वो गाण्ड मेंलण्ड चलाता रहा. मुझे कुछ खास नहीं लगा, पर ये सब कुछ मुझे रोमांचित कर रहा था. पर वासनाके मारे मेरी चूत चू रही थी.
“चीकू, मुझे जाने कैसा कैसा लग रहा है… मेरी चूत चोद दे यार… !”
चीकू को मेरी टाईट गाण्ड में मजा आ रहा था. पर मेरी बात मान कर उसने लण्ड मेरी चूत में टिकादिया और इस बार मेरी चूत ने लण्ड का प्यार से स्वागत किया. चिकनी चूत में लण्ड उतरता गया.इस बार कोई दर्द नहीं हुआ पर मजा खूब आया. तेज मीठा मीठा सा कसक भारा अनुभव. अब लगाकि वो मुझे जम कर चोदे. मम्मी इतना मजा लेती हैं और मुझे बताती भी नहीं हैं … सब स्वार्थी होतेहैं … सब चुपके चुपके मजे लेते रहते हैं … . मैंने बिस्तर अपने हाथ रख दिये और चूत और उभार दी.अब मैं पीछे से मस्ती से चुद रही थी. मेरी चूत पानी से लबरेज थी. मेरे चूतड़ अपने आप ही उछलउछल कर चुदवाने लगे थे. उसका लण्ड सटासट चल रहा था… और … और… मेरी मां… ये क्याहुआ… चूत में मस्ती भरी उत्तेजना सी आग भरने लगी और फिर मैं उसे सहन नहीं कर पाई… मेरीचूत मचक उठी… और पानी छोड़ने लगी… झड़ना भी बहुत आनन्द दायक था.
तभी चीकू के लण्ड ने भी फ़ुहार छोड़ दी… और उसका वीर्य उछल पड़ा. लण्ड बाहर निकाल कर वोमेरे साथ साथ ही झड़ता रहा. मुझे एक अजीब सा सुकून मिला. हम दोनों शान्त हो चुके थे.
“चीकू… मजा आ गया यार… अब तो रोज ही ऐसा ही करेंगे … !” मैंने अपने दिल की बात कह दी.
“गौरी, मेरी मासूम सी गौरी … कितना मजा आयेगा ना… अपन भी अब ऐसे ही मजे करेंगे… परकिसी को बताना नहीं… वर्ना ये सब बंद तो हो ही जायेगा… पिटाई अलग होगी…!”
“चीकू … तुम भी मत बताना … मजा कितना आता है ना, अपन रोज ही मस्ती मारेंगे… “


(मेल से प्राप्त कहानी )

Friday, 13 March 2015

रंगपंचमी के दिन रेणुका भाभी को उनके घर में चोदा

(रेणुका को ट्रेन मैंने कैसे चुदाई किया उसके आगे का शेष भाग ) 

गाँव में मुझे सिर्फ दो दिन का काम था इस लिए मैं 5 मार्च को वापस आ गया ! जब से रेणुका भाभी की चुदाई किया तब से उनसे रोज मोबाइल पर लम्बी बाते होने लगी ! बात बात एक दिन पूछ लिया की  कब आओगी तो बताया की 8 मार्च  जाऊगी ! तब मैंने कहा ''ट्रेन  में मजा नहीं आया'' तो हसने लगी और बोली ''ठीक है और कही जगह देख लेंगे जहा खूब मजा आये'' और इस तरह से रोज रोज बाते करने लगा भाभी से खूब गन्दी गन्दी बातें करना ! आखिर भाभी 8 मार्च को साम के समय वापस आ गई ! तो मैंने मन ही मन प्लान बना लिया की कल  दिन में  भाभी को नहला कर चोदा जाए और फिर ये प्लान भाभी को बताया तो मना कर दिया और बोली ''कल नहीं परसो'' तो मैंने कहा ''परसों तो रंगपंचमी है सभी घर में रहेंगे'' तो भाभी बोली ''मैं कुछ सोच कर ही कह रही हूँ'' तब मैंने पूंछा ''कितने बजे'' तो भाभी बोली ''साम को 4:30 के बाद जब होली
खुमार उतर जाएगा सभी नहाने धोने लग जायेगे तब'' पर मेरे से रहा नहीं गया और फिर से पूंछ लिया की ''भाई साहब,और गुड़िया तो नहीं रहेंगे घर पर''  तो भाभी बोली '' गुड़िया को इंटरब्यू दिलाने   चले जाएंगे सुबह-सुबह तो रात तक वापस आयेगे'' बस फिर क्या था  मैंने मन ही मन प्लान बना लिया की भाभी को उनके बैडरूम में तबियत से चुदाई करूंगा ! ये सोच सोच कर 2 रात तक टीक से नींद नहीं आई ! जैसे तैसे 10 मार्च आया तो खुसी के मारे दिन भर इधर उधर घूम घूम कर खूब रंग खेला कुछ दोस्तों के साथ कई पैग सराब के भी लगा लिए दोपहर के 3 बजे तक ! 3 बाद घर गया नहाया रंग साफ़ किया खाना खाया और थोड़ी देर तक आराम करने के बाद करीब 4 बजकर 15 मिनट पर घर से निकल लिया और पैदल ही रेणुका भाभी के घर आ गया ! रेणुका भाभी के घर आसपास सन्नाटा हो गया था सभी नहाने धोने में ब्यस्त हो गए थे !
 भाभी की ओरिजनल पिक में मुझे मारने  के लिए हाथ में झाड़ू उठाये हुए
चुपचाप गेट खोला और दरबाजे को खोलने लगा  तो नहीं खुला,अंदर से चिटकनी लगी थी तब मैंने साइड से झाककर देखा तो चिटकनी खिड़की  के पास ही लगी थी तब मैंने हाथ डालकर चिटकिनी को बिना आवाज किये खोल दिया और चप्पल सहित अंदर खुस गया और धीरे  दरवाजा लगाया साइड में चप्पल रखा और दबे पाँव से भाभी को तलासने लगा तो किसी रूम में नहीं दिखी तो बैडरूम में जाने लगा तो बाथरूम से नहाने की आवाज आ रही थी तो बाथरूम के तरफ चला गया तो देखा की भाभी सलवार ब्रा में बाथरूम को साफ़ कर रही थी तो मैंने तुरंत मेरा मोबाइल निकाला और चुपचाप फोटो लेने लगा जब मोबाइल का फ्लेस चमका तब भाभी पलट कर देखी और हलके दिखावटी गुस्से से बोली ''ये क्या बदतमीजी है'' तब भी मैं बार बार मोबाइल के कैमरे से फोटो लिए जा रहा था तो बोली ''बाद में सभी डिलीट कर देना'' तो मैंने कहा  ''चिंता नहीं करो भौजाई साहब कोई नहीं देखेगा मेरे सिवा'' इसके बाद बोली '' अब बंद करिये नहीं तो पानी डाल दूंगी मोबाइल में'' और नहाने वाले प्लास्टिक  के मग  भरा तो मैंने जल्दी से मोबाइल लेकर भगा और बैडरूम  आकार सभी कपडे उतार कर एक दम से नंगा होकर बाथरूम में घुस गया और फिर रेणुका भाभी के पीछे पीठ की तरफ खड़ा हो गया और फिर एक एक करके गले से, पीठ से, कमर से, हाथों में साबुन लगा लगा कर रंग को छुड़ाने लगा मैं जैसे रंग छुड़ाता
रेणुका भाभी की बुर  90 % ऐसी ही मस्त चिकनी, बगल में तिल है
जाता वैसे वैसे रेणुका भाभी के ऊपर चुदाने का रंग चढ़ता जाता आखिर में गले से रंग छुड़ाते हुए चूचियों पर साबुन लगाया और फिर चूचियों के ऊपर नीचे हाथ खिसका खिसका कर घिसने लगा ! वाऊ क्या  बढ़िया अनुभव था उस समय बाथरूम का, मेरा खड़ा हुआ लण्ड रेणुका भाभी की पीठ से टकरा रहा था  और भाभी की बड़ी बड़ी टाइट चूचियाँ मेरे हाथ से मछली की तरह बार बार फिसल रही थी इस तरह से लगातार 4 मिनट तक भाभी की चूचियों का रंग निकालता रहा काफी हद तक चूचियों का रंग निकल गया पर भाभी के ऊपर चुदाई का रंग चढ़ने लगा ! अब भाभी मेरे हाथो को पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी फिर भी मैं चूचियों को मसले जा रहा था तब भाभी मेरे मोटे लण्ड को पकड़ कर खिलाने लगी तो मैं भाभी के सामने आ गया और भाभी मुह के पास लण्ड ले गया और भाभी के मुहं में डालने लगा तो भाभी ने लण्ड लेने के पहले सुपाड़े की चमड़ी को पीछे खिसकाया और लण्ड को धोया और बड़ी आसानी से मुह  डाल लिया तो मैंने लण्ड को आगे पीछे करने लगा 1 मिनट तक करने के बाद भाभी ने लण्ड को मुह  और बोली ''ये किस दिन काम आएगी'' (अपनी बुर की तरफ इसारा किया) इतना कहकर मेरे हाथ को पकड़ कर खींचा और नीचे बैठा दिया तो मैंने भाभी की दोनों टांगो को अपनी कमर की तरफ खींचा और कमर से सटाते हुए अपनी दोनों टांगो को भाभी की कमर  के पास सटा दिया और फिर भाभी की चूत में लण्ड को बड़ी आसानी से घुसा दिया (आज भाभी की चूत एकदम से चिकनी थी लगता है आज अभी अभी सफाई किया था )और भाभी की कमर में हाथ रख कर अपनी तरफ खीच लिया और  बाथरूम की चिकनी फर्स पर अपने चूतड़ को हिलाने लगा भाभी भी अपने चूतड़ों  हिला हिला कर चुदाई  का मजा लेने लगी ! पर मैंने आज सराब पी रखी थी इस लिए दिमाग में कुछ अलग ही सैतानी सूझ पड़ रही थी ! मैंने चुदाई बंद किया और भाभी को पकड़ कर उठाया और बाथरूम में ही घोड़ी बना दिया और घोड़े की तरह पीछे से चुदाई सुरु कर दिया पर भाभी के घुटनों में दर्द होने लगा लगा क्योकि फर्स के कारण तो भाभी पेट की तरफ से बाथरूम में लेट गई और मैंने फिर लण्ड घुसेड़ कर चोदने लगा पर भाभी के मोटे मोटे चूतड़ों के  कारण मेरा छोटा सा लण्ड अंदर तक नहीं जा रहा था तो मैंने भाभी को बोला ''चलिए बेड पर चलते हैं यहाँ मजा नहीं आ रहा है'' तो भाभी तुरंत तैयार हो गई और दोनों बैडरूम में आ गए !
रेणुका भाभी को उनके बाथरूम  से झुका कर चुदाई किया
बैडरूम में आते ही भाभी बेड पर उलटा लेट गई तो मैंने इसारा किया सोफे की तरफ आने को , भाभी तो काम ज्वाला में धधक रही थी जैसा कहता वैसा तुरंत करती ! भाभी सोफे की तरफ आने के पहले पलंग की दराज से कंडोम निकाला और मेरी तरफ बढ़ा दिया और बोली '' इसे लगा लो कोई लफड़ा नहीं हो'' तो मैंने चुपचाप कंडोम को लण्ड पर चढ़ाया भाभी को सोफे के हेंडल को पकड़ कर झुका दिया और लण्ड को पेल दिया और फिर चूत की चुदाई का जो सिलसिला चला तो लगातार 8 मिनट तक भाभी की चूत इसी तरह से चोदता रहा भाभी के मुह से उउउउ आए आए आआआआआआआ आअह्ह्हआःह्हाआह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्सी की आवाज निकलने लगी भाभी अपना एक हाथ सोफे के हैंडिल से हटाकर  चुचियो को दबाती तो कभी मेरी जांघो को सहलाती मैं धक्के देना बंद कर देता तो खुद ही अपने चूतडो को आगे पीछे करने लगती इस तरह से भाभी चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी की अचानक खड़ी हो गई और लिपटते हुए बोली ''अब और अधिक मत तड़पाओ'' और हाथ पकड़ कर बेड पर ले गई और लेट गई व् बोली ''जब तक मर्द ऊपर चढ़कर नहीं मसले तब तक मजा ही नहीं आता'' तब मैं फिर भाभी की दोनों टांगो को फैलाया और चूत को चाटने लगा तो भाभी उउउउ आअह्ह्ह आअह्ह उउउउ करने लगी और मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तब मैं फिर से भाभी के ऊपर लेट  गया और पूरा बजन भाभी के ऊपर कर फिर लण्ड को पेलते हुए धीरे धीरे धक्के मारना सुरु  कर दिया ,  एक एक धक्के के साथ  साथ भाभी और मैं जन्नत  सैर करने लगा !  भाभी की चूची को चूसता,मसलता तो भाभी कुछ नहीं बोलती बल्कि मेरी जीभ को चूसती इस तरह से चुदाई  का यह कार्यक्रम लगातार 10 मिनट तक चलता रहा, भाभी अपनी चूत को अंदर की तरफ खींचती तो चूत एकदम सिमट कर  टाइट पड़ जाती तो चुदाई  में चाँद लग जाता ! लण्ड एकदम से चूत में चिपक कर घर्षण करने लगा तो भाभी  हाथो को मेरे चूतडो पर रख लिया और मेरे चूतड़ों  जल्दी जल्दी आगे पीछे करने में सहयोग करने लगी मैं समझ गया भाभी चुदाई के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुकी है मैं भी जल्दी जल्दी झटके मारने लगा  तो भाभी मदहोस सी हो गई और कांपती हुई आवाज में बोली '' और जल्दी जल्दी करिये न,काहे को तड़पा रहें है'' तब मैं चुदाई की स्पीड बढ़ा दिया और इस तरह से लगातार 4 मिनट तक पूरी ताकत से भाभी की चूत को लण्ड से ठोंके जा रहा था और भाभी मेरी पीठ  हाथो से जकड कर पकड़ लिया और मेरी जीभ को इतनी जोर जोर से चूसने लगी की लगता था जीभ को निगल  लेंगी और फिर अचानक भाभी निढाल होकर लम्बी लम्बी सासें छोड़ने लगी उनकी पकड़ कमजोर हो है मेरी जीभ को मुह से निकाल दिया और बेहोस सी हो गई मैं अभी भी अंतिम पड़ाव में ही था लगातार झटके मारने के बाद करीब 2 मिनट  वीर्य निकल गया और मैं पूरी ताकत से बहभी की चूत में लण्ड पेले रहा तो  आह्हह की आवाज निकली और बोली '' जान लगे क्या'' और मुझे अपने ऊपर से उठाने लगी पर मैं अभी भी भाभी को जोर से कसकर पकडे हुए था तो भाभी फिर से बोली '' अब छोड़िये  भी मेरी साँसे फूल रही है'' तब मैं भाभी के ऊपर से पकड़ काम कर दिया तो भाभी ने  ऊपर  धकेल दिया और मैं जोर जोर से हाँफते हुए भाभी के बगल में लेट गया और भाभी जल्दी से उठी और बोली '' यहाँ से जल्दी से जाइए'' तब मैं उठकर कपडे पहनने लगा और भाभी जल्दी से गाउन डालीं और बाहर निकल कर घर  के सामने रोड में खड़ी हो गई और फिर वापस आ गई और बोली ''अभी रुकिए पडोसी बाहर ही खड़ा है'' और तब मैं रुक गया तो बोली ''आप आगे वाले कमरे में जाइए, मैं टीवी ऑन कर देती हूँ जिससे किसी को लगे की आप इसी रूम ''  और भाभी चली गई टीवी ऑन कर दिया तो मैं टीवी देखने लगा इतने भाभी एक प्लेट में नास्ता लेकर आई ओर सामने रख दिया और खिड़की से झाकने लगी बाहर  और फिर आगे का दरवाजा खोल कर पर्दा लगा दिया मैं 5 मिनट में नास्ता किया और फिर जाने लगा तो भाभी बोली ''रुकिए दो मिनट'' और बाहर चली गई और फिर अंदर आई और बोली ''अब जाइए कोई नहीं है बाहर'' और मैं चला आया ! करीब एक घंटे बाद फोन किया भाभी को और हाल चाल पूछा तो बोली ''जान निकाल लिया आज और हाल चाल पूछ रहे है'' तब मैंने बोला '' कसम से भाभी बहुत मजा दिया आपने'' तब बोली ''आज जैसे मजा तो सुहागरात में भी नहीं आया था'' और फिर बहुत सी बातें किया …………… ……आखिर में मैंने पूछा ''अब कब मिलोगी''… तो भाभी बोली …… ''जब भी ऐसा मौका मिलेगा आपके भैया नहीं रहेंगे तो रात में बुला लुंगी'' और अब मैं उस रात के इन्तजार  हूँ  ………………………। 

(जब भी भाभी को रात में चोदूंगा जरूर लिख कर भेजूंगा)

और रेणुका भाभी को रात में चोदने का  मौका मिल ही गया कैसे आगे पढ़िए …………………। 

18 मार्च रेणुका भाभी का साम के समय 7 बजे फोन आया और बोली ''कहाँ हो आप'' तो मैंने बताया की ''बाजार में हूँ कहिये'' तो धीरे से बोली ''आज रात में आओगे क्या'' तब मैंने पूछा की '' भाई साहब कहाँ है '' तो बोली  ''ओ दो दिन के लिए बाहर गए'' तब मैंने पूछा ''कितने बजे तक आ जाउगा'' तो बोली '' आप नाइट ड्यूटी में कितने बजे जाते हैं'' तब मैंने बताया की ''रात के 11:30 पर घर से निकलता हूँ और चौराहे से कंपनी की बस पकड़ता हूँ'' तो बोली ''टीक है फिर ड्यूटी नहीं जाना इधर आ जाना'' तब मैंने कहा ''ओके'' ! बाजार से वापस जाते समय मेडिकल स्टोर से ''बिगोरा-100'' की चार टेबलेट और ''डॉटेड खुसबू वाला कंडोम'' ले लिया और बेसब्री से रात का इन्तजार करने लगा ! रेणुका भाभी की पुनः चुदाई की खुसी में नींद ही  नहीं आई और रात 11 बजे ही घर से निकल लिया ''बिगोरा-100'' के एक टेबलेट खाकर और रेणुका भाभी को फोन किया तो ओ जग ही रही थी बोली ''अभी रुको मैं बाहर  माहौल देख लू पास-पड़ोस में कोई जग तो नहीं रहा है'' 2 मिनट बाद रेणुका का फोन आया और बोली '' अभी मत आइये सामने वाले मकान की लाइट जल रही है लगता है जगरहा है जब  मैं मिस दूंगी तब आना'' मैंने ''ओके'' कह कर फोन रख दिया और रेणुका भाभी  के फोन का इन्तजार करने लगा ! जब 11:30 तक मिस काल नहीं आई तब मैंने फिर से फोन किया तो बोली '' पडोसी कई दिनों बाद आया लगता सारी कसर आज ही निकाल लेगा अभी तक लाइट जल रही है'' तब मैंने कहा ''मैं बोर हो गया हूँ खड़े खड़े'' तो बोली ''वाट्सअप फेसबुक चलकर टाइम पास करो जब तक लाइट जल रही है तब तक नहीं आना'' इतना कहकर मेरा जबाब सुने बिना ही फोन काट दिया'' रात के 12 बज गए तब मैंने फिर से फोन किया तो भाभी ने फोन काट दिया मैं समझ गया लाइन क्लियर नहीं है और इस तरह इन्तजार करते करते मेरा सब्र जबाब दे दिया  तो 12:30 पर फोन करने ही वाला था की भाभी की मिस काल आ गई तब मैं समझ गया की लाइन क्लियर है अब और मैं लम्बे लम्बे कदम बढ़ाते हुए रेणुका भाभी के घर के पास पहुंच गया और एक दीवाल के पास छिपकर आसपास का माहौल देखने लगा चारो तरफ सन्नाटा था बीच बीच में कुत्ते भोक  रहे थे ! दीवार के पास खड़ा होकर रेणुका को फोन किया तो धीरे से बोली ''दरवाजा खुला हुआ है पाँव की आवाज किये बिना आ जाओ'' तब मैंने जल्दी जल्दी पाँव बढ़ाया और रेणुका भाभी के बैडरूम के सामने वाले छोटे गेट को धीरे से खोला और बैडरूम में पहुच गया (रेणुका भाभी का बैडरूम का एक दरवाजा सीधे मेन रोड में भी खुलता है) जैसे ही कमरे घुसा, दरवाजा लगा लिया और बेड में लेटी हुई रेणुका भाभी के  पास लेटने लगा और किस करने के लिए झुका  तो रेणुका भाभी बोली '' ओ वाला भी दरवाजा लगा दो,कही बिटिया न आ जाए '' {रेणुका भाभी के रूम का एक दरवाजा बाथरूम के पास वाली गली  खुलता है} तब मैं उठा और वाथरूम की गली वाला दरवाजा लगा लिया और वापस आकर रेणुका भाभी के बगल में लेट गया और रेणुका भाभी को अपनी तरफ खीचते हुए होठो को चुम लिया और चूची को दबा दिया, चूची दबाते ही पता चला की भाभी ने गाउन के नीचे ब्रा नहीं पहने हुए है ! मैं भाभी के गाउन को जांघो की तरफ से ऊपर की तरफ खिसकाने लगा तो पता चला की भाभी ने पेंटी भी नहीं पहनी हुई है ! मैं तुरंत समझ गया की रेणुका भाभी पूरी तरह से चुदवाने की तैयारी में है फिर क्या था मैंने जांघो को सहलाना सुरु कर दिया और जल्दी ही गाउन को भाभी की गर्दन तक ले आया और फिर भाभी के ऊपर झुक कर चूचियों को चूसने लगा ! चूचियों की निप्पल तो पहले से ही टाइट थी ! मैं धीरे धीरे चुचियो को सहलाने लगा थोड़ी ही देर में भाभी के मुह से ऊह्ह  सी आह ऊ की आवाज आने लगी तो भाभी मेरे लण्ड को पेंट के ऊपर से ही पकड़ने लगी तो मैं जल्दी से मेरा पेंट-सर्ट उतार कर बेड के पास  रखे हुए सोफे के ऊपर फेक दिया और फिर भाभी की गाउन को उतार कर भाभी को एकदम से नंगा कर दिया और फिर मैंने भी अपनी चढ्ढि बनियान उतार  दिया और भाभी की दोनों टांगो को फैलाते हुए भाभी की चूत चाटने लगा , कुछ ही देर में भाभी गर्म भट्टी की तरफ तपने लगी और बार बार मेरे सर को पकड़ कर चूत से दूर करने लगी पर मैं भाभी को अधिक से अधिक गर्म करना चाहता था पर भाभी मेरी चूत चटाई की गर्मी को सहन नहीं कर पाई और बार बार उठ कर बैठने लगती तो मैं  भाभी की चूची को मसलते हुए फिर से बेड पर लिटा देता आखिर में भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खीचते हुए जोर जोर से मेरे गालो को किस करने लगी तो मैंने अपनी दोनों टांगों को भाभी के कमर के पास रखकर भाभी के ऊपर झुक गया और भाभी को किस करने  लगा  तो भाभी एक हाथ से लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के पास लाने लगी तो मैं लण्ड  को चूत के मुह पर ले जाकर टिका दिया तो भाभी अपने चूतड़ को मेरे लण्ड के पास ठेल दिया तो  कंडोम रहित लण्ड का सुपाड़ा भाभी की चूत में घुस गया तो मैं लण्ड के सुपाड़े को भाभी की चूत में एक इंच अंदर तक को आगे पीछे करने लगा तो भाभी तड़पने लगी और अपनी चूत में  मेरे लण्ड  को पूरा अंदर तक लेने के लिए अपने चूतड़ों को जल्दी जल्दी बेड पर मेरे लण्ड की तरफ ठेलने लगी और अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर रखा और मुझे जोर से पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और मेरी जीभ को चूसने लगी और बार बार अपने चूतड़ों को उठाने लगी तब मैं धीरे धीरे फिर से लण्ड को आगे पीछे करने लगा , जैसे ही लण्ड के झटके मारना बंद कर देता तो भाभी अपने हाथ को मेरे चूतड़ों पर रखकर चूतड़ों को आगे पीछे करने लगती और जोर जोर से मेरी जीभ को चुस्ती और बोलती ''मत तड़पाओ अब जान लोगे क्या'' और फिर जोर जोर से जीभ को चुस्ती तब मैं फिर से लण्ड के झटके मारता इस तरह से लगातार झटके मारने लगा अब भाभी के मुह से धीरे धीरे उउउउ आअह्हह्हह आहहहहह आआहहह सीईईईईईई आह आह आअह उइमा उइमा आह आह इइइइइ आआअ आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ससी सीसीसी की आवाज करने लगी  चूतडो को जल्दी जल्दी अपने हाथ से आगे पीछे करने लगी तब मैंने चुदाई की स्पीड बढ़ा दिया और पूरी ताकत से लण्ड को भाभी की चूत में मारने लगा तो रूम में फट फट..फट..फट..फट.... की आवाज आने लगी तो भाभी ने धीरे से बोला ''धीरे धीरे बिटिया जाग जाएगी'' तब मैंने झटके की स्पीड वही रखी पर चूत से सटाकर लंड को ठोकता रहा भाभी बड़े प्यार से दोनों टांगो को मेरी कमर के ऊपर रख  लिया और दोनों टांगो को आपस  जोड़ लिया मैं झटके मारता रहा और भाभी मेरे चूतड़ों को  अपने हाथो से स्पीड को साथ साथ बढाए जा रही थी जितनी जल्दी जल्दी मैं भाभी को ठोकर मारता भाभी भी उतनी ही गति से मेरे चूतड़ों को आगे पीछे करने  करती और साथ साथ बोलती जाती '' और जल्दी जल्दी मारो-और जल्दी मारो'' और फिर मैं स्खलित होने  के  कगार पर आ गया क्योकि कंडोम नहीं लगाए था इस लिए ज्यादा देर तक नहीं रुक पाया और फिर मेरा वीर्य बह निकला और भाभी भी जोर से चिपक गई मैं समझ गया की भाभी भी रिलेक्स हो चुकी है और फिर दोनों शांत हो गए मैं भाभी के ऊपर हाँफते हुए लेटा रहा करीब एक मिनट बाद भाभी ने  उठा दिया और जल्दी से उठकर नंगी ही वाथरूम की तरफ भागी ! जब भाभी बिस्तर से उठी तो ढेर सारा वीर्य  बिस्तर में गिर गया और उनकी जांघों से भी बहने लगा ! भाभी के पीछे पीछे मैं भी वाथरूम में घुस गया तो देखा की भाभी पानी डालडाल कर अपनी चूत धो रही थी जैसे ही मुझे देखा तो सकपका गई और बोली ''अभी आप बाहर जाइए '' तो मैंने बोला 
'' काहे को सरमा रही हो भौजाई साहब, अब तो सब कुछ हो चुका है कई बार'' तो भाभी बोली ''उस समय की बात अलग होती है पर बाद में सर्म आती है''और इतना कहकर मेरी तरफ घूर कर देखी और बोली ''जाइए बाहर से टॉवेल लाइए'' तब मैं बाथरूम से बाहर निकला और गली की रस्सी में तंगी हुई टॉवेल को उठा लाया और भाभी को पकड़ा दिया तो बहभी ने जल्दी से टॉवेल से अपनी चूचियों को ढ़कते हुए वाटरूम से बाहर निकल गई मैंने भी अपने लण्ड को धोया और पेसाब किया और बैडरूम में फिर से पहुंच गया तो देखा की भाभी टॉवेल लपेटे हुए बेड में लेट गई थी,मैं भी जाकर लेट गया और भाभी को किस कर लिया तो भाभी मेरे मोटे मोटे गालो को जोर से चुम लिया और फिर गाल को मुह में भर लिया और जोर से दांत से काट लिया मैं तिलमिला उठा तो भाभी ने अपने दाँतों का दबाब काम किया तो मैंने बोला '' क्या इरादा है सुबह घर नहीं जाऊं क्या'' तो बोली ''क्यों घर क्यों नहीं जाओगे'' तब मैंने बोला ''बीबी पूछेगी की गाल लाल क्यों है तो क्या जबाब दूंगा'' तो भाभी मुस्कुरा कर बोली '' बोल देना मधुमख्खी  लिया है फैक्ट्री में'' तो मैंने कहा '' दाँत के निसान और मधुमख्खी के निसान अलग अलग.………………"' इतना बात पूरी नहीं हुई की भाभी ने गाल  काट लिया और बोली ''जितना मना करोगे उतना ही अधिक काटूंगी'' तब  बोला और फिर दोनों बातें करने लगे बात करते करते रात के 2:30 बज गए, मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा तो मैंने भाभी की टॉवेल को हटा दिया  और फिर से चूची को चूसने लगा और फिर कुछ ही मिनट में दोनों फिर से कामक्रीड़ा में लग गए। .इस  तरह से रात में एक बार और सुबह सुबह 5 बजे फिर से भाभी की चुदाई किया और 5:30 पर भाभी के घर से बाहर आ गया ! और 19 मार्च 2015 को फिर से भाभी की चुदाई उनके ही घर में किया 20 को उनके पति आ गए अब जब भी  चुदाई करूंगा तो जरूर लिख कर भेजुँगा ……………… 

{भाभी से रात भर जो बातें किया उसका निष्कर्ष यह निकला की सभी औरतें अपने पति के आलावा भी मनपसंद मर्द से चुदवाना चाहती है पर समाज और पति घरपरिवार डर से रह जाती है,पर मौका मिलते ही मनपसंद मर्द से चूत चुदवाने का कोई मौका नहीं छोड़ती }





--
(दोनों सत्य कहानी मेल से प्राप्त हुई)

Monday, 9 March 2015

मुँह बोली रेणुका भाभी को ट्रेन में चोदा

रेणुका भाभी के सेक्सी वदन की बनावट बिलकुल ऐसा ही  है


मैं गजेन्द्र सिंह राजपूत करीब 45 साल का हूँ ! मेरी ही कालोनी में मेरे ही जिले के मेरे ही राजपूत समाज के एक सज्जन भूपेंद्रर सिंह रहते है ! एक ही जाति और एक ही जिला का होने के कारण घरेलु संबध बन गए ! करीब 10-12   वर्ष से एक दूसरे के घर आना जाना है ! भूपेंद्रर सिंह की उम्र करीब 49 वर्ष है ! भूपेंद्रर सिंह मेरे से बड़े है इस लिए उनकी पत्नी को ''भौजाई साहब'' कहता हु हलकी फुलकी हँसी मजाक भी हो जाती है भाभी जी से ! भाभी जी की उम्र लगभग 43 साल के आसपास होगी,इनकी उचाई लगभग 5 फिट 6 इंच के आसपास होगी मैं इनके बगल में खड़ा हो जाता हु तो छोटा लगता हु ! मेरी हाइट रेणुका भाभी से कम है पर मैं सरीर से मोटा तगड़ा खासा सांड लगता हु भरे हुए गाल है मेरे पर मेरा रंग काला  है  ! भाभी जी खुले विचारों की बहुत ही आधुनिक हसमुख और आकर्षक है ! गोरा रंग मीडियम शरीर, कुछ मोटापा लिए हुए थोड़ा सा पेट  बाहर  निकला हुआ है जो साड़ी में छिप जाता है ! सलवार-लेगी सूट में आज भी 34 -35 साल की लगती है ! इनको एक लड़की 23 साल की और एक लड़का 20 साल का है ! भूपेंद्रर सिंह भाई साहब दुबले पतले से  गाल चिपके हुए कमजोर शरीर के है जबकि भाभी जी मस्त टना टन माल रखी है ! दोनों पति पत्नी में बहुत अच्छी पटती है कभी लड़ाई झगड़ा नहीं सुना  दोनों के बीच में ! दोनों खूब मस्त रहते हैं इससे लगता है की रेणुका भाभी को भरपूर लण्ड खाने को मिलता है ! जब भी  रेणुका भाभी को देखता हु तो मन में एक बार जरूर ख्याल  आता है चोदने का ! पर भाभी ने कभी घास नहीं डाला !  मैंने कई बार लाइन मारा रेणुका को पर रेणुका ने कोई हिंट नहीं दिया पर कभी झिड़की भी नहीं दिया इससे आशा है की कभी न कभी मौका मिल सकता है रेणुका को चोदने  का ! और ये मौका मिल  ही गया कैसे आगे पढ़िए  …………………………………। 
   
हुआ क्या की रेणुका भाभी  होली के समय 2 मार्च 2015 को अपने गाँव जा रही थी और मैं भी गाँव जा रहा था ! भाभी  रेलवे स्टेशन में अपने पति के साथ दिखाई दी, पर मैं उनके पास नहीं गया दूर से ही देखता रहा सोचा की इनके पति भी साथ जा रहे होंगे पर फिर अचानक ध्यान गया की दोनों एक साथ गाँव नहीं जाते क्योकि लड़की घर में अकेली हो जाती है (इनका लड़का दूसरे शहर में रहता है पढ़ाई करने के लिए) और दूकान अलग से बंद करनी पड़ती है ये सब याद आते ही मैं खुस हो गया और ट्रेन का इन्तजार करने लगा ! साम के 6 बजकर 25 मिनट पर ट्रेन आई और रेणुका भाभी S-6 डिब्बे में चढ़ गई  उनका रिजवारवेसन था ! पर मेरा कोई प्लान नहीं था गाँव जाने का इस लिए रिजर्वेसन नहीं हो पाया तब चुपचाप जनरल डिब्बे में ही बैठ गया पर एक घंटे बाद अगले स्टेशन में जब ट्रेन रुकी तो रेणुका भाभी के डिब्बे में चढ़ गया होली के कारण जनरक डिब्बा तो क्या स्लीपर में भी भारी भीड़ थी ! बड़ी मुस्किल से खड़े होने की जगह मिली ! ट्रेन के चलने के बाद धक्के खाते खाते मैं रेणुका भाभी के पास तक पहुँच गया तो उनकी नजर मेरे ऊपर पडी और मेरी भी नजर उनके ऊपर पडी तो मैंने '' भौजाई साहब 
नमस्कार '' कहा तो ओ मुस्कुराई और सिर को हलके से झुकाया और पूछ लिया '' कहा जा रहे हो डॉली  के पापा '' ( डॉली मेरी लड़की का नाम है ये मुझे इसी तरह से पुकारती है) तो मैंने बताया ''गाँव जा रहा हु भौजाई साहब'' तो फिर पूछी '' रिजवारवेसन क्यों नहीं कराया'' तब मैंने कहा ''अचानक जाना हो रहा है'' इतने में किसी ने जोर से धक्का दिया और मैं गिरते गिरते बचा तो रेणुका भाभी बोली ''आप यहाँ आकर बैठ जाइए'' तब मैं रेणुका भाभी के पास जाकर बैठ गया और पूछ लिया '' भौजाई साहब आप गाँव क्यों जा रही है'' तब उन्होंने जबाब दिया ''दादी शांत हो गई है उनके 13 वें में शामिल होने जा रही हूँ ! फिर बात चीत को जो शिलशिला चालू हुआ तो काफी देर तक बातें करता रहा ओ भी खूब घुल मिलकर बातें करने लगी इसके पहले कभी भी इतनी बातें नहीं किया ट्रेन में भीड़ होने की बजह से उनसे चिपक कर बैठा हुआ था उनकी नंगी बाहों का स्पर्श मात्र से ही मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था बार बार मैंने भी टी सर्ट पहन रखी थी इसलिए मेरी बलिष्ट भुजाएं भाभी की चिकनी चिकनी
रेणुका भाभी की चूचियाँ इस तरह से दिखाई देती पल्लू गिरने के बाद
बाहों से बार बार रगड़ खाता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता , उन्हें भी अच्छा लग रहा था इस लिए ओ भी चिपक कर बैठी रही , बीच बीच में उनके साड़ी का पल्लू गिर जाता तो उनकी चूचियों की घाटियाँ साफ़ साफ़ नजर आती, जब मैं भाभी की चूचियों  देखने लगता तो ओ अपना पल्लू सम्हाल लेती पर 15-20 मिनट  बाद किसी न किसी बहाने ओ अपने पल्लू को गिरा देती तो बरबस ही मेरी नजर उनकी सुन्दर-सुडौल चूची की घाटियों पर पड़ने लगती ! इसी ताक झांक में रात के 9 बज गए तो रेणुका बोली ''खाना खाते है डोली के पापा'' तो मैंने बोला '' आप खा लो भौजाइ साहब मुझे भूख नहीं'' तो मुस्कुराते हुए बोली '' क्यों मेरी देवरानी ने ऐसा क्या खिला दिया की भूख नहीं लगी है'' (हकीकत तो ये थी की मैं खाना ही नहीं लाया था) तब मैंने हँसते हुए कहा ''आपकी देवरानी इतना कहा खिलाती है की भूख नहीं लगे'' और हलके से दाईं आँख को दबा दिया तो ओ मुस्कुराने लगी और बोली

 ''अच्छा खाना बिना भूख के भी खाने में अच्छा लगता है '' और इतना कह कर टिफिन खोलने लगी पर सीट में भीड़ होने के कारण नहीं बना तो बोली '' मेरी सीट ऊपर की है वहीं चलकर खातें हैं'' और सीट से उठ गई और अपनी ऊपर वाली सीट में चढ़ने लगी तो उनकी गोरी गोरी पाँव की पिंडलियाँ (घुटने के नीचे का भाग) दिखाई दे गई मुझे क्या मस्त चिकनी चिकनी है इनकी पिंडलियाँ, एक भी बाल नहीं , मैं तो भाभी की जांघो की कल्पना करके उत्तेजित हो गया लण्ड में तूफ़ान सा आने लगा ! रेणुका सीट पर चढ़ने के बाद बोली ''लाइए झोला दीजिये'' तो मैंने उनका झोला पकड़ा दिया ! इतने में नीचे वाली सीट का मुसाफिर बोला मैं लेटूंगा तो बीच की सीट वाला उठ गया और बोला मैं  सीट खोल लेता हूँ और उसने अपनी सीट खोल लिया अब बैठने की कोई जगह नहीं बची तो मैं खड़ा हो गया इतने में भाभी ने आवाज दिया '' अरे डॉली के पापा आ जाओ न दो तीन पूड़ी खा लो '' तब मैंने फिर से मना किया (हकीकत में तो मैं भाभी के पास जाने के लिए तड़प रहा था पर उतवलापना नहीं दिखाना चाहता था) तो बोली '' अरे आ जाओ इतने नखरे क्यों दिखा रहे हो'' तब मैं ऊपर की सीट में चढ़ गया और सामने बैठ गया तो भाभी बोली ''लीजिये खाइये'' तब मैंने कहा '' अलग से दे दीजिये'' तो बोली ''क्यों मेरे साथ खा लोगे तो असुद्ध हो जाओगे क्या'' तब मैं कुछ कहे बिना रेणुका की टिफिन में साथ ही खाने लगा  सब्जी थी स्वादिष्ट , खाना खाते खाते 9 बजकर 30 मिनट हो गए ! रेणुका ने टिफिन को झोले में डाल दिया और बोली ''इसे नीचे रख दीजिये'' तब मैं सीट के नीचे उतरा और झोले को रख दिया और खड़ा हो गया , इतने में ओ भी सीट के नीचे उतरी और बाथरूम चली गई, जाते जाते बोली '' मेरी पर्स का ध्यान रख्ने मैं आती हूँ'' जब ओ वापस आई तो मैं भी बाथरूम चला गया और वापस देखा तो रेणुका बिस्तर लगाकर एक बड़ा सा पतला सा कम्बल ओढ़ कर लेट गई थी ! मैं आकर साइड वाली सीट में सज्जन के पाँव की तरफ बैठ गया तो ओ सज्जन  कुछ देर बाद मुझे उठा दिया तो मैं खड़ा हो गया तब तक 10 बज चुके थे रेणुका भाभी ने मुझे खड़ा हुआ देखा तो बोली ''आप मेरी सीट पर आकर बैठ जाइए'' तब मैं थोड़ी से ना नुकुर करने के बाद ऊपर की सीट में जाकर उनके पाँव की तरफ बैठ गया कुछ ही देर में सभी लाइट बंद हो गई डिब्बे में अन्धेरा छा गया ! मैं भी आँखे बंद करके बैठा रहा करीब 11 बजे तक मुझे इतने जोर से नींद लगी की मैं रेणुका  भाभी के पाँव के पास ही अपने पाँव को समेट कर लेट गया तो


करीब 10 मिनट बाद रेणुका भाभी उठी और बोली '' क्यों नरक में डाल रहो हो मुझे पाँव की तरफ सो कर'' तब मैंने कहा ''सफर में सब चलता है भऊजाई साहब'' तो ओ बोली ''नहीं ऐसा कुछ नहीं चलता '' और बैठ गई व् बोली ''दोनों बैठ कर सफर कर लेगें'' और हम दोनों थोड़ी दुरी बनाकर अपनी अपनी ऑंखें बंद कर बैठ गए मुस्किल से 15 मिनट हुए होंगे की रेणुका भाभी मेरे कंधे से सिर टिकाकर सोने लगी और मुस्किल से 30 मिनट बाद ही रेणुका भाभी मेरी तरफ सिर करके लेट गई और सोने लगी तब तक रात में 12 बज चुके थे रेणुका भाभी की गर्म गर्म साँसों की खुसबू  मुझे बेचैन करने लगी करीब 12 बजकर 30 मिनट के आसपास रेणुका भाभी ने अपने पाँव को लम्बे करने के लिए मेरे पाँव के पास अपनी चूचियों को टिकाते हुए करवट लेकर पूरी लम्बी हो गई ! चूँकि मैं पल्थी  मार कर बैठा था इस कारण भाभी की चूचियों की रगड़ मेरे घुटनों में पड़ने लगी, जब ट्रेन ज्यादा स्पीड में चलती तो पूरी की पूरी सीट ट्रेन के डिब्बे के साथ हिलने लगती तो रेणुका की चूचियाँ भी उतनी ही स्पीड में मेरे घुटने से टकराने लगती चूचियों के स्पर्श से मेरा लण्ड का गुस्सा सातवें आसमान में पहुँचनें लगा ! तब मैंने हिम्मत करके अपना हाथ घुटने के पास रख लिया अब मेरे हाथ से भाभी की चूची रगड़ खाने लगी तब मैं मौका देखकर बीच बीच में हलके हाथ से चूची को दबा देता और मन ही मन ये सोचता की यदि भाभी जाग गई तो उनकी प्रतिक्रिया से सब समझ आ जाएगा ! इस तरह लगातार 10 मिनट तक मैं बीच बीच में चूचियों को दबाता रहा कुछ ही देर में  रेणुका ने अपना एक हाथ मेरी गोद में रख दिया और मेरे घुटनों से और अधिक चिपक गई,अब उनकी चूचियों का पूर्ण स्पर्श मेरे घुटने में पड़ने लगा, मैं हिम्मत करते हुए अपना एक हाथ रेणुका की चिकनी  बाहों के ऊपर रख दिया और हलके हाथ से बाह को दबा देता और कंधे से पंजो तक सहलाने लगा 5 मिनट तक सहलाने के बाद रेणुका ने अपनी बायाँ हाथ जो गोद में रखा था उसे अकड़ाते हुए मेरे लण्ड के पास तक लगाई और हाथ को लण्ड के पास ही रख लिया जब सीट आगे पीछे होती तो भाभी का हाथ मेरे खड़े लण्ड से टकराता !  मैं समझ गया भाभी को चुदवाने की इच्छा पड़ चुकी है पर ये बात कन्फर्म नहीं होने से हिम्मत नहीं पड़ रही थी कुछ करने की करीब 10 मिनट बाद ओ मेरे घुटने को खिसकाते हुए बोली ''ये चुभ रहा'' तब मैं धीरे से कान में बोला '' भौजाइ साहब मैं पाँव की तरफ
बैठ जाता हूँ''  तो ओ बोली '' न पाँव की तरफ लेटना अच्छा नहीं लगेगा'' तब मैंने कहा ''टीक है मैं नीचे उत्तर जाता हूँ'' तो बोली ''नहीं नीचे मत जाइए यही पर लेट जाइए'' तब मैंने कहा ''कैसे बनेगा इतनी कम जगह पर दोनों को लेटते '' तो भाभी बोली ''लेट जाओ बन जाएगा'' इतना कहकर रेणुका भाभी ने करवट बदलकर दायें कंधे की तरफ से मेरी तरफ घूम कर लेट गई तब मैं रेणुका भाभी की तरफ मुह करके लेट गया ! लेट क्या गया
रेणुका भाभी ट्रेन की टाइलेट इस तरह से साड़ी और ब्लाउज को खोल लिया और मैं सांड की तरह पिल पड़ा
''ससक गया'' लेटते ही रेणुका भाभी के सीने से चिपक  गया उनकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपक गई ! OMG मेरे लण्ड में सुनामी से लहर उठने लगी ! हाथ रखने  की तो जगह ही नहीं बची तो हाथ को समेट कर लेटे रहा मेरे  हाथ  में भाभी की चूचियों की रगड़ पड़ने लगी तो भाभी बोली आपका हाँथ  चुभ रहा है तब मैंने अपना हाथ भाभी के हाथ के ऊपर रख दिया और लेटे रहा ! भाभी की साँसों में एक अजब-गजब सी खुसबू आ रही थी उधर मेरे लण्ड में ऐसी सुनामी उठी की लगा की चढ़ जाऊ  भाभी के ऊपर और फाड़ दूँ भाभी की बुर को पर अभी और इन्तजार करता हु,इन्तजार का फल मीठा होता है ! 5 मिनट तक इसी तरह भाभी की चूचियों से अपने सीने में रगड़ खाते रहा पर अब सहनशक्ति जबाब दे गई तो मैंने रेणुका भाभी की एक चुचीं को दबा दिया और गाल में जोर से किस ले लिया पर भाभी की तरफ से कोई नकारात्मक प्रक्रिया नहीं आई तो मैंने फिर से चूची को दबाया और इस बार हिम्मत करते हुए होठों को लगभग चूस ही लिया फिर भी भाभी की तरफ से कोई नकारात्मक-सकारत्मक प्रतिक्रिया नहीं आई तो मैं लगातार 3 मिनट तक भाभी के होठ को चूसता रहा और फिर धीरे से अपनी जीभ को भाभी के मुँह में डाल दिया तो भाभी मेरी जीभ को लाली पाप की तरह चूसने लगी और अपना एक हाथ मेरे कंधे के ऊपर रख लिया और मेरे कंधे को दबा दिया तो मैंने धीरे से ब्लाउज का हुक खोला और ब्रा से चूचियों को बाहर किया और नीचे वाली चूची को चूसने लगा और ऊपर वाली चुचीं को हलके हलके हाथ से सहलाने लगा इस तरह से लगातार 8-9 मिनट तक भाभी की चूचियों को बारी बारी से चूसता रहा कभी होठो को तो कभी चूचियों को चूसता फिर  दिमाग में एक आडिया आया और मैं उठने लगा तो भाभी धीरे से बोली '' क्या हुआ'' तो मैंने कहा '' मजा नहीं आ रहा है'' और भाभी के जबाब का इन्तजार किये बिना उठा और जल्दी से भाभी की तरफ पाँव करके लेट गया और कम्बल से दोनों को  अच्छी तरह से ढक लिया और भाभी की साडी को कमर के ऊपर तक खिसका दिया, रेणुका ने पेंटी नहीं पहनी थी ! चिकनी चिकनी जांघो को,चूतड़ों को सहलाने लगा और फिर धीरे से चूत पर हाँथ घुमाया तो लगा की चूत में हलके हलके बाल है , चूत को सहलाने लगा और जांघो को उठाया तो भाभी ने तुरंत ही जांघ को उठा लिया तो मैं जांघो के बीच में सिर रख दिया और चूत को चाटने लगा ,छिः छिः छिः छिः चूत से बदबू आ रही थी और चूत नमकीन लग रही थी क्योकि भाभी पेसाब करके आई थी तो पेसाब लगी रही होगी पर चूत चोदने के लिए चूत चाटने के बाद ही मजा आता है ये सोच कर मैं चूत को चाटना सुरु कर दिया मुस्किल से 3 मिनट तक ही चूत चाटा होगा की रेणुका भाभी मेरी कैफ्री (घुटनो तक की लोवर) को कमर के नीचे खिसकाने लगी तो मैंने कमर को उठा दिया तो भाभी ने कैफ्री को कमर से नीचे तक खिसका कर मेरी चढ्ढि से लण्ड को निकालकर हाथो से खिलाने लगी (मेरा लण्ड करीब 5 इंच के बराबर लंबा तो है पर मोटाई मेरे लण्ड की बहुत है ! गधे के लण्ड की तरह मेरा लण्ड मोटा और मजबूत है) तो मैं लण्ड उनके मुँह की तरफ करने लगा तो भाभी ने लण्ड को  मुँह से दूर खिसका दिया और हाथ से खिलाती रही इधर मैं चूत में जीभ डालडाल कर चाटे जा रहा था भाभी अपनी कमर को हिलाने लगी तो जीभ निकालकर ऊँगली डाल दिया और ऊँगली को आगे पीछे करने लगा तो भाभी ने मेरी उँगलियों को निकाल दिया,मेरे सिर को खिसका दिया जांघो के बीच से और धीरे से उठकर बैठ गई और धीरे से बोली ''जलन हो रही है,आपने सब्जी खाई थी हाँथ ठीक से नहीं धोया था'' तब मैं भी उठकर बैठ गया और दोनों ने कम्बल ओढ़कर बैठ गए मैं झुक कर भाभी की चूची को पीने लगा कुछ देर बाद भाभी के कान में बोला '' चलो टाइलेट में चलते है'' तो भाभी बोली
भाभी की चूची 100 टका ऐसी ही है मस्त टाइट बिना लटकी हुई

 ''टाइलेट में कैसे बनेगा'' तो मैंने कहा की '' वेस्टर्न स्टाइल वाली टाइलेट में बगल में जगह रहती है '' तो भाभी कुछ नहीं बोली तो मैंने उनकी चुप्पी को सहमति मान लिया और फिर बोला '' मैं चलता हु आप भी 5 मिनट बाद आ जाना'' और जबाब का इन्तजार किये बिना जाने लगा तो भाभी ने चद्दर दिया और बोली ''इसे लेते जाओ'' तो मैं समझ गया और चद्दर को समेत का छोटा सा कर लिया और चुपचाप सीट से नीचे उतरा और वेस्टर्न स्टाइल वाले बाथरूम में घुस गया और भाभी का इन्तजार करने लगा ! आते समय मैंने ये देख लिया था की डिब्बे में सभी सो रहे है ! भीड़ को पुलिश वालों ने उतार दिया था ! डिब्बे में सिर्फ ट्रेन के चलने की ही आवाज आ रही थी ! करीब 5-6  मिनट बाद भाभी आई और जल्दी से बाथरूम की डोर को लगा दिया ! और मेरी तरफ घुमी तो मैंने पकड़ कर किस कर लिया तो भाभी ने हवा भरने वाली तकिया (पिलो)
रेणुका भाभी की बुर में इस तरह से लण्ड  फ़सा दिया ट्रेन की टाइलेट में
दिया और हवा भरने का  इसारा किया तो मैंने तकिया में हवा भरने लगा तो रेणुका ने तकिया में हाथ लगा लिया और जब उनके इच्छानुसार हवा भर गई तो मेरे मुह में हाथ रखकर रोक दिया तब मैंने तकिया की हवा को लाक करके दे दिया और टाइलेट की फर्स में चादर को ट्रेन की गति की दिशा में बिछा दिया और भाभी को इसारा किया लेटने के लिए तो ओ जिस तरफ ट्रेन जा रही थी उस तरफ सिर करके तुरंत लेट गई तब मैं पास ही बैठ गया और भाभी की साड़ी और पेटीकोट को कमर तक खिसका दिया और ब्लाउज,ब्रा का हुक खोलकर भाभी के स्तनों को स्वतंत्र कर दिया और स्तनों को चूसने लगा और बाएं हाँथ की ऊँगली से चूत को सहलाने लगा ! फिर चूत को चाटने लगा तो भाभी मेरे सिर पर हाथ रखी और बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी  मुस्किल से 5 मिनट की चूत चटाई में ही भाभी गर्म आग पड़ गई और अपने चूतडो को हिलाने लगी और मेरे सिर को अपनी चूत से हटाने लगी तो मैंने जल्दी से लोवर और चड्डी को उतारा और भूखे भेड़िये की तरह भाभी की चूत पर पिल पड़ा ! लण्ड को नंगा किया (सुपाड़े की चमड़ी को पीछे खिसकाया)  और  भाभी की गोरी गोरी दूधिया जांघो
लण्ड लेते ही भाभी इस तरह से अपने आँखों को बंद करते हुए होटो को दबा लिया
को फैलाया और चिकनी  मख्खन जैसी मुलायम चूत में ऊँगली लगाया तो पता चला की चूत खूब चिकनी पड़ चुकी थी तब लण्ड घुसेड़ दिया जैसे ही लण्ड घुसा भाभी अपनी आँखे बंद करते हुए होठों को दाँतों से दबा लिया ! मैंने धीरे धीरे लण्ड के ठोकरों की वर्षात से भाभी की चूत को अंदर तक भिगोने लगा ! चूचियों को चूसता जाता और लण्ड की ठोकर मारता जाता भाभी बड़े मजे से चुदवा  रही थी मैं धीरे से लण्ड को निकालता और फिर से धीरे से डालता इस तरह से लगातार 3 मिनट तक चोदता रहा तो भाभी बोली ''ये घर नहीं है जल्दी जल्दी करिये कोई आ नहीं जाए'' और इतना कहकर मेरे चूतडों में अपने हाथ को रखकर चूतड़ को आगे पाछे करने लगी तब मैं चुदाई की स्पीड बढ़ा दिया और फिर भाभी की मुह से जोर जोर से उउउउउउ आआआआ आआआह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह आअह्ह्ह आआह्ह्ह आउच आउच आए उउउउ इइइइइइइइइइइइइइइइइआआआअ आआईई आई की आवाज निकलने लगी पर ट्रेन की आवाज में भाभी की आवाज दब गई भाभी जल्दी जल्दी मेरे चूतडो को आगे पीछे करने लगी मैं भी स्पीड बढ़ा दिया और फिर एक साथ दोनों स्खलित हो गए ! जैसे ही मेरा वीर्य निकला भाभी जल्दी से बैठ गई और बोली '' कल ही सिर धोया है कही गड़बड़ न हो जाए '' (मतलब कल ही मासिक बंद हुआ है)  तो मैं भाभी से अलग होते हुए बोला '' क्या फरक पडेगा भौजाई साहब लाइसेंस तो है आपके पास'' तो हँसने लगी और बोली ''जबरन में अबॉर्शनकरवाना पडेगा, इस उम्र में तो पैदा नहीं करुँगी'' और फिर मुस्कुराते हुए खड़ी हुई और बोली '' उठिए ओर जल्दी से कपडे पहनिए और जाइए, मेरी पर्स वही रखी है'' और फिर मैं जल्दी जल्दी कपडे पहना और सीट में आ गया देखा तो आसपास सभी गहरी नींद में सोये हुए थे कुछ ही देर में भाभी भी चद्दर पिलो लिए छिपाए हुए आ गई और ऊपर सीट में चढ़ गई और आते ही लेट गई ! मैंने मोबाइल में देखा तो उस समय 1 बजकर 30 मिनट हो रहे थे ! मैं भी भाभी के पावन की तरफ सिर करके लेट गया ! इस बार भाभी ने मना नहीं किया और मैंने लेटे लेटे फिर से भाभी के पाँव को सहलाने लगा तो मेरे हाथ को दूसरे पाँव से दबा दिया और बोली ''अब सो जाइए, नहीं तो फिर से दिमाग खराब होगा'' और फिर दोनों सो गए तो मेरी नींद सुबह 6:30 पर जबलपुर में खुली तो मैं उठ कर बैठ गया पर भाभी अभी भी खर्राटे लिए जा रही थी ! मैं मोबाइल में एक सेक्सी मूवी देखने लगा तो मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो मैं भाभी के बगल में लेट गया और उनकी चूची को दबाने लगा तो उनकी नींद खुल गई तो बोली '' अभी तक पेट नहीं भरा'' तो मैंने कहा '' आपसे तो जीवन भर पेट नहीं भरेगा '' तो मेरे बड़े बड़े गाल को किस किया और बोली '' बहुत मजेदार हो आप '' तो मैंने पूछा ''क्यों नागेन्द्र भाई मजा नहीं देते क्या '' तो बोली '' मजा तो देते है पर'' और इतना कह कर रुक गई तो मैंने भाभी को कुरेदा और बोला '' पर क्या'' तो भाभी कुछ नहीं बोली तो मैंने फिर से कहा तो बोली ''मजा तो देते है पर आप जैसे मजा नहीं दिया'' तब मैंने फिर से पूछा '' मेरे में ऐसा क्या ख़ास है'' तो बोली ''आपका मोटा बहुत है इस लिए ज्यादा मजा आया'' और इतना कह कर मेरे गालो में जोर से दांत काट लिया तब मैंने भाभी की चूची को जोर से दबाया और चिपका लिया और पूछा की ''भाई साहब में मजा नहीं आता क्य तो बोली ''उनका लंबा तो बहुत है पर आपके जैसा मोटा और मजबूत नहीं है''  ! इस तरह से भाभी से बहुत सी बातें किया और उनकी बातो का सार  यही निकला की ''सभी ओरतें अलग अलग मर्द से चुदवाना चाहती है बस मौका मिलना चाहिुए क्योकि पति को नाराज भी नहीं करना,समाज में इज्जत भी बनाये रखना और गैर मर्द से चुदवाने का मौका मिले तो छोड़ना नहीं '' भाभी का यह भी कहना है की ''जिस तरह से एक ही सब्जी खा खा कर बोरियत हो जाती है उसी तरह एक मर्द का लण्ड जीवन भर लेने से मन ऊब जाता है'' बात की बात में हमारा सफर कब कट गया पता ही नहीं चला ! मैं मेरे स्टेशन में उतर  गया और भाभी अपने स्टेशन के लिए आगे बढ़ गई !


--------------------------------------------------------------------------------
''ट्रेन की चुदाई के बाद रेणुका भाभी को उनके घर में चोदा''  शेष भाग दुसरी सत्य कहानी में पढ़ें 

...........................
(मेल  से प्राप्त  कहानी )


Thursday, 5 March 2015

साली को उसके घर में जम कर चोदा



साली की चूत ऐसी ही चिकनी और सकरी है मस्त चुदाई किया साली की

मैं मुंबई के कोलाबा में रहता हूँ. मेरे साथ मेरी पत्नी और 2 बच्चे रहते हैं. मेरा ससुराल बंगलौर में है. मेरे ससुराल में मेरी सास और मेरी साली है. मेरे ससुर जी का देहांत दो साल पहले हो गया था. तब से मुझे अक्सर बंगलौर जाना पड़ता है. मेरी साली की उम्र लगभग बीस साल की होगी. देखने में वो बड़ी ही मस्त है. पिछले महीने मुझे अपने परिवार के साथ बंगलौर जाना था. लेकिन जाने के ठीक एक दिन पहले मेरी पत्नी आरती की तबियत कुछ खराब हो गयी. मैंने बंगलौर जाना कैंसिल करना चाहा. लेकिन मेरी पत्नी ने मुझे कहा कि बड़ी मुश्किल से टिकट मिले हैं. आप हो आईये. मैं यहाँ बच्चे के साथ रहती हूँ पत्नी के जिद के चलते मैं अकेला ही अपने ससुराल बंगलौर चला आया. दरअसल मेरे ससुराल में कुछ जरुरी अदालती काम था जिसका निपटारा करना अत्यंत ही आवशयक था. इसलिए मैं अगले दिन बंगलौर की ट्रेन पकड़ ली और अपने ससुराल पहुँच गया.
वहां मेरी सास और साली भारती ने मेरी काफी आवभगत की. मेरी सास बिलकुल ही एक सरल विचार वाली सीधी साधी महिला थी और मेरी साली भारती भी सीधी साधी और भोली भाली लड़की थी. मैंने रात का डिनर लिया और अपने कमरे में जा कर सो गया.
अगले दिन मैं क़ानूनी काम से सरकारी दफ्तर गया. वहां मुझे बताया गया कि मुझे 3-4 दिन और रुकना पड़ेगा तभी काम होगा. मैंने जब यह बात अपनी पत्नी को फोन कर के बताया तो उसने कहा कि आप काम कर के ही आईयेगा , क्यों कि फिर छुट्टी मिलनी मुश्किल हो जाती है. मुझे भी यही सही लगा. आखिर ससुराल का फायदा होगा तो मुझे ही फायदा होगा क्यों कि ससुराल में जो कुछ है वो मेरी पत्नी आरती और उसकी छोटी बहन भारती का है. और जो कुछ आरती का है वो मेरा भी है. तो इसी कार्य के लिए मैंने 4-5 दिन रुकने का फैसला कर लिया. यह देख मेरी सास और साली काफी खुश हुयीं.
मैंने शाम को अपनी साली को कहा - चलो हम सब मिल कर आज फिल्म देखते हैं. भारती ने तो झट हाँ कर दी. लेकिन मेरी सास ने खुद जाने से मना कर दिया और कहा - मैं तो फिल्म देखने जाती ही नहीं, इसलिए तुम लोग ही चले जाओ. फिर मैं और मेरी साली भारती फिल्म देखने एक मल्टीप्लेक्स चले गए. वहां एक ही थियेटर में 4 फिल्म लगी थी. जिसमे 2 कन्नड़ सिनेमा थी, 1 हिंदी और एक में इंग्लिश फिल्म लगी थी. कन्नड़ तो मुझे समझ में आती थी नहीं. जो एक हिंदी फिल्म लगी थी उसे तो मैंने मुंबई में ही देख लिया था. अब एक मूवी बची थी वो भी इंग्लिश. मैंने डिसाइड किया कि क्यों नहीं इंग्लिश मूवी ही देखी जाय. मैनें दो टिकट लिया और हम दोनों अन्दर चले गए. थोड़ी देर में मूवी स्टार्ट हो गयी. वो फिल्म एक बोल्ड फिल्म थी. उस फिल्म में नायिका ने एक वेश्या का रोल निभाया था जो समुंद्री तट पर बिकनी पहन कर अपने ग्राहकों को ढूंढती रहती थी. कभी कभी उसके और उसके ग्राहक के बीच के सम्भोग के सीन को बड़े देर तक दिखा दिया जाता था. वो दृश्य देख कर मैं उत्तेजित हो रहा था. उत्तेजना में मेरे हाथ मेरी साली के हाथ पर पद गए. लेकिन ना मैंने हाथ हटाया ना ही मेरी साली ने. धीरे धीरे मैंने भारती का हाथ अपने हाथों में पकड़ा और दबाते हुए पूछा - कैसा लग रहा है सिनेमा?
भारती - धत . कितने गंदे गंदे सीन हैं.
मैंने - अरे भाई , जवानी में ये सब नहीं देखोगी तो कब देखोगी? भारती - जीजू आप भी ना बड़े शरारती हैं. आप को मज़ा आता है ये सब देखने में ? मैंने - हाँ, मुझे तो मज़ा आता है, आपको मज़ा नहीं आता? भारती ने कहा - नहीं , मुझे शर्म आती है. मैंने - अरे इसमें शर्म की क्या बात है? क्या तुझे मन नहीं करता है ये सब करने को? भारती - मन तो करता है लेकिन देखने में शर्म आती है. मैंने - जब मन करता है तो आराम से देख ना. मैंने उसके हाथ को छू कर महसूस किया कि उसका तापमान बढ़ गया है. मैंने उसके हाथ को मसलना शुरू किया. वो शांत रही. फिर मैंने अपना हाथ उसके जांघ पर ले गया और घसने लगा. वो फिर भी शांत थी. मानो उसे अच्छा लग रहा था. फिर मैंने अपना एक हाथ उसके पीछे से ले जा कर उसके छाती पर रख दिया. और धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया. वो कुछ नहीं बोली. मेरा लंड खड़ा हो गया था. उसकी चूची एक दम सख्त थी. पूरी फिल्म के दौरान मैं उसकी चूची को सहलाता रहा. फिल्म ख़त्म होने पर हम दोनों बाहर निकले. वो पूरी तरह नार्मल थी. फिर मैं उसे ले कर एक रेस्टुरेंट गया जहाँ उसने अपने मन पसंद का खाना ऑर्डर किया.
खाना खा कर हम दोनों घर आ गए. इस दौरान वो मेरे काफी करीब आ चुकी थी. उसकी मेरे प्रति झिझक ख़तम हो गयी थी. शायद वो समझ गयी थी कि मैं उसे पसंद करने लगा हूँ. स्त्री को जब भी यह अहसास हो जाता है कि कोई पुरुष उसके बदन के प्रति आकर्षित है तो वो उसके प्रति थोड़ी बोल्ड हो जाती है और काफी आराम से हुक्म चला कर बात करती है. यही हाल मेरा भी हुआ. घर पहुँचने पर मैंने देखा कि मेरी सास ने चिकन बनाया है. लेकिन चूँकि हम दोनों तो रेस्टुरेंट में खा ही चुके थे इसलिए मैंने खाने से मना कर दिया. लेकिन मेरी साली ने मुझे आदेशात्मक स्वर में वो चिकन खाने को कहा क्यों कि वो नहीं चाहती थी कि उसकी माँ की मेहनत बेकार जाय. खैर मैंने अपनी साली का आदेश मानते हुए चिकन और रोटी खा ही ली.
खाना - पीना करते करते रात बारह बज चुके थे. मेरी सास सोने चली गयी. मैंने अपनी साली को कहा - यार बहुत खिला दिया तूने. मैं छत पर थोडा टहल लेता हूँ ताकि खाना पाच जाय. वो बोली - मैं भी आपके साथ चलूंगी. मुझे भी खाना पचाना है. हम दोनों छत पर चले आये.छत पर घुप्प अँधेरा था. वहां मैं और मेरी साली हाथों में हाथ डाल कर धीरे धीरे टहल रहे थे. भारती - जीजू, आप थियेटर में क्या कर रहे थे? मैंने - फिल्म देख रहा था और क्या? भारती - आपका हाथ कहाँ था? मैंने - ओह, वो तो जन्नत की सैर कर रहा था. भारती - आपका हाथ तो बड़ा ही शैतान है. मेरे जन्नत को दबा रहा था. मैंने - ये हाथ सचमुच काफी शैतान हैं. अभी भी वहीँ घुमने कि जिद कर रहा है. साली - तो घुमा दो न उन हाथों को. क्यों रोक रखा है? मैंने - यार यहाँ छत पर कुछ ठीक नहीं लग रहा है. साली - तो चलो न आपके कमरे में. मैंने - लेकिन आपकी अम्मा कहीं देख ली तो? साली - वो नहीं उठंगी. क्यों कि वो नींद कि गोली लेती हैं. उसके बाद वो मेरे साथ मेरे कमरे में आ गयी. उसने कमरे का दरवाजा बंद किया और मेरे सामने बिस्तर पर लेट गयी. उसकी मदमस्त आदाएं मुझे न्योता दे रही थी. मैंने उसके न्योते को स्वीकार करते हुए अपने बदन पर से सारे कपडे उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर रहने दिया. उसके बाद मैं अपनी साली कि चूची को अपने हाथ में लिया और आराम से दबाने लगा. वो मेरी तरफ बड़े ही प्यार से देख रही थी. मैंने उसके इशारे को समझा और उसके बदन पर से कपडे हटाने लगा. वो मानो इसी का इंतज़ार कर रही थी. उसने बीस सेकेण्ड के अन्दर अपने सारे वस्त्र उतार दिए और पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने लेट गयी. मैंने उसके बदन के हर भाग को सहलाना शुरू किया और उसकी चूत तक को सहलाने लगा. उसका हाथ मेरे लंड पर थे. मेरे लंड के अन्दर तूफ़ान मच चूका था. मैंने अपना अंडरवियर खोल कर अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया. वो मेरे साथ इंच के लंड को मसलने लगी. मैंने उसके बदन पर लेट गया. उसने मुझे कहा - जीजू , मुझे चोदो ना, मुझे बहुत मन करता है चुदवाने का. मैंने बिना देर किये अपने लंड को उसके चूत में कस कर घुसा दिया. उसकी चूत कि झिल्ली फट गयी लेकिन वो सिर्फ घुटी घुटी सी चीख निकाल कर अपने चूत के दर्द को बर्दाश्त कर गयी. मैंने उसे चोदना चालु कर दिया. वो मस्त हो कर मुझसे चुदवा रही थी. थोड़ी देर में उसके चूत से माल निकल गया. करीब एक मिनट के बाद मेरे लंड ने भी माल उगल दिया. उसके बाद वो मेरे कमरे में सुबह के 4 बजे तक रही और 3 बार मैंने उसे और चोदा. उस रात के बाद वो हर रात अपनी माँ के सोने के बाद मेरे कमरे में आती और मैं उसे जी भर कर चोदता था.

Tuesday, 3 March 2015

बिस्तर में ये नहीं चाहतीं महिलाएं




हो सकता है कि अभी आपकी सेक्स लाइफ कमाल की हो, लेकिन कई बार आपका एक गलत मूव आपकी पार्टनर का मूड ऑफ कर जाता है। एक अच्छा सेक्शुअल रिलेशन औरत और मर्द को एक-दूसरे के ज्यादा करीब लाता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने पार्टनर की उम्मीदों पर खरे उतरें, और सेक्स के दौरान ऐसा कुछ न करें जिससे कि आपकी पार्टनर असहज महसूस करे। आगे हम आपको बता रहे हैं कि सेक्स के दौरान आपकी पार्टनर क्या नहीं चाहती...
सीधे नीचे की ओर जाना
महिलाएं फोरप्ले ज्यादा इंजॉय करती हैं। किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न दिखाते हुए पहले अपनी पार्टनर को किस करें। धीरे-धीरे उन खास पलों को इंजॉय करें। यदि आप जल्दबाजी दिखाते हुए सीधे नीचे की तरफ ही जाएंगे तो बहुत मुमकिन है कि उनका मूड ऑफ हो जाए। इसलिए, जरा आराम से।

कान का भी रहे ध्यान
उनके कानों को अपनी गर्म सांसो का अहसास जरूर कराएं, पर ऐसे नहीं कि कान के पर्दों पर ही आफत आ जाए। महिलाओं को आपकी गर्म सांसों को अपने कानों में महसूस करना अच्छा लगता है, लेकिन एक हद तक ही।

ब्रेस्ट पर जरा आराम से
आप जो भी छूना चाहें, छू सकते हैं, लेकिन प्यार से। ब्रेस्ट के मामले में आपको खास सावधानी बरतनी चाहिए। यह एक नाजुक हिस्सा होता है, कोई स्ट्रेस बॉल नहीं कि आप जैसे चाहें वैसे दबाएं। जहां तक निपल्स की बात है, उसको भी दांतों से न काटें। कई बार आपकी जल्दबाजी आपकी सेक्स लाइफ पर बुरा असर डाल देती है।

ऐसे सेक्स न करें जैसे कि कल होगा ही नहीं
बहुत से ऐसे लोग हैं जो अंदर जाते ही पूरे जोश में आ जाते हैं। आपको थोड़ा सा सौम्य होना चाहिए। धीरे-धीरे क्लाइमैक्स की तरफ बढ़ने का जो आनंद है, वह और किसी भी तरीके में नहीं। इससे आप दोनों के बीच का इमोशनल बॉन्ड भी काफी तगड़ा होता है।

इतनी जल्दी!
लड़कियों को यह भी पसंद नहीं कि उनका पार्टनर तुरंत ही सरेंडर कर दे। सेक्स का मजा तब है जब दोनों ही इसकी खूबसूरती को महसूस कर सकें। आपकी मदद के लिए तमाम तरह की तकनीकें मौजूद हैं, बस आप इन पर सही से अमल करके आगे बढ़ें, ताकि अगली बार आपको शर्मिंदा न होना पड़े।

और कितनी देर लगेगी!
कुछ ऐसे भी केस होते हैं जहां पुरुष काफी देर तक रुक जाते हैं। ऐसी स्थिति में भी महिलाओं को तकलीफ होती है। अच्छे सेक्स के लिए आपको वह पॉइंट पहचानना होगा जहां से आगे जाने के बाद आपकी पार्टनर को असहज महसूस होता है।

ओरल सेक्स
आप जबर्दस्ती उनका सिर नीचे की तरफ नहीं धकेल सकते। याद रखिए, आपकी पार्टनर को ब्लोजॉब पसंद होगा तो वह जरूर इसे करेंगी। लेकिन अगर आप यह सब उनसे जबर्दस्ती करवाएंगे, तो आप सेक्स की कई सारी चीजों से अनजान ही रहेंगे। आपको वह खूबसूरत अहसास फिर नहीं मिलेगा।

ऐसा भी सरप्राइज किस काम का
सरप्राइज अक्सर अच्छे ही होते हैं, पर सेक्स में मामला थोड़ा दूसरा हो जाता है। जब भी आप स्खलित होने वाले हों, अपनी पार्टनर को जरूर बताएं। कम से कम यही एक ऐसा क्षेत्र है जहां लड़कियों को सरप्राइज पसंद नहीं। तो अगली बार से इसका ध्यान रखें।

सेक्स पोजिशंस का ध्यान रखें
वह कोई खजुराहो की मूर्ति नहीं कि आप उसे जैसे चाहें वैसे मोड़ लें। किसी भी सेक्स पोजिशन को ट्राइ करने से पहले यह जान लें कि आपकी पार्टनर उसमें कंफर्टेबल है कि नहीं। अगर आपको बिस्तर में उनकी फ्लेक्सिबिलिटी ही जांचनी है, तो बेहतर होगा आप पहले उन्हें जिमनास्टिक की क्लास में भेजें।

खुद को ऐसे ही उनके उपर न छोड़ दें
किसी मुर्दे की तरह उनके शरीर पर न पड़ जाएं। आपके ऐसा करने से हो सकता है उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगे। और वैसे भी, कोई भी लड़की किसी आलसी इंसान के नीचे दबकर नहीं मरना चाहेगी, और खासकर तब जब वह इंसान बिना कपड़ों के भी हो।

गहरी लव बाइट्स
हल्की-फुल्की लव बाइट्स तो सभी इंजॉय करते हैं। हल्की लव बाइट्स जहां आपके प्यार को गहरा करती हैं, वहीं गहरी लव बाइट्स आपकी पार्टनर का मन खराब कर सकती हैं। एक बात हमेशा याद रखें, आप ड्रैकुला नहीं हैं। सेक्स को सुरक्षित तरीके से इंजॉय करेंगे, तो आपका रिश्ता भी मजबूत होगा।