ये सत्य कहानी नवम्बर 2014 की है जब मैं मेरे एक दोस्त भूपेश (दोस्त कम परिचित ज्यादा है ) के साथ अपने काम करवाने के लिए अपने शहर से करीब 500 किलोमीटर दूर दूसरे शहर दोस्त को अपने खर्चे पर लेकर गया जहा पर दोस्त ने अपनी 38-40 वर्षीय प्रेमिका या रखैल ''आशा कोईरियाल'' से रेलवे स्टेशन में मिलवाया । आशा की हाइट करीब 5 फिट के आसपास होगी आशा न तो दुबली थी और न ही मोटी थी नार्मल थी ,हल्का सा पेट बाहर निकला हुआ था, पर जिस्म की तुलना में चूचियाँ बड़ी बड़ी थी, साड़ी के अंचल के नीचे चुचियो को मैं नाप लिया , आशा 32-34 साइज़ की ब्रा पहनती होगी आशा अपने साथ अपने 8 वर्षीय लड़के को भी साथ में लाइ थी । आशा के पहनावे से लगता था की आशा साधारण परिवार से । आशा देखने में बहुत अच्छी लगती है,पतले पतले,लाल लाल होठ सुन्दर से आँखे और नाक ,मेचिंग साड़ी-ब्लाउज मेचिंग लिपस्टिक ,ऑटोफीसियाल गहने मांग में सिंदूर,माथे पर सुन्दर बिंदिया चेहरे की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे । आशा का जिस्म गठीला लग रहा था पेट और कमर में थोड़ी थोड़ी चर्बी चढ़ रही थी,बड़े बड़े टाइट चुचियो के बाद फिर भी आशा बहुत ही सेक्सी लग रही थी । रेलवे स्टेशन में एक ही बेंच पर तीनो बैठकर बाते करने लगे और आशा लड़का खेलने लगा । दोस्त ने आशा के गले में हाथ डाल कर बाते करने लगा उसका हाथ हटा दिया और बोली ''ये सब यहाँ अच्छा नहीं है'' तब दोस्त हाथ हटकर बाते करने लगा । तो आशा दोस्त के मुह को दूर हटाती क्योकि दोस्त ने सराब पी रखी थी,सराब के नसे में दोस्त बार बार आशा को चूमने की कोशिस करता तो आशा अपना चेहरा दूर कर लेती । तब मैंने दोस्त को बोला '' भूपी ये क्या कर रहा है ये पब्लिक प्लेस है लोग आते जाते देख रहे है ,यही सब करना है तो सुनसान जगह पर भाभी को लेकर जा'' तब आशा मेरी तरफ देखी और बोली '' ठीक तो कह रहे है आपके साथ वाले'' तब मैंने आशा को अपना नाम बताया तो आशा हँसते हुए बोली ''ओके देवर जी'' तब दोस्त हस्ते हुए बोला '' अच्छा पैसे वाला देवर मिल गया तुम्हे'' और फिर बाते होने लगी और दोस्त बार बार सराब के नसे में गन्दी हरकते करने लगा तो उसके कान में धीरे से बोला ''ले जा रेलवे स्टेशन के किनारे में जहा अन्धेरा है और खूब चूमा चाटी कर'' तो दोस्त को मेरी बात समझ आ गई और ओ आशा को लेकर चला गया, आशा जाते जाते मेरी तरफ प्यार भरी चितवन से देखी और बोली '' बबलू का ध्यान रखना देवर जी'' मैंने हां में गर्दन हिला दिया और आशा का लड़का मेरे पास ही खेलने लगा । आशा की चितवन मुझे आमंत्रित कर गई मैंने मन ही मन प्लान बनाने लगा की आशा को कैसे चोदु । तभी मेरी नजर आशा के लड़के की तरफ पडी तो मैंने सोच लिया ''गाय को दुहना है तो बछड़े को पटाओ'' बस फिर क्या था बच्चे को अपने साथ लिया और रेलवे स्टेशन के बाहर बालक ने जो जो मांगा सब दिला दिया और रेलवे स्टेशन के अंदर आया तो बालक दौड़ता हुआ आशा के पास गया और सब चीज दिखाने लगा तो आशा ने पूछा तो बालक ने बोला दिया मेरी तरफ इसारा करके ''अंकल ने दिलाया'' तब आशा मेरी तरफ प्यार से देखि और बोली '' देवर जी ये सब करने की क्या जरुरत थी'' तब मैंने बोला ''मैंने जो भी किया है मेरे भतीजे के लिए किया है'' तब आशा चुप हो गई तब भूपी बीच में बोलता है
आशा का फ़ेस और जिस्म की बनावट ८५% ऐसी ही है |
आशा की चूचियाँ ब्लाउज के नीचे इस तरह रही थी |
आशा ऐसी ही लगती है देखने में |
आशा के ऊपर और नीचे के होठ 100 % ऐसी ही है मजेदार पतले रशीले सेक्सी |
फिर आशा से कुछ और बाते किया और आशा संपर्क टूट गया । करीब 6.15 पर ट्रेन आ गई और मैंने मेरी बर्थ में अपना बेग रखकर वापस उतर गया ट्रेन से और आशा की तलास करने लगा इतने में आशा अपनी ट्राली बेग घसीटे हुए दिखी तो मैं जल्दी से आशा के पास पहुंचकर बेग उठाया और जल्दी जल्दी अपने बोगी में आशा को चढ़ा कर खुद भी चढ़ गया । आशा तेज तेज चली इस लिए हांफ रही थी और आशा में माथे पर पसीना की बुँदे दिखाई दे रही थी जिसे मैंने मेरी रुमाल निकाल कर पोछने लगा तो आशा ने मेरे हाथ को पकड़ कर किस कर लिया [आशा ने पहली बार मेरे शरीर को छुआ है] और बोली ''जानू इतना प्यार नहीं करो,मैं सह नहीं पाऊगी'' तब मैंने कुछ नहीं बोला और फिर से आशा का पसीना पोछने लगा तो आशा फिर हाथ को किस कर लिया तब मैंने आशा ''अपन दोनों ट्रेन में बैठे हुए है'' तो आशा बोली ''क्या करू जानू आप को देखने के बाद लगता है आपसे चिपक जाऊ'' तब मैंने बोला '' कंट्रोल करो आशा पास की सीट में बैठे हुए लोग देख रहे है '' तब आशा मेरे हाथ से रुमाल लेकर अपना पसीना पोछने लगी । आशा खिड़की के पास बैठी थी उसके बगल चिपक कर बैठा हुआ बाते करने लगा, आशा बहुत खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था की मौका मिले और आशा को किस करू फिर भी एक घंटे तक कोई मौका नहीं मिला । मेरी बर्थ के कंप्र्टमेण्ट में सिर्फ 2 लोकल सवारी बैठी हुई थी कुछ ही मिनट के बाद करीब 7 बजे अगले स्टेशन सवारीया उतर गई जैसे ही मौका मिला मैंने आशा की चूचियों को दबाते हुए किस कर लिया तो आशा भी तुरंत मेरे गोरे -गोरे लाल गालो पर किस की झड़ी लगा दिया गाल में हलके से दांत भी काट लिया और गाल को चूसने लगी तब मैंने गालो को आशा के मुह से अलग किया पर तब तक गाल लाल पड़ गए । आशा ने स्पंज वाली ब्रा पहनती है इसीलिये आशा की चूचियाँ ज्यादा आकर्षक लगती है । आशा और मैं आपस में एक दूसरे के गले में अपनी बाहें डालकर बाते करने लगे इतने में बर्थ की सीट में कई लोग आ गए तो हमने अपने अपने अपने हाथ हटा लिए और बाते करने लगे । बाते करते करते कब 9 बज गए पता ही नहीं चला मुझे भूख लगी तो मैंने आशा को बोला चलो खाना खाते है तो आशा तैयार हो गई आशा के ही हाथ का बना हुआ खाना खाया, खाना तो अच्छा नहीं था पर आशा को खुस करने झूठी मुठी तारीफ कर दिया और खाना खा लिए । मेरी बर्थ नीचे की थी पर मैंने ऊपर वाली बर्थ में आशा को जाने के लिए कहा तो आशा चली गई और कुछ मिनट में ही मैं भी लाइट बंद कर ऊपर आशा के पास पहुंच गया और दोनों ने एक कम्बल को ओढ़ लिया और बाते करने लगे और बार बार दूसरे को किस करने लगे अँधेरे का फायदा उठाकर । मैं बार बार आशा की चुचियो को हलके हाथ से दबा देता यह क्रम लगातार 30 मिनट तक चलता रहा तो आशा बोली ''मुझे गैस बन रही है मैं लेट जाऊ'' तो मैंने कहा ''लेट जाओ'' तो आशा कम्बल को ओढ़कर लेट गई और मैं आशा के पाँव को अपनी गोद में रख लिया और आशा के पाँव को दबाने लगा कुछ देर में आशा की जांघो को सहलाने लगा और आशा धीरे धीरे गर्म पड़ने लगी और बोली ''आ जाओ आप भी लेट जाओ'' तब मैंने कहा की ''इतनी जगह में नहीं बनेगा'' तो आशा बोली'' आओ लेटे तो सही बन जाएगा'' तब मैं आशा की तरफ मुह करके लेट गया और आशा को किस करने लगा,आशा की चुचियो को दबाने लगा तो आशा मेरे गाल पर हाथ घुमाती और बार बार किस करती ,दोनों एक दूसरे की जीभ को चूसने लगे कुछ देर में मैंने आशा ब्लाउज के हुक खोल कर ब्रा के भी हुक खोल दिए और आशा के मस्त गोलाई लिए हुए स्तन को हलके हलके हाथ से सहलाने लगा इतने में TC आ गया तो टिकट दिखाने लगा और जब TC चला गया तो फिर लेट गया और आशा चुचियो को चूसने लगा आशा की चूची की निप्पल टाइट पड़ने लगी तो मैं समझ गया की आशा गर्म पड़ रही है । आशा इतने में मेरे लण्ड को टटोलने लगी और पेंट की चेन खोलने लगी तो मैंने चेन खोल दिया तो आशा ने चेन से हाथ डालने लगी पर हाथ घुसा नहीं तो बेल्ट खोलने लगी, तब मैंने पेंट की बेल्ट खोल दिया और आशा मेरे 8 इंची लण्ड को पकड़ कर खिलाने लगी इधर मैं आशा की चुचियो को चूसते चूसते आशा की चूत में उंगलियाँ डालकर चूत को सहलाने लगा,कुछ ही देर में आशा की चूत गीली पड़ गई और आशा मुझे अपनी तरफ खीचने लगी तब मैं आशा के और नजदीक होकर अपना लन्ड़ आशा की चूत में घिसने लगा तो आशा के मुह से उउउउ आअह्हहः आआज् जह्ह्ह की धीरे धीरे आवाज निकालने लगी और लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगी पर लण्ड को चूत में घुसाते नहीं बन रहा था, तो मैं आशा को पीठ के तरफ से लिटाते हुए आशा के ऊपर चढ़ने लगा तो किसी ने लाइट जला दिया तोमैं रुक गया और ध्यान बट गया उधर आशा जल्दी से अपनी साड़ी को ठीक करने लगी , तब मैंने भी लण्ड को पेंट के अंदर किया और बेल्ट को लगा लिया । इतने में ट्रेन की स्पीड कम होने लगी तो मैं समझ गया की कोई स्टेशन आने वाला है । मुस्किल से 5 मिनट बाद ट्रेन एक स्टेशन खड़ी हो गई तो एक सज्जन से पूछा तो पता चला की ''इटारसी'' रेलवे स्टेशन में खड़ी है ट्रेन । आशा धीरे से कान में बोलती है ''चलो यहाँ उतर जाते है '' तब मैंने कहा की ''घर पहुचने में लेट हो जाओगी'' तब आशा मुस्कुराते हुए बोली ''मैं मैनेज कर लूंगी'' इतना कहकर आशा उठी और कम्बल को समेटने लगी और बोली जल्दी करिये ट्रेन ज्यादा समय के लिए नहीं रुकती । तब मैं जल्दी जल्दी सामान को समेटा और ट्रेन से नीचे उतर गए और बाहर जाकर ऑटो पकड़ा और बोला पास में कोई होटल हो तो ले चलो, ऑटो वाला मुस्किल से 5-7 मिनट में ही पास के होटल में पहुंचा दिया उस समय रात के 12 बज रहे थे । होटल के रजिस्टर में आशा को अपनी पत्नी
आशा की चूचियाँ हूबहू ऐसी ही है |
आशा की ओरिजनल पिक |
आशा की ओरिजनल पिक |
आशा की चूत आज भी बहुत टाइट है बहुत मजा देती है चुदाने में |