Wednesday, 16 April 2014

स्टूडेंट आयशा खान से सच्चा प्यार और चुदाई

[ सच कहानी को पूरी पढ़े तभी समझ आएगी, मेल से भेजी गई है ]

मैं जनवरी 2012 को किसी काम से मेरी ससुराल गया हुआ था साम के 5 बजे के समय मैं मेरी BMW कार से जा रहा था जहा रोड में एक मीडियम  साइज़ [ना तो ज्यादा मोटी और ना ही ज्यादा दुबली] की की औरत को जाते हुए देखा उसकी चाल को देखकर ऐसा लगा जैसे मैं इसे जानता हु , मुझे मेरी आशा याद आ गई कुछ दूर तक कार से पीछे चलते चलते पूरा विश्वास हो गया की ये तो आशा ही है तब मैंने कार को उसके पास ले गया और आवाज दिया '' हेल्लो आशा '' तो ओ मेरी तरफ पलट कर देखी और बिना कुछ जबाब दिए आगे को बढ़ गई मैं फिर कार से आवाज दिया '' ओ आशा सुनो तो सही '' तब ओ फिर से मेरी तरफ घूर कर देखी और बोली '' किसे आवाज दे रहे है '' तो मैंने कार के अंदर से ही बोला '' तुम आशा हो ना '' तो ओ बोली '' नहीं मैं आयशा हु '' तब मैंने कार को थोड़ा आगे बढ़ाया और एक किनारे कार को खड़ी किया और उसके पास जाकर पूछा '' आप तउरेज खान की बेटी आयशा हो ना '' तो ओ बोली ''हां'' तब मैंने उसे कहा ''मुझे नहीं पहचाना क्या '' तो ओ दिमाग पर जोर डाली और ना में सिर  हिलाया तब मैंने उसे बोला '' ध्यान  से देखो मेरी तरफ'' तो ओ फिर से मेरी तरफ घूर कर देखी और मुस्कुरा कर बोली '' आप तो सर जी है न '' तब मैंने बोला ''हाँ पहचान लिया '' तब मैंने आशा को अपनी कार में बड़े आग्रह के साथ अपने बगल वाली सीट पर बिठाया और कुछ दूर जाने के बाद कार को एक छायादार पेड़ पेड़ के  नीचे खड़ी कर दिया और कार के अंदर बैठे बैठे ही बाते  करने लगा आशा का चेहरा बहुत कुछ बदला हुआ है ,आँखों के नीचे काली काली-काली झाइयाँ है फिर भी 40  की उम्र में भी खूबसूरत लग रही है, आशा आगे होकर बोली '' आप यहाँ कैसे ? आपको 20 साल बाद देखी इस लिए पहचान नही पाई आपतो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रहे है आब '' तो मैंने उसे बताया ''मेरी ससुराल है यहाँ '' तो उसने पूछा ''कहा पर'' तो मैंने उसे बताया तो बोली किसके यहाँ तब मैंने मेरी ससुराल वालो का नाम लिया तो बोली '' सच में ओ आपकी ससुराल है '' तो मैंने बोला ''हां'' तब ओ फिर पलट कर बोलती है  ''आपकी  ससुराल वाले तो बहुत बड़े आदमी है बहुत धनी है ओ लोग ''  फिर आयशा ने मेरे बाया हाथ की कलाई के ऊपर देखा और हाथ को चुम लिया और बोली '' ये क्या पहले तो सिर्फ ''आ'' लिखा था ये ''यशा'' कब लिख लिया और ये अभी तक नहीं मिटा  '' तो मैंने आयशा से कहा की '' ये मेरी चिता जलने के बाद ही मिटेगा '' तो आयशा मेरे मुह पर हाथ रख दिया और बोली '' चिता जले आपके दुश्मनो की '' फिर आयशा ने पूछा ''आपने ये मेरा पूरा नाम कब लिख लिया '' तो मैंने आयशा को बोला की '' तुम्हारी जुदाई में पूरा नाम लिखा लिया '' फिर मैंने आशा से उसके सौहर - बच्चो के बारे पूछा तो आशा ने बताया '' पहले वाले शौहर से कोई ओलाद नहीं हुई तो उससे  तलाक हो गया  और दूसरे शौहर से एक  लड़का  और दो  लडकिया है '' मैंने पूछा ''क्या करते है आपके सोहर'' तो आशा ने बताया '' ओ कबाड़ी की दूकान चलाते है '' तब मैंने तपाक से बोला '' आपको  भी कबाड़ में  बदल दिया '' तो आशा मेरी तरफ घूर कर देखी और बोली ''आप टीक कहते है सर अब मैं आपको कबाड़ ही नजर आउगी '' आशा की बाते सुनकर मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ और मैंने आशा का हाथ पकड़ कर बोला '' क्षमा करो मेरी जान गलती हो गई '' और इतना कहकर आशा का हाथ 'चुम' लिया तो आशा अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली '' अरे क्या कर रहे है आप ये पब्लिक प्लेस है किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा '' तब मैंने आशा को बताया की '' काला कांच लगा हुआ है कोई नहीं देख सकता हम दोनों को'' और इतना कहने के बाद आशा को अपनी तरफ खीच लिया और आशा की चुचियो को दबाते हुए होठो को किस कर लिया ,आशा ने कोई बिरोध  नहीं किया और अपनी सीट से झुक कर मेरे सीने से चिपकी रही, आयशा की चुचिया खूब टाइट लगती है जैसे चुशियो को किसी ने कई सालो से किसी ने दवाया ही नहीं | आशा की आर्थिक स्थित, उसे देखकर लगता है बहुत खराब है, साधारण सी चप्पल, सस्ता सा सलवार कुर्ती पहन रखी थी जिसमे कुर्ती में कई जगह पर हाथ से सिलाई की हुई , बाते करते करते मैंने आशा की कुर्ती के गले के पास से हाथ डालकर आशा की चुचियो को खिलाया , आयशा की चुचिया मस्त गोलाई लिए हुए बिना लटके, खूब टाइट लग रही थी आशा ने कोई बिरोध नहीं किया और मुझे किस करने लगी, मैंने आयशा से बोला ''आशा तुम तो आज भी बहुत मस्त लगती हो ,तो आयशा ने पूछ लिया '' कैसे मस्त लगती हु '' तो मैंने आयशा की चूची की तरफ इसारा किया और बोला '' ये आज भी खूब टाइट है '' तो आयशा बोली '' हां है तो पर किस काम की  '' तो मैंने पूछा '' मतलब क्या है '' तो आयशा कुछ नहीं बोली और उदास हो गई मैंने बहुत पूछा पर आयशा इस बारे में कुछ नहीं बताया, हम दोनों कार में 25 मिनट तक बाते किये ,आयशा  बारे  पूछा , आयशा ने मेरे बीबी बच्चो के बारे में पूछा , फिर आशा का पता पूछा तो आशा ने पता तो बता दिया जब मैंने बोला चलो छोड़ दू तो आशा ने मना कर दिया और बोली ''मैं चली जाउगी '' तब मैंने आशा से उसका मोबाइल नंबर मांगा तो बोली ''मेरे पास मोबाइल नहीं है '' तो मैंने बोला पति का ही दे दो तो बोली ''नहीं उनके नंबर पर बात नहीं करना आप, कही उन्हें पता चल गया तो 'तलाक तलाक तलाक'  बोलेगे और मैं रोड पर आ जाउगी और अब तो कोई नहीं पूछेगा इस उम्र में '' तब मैंने आशा से बोला फिर मैंने ''कैसे मिलूँगा कैसे बात करुगा'' तो आशा बोली ''क्या जरुरत है बात करने की '' तब मैंने बोला '' नहीं मेरी जान इतने दिन बाद मिली हो अब मैं तुमसे फिर से बात किया करुगा तुमसे मिला करुगा '' तब आशा बोली '' मेरे पडोस में एक हिन्दू सहेली है उसका नंबर देती हु उस पर बात कर लिया करना '' और फिर आशा ने नंबर दे दिया मुझे अपने पडोसी का मैंने भी मेरा कार्ड आशा को दे दिया ,फिर बोला इसे सम्हाल कर रखना
आयशा इस समय बिलकुल ऐसी ही लगती है

और जब आशा कार से उतरने को तैयार हुई तो मैंने मेरी पर्स में से 1000 - 1000 की 21 नोट निकाला और आशा के हाथ में रख दिया तो ओ मेरी तरफ आस्चर्य भरी निगाह से देखी और बोली '' ओ अल्ला ,इतने रुपये क्या करुँगी '' तब मैंने बोला ''रख लो अपने लिए अच्छे अच्छे कपडे ले लेना और अपने लिए एक मोबाइल खरीद लेना है '' तब आशा मेरी तरफ बड़े प्यार से देखी और मुझे किस किया और कार से उतर कर चली गई और मैं भारी मन से अपनी ससुराल आ गया पर मेरा मन बार बार आयशा के साथ बिताये हुए पल को याद करने लगे पर बार बार कोई न कोई डिस्टर्ब कर देता पर जब साम को सोने लगा तो आयशा के साथ बिताये एक एक पल की सुनहरी यादो में खो गया और कब नींद लग गई पता ही नहीं चला पर आयशा के एक एक बाते स्वप्न में सिनेमा की तरह दिमाग में चलने लगा |

   

आयशा खान स्कूल के समय ऐसी ही लगती थी
    ये सच कहानी  है उन दिनों की है जब मैं एक छोटे से कस्बे जो UP के बार्डर में है वहा की हायर सेकण्ड्री स्कूल में पहली बार लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुआ उस समय मैं 27 - 28  साल का हट्टा कट्टा ,खूबसूरत नौजबांन था मुझे स्कूल में क्लास 10Th का क्लास टीचर बनाया प्रिंसपल साहब ने | 10Th क्लास में तो कई लडकिया थी पर उसमे  थी आयशा खान [आयशा की पढ़ाई लेट चालु हुई इस लिए  आयशा की उम्र 10 Th में 18 साल की हो गई थी]  जो बहुत ही सुन्दर और सेक्सी थी पढ़ने में भी अच्छी थी इसलिए मैंने उसे क्लास मॉनिटर बना दिया  इस कारण ओ मेरे से ज्यादा घुल मिल गई , पर मैं उसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता था एक दिन मैं अपनी रॉयल इनफील्ड बुलट मोटर साइकल से कस्बे के बाजार में निकला तो एक जूते -चप्पल की दूकान में आयशा बैठी हुई मिली,मुझे भी एक स्लीपर लेना था सो मैं आयशा की दूकान के सामने बाइक रोक कर रुक  गया , आयशा ने जैसे ही मुझे देखा उठकर खड़ी हो गई और बोली  ''क्या चाहिए गुरु जी '' तो मैंने उससे बोला ''आपकी दूकान है'' तो ओ बोली ''हां पर गुरु जी आप मुझे आप क्यों कहते है'' मैं तो आपकी स्टूडेंट हु '' तो मैंने बोला आप स्कूल में स्टूडेंट है यहाँ नहीं तो ओ मुस्कुराई और एक टूटी से चेयर दिया और बोली ''आप बैठ जाए '' तो मैं बैठ गया चेयर में और आयशा से कहा की ''मुझे एक स्लीपर चाहिए '' तो आयशा ने लखानी की एक स्लीपर दिखाया पसंद आ गई तो ओ स्लीपर मैंने रख लिया और आयशा को 20 - 20 के दो नोट दिए [लखानी के स्लीपर उस समय 25 रुपये में मिलती थी] तो आयशा ने रुपये वापस कर दिए और बोली '' आप तो ले जाइए गुरु जी '' तो मैंने कहा की ''नहीं ऐसे कैसे बिना दाम चुकाए ले जाऊ '' तो पलट कर आयशा ने जबाब दिया ''आप तो मेरे गुरु जी है आपसे क्या दाम लू '' और इतना कह कर रुपये मेरे जेब में डाल दिया , रुपये डालते समय आयशा जैसे मेरी तरफ झुकी आयशा की चूची [बूब्स ,स्तन] मुझे दिखाई दे गई और आयशा के बाल मेरे कंधे पर गिर गए , और आयशा के वदन से एक मादक खुसबू निकली जो मुझे मदहोस कर दिया मैं आयशा की चूची ही देख रहा था की इतने में आयशा खड़ी हो गई और मेरी नजरो को समझ गई की मैं क्या देख रहा हु , तो आयशा सर्म के मारे अपना दुपट्टा सम्हालते हुए अपनी मस्त मस्त चुचियो को ढक लिया और दूकान में बैठ गई , तो मैंने फिर से जेब में से 40 रुपये निकाले और आयशा के हाथ को पकड़ा और रख दिया और उठकर चलने,लगा तो आयशा बोली ''गुरु जी 15 रुपये तो लेते जाइए '' तो मैंने धीमी सी अबाज में कहा की '' आप अपने लिए कुछ खरीद लेना और उसे पहनना तो रोज मेरी याद आएगी'' [उस समय पर ब्रा 15 रुपये में मिलती थी और आयशा अभी तक ब्रा नहीं पहनती थी] आयशा समझ गई मेरा इसारा तो हलकी सी मुस्कान  बिखेर दिया अपने सुन्दर से गुलाब की पंखुड़ियों के तरह होठो पर और मैं उसके दूकान से चला आया
 मेरी रॉयल इनफील्ड बुलट ऐसी ही थी 
। और अगले दिन जब आयशा स्कूल आई तो उसे बोला ये हाजिरी का रजिस्टर रख आओ ऑफिस में तो आयशा मेरे पास उस समय उसके स्कूल ड्रेस के नीचे ब्रा दिखाई दिया मैं समझ गया की आयशा ने मेरी बात मान लिया,मैं रोज क्लास में दो पीरियड लेता एक अंग्रेजी और दुसरा गणित का आयशा बड़े लगन के साथ पढ़ती और किसी न किसी बहाने मेरे से बातें करती इस तरह स्कूल में मुझे करीब 7 माह हो गए फरवरी में स्कूल का वार्षिक उत्सव आया उसमे सभी  ने अपने अपने पसंद के भाषण , गीत प्रस्तुत किया , मैं हारमोनियम  बहुत अच्छा बजाता था प्रिंसपल साहब मेरे गाँव के पास के थे इस लिए ओ  जानते थे की मैं बहुत बढ़िया गाता भी हु तो प्रिंसपल् साहब ने आग्रह किया की मैं कोई गाना सुनाऊ तो मैं स्टेज पर चढ़ कर एक फिल्म का गाना '' कभी कभी मेरे दिल में ख्याला आता है की जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए '' को पूरा गाया तो सभी स्टाफ और लदको/लड़कियों ने खूब ताली बजाया और सभी ने खूब तारीफ़ किया उसी दिन जब साम को स्कूल का फंकसन  ख़त्म हुआ और मैं साम को 7 बजे मैं मेरी बुलट से अपने गाँव  आने लगा तो स्कूल से कुछ दूरी पर आयशा अँधेरे में खड़ी दिखी और मुझे रुकने का इसारा किया तो मैं रुका और बोला ''क्या है आयशा यहाँ क्यों खड़ी हो अँधेरे में '' तो बोली '' बस सर ऐसे ही '' तब मैंने बोला  ''सही सही बताओ क्या काम है यहाँ अँधेरे में'' तो आयशा बोली ''सर एक बात पुछू '' तो मैंने कहा की ''पूछो ना '' तो आयशा बोली '' गाना किसके लिए गाया '' तो मैंने  तपाक से बोला ''आपके लिए'' तो आयशा खुस होकर बोली ''सच्ची मुच्ची मेरे लिए गाया '' तो मैंने आयशा का बाया हाथ पकड़ा और बोला ''कसम से आपको याद करके ओ गाना गाया अच्छा लगा आपको मेरा गाना '' तो आयशा बोली '' आप भी अच्छे लगे और आपका गाना भी अच्छा लगा '' और इतना कहकर एक गुलाब का फूल दिया [दाए हाथ को पीछे छिपा रखी थी गुलाब का फूल ] और बोली ''आप बहुत अच्छा गाते है सर'' तो मैंने उसे सुक्रिया कहा और बोला ''जाओ यहाँ से अँधेरे में मत खड़ी रहो'' तो आयशा मेरी तरफ देखते हुए वहा से चली गई मैं अपने गाँव आ गया [मेरा गाँव स्कूल से 15 KM दूर है इस लिए रोज अप डाउन करता था] पर रास्ते भर और फिर रात भर आयशा का खूबसूरत और मासूम चेहरा आँखों के सामने घूमता रहा और अब जब भी स्कूल आता तो आयशा आती तो तिरक्षी नजर से मेरे तरफ बड़े प्यार से देखती फिर अप्रैल -मई में एक्जाम हुई 10 Th बोर्ड की मैंने आयशा को खुब नक़ल करवाया तो आयशा के 89% रिजल्ट बना और आयशा 11Th में आ गई मुझे भी 11Th के क्लास का क्लास टीचर बना दिया मैंने आयशा को फिर से 11Th का मॉनीटर बना दिया  अब आयशा खूब घुल मिल गई | 

आयशा क्लास में पढ़ते हुए इसी तरह मेरी तरफ देखती

             जुलाई में खूब बरसात  होने लगी मैं गीला हो जाता रेनकोट के बाद भी तो एक दिन पापा को बोला की बरसात के लिए वही रूम लेकर रहु क्या तो पापा ने मना नहीं किया तो मैंने आयशा के घर के  सामने दो रूम किराए से लेकर रहने लगा जब ये बात आयशा को पता चली तो बहुत खुस हुई | आयशा के अब्बु जान की उम्र 50 साल के आसपास होगी बालो में मेहदी लगाये रहते है ,पर आयशा की अम्मीजान बमुश्किल 30  साल के आसपास होगी हलकी से सावली पर मस्त जवान थी,उस कस्बे में नल की कोई ब्यवस्था नहीं थी उस समय पर एक कुआ था जहा से सभी पानी भरते और वही पर नहाने भी जाते थे मैं भी वही जाने लगा ,मैं जब भी नहाने जाता आयशा भी पानी लेने के बहाने जाती [आयशा की सौतेली माँ सभी  करवाती थी] और मुझे पानी भर कर दे देती नहाने के लिए यह क्रम रोज चलने लगा आयशा पानी भरने के बहाने बहुत से बाते करती ,एक दिन  आयशा से पूछ लिया की आपकी अम्मी जान की उम्र कम है पापा से तो आयशा ने बताया की उसकी अम्मीजान और अब्बा में तलाक हो गया ये दुसरी अम्मी है मेरी तो मैंने पूछा की क्यों हुआ तलाक तो आयशा ने बताया की मेरी  अम्मी जान की और अब्बा की नहीं पटती थी तो मैंने पूछा की इस मम्मी से पटती है क्या तो आयशा बोली ज्यादा नहीं पटती है पर ये अम्मी बहुत गरीब घर से है इस लिए अब्बा की सम्पत्ति के  कारण निकाह कर लिया | आयशा स्कूल से आने के बाद और स्कूल जाने के पहले घर के काम में बहुत विजी रहती ,सुबह घर का काम करती और स्कूल से आने के बाद दूकान सम्हालती और साथ में पढ़ाई भी करती ,आयशा के अब्बु ज्यादातर दूकान का सामान बाहर से लाने में ही निकाल देते , आयशा की मम्मी घर का कोई काम नहीं करती  3 साल के लड़के को लिए रहती | आयशा से प्यार हो गया मुझे पर मैं और आयशा दोनों डरते थे ज्यादा मिलने -जुलने में | एक दिन मैं स्कूल जाने के लिए मेरी बुलट स्टार्ट किया तो आयशा के अब्बा मेरे पास आये और बोले '' राम राम ठाकुर साहब '' तो मैं सरमा गया और उन्हें बोला '' आप तो बड़े है अब्बु जी आप क्यों सलाम करते है ये तो मुझे करना चाहिए '' तो आयशा के अब्बु ने कहा की ''साहब आप बड़े लोग हो और मेरी लड़की के गुरु है और गुरु तो  सबसे बड़े होते है '' [उस कस्बे में 200 घर में से 15-20 घर मुस्लिमो के है इस कारण सभी मुस्लिम बड़े अदब से रहते है हिन्दुओ के साथ घुल मिलकर] तो मैंने बोला ''ऐसा कुछ नहीं है  अब्बु जी आप उम्र में बड़े है '' तो आयशा के अब्बु ''ताउरेज खान '' ने कहा ''आप राजा है मेरे '' उनकी तारीफ से सोच नहीं पाया क्या मकसद है इनका पर कुछ न कुछ तो स्वार्थ है इसलिए आज पहली  बार  कई महीनो बाद मेरे से बात कर रहे है फिर मैंने बोला ''अब्बु जी आप बड़े है मेरे से आप मुझे राजा साहब नहीं कहे अब राज -पाट कहा रहा '' [मैं वहा के आसपास का जागीरदार का लड़का जो था इस लिए सभी सम्मान भी करते थे और मेरे पापा से डरते भी थे] तो आयशा के अब्बु  ने कहा की '' आप तो आज भी मेरे लिए राजा ही हो ठाकुर साहब '' तो मैंने कहा की ''अब्बु जी ये तो आपकी महानता है जो आप इतना सम्मान दे  रहे है '' और इतना कह कर बुलट में किक मारा और बुलट से भक भक की आवाज  आने लगी और मैं तउरेज खा से कहा की ''चालू अब्बु जी स्कूल का समय हो गया '' तो ओ बोले'' ठीक  है ठाकुर साहब काम था आपसे साम को मिलूँगा'' तो मैंने कहा ''ठीक है साम को मिल लीजिये '' और इतना कहकर मैं स्कूल आ गया | आयशा अब्बु आधुनिक खयालात के है और आयशा को बहुत लाड़ करते है उनकी तमन्ना है की आयशा पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करे | 



        साम को 5  स्कूल से आया और फ्रेस होकर एक किताब पढने लगा इतने में दरवाजे के पास आयशा आई और बोली ''अब्बू जी आपसे मिलना चाहते है भेज दू क्या'' तो मैंने आयशा को इसारा करके कमरे के अंदर बुलाया तो आयशा अपनी दूकान की तरफ देखी और बोली ''नहीं आउगी अब्बु देख लेंगे '' तो मैं दरवाजे के पास आया और पूछा ''क्या काम है अब्बु को''तो आयशा बोली ''आप ही पूछ लेना '' तो मैं बोला ''टीक है मैं ही आ जाता हु आपके घर '' तो आयशा बोली '' आ जाइए '' और इतना कह कर मुस्कुराई और चली गई | मैं सोचा ये आये उससे पहले ही मैं  आयशा के घर इसी बहाने आयशा का घर  भी देख लुगा ये सोच कर उठा और कपडे पहना और आयशा के घर पहुंच गया तो आयशा के अब्बु ही दूकान में खड़े हो गए और बोले ''आइये ठाकुर साहब मेरे गरीब खाने में तसरीफ लाइए '' और इतना कह कर आयशा को आवाज दिया तो आयशा दूकान में आई और बोली '' जी अब्बु '' तो आयशा के अबु ने कहा '' तू दूकान में बैठ मैं ठाकुर साहब से कुछ बात कर लू '' तो आयशा बोली ''जी अब्बु '' और मैं तउरेज खान के साथ उनके घर में घुस गया और एक छोटे से गंदे से कमरे में बैठ गया जिसमे अजीब सी इस्माइल आ रही थी ज़रा से घर में दो बकरी भी पाल रही थी बकरियो की गंध अलग आ रही थी पर मन मारकर बैठ गया घर में मुझे ऐसा लग रहा था की जल्दी घर से बाहर निकल जाउ मैं आयशा के अब्बु से बोला '' फरमाये अब्बु जी '' तो आयशा के अब्बु ने कहा ''साहब मेरी आशा (तउरेज खान आयशा को आशा ही कहते है) पढने में बहुत अच्छी है सोच रहा हु ये  अच्छी तालीम लेकर कुछ बन जाए अल्ला के फजल से '' तो मैंने बोला ''जरूर भगवान की कृपा से अच्छा बनेगी आयशा '' तब मैं तउरेज खान का मकसद समझ गया और मुझे उनके बदबू दार घर से जल्दी से बाहर निकलना था इस लिए मैंने कह दिया '' टीक है अब्बु जी पर आपमुझससे क्या चाहते है '' तो तउरेज खान ने कहा की '' मेरी आशा को आप गणित की अंग्रेजी की तालीम दे दीजिये आपकी जो भी फीस होगी अदा कर दुगा '' तो मैंने तउरेज  खान से कहा की '' फीस की कोई जरुरत नहीं है नहीं है भगवान का दिया बहुत कुछ है मेरे पास '' तो तउरेज खान ने कहा '' ठीक  है ठाकुर साहब जैसी आपकी इच्छा '' तब मैंने कहा ''चालू अब्बु जी ' तो ओ बोले की '' चाय तो पीते जाइए '' तो मैंने मना कर दिया और घर से बाहर आ गया और जोर से सॉस लिया और कुछ देर तक दूकान के सामने खड़ा रहा और आते आते बोल दिया की ''टीक है कल से भेज देना आप आशा को'' और इतना कहकर तिरक्षी नजर से आयशा की तरफ देखा तो आयशा के आँखों में एक अजीब से चमक आ गई थी पर तउरेज खान ने कहा की ''ठाकुर साहब  यही पढ़ा  करना '' तो मैंने बोला ''टीक है '' और अगले दिन साम को आयशा के घर पहुंच गया और आयशा को एक घंटे पढ़ाया और घर चला आया इस तरह मैं आयशा के बदबू दार घर में भी 15 दिन तक पढ़ाया तब तक आयशा की तीन सहेलिया भी आ गई पढने और कमरे में काम जगह होने के कारण मैंने कहा दिया की तुम  सभी मेरे यहाँ आ जाया करो यहाँ जगह कम पड़ती है , जबकि मुझे आयशा के बदबू दार घर से निजात पाना था आयशा के अब्बु तैयार हो गए और अगले दिन से 4 लडकिया पढने आने  लगी मेरे रूम में | आयशा के घर में 15 दिन की पढ़ाई में मैं समझ गया की आयशा की सौतेली माँ और आयशा में बिलकुल भी नहीं पटती थी आयशा की काली  कलूटी सौतेली माँ मुझे भी लाइन मारती थी पर मैंने उसे घास नहीं डाला | 

सभी लड़कियों को बड़े स्नेह के साथ पढ़ाता ,पर आयशा से मुझे प्यार हो गया आयशा भी खूब प्यार करने लगी पर खुल कर बात नहीं कर पाते क्योकि छोटा सा कस्बा कही छिपकर बाते नहीं कर सकते उस समय पर मोबाइल  और फोन की सुबिधा नहीं थी दिल की बात कहने के लिए और इस तरह दो माह निकल गए और ओक्टुबर का महीना आ गया | 

                       

            कस्बे से करीब 1 KM दूर जंगल भी था जो अभी कम हो गया जंगल में ही एक बरसाती नदी भी थी जो वरसात और ठण्ड में पानी से भरी रहती है  जब आयशा के घर में ज्यादा कपडे हो जाते तो आयशा नदी में जाकर कपडे धोती और सुखा कर घर लाती , कसबे से कई महिलाये लडकिया जाती थी नहाने ये बात मुझे आयशा से पता थी | एक दिन आयशा घर से करीब 12 बजे दोपहर में स्कूल ड्रेस में निकली नदी जाने के लिए तो मैं बाहर ही  खड़ा था तो आयशा पहले अपने  घर की तरफ देखा कोई नहीं था तो मेरी तरफ देखी और इसारे से बताया की नदी जा रही हु, मैं आयशा के इसारे को समझ गया और मैं भी इसारा कर दिया की आ रहा हु और फिर करीब 30 मिनट बाद मैं भी पैदल ही नदी पहुंच गया.देखा की आयशा कपडे धोकर नदी के किनारे सुखाने के लिए डाल रही थी पर आयशा ने मुझे नहीं देखा,मैं नदी के  किनारे कुछ दूरी पर बैठ गया और आयशा को देखने लगा आयशा बार बार कस्बे से आने वाली रोड  की
आयशा नदी में इस तरह से कूद कूद कर नहा रही थी
तरफ ही  देख रही थी मैं समझ गया आयशा मुझे ही देख  रही है पर मैं चुपचाप आयशा की हरकते देखता रहा कुछ देर में आयशा नदी में कूद कूद कर नहाने लगी नदी में कुछ लड़के -लडकिया भी नहा रही थी आयशा कुछ देर बाद फिर निकली नदी से और घाट पर खड़ी होकर फिर से रास्ते की तरफ देखने लगी और बाहर आकर अपने कपड़ो को समेटने लगी और सभी कपड़ो की एक पोट्ली बनाकर  रख दिया और नदी के घाट पर बैठ गई कुछ देर बाद नदी से लड़के लडकिया निकल कर बाहर जाने लगे तो आयशा भी उनके साथ चल दिया सबसे पीछे पीछे पर एक बार नदी की तरफ पलट कर देखी तो मैंने इसारा किया तो समझ गई और वापस आ गई नदी की तरफ तब तक डेढ़ बज गए थे नदी में कोई नहीं बचा तब मैं आयशा के पास पहुंच गया तो देखा की आयशा एक दुपट्टे से अपने स्तनों को छिपा रखा था मैं आयशा के पास जाते ही आयशा से लिपट गया और किस करने लगा तो पहले आयशा ने हल्का सा बिरोध किया और फिर ओ अपने कपडे की पोटली रख कर नदी में कूद पड़ी , जब आयशा नदी में कूदी तो आयशा का स्कूल ड्रेस ऊपर की तरफ उठा और आयशा की चिकनी चिकनी जांघे दिखी ,आयशा नदी में अठखेलिया करने लगी और बोली ''आपको तैरना नहीं आता है इस लिए आप डरते हो सर'' तो मैंने बोला ''आता है तैरना पर कोई देख नहीं ले हम दोनों को इस लिए डरता हु'' तो आयशा बोली  ''सर आप को लड़की होना था,अल्ला मिया ने आपको लड़का बनाकर गलती किया '' इतना कहकर आयशा हसने लगी, तो मैं भी अपनी लुंगी-बनियान उतार कर नदी कूद गया  और आयशा के साथ नहाने लगा आयशा के सर्ट की दो बटन को  खोल दिया और चुचियो को सहलाने लगा , मैं पहली बार किसी लड़की की चूची को हाथ लगाया था क्या टाइट चुचिया थी आयशा की पानी में ही चुचियो को चूसने भी लगा, तो आयशा  सर्मा गई और बोली ''रहने दो सर कोई आ नहीं जाए''तब मुझे आयशा की बात सही लगी और मैंने आयशा को बोला '' आशा तुम बाहर निकल जाओ पानी से नहीं तो पानी सुख जाएगा तुम्हारे वदन की गर्मी से '' तो आयशा हसने लगी और कुछ नहीं बोली हम दोनों करीब 15 मिनट नदी में खूब नहाये आपस
आयशा का गीले वदन में इस तरह से चुचिया दिख रही थी
में लिपट लिपट कर मेरा लण्ड फनफना उठा आयशा की चूत का रसपान करने के लिए, मैंने आयशा से कहा ''चलो उधर चलते है '' [जंगल की तरफ इसारा किया] तो आयशा बोली ''नहीं कोई आ जाएगा देख लेगा '' तो मैं मन मसोस कर रह गया और फिर आयशा को बोला ''चलो फिर बाहर निकलो'' और हम दोनों पानी से बाहर आ गए , आयशा की स्कूल ड्रेस की सर्ट में से आयशा की चुचिया दिख रही थी मैंने आयशा को बोला '' आशा बटन लगा लो'' तो आशा ने सर्ट की बटन लगा लिया | आयशा का गीला वदन साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था मैंने आयशा को बोला 'आशा दुपट्टा रख लो मैं पागल हो रहा हु तुम्हे देखकर '' तो आयशा अपनी चुचिओ को दुपट्टे से ढक लिया और कुछ देर बाद दोनों नदी से 
अलग अलग रास्ते से घर चले आये किसी ने देखा भी नहीं | 

 आयशा और लड़कियों को पढ़ाते पढ़ाते समय  कब निकल गए पता ही नहीं चला मार्च  का महीना आ गया [मैं 10 दिन से गाँव से अपडाउन करता था इस लिए आयशा की जानकारी नहीं मिली] एक दिन आयशा स्कूल नही आई तो उसकी एक फ्रेंड से पूछा तो पता चला की उसके अब्बु और अम्मी कही बाहर गई हुई है ओ दिन भर दूकान पर बैठती है मैं 5 बजे स्कूल से छूटा और आयशा के दूकान गया तो दूकान बंद मिली तो मैं दूकान के बगल में लगे छोटे सटर [जिससे घर के अंदर आते जाते है ] को खटखटाया तो कुछ देर में आयशा निकली एक कम्बल ओढ़े हुए , आयशा को देखते ही मैं समझ गया ये बीमार है तब मैं गली में घुसा और फिर भी मैंने उससे पूछ लिया '' क्या हुआ आशा'' तो बोली ''बुखार आ रहा है '' तब मैंने पूछा की ''अब्बु कहा है'' तो जबाब मिला '' बनारस गए है '' तब मैंने पूछा ''क्यों '' तो बोली ''मौसी का निकाह है '' फिर मैंने पूछा ''किस डाक्टर को दिखाया '' तो आयशा बोली '' किसी को नहीं दिखाया '' फिर मैंने पूछा कितने दिन से बुखार आ रही है '' तो बोली ''दो दिन हुए '' तब मैंने आयशा का वदन टटोला तो देखा की अभी भी खूब जोर की बुखार है तब मैंने आयशा को बोला '' चलो मैं डाक्टर को दिखा दू '' तो पहले तो आयशा ने ना नुकुर किया पर मैंने आयशा का हाथ पकड़ा और बुलट में बिठाया और डाक्टर  के पास ले गया और आयशा को  दिखाया दवाई लाकर आयशा को वापस घर ले आया और आयशा को बिस्तर पर लिटा दिया और आयशा का सिर दबाने लगा तो आयशा ने हाथ पकड़ लिया और बोली ''इतनी सेवा मत करो सर '' तो मैंने कहा की '' दुःख में साथ नहीं दुगा तो कब दुगा '' और बहुत से बाते किया पर आयशा का घर बदबू मार रहा था बकरियो की गंध दिमाग खराब कर रही थी मुझे ऐसा लगे  आयशा के घर से बहार निकल जाउ पर आयशा को इस हालत में छोड़ नहीं सकता था , कुछ देर में आयशा बोली '' आप जाइए सर,नहीं तो मुहल्ले वाले क्या सोचेगे आपकी इज्जत पर धब्बा लगेगा '' तो मैंने बोला '' सोचने दो तुम्हारी जान से बढ़कर मेरी इज्जत नहीं है '' पर आयशा बार बार यही कहे  जा रही थी इस लिए मैं आयशा के घर से उठकर चला आया अपन कमरे पर साम को 7 बजे आयशा के पास फिर से गया तो देखा की उसकी बुखार अभी भी कम नहीं हुई तब एक टेबलेट और दिया जो दूध के साथ देनी थी पर आयशा के घर दूध नहीं था तो बाजार से दूध लाया और चूल्हे में गर्म किया और आयशा को  जबरजस्ती दूध पिलाया और साम की दवाई खिलाया डाक्टर ने खाना खाने  के लिए मना किया था  इस कारण कुछ फल लाया था ओ खिलाने लगा तो आयशा एक  एप्पल खाई और मना कर दिया  जब मैंने आग्रह किया की और खा लो तो मना कर दिया तब मैंने पूछा '' आशा और क्या खाना पसंद करोगी '' तो आयशा हलके से मुस्कुराई और बोली '' केला खाने का मन कर रहा है '' तो मैंने कहा ''टीक है मैं केला लाता हु '' तो बोली '' अभी रहने दीजिये रात में खा लूँगी केला '' तो मैंने कहा '' लेकर आता हु , रख दू नहीं तो दूकान बंद  हो जाएगी '' और इतना कह कर मैं आयशा के पास से उठा और बाजार से जाकर केला लाया और आयशा के पास रख दिया तब तक रात के 8 बज गए थे आयशा ने पूछा ''आपने खाना खा लिया क्या '' तो मैंने बोला ''नहीं कौन बनाये इतनी रात को, दूध पीकर सो जाउगा'' तो आयशा बोली ''मैं बना देती हु आप खा लीजिये'' तो मैंने कहा  ''आशा तुम्हारी  तबियत टीक  नहीं है मत परेसान हो '' फिर भी आयशा नहीं मानी और उठने लगी तो मैंने आयशा को फिर से लिटा दिया और बोला ''आराम  मिल जाए तब बना देना'' और मैं इतना कह कर फिर अपने रूम में आ गया ओर 8.45 पर केरोसिन के स्टोप में दूध गरम करने लगा इतने में
केरोसिन स्टोव
किसी ने दरवाजे में दस्तक दिआ तो जाकर देखा तो  मुह ढाक कर एक कम्बल ओढ़े हुए सामने
आयशा खड़ी थी,दरवाजा खुलते ही आयशा रूम के अंदर आ गई जल्दी से [कस्बे में स्ट्रेट लाइट नहीं होने से अन्धेरा रहता है] और दरवाजा बंद कर दिया और कमरे के अंदर आ गई , मैंने पूछा ''बुखार उत्तर गई '' तो कुछ नहीं बोली तब मैंने आयशा के हाथ पकड़ कर देखा तो बुखार उत्तर चुकी थी , इतने में दूध जलने की बदबू आई मैं दौड़ा कर किचेन वाले रूम में देखा की सारा दूध उफन कर बाहर आ गया था , मैंने जल्दी से स्टोव को बंद किया और तपेली को उतारा देखा की उसमे से कुछ  दूध बह गया था इतने में आयशा आई और ये सब देख कर बोली '' चलिए हटिये ये काम मेरा है आपका नहीं ' 'तब मैं वहा से हट गया और आयशा खाना बनाने लगी हम दोनों बाते भी करते गए और खाना बन गया तब तक रात के 10 बज गए आयशा और मैंने एक ही थाली में खाना खाये पर  आयशा ने तो ज्यादा नहीं खाया | 


              खाने के बाद आयशा बोली '' मैं जाऊ अब '' तो मैंने बोला ''मैं मना कर दुगा तो मान जाओगी क्या '' तब आयशा कुछ नहीं बोली और अपनी नजरे नीची करके खड़ी रही , तब मैंने आयशा को पकड़ कर चिपका लिया सीने से और किस कर लिया गाल पर तो आयशा मेरे सीने से चिपकी रही और फिर बोली '' अब तो जाने दीजिये '' तब मैंने बोला ''प्यास जगा कर प्यास नहीं बुजाओगी '' तो बोली ''रुकिए'' और मेरे से अलग होकर किचेन वाले रूम में गई और एक ग्लास पानी लाइ और बोली ''लीजिये'' और मंद मंद मुस्कुराने लगी तब मैंने गिलास को एक किनारे रख दिया और आयशा के  होठो को किस करते हुए चूसने लगा और आयशा के स्तन पर हाथ रख दिया और सलवार के ऊपर से स्तन को सहलाने लगा, आयशा कोई बिरोध  रही थी कुछ देर में आयशा भी किस करने लगी मेरे पीठ पर हाथ घुमाने लगी, लुंगी के नीचे मेरा लण्ड खड़ा होकर तन गया  धीरे से आयशा को बिस्तर पर बैठा दिया और आयशा की जांघो को सहलाने लगा इतने में आयशा मेरे जांघ पर अपना हाथ दिया और जांघ को सहलाने लगी और फिर मेरे लण्ड पर अपना हाथ रख दिया पर हाथ रखते ही  जल्दी से हाथ को हटा लिया और लुंगी के नीचे खड़े लण्ड को देखने लगी और बोली '' मैं जा रही हु ,मुझे  डर लग रहा है '' तो मैंने बोला '' क्यों डर रही हो '' तो कुछ नहीं बोली और बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई तो मैंने हाथ पकड़ कर फिर से आयशा को बिठा लिया तो आयशा बोलती है '' सिर दर्द कर रहा है छोड़ दीजिये मुझे '' तब मैंने आयशा को बोला '' लेट जाओ सिर दबा देता हु '' और इतना कह कर आयशा का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया और आयशा के सिर पर थोड़ा सा ''रमेश्वारादि '' का तेल डालकर आयशा का सिर  दबाने लगा तो आयशा बोलती है '' इतनी सेवा नहीं करिये '' तो मैंने बोला ''तुम मेरा प्यार हो आशा तुम्हारे लिए कुछ भी करुगा '' तो आयशा बोली '' निकाह करेंगे मेरे साथ '' तब मैंने बोला ''हां करुगा तुम तैयार हो '' तो आयशा बोली '' हा तैयार हु पर आप इतने बड़े आदमी है नहीं करेंगे '' तब मैंने बोला ''करुगा तुम साथ दे दो तो'' तो आयशा बोली '' मैं तैयार हु '' तो आयशा बिस्तर से उठी और मुझे किस करते  हुए चिपक गई तो मैंने आयशा को फिर से किस करने लगा और आयशा के कुर्ती को ऊपर उठाया और स्तन को ब्रा के ऊपर से सहलाने लगा और झुक कर आयशा के गुलाब जैसे सुन्दर होठो को चूसने लगा आयशा भी मेरे होठो को चाटने लगी और कुछ देर में मेरे लण्ड को पकड़ लिया तो मैंने कान में धीरे से बोला '' केला खाओगी '' तो मुस्कुराई और मादक नजरो से देखी तब मैंने आयशा के सलवार का नाड़ा खोल दिया
आयशा को जिस्म ऐसा ही लगता था उस समय पर
और सलवार को नीचे खिसकाने लगा तो सलवार को पकड़ लिया तो मैंने बोला '' उतारो इसे '' तो बोली '' न '' मैंने फिर से बोला ''उतारो'' तो आयशा बिजली के बल्ब की तरफ देखने लगी मैं समझ गया ये सर्मा रही है तो मैं उठा और बल्ब को बंद कर दिया कमरे में अन्धेरा हो गया पर किचेन वाले रूम की हलकी हलकी लाइट आ रही थी और फिर मैंने आयशा का सलवार उतार दिया , आयशा की गोरी गोरी चिकनी चिकनी पतली पतली दूधिया जांघे दिखाई दे गई , आयशा ने पेंटी पहन रखी थी मैंने आयशा की जांघो पर हाथ घुमाते घुमाते पेंटी के  किनारो से उसकी चूत पर हाथ घुमाया तो चूत पर हलके हलके मुलायम बाल थे ,चूत के किनारो को ऊँगली से सहलाने लगा  … … ……………………


 ""पर मेरी नींद खुल गई और मेरे बगल में लेटी हुई मेरी पत्नी मेरे लण्ड के साथ खेल रही थी क्योकि स्वप्न में मैं मेरी पत्नी की चूत सहला रहा था पत्नी  गरम पड़ गई थी मैंने उन्हें ससुराल में नहीं चोदना चाहता था पर ओ है की गर्म पड़ गई थी और अपनी गाउन को उतार कर सिर्फ ब्रा और पेंटी में लेटी हुई थी ओ मेरे चढ्ढी को उतार कर मुझे नंगा कर चुकी थी और खुद भी नंगी  होकर मेरे लण्ड को अपनी चूत में घुसेड़ कर मुझे चोद रही थी मैं उन्हें फ़टाफ़ट चोदने लगा  और 10 मिनट बाद जब ओ संतुष्ट हो कर अलग हो गई तो मैं कपड़ा पहनने लगा मोबाइल में देखा की रात के दो बज गए है कुछ ही देर में पत्नी ब्रा और पेंटी में ही खुर्राटे  लेने लगी और फिर से आयशा की यादो में खो गया आयशा और मेरे जीवन की पहली चुदाई को याद करने लगा""

 
आयशा की चुचिया १००% ऐसी ही थी उस समय जब मैंने उसे चोदा था
……………………… आयशा ने पेंटी पहन रखी थी मैंने आयशा की जांघो पर हाथ घुमाते घुमाते उसकी चूत पर हाथ घुमाया तो चूत पर हलके हलके मुलायम बाल थे ,चूत के किनारो को ऊँगली से सहलाने लगा [कोक शास्त्र, कामसूत्र जैसे कई किताबो को पढ़ रखा था इस लिए चुदाई का किताबी ज्ञान खूब था मेरे पास आज उस ज्ञान को आजमाने का अच्छा मौका था] और कुछ देर में पेंटी के किनारे को हाथ से पकड़ा और चूत को चाटने लगा तो आयशा मेरे सर को पकड़ कर किनारे करने लगी और धीरे से बोली ''कितने गंदे हो ये कोई चाटने के जगह है क्या '' तो मैंने बोला ''आशा यही तो जन्नत है '' तो आयशा बोली ''छिः छिः कैसे बाते करते है '' तब मैंने फिर से आयशा की चूत को चाटने लगा आयशा ने फिर से मेरे सर को पकड़ कर हटाने लगी तो मैंने आयशा के दोनों हाथो को एक ही हाथ से पकड़ कर चूत को चाटने लगा आयशा को अच्छा लगाने लगा तो बोली '' हाथ छोड़िये दर्द करने लगा'' तब मैंने आयशा के हाथ को छोड़ दिया और आयशा की पेंटी को आयशा के वदन से अलग कर दिया और दोनों टांगो को फैलाते हुए आयशा की चूत को चाटने लगा आयशा धीरे धीरे गर्म होने लगी तब मैंने आयशा को बोला ''इसे भी
सामने से आयशा की चूचियाँ ऐसी ही लगती थी

उतारो ना [कुर्ती की तरफ इसारा किया] तब आयशा बैठ गई और अपनी कुर्ती को उतारने लगी पर आयशा कुर्ती उतारते हुए काँप रही थी इस लिए उसकी कुर्ती नहीं उत्तर रही थी तब मैं आयशा को बोला की दोनों हाथ ऊपर करो तो आयशा ने अपने दोनों हाथ को ऊपर  किया तब मैं कुर्ती को उतार दिया अब आयशा के वदन में सिर्फ ब्रा बची थी मैंने ब्रा का हुक खोला और आयशा की सुंदरसुन्दर चुचिया ब्रा से आजाद होकर बाहर आ गई , मैं पहली बार किसी लड़की को इस तरह से नंगी देख रहा हु ,आयशा की छोटी छोटी चुचिया गजब की सुन्दर थी ,आयशा बेड पर बैठी हुई थी मैं झुककर आयशा की बूब्स को चूसने आयशा मेरे सिर के बालो पर अपनी उंगलियो को फसाकर घुमाने लगी मेरे सिर को सहलाने लगी अपनी उंगलियो के पोर से फिर मेरी पीठ पर हाथ घुमाने लगी पर मैंने बनियान पहन रखी थी जिसे आयशा उतारने लगी तो मैंने दोनों हाथ ऊपर कर दिया तो आयशा मेरी बनियान को उतार दिया मैं आयशा की जांघो पर हाथ हुमाता रहा इतने में आयशा मेरे जांघो पर अपना हाथ राखी और जांघो को सहलाने लगी और लुंगी को उतार दिया और चढ्ढि के ऊपर से मेरे लण्ड पर हाथ घुमाने लगी तब मैं खुद ही मेरी चढ्ढी को उतार दिया और आयशा के सामने नंगा होकर बैठा गया आयशा मेरे लण्ड को आवाक होकर देखने लगी आयशा के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे ओ डर रही हो तब मैंने आयशा का हाथ पकड़ा और अपने लण्ड के ऊपर आयशा का हाथ रख दिया पहले तो आयसा डरी फिर लण्ड को पकड़ लिया डरते डरते आयशा के हाथ में मेरा लंबा और तगड़ा लण्ड नहीं पकड़ में आ रहा था मैं आयशा के कमर को पकड़ कर नजदीक खिसकाया और आयशा की चूत के पास लण्ड को ले गया तो आयशा डर कर पीछे खिसकने लगी तो मैंने फिर से आयशा आकि कमर को पकड़ा और लण्ड के नजदीक लाया और झुककर आयशा की चुचियो को चूसने लगा और एक हाथ से चूत में ऊँगली से सहलाने लगा और आयशा को पूस करके बिस्तर पर लिटा दिया और आयशा की दोनों टांगो को पकड़ कर फैला दिया और चूत को चाटने लगा आयशा की चूत गीली हो गई  चुचियो की निप्पल टाइट पड़ गई मैं समझ गया आयशा लण्ड लेने को तैयार हो चुकी है , मैंने लण्ड के सुपाड़े की चमड़ी को पीछे खिसकाया और आयशा की चूत के मुह पर लण्ड को रखा पर चूत के ज़रा से छेद में लण्ड को कैसे डालु ये सोचने लगा और ऊगली से आयशा की चूत की दोनों तरफ की स्किन को फैलाया और लण्ड को चूत के मुह में टिका दिया और धीरे धीरे लण्ड को आयशा की चूत में घुसेड़ने लगा अभी लण्ड का आधा सुपाड़ा ही चूत में घुसा था की आयशा के मुह से कराहने की आवाज आई और आयशा ने आपने चूतड़ को खिसका लिया तब लण्ड बाहर आ गया और आयशा  डर कर बैठ गई और बोली ''रहने दो सर दर्द हो रहा है '' तो मैंने आयशा को पुचकारा और फिर से लिटा दिया और चूत में ''रामेश्वारादि तेल''[रामेश्वारादि तेल को सिर पर लगाने से बहुत अच्छी खुसबू आती है और सर में हलकी से चुनचुनाहट होती है,आयशा की चूत में भी हलके हलके चुनचुनाहट होने लगी थी ] को एक ढक्कन आयशा की चूत में डालकर चूत को चिकनी कर दिया और फिर धीरे धीरे लण्ड को पुश करने लगा लण्ड का सुपाड़ा कब घुस गया आयशा को पता ही नहीं चला तब मैं आयशा के ऊपर झुक गया और आयशा को किस करने लगा , चुचियो को चूसने लगा और लण्ड के हलके हलके झटके मारने लगा और धीरे धीरे करके आधा लण्ड घुसेड़ दिया और लण्ड को आगे पीछे करने लगा और फिर एक हल्का सा झटका मारा और पूरा का पूरा 8 इंच लंबा लण्ड आयशा की चूत की ''कौमार्य झिल्ली '' को फाड़ते हुए अंदर तक घुस गया जैसे ही कौमार्य झिल्ली फटी तो आयशा को दर्द हुआ और उसके आँखों से आँसू निकल पड़े तो मैं आयशा के आशुओ को मेरी जीभ से चाटने लगा तो आयशा भावुक होकर रोने लगी और धीरे से बोली '' इतना प्यार मत करो नहीं तो आपकी ये लैला आपसे बिछड़ जाएगी '' तब मैंने आयशा को बोला '' मेरी लैला को मेरे से कोई नहीं छीन सकता'' आयशा रोती जाती और मैं आयशा के आशु चाटते जाता उधर लण्ड के झटके लगातार चूत पर पड़ रहे थे आयशा
चुदाई के आनंद में खो गई आशु बहना बंद हो गया और आयशा बड़े प्यार से चुदाने लगी आयशा कुछ ही पलो में अपनी आँखों को बंद कर लिया और लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी मैं झटके की गति और प्रहार दोनों को बढ़ा दिया आयशा मेरे होठो को किस करती मेरे सिर पर ,पीठ पर हाथ घुमाती मैं लगातार झटके मारने लगा मुस्किल से 5 मिनट की चुदाई में आयशा और मैं एक साथ झर गए आयशा जोर से लिपट गई मैं झरते वक्त पूरी ताकत से लण्ड को आयशा की चूत में घुसा दिया और
आयशा इस तरह से आँखे करके चुदाई का मजा लिया 
आयशा के ऊपर लेट गया और किस करता रहा , आयशा की चूत से ढेर सारा वीर्य बहकर बाहर आने लगा तो आयशा  बोली ''उठो ना अब '' तो मैं लण्ड को बाहर निकालते हुए उठ गया और देखा की लण्ड में खून लगा है  आयशा भी उठी और खून को देखकर घबरा गई और मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने आयशा को समझाया की तुमने पहली बार किया है न इस लिए तुम्हारी झिल्ली फट गई है तो आयशा कुछ नहीं बोली और मुझे किस करने लगी और धीरे से कान में  बोलती है '' आज आपने जन्नत पहुंचा दिया'' और इतना कह कर लिपट गई मेरे साथ फिर उठी और कपडे पहनने लगी तो मैंने बोला '' मत पहनो ''  तो बोली ''हट्ट सर्म लग रही है '' तो मैंने फिर से कहा की ''अब काहे की सरम अब तो सब देख लिया मैंने '' तब भी आयशा नहीं मानी और कपडे पहन लिया तब मैंने भी कपडे पहन लिया कुछ देर में आयशा घर जाने लगी तो मैंने आयशा को बोला ''अभी मत जाओ ना'' तो आयशा बोली '' कोई जान गया तो अब्बु को बता देगी तो अब्बु जान से मार डालेंगे '' तो मैंने कहा की '' तुम्हे मारने वाला कोई पैदा नहीं हुआ , तुम्हे कोई हाथ लगा देगा तो उसके हाथ पाँव तोड़ डालूँगा '' तो आयशा बोली '' मेरे अब्बु मरेंगे तब भी आप ऐसा ही करोगे'' तब मैंने आयशा  को बोला '' तुम्हारे अब्बु क्या तुम्हारा खुदा -मेरा भगवान भी तुम्हे मरेगा तो उससे भी लड़ जाउगा '' तो आयशा बोली '' सच में आप इतना प्यार करते हो मुझे '' तो मैंने बोला '' जब आजमाना हो आजमा लेना '' तो आयशा बोली '' मैं आजमा लू तैयार हो आप '' तो मैंने बोला '' हा तैयार हु '' तब आयशा बेड से उठी और किचेन वाले रूम से नुकीला चाक़ू उठा लाइ और बोली '' लो इससे मेरा नाम लिखो अपने हाथ में तब मैंने आयशा के हाथ से चाक़ू लिया और ये सब्द कहते हुए ............. 

एक बार मेरी वफा का विश्ळास तो कर |  न मिले चाहे पर मिलने की आस तो कर |  यूँ तो मिल जाएंगे दुनियां मेँ आशिक हजारों |  किसकी मुहब्बत सच्ची है एहसास तो कर | 

  अपने हाथ में ''आयशा '' लिखने लगा , आयशा देखती रही जब मैंने ''आ '' लिख दिया तो हाथ से खून बहने लगा तब आयशा मेरे हाथ से चाक़ू छुड़ा लिया और लिपट गई मेरे से और चूमने लगी मुझे और किचेन में गई चुटकी में हल्दी लाइ और अपने दुपट्टे को फाड़ कर हाथ में हल्दी रखी और बाँध दिया जहा से खून निकल रहा था और को बार बार चूमने लगी तो मैंने आयशा को बोला '' आशा अब अपने घर जाओ '' तो आयशा बोली ''नहीं '' तो मैंने बोला ''अभी तो जाने के लिए छटपटा रही थी और अब  हो '' तो आयशा कुछ नहीं बोली और प्यार से मेरे तरफ देखने लगी तो मैंने आयशा का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया और आयशा को किस करने लगा आधा घंटे के बाद आयशा फिर से चुदाने के लिए तैयार हो गई आयशा इस बार बड़े बेसर्मी के  साथ आपने सभी कपडे उतार कर जल्दी से नंगी हो  गई और मेरे खड़े लण्ड  चूत में घुसेड लिया और बड़े मजे से मेरे ऊपर कूद कूद कर चुदवाया मेरे हाथ का सारा दर्द गायब हो गया और रात भर में  4  बार आयशा ने चुदवाया सुबह 5  बजे अँधेरे में ही उठकर अपने घर चली गई | 

            आयशा की 11 वी की एक्जाम हो गई आयशा अच्छे नंबरों  से पास होकर 12 वी में चली गई , 12 वी में भी साल भर आयशा को मौका देखकर चोदता रहा  पर हम दोनों के रिश्ते के बारे में अभी तक आयशा के अब्बु को नही पता चला,आयशा 12 वी पास होने के बाद एक कालेज में  एड्मिसन ले लिया और ट्रेन से रोज  अपडाउन करने लगी अब आयशा 21 साल की हो गई आयशा की सुंदरता में और निखार आ गया हम दोनों एक दूसरे को बहुत अधिक दिलोजान से चाहने लगे एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते आयशा 10  बजे कालेज जाती तो साम को 4 बजे वापस आती आयशा के चेहरा तक नहीं देख पाता | आयशा  से मिलना दूभर हो गया, आयशा से मिलने और बात करने के लिए मैं भी आयशा के साथ ट्रेन से उसके कालेज तक जाता और दिन भर इधर -उधर घूमता और जब आयशा कालेज से आती तो फिर से आयशा के साथ वापस ट्रेन से आता रास्ते भर बाते करता कई बार ऐसा करने से आयशा के अब्बु को किसी ने बता दिया तो आयशा के अब्बु निगरानी रखने लगे, हम दोनों का मिलना मुस्किल हो गया पर प्यार की आग दोनों को जलाये जा रही थी,आयशा से मिले बिना  नहीं पड़ता तो मैंने दूसरा रास्ता निकाल लिया | आयशा कालेज के पहले ही किसी स्टेशन में  उत्तर जाती तो मैं आयशा को मेरी बुलट में बिठाकर कही इधर उधर लोगो की नज़रे बचाते हुए घूमते और मौका देख कर किसी होटल में जाते और अपने जिस्म की प्यास बुझाते इस तरह से एक साल तक आयशा और मैं खूब मौज मस्ती किये आयशा को साल भर में कई बार चोदा पर अब जब भी चुदाई करता कंडोम लगा लेता | एक बार नवम्बर के महीने में मैं और आयशा होटल से निकल रहे थे तो आयशा के मामू ने हम दोनों देख लिया और आयशा के अब्बु को बता दिया उस दिन से आयशा का घर से निकलना बंद हो गया, आयशा दूकान में भी नहीं बैठती लगातार 20  दिन से मैंने आयशा को नहीं देखा, मैन आयशा के लिए बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगा एक दिन रात में आयशा मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया तो मैंने दरवाजा खोला और आयशा जल्दी से अंदर आ गई और सारी बात बताया,आयशा के अब्बु आयशा का निकाह  करना चाहते थे , मैंने आयशा को बोला मेरे से सादी  करोगी तो आयशा तैयार हो गई, उस समय रात के 3 बज रहे थे मैं तुरंत तैयार हुआ और आयशा को बोला की अँधेरे में यहाँ से रोड की तरफ निकलो यहाँ बुलट स्टार्ट करुगा तो उसकी आवाज से पूरा  मुहल्ला जाग जाएगा मैंने बुलट को 1 KM तक घसीट कर ले गया वहा पर बुलट स्टार्ट किया और आपने गाँव के घर आ गया और आयशा के बारे में अपनी भाभी से बताया [मेरी भाभी मुझे बहुत चाहती था, मेरी हर खुसी का ख्याल रखती थी मैं उनसे मेरे मन की बाते बताया करता था,आयशा के बारे में भी भाभी को बता रखा था] धीरे धीरे रात में ही  ये बात मम्मी पापा को पता चल गई, घर में कोहराम मच गया पापा की  ठाकुरी सिर चढ़कर बोलने लगी पापा दौड़े और बन्दुक उठकर आये और बोले जान से मार दुगा इस ''मुसल्ली '' को तो मैं दौड़कर आयशा के सामने खड़ा हो गया और बोला ''पापा आप मुझे मारने के बाद ही इसे हाथ लगा पायेगे '' तब मम्मी पापा के हाथ से बन्दुक छीन कर पापा को ले गई बड़े भइया भी नराज थे ,पर भाभी और माँ मान गई भाभी जी बोली ''सुन्दर कुड़ी है कर दो सादी क्या बुराई है '' पर घर में पापा और बड़े भाई नहीं तैयार हुए मैं भी गुस्से में अपने कमरे में घुस गया और अंदर से दरवाजा लगा लिया और आयशा से बोला ''तुम साथ तो नहीं छोड़ोगी'' तो आयशा आँखों में आसु भरे हुए बोली '' अब मर भी जाऊ  तब भी आपका साथ नहीं छोड़ूगी '' मैंने बोला टीक है चलो कही भाग जाते है और मंदिर से सादी कर लेते है तो आयशा तैयार होगी  तो कुछ देर में भाभी ने दरवाजा खटखटाया तो मैंने दरवाजा होला और भाभी अंदर आई और मुझे समझाने लगी की इसे [आयशा को] इसके घर छोड़कर आ जाओ पर मैंने साफ़ साफ़ मना कर दिया भाभी को और आयशा को लेकर घर से बाहर आया  बुलट में बिठाया और घर से निकलने लगा तो भाभी ने फिर से रोका जब मैं नहीं माना तो भाभी ने आएशा को अपनी स्वेटर और साल दे दिया भाभी के पास कुछ  रुपये थे भाभी ने चुपचाप पकड़ा दिया और कान में धीरे से बोली जाओ मंदिर में सादी कर लो बाद में मान जायेगे पापा । फिर मैं सुबह 6 बजे घर से निकल लिया और घर से 200 KM दूर एक शहर आ गए जहा कोई भी जान पहचान का नहीं था वहा पर एक होटल में रुके फ्रेस हुए आराम किया और जेब में हाथ डालकर रुपये निकाले और गिने तो पता चला की 9725 रुपये है फिर मैं आर्य समाज में  गया और वहा पर पूरी हकीकत बताई तो आर्यसमाजी मुस्लिम लड़की के कारण पहले आपत्ति उठाया और समझाया पर मैं मेरी जगह अडिग रहा तो ओ सादी कराने को तैयार हो गए और अगले दिन आर्यसमाजियों ने मेरी आयशा के साथ 18 दिसंबर को बिधिवत विवाह कर लिया और होटल के कमरे में आ गए वही पर आयशा के साथ सुहागरात मनाया उस अजनबी शहर में 14  दिन रुके आयशा के लिए साडी -ब्लाउज खरीद दिया आयशा साडी पहन कर साथ जाती मांग में सिंदूर माथे पर बिंदिया लगाती दोनों  खूब खुस थे खूब मस्ती किये आयशा को एक दिन में तीन तीन बार चोदता पर जेब धीरे धीरे खाली होने लगी तो आयशा को बोला तो आयशा बोली चलो घर वापस  चलते है तो मैंने मना कर दिया और
मैं बोला  ''यही कही मजदूरी कर लेता हु और कोई सस्ता सा रूम किराए से  ले लेता हु और वही रहता हु'' तो आयशा बोली ''आपसे ये सब नहीं होगा'' पर मैं नहीं माना और काम तलास लिया एक मकान बन रहा था वहा मजदूरी करने चला गया आयशा को होटल में  छोड़ कर पर मैंने कभी काम नहीं किया था साम को जब वापस आया तो मुझे बुखार  आ गई तो आयशा बहुत दुखी हुई और बोली '' चलो घर वापस चलते है मैं आपको परेसान नहीं देख सकती हु '' तो मैंने आयशा को कहा की ''पापा नहीं माने तो '' आयशा बोली '' नहीं मानेगे तो आपके पास सरकारी नौकरी तो है वही रहेंगे '' तब मैंने बोला ''तुम्हारे अब्बु तुम्हे मार डालेंगे '' तो आयशा बोली '' मार ही डालेंगे और क्या करेंगे पर जब तक रहूगी आपके साथ ही रहूगी '' आयशा का संकल्प देखकर अगले दिन सुबह 7 बजे होटल से निकल लिये और दोपहर के 3 बजे घर आ गए । आयशा को साड़ी और मांग में सिंदूर ,माथे पर बिंदिया देखकर माँ और भाभी बहुत खुस हुई , भाभी ने तो गले लगा लिया आयशा को आयशा ने सभी के पाँव छुआ पापा का भी गुस्सा पुत्र मोह के आगे सांत हो गया घर वालो ने आयशा को अपना लिया,  माँ ने आयशा के गले 5 तोले का हार पहना दिया भाभी ने अपनी सोने के पायल  और हाथ की चुडिया आयशा को पहना दिया पापा ने अपने गले की मोटी से सोने की चैन आयशा के हाथ में रख दिया, बड़े भाई भी कहा पीछे  रहने वाले थे उन्होंने ने भी आयशा के लिए कान की रिंग (बाले) दे दिया, आयशा इतना प्यार और सम्मान पा कर खुसी से फूली नहीं समा रही थी पापा फिर से बिधिवत  विवाह का प्लान बनाने लगे पर जब आयशा के अब्बु को ये सब पता चला तो ओ मेरे घर आये और पापा के पाँव पकड़ लिए और बोले ''ठाकुर साहब आपने मेरी बेटी को अपना लिया ये मेरे लिए सम्मान की बात है मुझे खुसी है की मेरी बेटी आपकी बहु बन गई'' पर आयशा के अब्बु के मन में खोट था ओ आयशा को बुलाकर अपने साथ ले गए, दो दिन बाद मैं अपने स्कूल गया जहा सभी बड़े अजीब नजरो से मुझे देख रहे थे , मैं आयशा के घर गया तो आयशा के घर और दूकान में ताला लगा मिला मेरा मन संकित हुआ तो मैंने पास में पूछा तो पता चला की आयशा परसो ही अपने अब्बु के साथ कही चली गई फिर दुबारा आयशा नहीं मिली मुझे आयशा के अब्बु बदनामी से बचने के लिए आनन फानन में आयशा का निकाह कर दिया आयशा के मामू के घर से और आयशा मेरे से बिछड़ गई,मैं आयशा के गम पागल हो गया पाने हाथ में ''आयशा '' लिख लिया चाक़ू से गोद कर और दिन भर उसे चूमता मैं पागलो की तरह इधर उधर भटकने लगा स्कूल जाना बंद कर दिया 6  महीने तक सेविन्ग  नहीं किया बाल नहीं कटवाए  पागलो जैसी हालत हो गई मेरी मैं दिन भर आयशा के लिए रोता तड़पता मैं जोर जोर से एकांत में रोता |


          रोते रोते अचानक मेरी नींद खुल गई [आयशा को याद करते करते कब नींद लग गई पता ही नहीं चला] बगल में मेरी श्रीमती जी लेटी हुई थी ओ मेरी आँखों में बहते हुए आँसू को देखकर समझ गई मैं आयशा को याद कर रहा था क्योकि सादी होने के बाद भी मैं अक्सर आयशा की याद में रोया करता था पर मेरी पत्नी बहुत ही समझदार ,शुशील  और गजब की सुन्दर है , उनको मेरे और आयशा के संबधो के बारे में सब पता है और बुरे वक्त में उन्होंने अपने प्यार से मुझे सम्हाल लिया | पत्नी ने बोला ''क्या हुआ फिर से उसका सपना देखा क्या '' तो मैंने मना कर दिया तो पत्नी ने मेरे आसुओ को पोछा और प्यार से गाल में झप्पी पप्पी लिया और बोली '' चलिए उठिए जनाब सुबह हो गई '' और फिर मैं उठ गया और मॉर्निंग वाक के लिए निकल लिया | घूम कर वापस आया फ्रेस हुआ चाय पीया और फिर से आयशा की याद में खो गया आयशा के बिछड़ने के बाद की शेष बाते आगे पढ़ो  ……… 
मेरी पत्नी ऐसी ही दिखती  है


पर वक्त बड़े बड़े घाव को भर देता है  माँ और भाभी का प्यार फिर से मुझे सही रास्ते लाया, भाभी मुझे कहने लगी ''सादी  कर लो लल्ला साहब ओ तो गई लाखो के गहने लेकर '' तो मैंने भाभी को बोला '' भाभी माँ आप ऐसा नहीं सोचो आयशा धोखा  नहीं दे सकती है '' पर मैं नहीं माना और सादी नहीं करने का फैसला कर लिया, पापा ने उस स्कूल से  ट्रांसफर करवा दिया मेरा दूसरे शहर में जहा मेरे अतीत को कोई नहीं जानता  था, अपने आप को ब्यस्त रखने के लिए मैंने कास्ट्रकसन का बिजनेस सुरु कर लिया सस्ती जमीन खरीदता और उसे नगर निवेश से पास करवाता और फिर मकान बनाकर बेचता, देखते देखते मैं करोड़पति हो गया और 5 साल कब निकल गए पता ही नहीं चला पर मैंने अभी तक सादी नहीं किया जब जब आयशा की  याद आती अपने आपको एक कमरे में बंद कर लेता खूब रोता और दिल को हल्का करता और अपने काम में लग जाता , मेरी उम्र 36-37 साल की हो गई मम्मी मुझे लेकर बहुत चिंतित रहने लगी और बीमार पड़ गई और माँ की स्थित मरणासन्न हो गई माँ की एक ही इच्छा थी की मैं सादी कर लू,माँ की  जिद के आगे झुक गया और भाभी की सगी छोटी बहन से ही सादी होगी मेरी जो मेरे से उम्र में 16 साल छोटी है गजब की खूबसूरत है मेरी पत्नी , उन्हें सब पता होते हुए भी मुझे बहुत प्यार दिया और आयशा को निकाल दिया मेरे जीवन से मैं मेरे परिवार में खुस रहने लगा और कॉन्सट्रकसन के बिजनेश के साथ साथ नौकरी भी करता, साथ ही साड़ियों की बड़ी से दूकान डाल लिया समय के साथ साथ मैं करोड़पति हो गया  दो बच्चे भी हो गए  एक लड़का एक लड़की पर अचानक आयशा 20 साल बाद मेरी जिंदगी में फिर से आ गई | 

             आज मेरे पास 60 करोड़ से भी अधिक की संप्पत्ति है आयशा को अपने साथ रख सकता हु, मन ही मन फैसला कर लिया की अब फिर से आयशा को अपने पास रखूँगा ये सोच ही रहा था की मोबाइल में एक मिस काल आई तो मैंने रिटर्न फोन किया तो आयशा की आवाज सुनाई दिया आयशा ने बताया की उसने नया मोबाइल और नंबर भी ले लिया है आयशा से बात करने के लिए मैं ससुराल के घर से बाहर आ गया और एक सेफ जगह देर तक बाते किया |  आयशा को बोला ''चलो मेरे साथ रहो छोड़ दो अपनी ये परेसानी भरी जिंदगी मैं तुम्हारे लड़को को भी पाल पोस लूगा  तुम्हारी लड़कियों की निकाह भी  करवा दुगा मेरी सम्पत्ति का 25 % तुम्हारे नाम कर दुगा'' तो आयशा बोली ''आप बहुत प्यार करते है मुझे पता है आपका प्यार ही मेरे लिए  सबसे बड़ी दौलत है पर मैं अपने शौहर को इस स्थित में छोड़ कर नहीं जा सकती हु '' तब मैंने आयशा से पूछा '' क्या हुआ है तुम्हारे शौहर को '' तो आयशा कुछ नहीं बोली मैंने कई बार पूछा तब भी कुछ नहीं बताया तब मैंने आयशा से बोला मैं मिलना चाहता हु तुम्हारे शौहर से तो पहले आयशा ने मना किया पर मेरे बार बार आग्रह पर  बोली आप  घर आ जाओ पर इन्हे संका नहीं होनी चाहिए |  मैं जल्दी से वहा से चला घर आकर फ्रेश हुआ और आयशा के घर जो की मेरी ससुराल से 2 KM की दूरी पर ही था ''अकरम भाई कबाड़ी वाले '' का नाम पूछते पूछते पहुंच गया आयशा ने पहले ही बोल दिया था की अपनी असली पहचान नहीं बताना तो मैंने आयशा से बोल दिया की मैं फाइनेंसर बन कर आउगा तुम्हारे घर | 


                            जैसे ही मैंने मेरी BMW कार रोकी एक 15 साल का लड़का आया मैंने उससे अकरम भाई का मकान पूछ तो बोला यही है  ,मैं कार से उतर कर दूकान के सामने खड़ा हो गया
[11 बजे आयशा के घर पहुंच गया,आयशा का छोटा सा घर जिसमे आगे के कमरे में और कुछ रोड में रद्दी सामान बिखरा पड़ा हुआ था और एक 55-58 साल के आसपास ब्यक्ति दूकान में बैठा हुआ था सिर के बचे हुए बालो में और दाढ़ी में  लाल रंग की मेहदी लगाए हुए जिसका एक हाथ कंधे से कटा हुआ था पास ही एक बैसाखी भी रखी हुई थी उसका एक पाँव भी घुटने के ऊपर से कटा हुआ था] इतने में ओ सज्जन बैसाखी उठाया और बैसाखी के सहारे मेरे पास आये और  पूछने लगे किससे मिलना है,ये बात कर ही रहा था की इतने में आयशा बाहर आई सिर पर दुपट्टे को रखे हुए और बोली ''सर आपको घर ढूढने में परेसानी तो नहीं हुई '' तो मैंने  बोला '' कोई परेसानी नहीं हुई मेडम '' आयशा मेरे मुह से अपने लिए मेडम सब्द सुनकर पुलकित हो उठी और दूकान के अंदर बिठाया एक कुर्शी में तो मैंने आयशा से बोला '' आपके सौहर कहा है उनसे मिलवाए तो आगे की बात कर लेता हु '' इतना सुनते ही आयशा घबरा गई और बोली ''  क्या बात करनी है '' तो मैंने आयशा को बोला '' फाइनेंस के लिए आपसे बात हुई थी उस बिषय में '' तो आयशा को तसल्ली हुई और बोली '' ये है मेरे शौहर '' [बैसाखी वाले ब्यक्ति की तरफ इसारा किया] मैं आयशा के मुह से इतना सुनते ही '' ये है मेरे शौहर '' बहुत साक लगा की ये लंगड़ा मेरी प्यारी आयशा का पति है मैं अपने आपको कंट्रोल किया [कार में बैठकर बाते करते समय आयशा की उदासी का पूरा राज समझ आ गया] और आयशा के शौहर से बात करने लगा मैंने उन्हें बताया की मैं एक फाइनेंस कम्पनी से हु और आपके दूकान के लिए फाइनेश कर सकता हु,जबकि ये कोई बात आयशा और मेरे बीच नहीं हुई थी,आयशा मेरा मुह ताकती और प्रश्न भरी निगाहो से मेरी तरफ देखती, तब आयशा के पति खुसी खुसी बोले ''साहब कर दो फाइनेंस'' तब मैंने बोला ''आपका मकान देखना है अंदर से'' तो आयशा तुरंत तैयार हो गई और मकान के अंदर ले गई अपना मकान दिखाया , मकान देखते ही मैं समझ गया की कितनी गरीबी और तंगहाली में आयशा जीवन काट रही है | आयशा अंदर पहुंची तो कान में धीरे से बोली '' कर क्या रहे है आप '' तो मैंने आयशा को धीरे से बोला '' तुम्हारी जिंदगी सवार रहा हु,चुपचाप देखती रहो ''और फिर आयशा के साथ बाहर आ गया और कुछ देर तक बैठा और आयशा की तरफ देख कर बोला '' मेडम आपको ये ब्यवसाय बंद करना पडेगा , क्योकि इस धंधे के लिए हम फाइनेस नहीं करते है '' तब आयशा मेरी तरफ देखी और बोली '' फिर कौन सा धंधा करू साहब जी '' तो मैंने आयशा को बोला '' हम कपडे की दूकान के लिए फाइनेंस करते है '' तो आयशा बोली ''यहाँ इतनी जगह में कैसे चलेगी कपडे की दूकान '' तो मैंने ''बोला चल जाएगी '' और आयशा के शौहर से बोला ''आप ये सब कबाड़ हटा कर दूकान को कपडे की दूकान लायक फर्नीचर बनवाए'' ओ कुछ संकित हुए तो मैंने उन्हें समझाया की ''इसी धंधे के लिए फाइनेंस करुगा आपको करवाना है तो टेक है नहीं तो चलू मैं'' तो अकरम मिया तैयार हो गए और मैं आयशा के घर से आने लगा तो आयशा बोली ''चाय तो पीते जाइए''तो मैंने मना कर दिया और अपने ससुराल आ गया और साम को 5 बजे फिर से आयशा के घर गया और आयशा से बोला '' आपको माकान की रजिस्ट्री हमारे पास गिरवी रखनी होगी '' इस बात पर आयशा के  पति  तैयार नहीं हुए और बोले ''रजिस्ट्री रख दू और आपने लोन नहीं दिया तो'' मैंने बोला ''मैं आपको लोन दे दुगा दूकान में सामान भरवा दुगा तब आप मुझे अपने मकान की रजिस्ट्री दे देना '' तो ओ मान गए तब मैंने अकरम मिंया से बोला ''ये लोन मैं मैडम के खाते में ट्रांसफर करुगा'' तो आयशा के पति ने कोई आपत्ति नहीं उठाया फिर मैं अगली कार्यवाही के लिए आयशा के घर से निकल लिया |


                       अगले दिन आयशा को बैंक बुलाया सभी डॉक्युमेंट्स के साथ और आयशा का बैंक अकाउंट और लाकर खुलवा दिया और अकाउंट में 2 लाख रुपये अपने खाते से ट्रांसफर करवा दिए, आयशा के लिए ATM कार्ड बनवा दिया ATM से रुपये कैसे निकालते है ये भी सीखा दिया | बैंक में बैठे बैठे बहुत सी बाते आयशा ने बताया |


      आयशा जब मेरे घर से गई थी तब आयशा के अब्बु ने सभी  गहने अपने पास रख लिए थे जो मेरे घर वालो ने आयशा को दिया था , आयशा को उसके मामू  के घर में 25 दिन तक एक कमरे में कैद रखा और फिर आयशा का निकाह आयशा की दुगुनी उम्र के एक ब्यक्ति से करवा दिया जब आयशा को कोई संतान नहीं हुई तो आयशा को तलाक दे दिया आयशा फिर से अपने अब्बु के घर खाली हाथ आ गई क्योकि निकाह के समय सिर्फ एक रुपये का ''मेहर'' तय हुआ था , फिर आयशा के अब्बु ने आयशा का फिर से निकाह करवाया अकरम मिंया के साथ , अकरम मियाँ एक फैक्ट्री में नौकरी करते थे आयशा का जीवन सुख से निकल रहा था पर अकरम मिंया का एक्सीडेंट हो गया जिसमे एक पाँव , दोनों हाथ काट गए ,और ये आफिज हो गए आयशा के जीवन में फिर से परेसानी सुरु हो गई,कारखाने से जो रकम मिली थी उसी से रद्दी का बिजनेस सुरु कर दिया जिससे बड़े मुस्किल से पुरे परिवार के पेट भर पाता था गरीबी के कारण बच्चे नहीं पढ़ पाये दोनों बच्चे ठेले लेकर गली गली घूमते और रद्दी सामान खरीदते फिर दूकान से को बेचते ,अकरम मिया दिन भर दूकान में बैठे रहते,आयशा भी दूकान का काम सम्हालती इस तरह से इनकी जिंदगी चल रही थी ये सब बताते बताते आयशा के आँखों से आसु आ गए तो मैंने आँशु पोछकर आयशा को बोला अब तुम्हारे जीवन में कभी भी कष्ट नहीं होगा मैं मेरे बीबी से बगावत करके भी तुम्हे सुखी रखूँगा | 


                 बैंक से निकलने के बाद आयशा को उसके घर से कुछ दूर छोड़ दिया और अपने घर चला आया  अगले दिन आयशा के दूकान में फर्नीचर का काम सुरु करवा कर मैं अपने ससुराल से घर आ गया और आयशा से मोबाइल पर रोज  जानकारी लेता जब आयशा की दूकान का फर्नीचर एक माह में बन गया तो आयशा के पते पर 3 लाख का कपड़ा जिसमे साड़ियाँ, कुछ जींस , कुछ सर्ट , कुछ कपडे छोटे बच्चो के लिए और बहुत से कपडे भेज दिया  के ग्राहक आ सके | आयशा की दुकान सुरु हो गई पूरा परिवार दूकान में मेहनत से लग गया मैं कुछ माह  बाद कोई बहाना  बनाकर ससुराल गया और आयशा की दूकान में जाकर जायजा लिया , आयशा बहुत खुस थी,अकरम मिंया तो मुझे कोई फरिस्ता समझने लगे मैंने मकान की रजिस्ट्री मांगी तो खुसी खुसी दे दिया दो दिन बाद ओ रजिस्ट्री मैंने आयशा को वापस कर दिया और बोला ''इसे लेकर में रख दो'' आयशा बोली ''आप रखिये जब आपके रुपये पुरे हो जाए तब मुझे वापस कर दीजियेगा '' तब मैंने आयशा को बोला ''जो रुपये दिया है ओ कभी वापस नहीं लूँगा'' और आयशा का एक और अकाउंट खुलवा दिया और बोला इस अकाउंट में हर माह 25000 रुपये जमा करना बचा बचा करना और इस अकाउंट के बारे में किसी को नहीं बताना आयशा  सिर हिला दिया | आयशा की दूकान  माल ख़त्म हो गया तो मैंने आयशा  से कहा की  खुद भी ये सब कपडे खरीदें सीख लो क्योकि तुम्हारे शौहर  जा नहीं सकते , बच्चे भी ज्यादा पढ़े  हुए नहीं है और छोटे भी है ,तो तुम्ही माल खरीदने आया करो आयशा राजी हो गई तो मैंने अगले दिन 
   


12 मई 2012 के लिए दो AC टिकट करवा लिया सूरत के लिए |   
                 
आयशा की ओरिजनल पिक मेरा इन्तजार करते हुए



आयशा की ओरिजनल पिक मोबाइल करते हुए
   आयशा  ट्रेन के समय पर आ गई और रेलवे स्टेशन के एक खम्बे के पास  बैठ गई और मेरा इन्तजार करने लगी और फिर कुछ देर में मेरा नंबर डायल करने लगी जबकि मैं आयशा के पीछे ही खड़ा होकर आयशा की फोटो लेने लगा अपने मोबाइल से ,आयशा हलके ब्लू कलर की साडी और मेचिंग ब्लाउज में खूब जच रही थी,दूकान खुलने के बाद आयशा की लाइफ एकदम से बदल गई आयशा अच्छे अच्छे कपडे पहनने लगी 4 माह में ही आयशा और खूबसूरत लगने लगी, आँखों के नीचे काली झाइयाँ ख़त्म हो गई मैंने मेकअप के ढेर सारे सामान खरीद कर आयशा को दे दिया | गर्मी के कारण बालो को बड़े स्टाइल के साथ बांधती और बला की खूबसूरत लगती | आयशा का फोन जब आया तो मैं जल्दी से  चला गया और आयशा से बाते करने लगा और बात करते करते आयशा के पास आ गया और उसके बगल में बैटग गया , ट्रेन कुछ ही मिनटों में आ गई और मै आयशा को लेकर अपने AC बर्थ में बैठ गया | आयशा जीवन में पहली बार AC बर्थ में बैठी थी , आयशा बर्थ के अंदर आते ही माथे पर बिंदी और मांग में पेन्सिल से सिंदूर लगा लिया , जब मैंने कारण पूछा तो बोली '' कुछ पल तो आपकी पत्नी बन कर साथ रह लू '' फिर हम दोनों रास्ते भर बाते करते रहे , साम को खाना खाये और सो गए और सुबह 10  बजे सूरत पहच गये,एक होटल में AC रूम लिया और दोनों वही रुक गए , होटल के रिजिस्टर में आयशा को अपनी बीबी ''आशा'' का नाम लिखाया [सयोंग से मेरे बीबी का नाम भी आशा है और मैं आयशा को प्यार से आशा ही कहता था सुरु से ही]  पहले आयशा बाथरूम में घुस गई और नहा कर निकली एक टॉवेल लपेटे हुए , आयशा को  सेक्सी जिस्म देखकर मैं पगला गया और आयशा से लिपट गया और आयशा को चूमने लगा तो आयशा बोली '' क्यों जल्दी कर रहे है अब तो तीन दिन आपके साथ ही रहूगी जी भर कर प्यार करना,अभी तो जिस काम से आये है ओ कर ले '' तो मैंने बोला टीक  है और आयशा को छोड़ दिया और बाथरूम घुस गया मैं भी नहाकर बाहर निकला  और देखा की आयशा लाल रंग की साडी पहन रही थी ,
आयशा पीछे से देखने में ऐसी ही लगती है
आयशा को पीछे से देखा तो आयशा गजब की खूबसूरत लग रही थी मेरा दिमाग आयशा की सुंदरता देख कर फिर खराब हुआ पर आपने आपको रोका और दोनों तैयार हो गए ,नास्ता मगाया और नास्ता किया और फिर किराए के एक कार से बाजार निकल गए और साम के 7  बजे तक बाजार में दूकान के लिए खरीददारी किया और फिर होटल आ गए 8 बजे तक | 


                दोनों थक कर चूर हो गये थे, आयशा आते ही अपनी साडी उतार दिया और एक गाउन पहन लिया और बेड पर धड़ाम से गिर गई और बोली '' या अल्ला बहुत थक गई हु '' मैंने आयशा की आवाज सुनी उसके तरफ देख कर मुस्कुराया और मैंने भी कपडे उतार कर एक लोवर और बनियान पहन कर आयशा के पास ही बैठ गया तो आयशा मेरे पीठ और कंधो पर हाथ घुमाया और मेरी मसल्स को दबाया और बोली ''  इस उम्र में भी आप का  शरीर तो आज भी जवानी की तरह कसा हुआ '' तो मैंने आयशा के स्तन को दबाया और बोला '' जनाबे आली आप कहा बूढी हो गई है '' और फिर दोनों हँसी ठिठोली करने लगे तब मैंने आयशा से पूछा ''सराब पीया है कभी'' तो आयशा बोली ''नहीं'' तो मैंने पूछा '' पियोगी सराब'' तो आयशा बोली ''आपके हाथ से तो जहर भी पी लूगी'' तब मैंने आयशा को पकड़ कर किस कर लिया और रूम में लगे  फोन से काउंटर पर ब्लू लेबल की अच्छी वाली सराब और एक बड़ी बोतल पेप्सी मगाया, कुछ ही देर में वेटर दो गिलास और पेप्सी और सराब पहुंचा दिया और मैंने सराब और पेप्सी मिलकर आयशा को दिया और मैं भी पीने लगा, आयशा  को तीन बड़े बड़े पैग दिया तो 20 मिनट बाद ही आयशा नसे में झूमने लगी और बड़ी बेसर्मी से बाते करने लगी, अपने शौहर के बारे में बताने लगी की ''ओ तो बुढढा हो गया था 6 साल पहले ही पर फिर भी कभी कभार आता था मेरे पास सोने के लिए पर जब से एक्क्सीडेंट हुआ तब से उनकी मर्दाना  शक्ति चली गई और उसने 5 साल से छुआ तक नहीं'' तब मैंने पूछा ''फिर कैसे बुझाती थी आपने जिस्म की प्यास'' तो बोली  ''सोचती ही नहीं थी इसके लिए तो मन ही नहीं पड़ता था, परजब से आप  दुबारा मिली तब से ऐसा लगने लगा की कब मिलेंगे मेरे राजा जी और कब मेरी प्यास बुझाएंगे '' तो मैंने बोला ''कितनी प्यासी हो'' तो आयशा बोली '' जितना प्यास आपने पहली बार बुझाया था उतना ही फिर से प्यासी हु '' और इतना कह कर मुझे किस करने
आयशा के बूब्स ऐसे ही कसे हुए है
लगी तो मैंने आयशा को किस किया और आयशा की चुचियो  को दबाने लगा तो आयशा मेरे से लिपट गई और मेरे गालो पर किस की बौछार कर दिया होठो को चूसने लगी तब मैंने आयशा की गाउन को उतारने लगा तो आयशा जल्दी से अपनी गाउन को उतार कर एक किनारे  फेक दिया और ब्रा - पेंटी में बेड पर बैठ गई तब मैंने आयशा के ब्रा का हुक खोल दिया और आयशा के बूब्स आजाद होकर बाहर आ गए क्या मस्त आयशा के बूब्स है एक डम से कैसे हुए तब मैंने आयशा को एक बड़ा सा पैग बना कर दिया और आयशा पीने लगी और एक ही सास में गिलास खाली करके टेबल पर रख दिया और मेरे से बोली '' अब मत तड़पाओ मेरे राजा '' और इतना कहकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया [मैंने वियाग्रा की टेबलेट 45 मिनट पहले ही ले लिया था इस लिए मेरा लण्ड तन कर खड़ा था] और मेरे लोवर को उतारने लगी तो मैंने मेरे सभी कपडे उतार दिया और नंगा हो गया और आयशा की पेंटी को उतार दिया और आयशा को बिस्तर पर लिटा दिया और आयशा के शरीर का एक एक अंग चूमने लगा, चूमते-चूमते आयशा की जांघो को चूमने लगा और धीरे धीरे आयशा की चूत तक पहुंच गया और चूत को चाटने लगा और एक हाथ से आयशा के टाइट बूब्स को खिलाने लगा , बूब्स एकदम से टाइट थे [आयशा की चूत क्लीन,चिकनी थी जैसे कल ही सफाई किया हो] आयशा भी मेरे सरीर पर हाथ घुमाने लगी कुछ ही देर में चूत की चटाई से आयशा तड़प उठी मेरे मोटे और लम्बे लण्ड के लिए और लण्ड को पकड़ लिया हाथ से और खिलाने लगी अब आयशा एक मिनट भी रुकने को  तैयार नहीं और जल्दी से उठकर बैठ गई और अपनी दोनों  टांगो को फैला दिया और मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगी, मैं  समझा गया आयशा कई सालो से नहीं चुदवाया  ज्यादा उतावली हो रही है , मैंने आयशा को बेड पर लिटा दिया दोनों टांगो को फैलाया और लण्ड घुसेड़ने लगा पर आयशा की चूत सिकुड़ चुकी थी [आयशा ने 5  किसी से नहीं चुदवाया इस लिए चूत टाइट  थी]और लण्ड आसानी से नहीं घुस रहा था फिर भी मैं घुसेड़ रहा था और


 मैं आयशा की चूत में लण्ड घुसाने लगा तो आयशा बोली [आयशा अपनी पर्श में तेल की सीसी और कंडोम ले कर आई थी] इसे लगा लीजिये तब मै तेल को आयशा कि चूत और स्तनो में लगा दिया और स्तनो कि मालिश करने लगा हलके हाथ से और चूत को सहलाने लगा और हथियार को धीरे धीरे डालने लगा जब आधा हथियार को डाल  दिया तो आयशा कराहने लगी और बोली कि दर्द कर रहा है बस ज्यादा नहीं डालिये तो मैं आधे हथियार से ही आयशा को चोदने लगा आयशा को जब अच्छा लगने लगा तो अचानक हलके से झटके के साथ पूरा का पूरा हथियार को डाल दिया तो आयशा पहले जोर से कराही और फिर लिपट  कर लगभग उठ सी गई तो मैं आयशा के स्तनो को चूसने लगा और धीरे धीरे झटके मारने लगा आयशा भी बड़े मस्त अंदाज में दोनों हाथो को मेरी कमर में डाल कर लिपटी रही और अपने नितम्बो को आगे -पीछे करने लगी और मैं आराम से झटके पर झटके मारने लगा अब आयशा मेरी कमर से हाथ निकाल कर बेड पर लेट गई औरमैं झटके मारते रहा हर एक झटके पर आयशा के स्तन हिलते रहे आगे पीछे मैं बीच बीच में स्तनो को हलके हाथ से मसलता रहा अब आयशा कि उ आह आह सस सस सी सी सी आह ऊ ऊ ऊ आ आ आ आह अह  उ उ उ उ उ आ आ अ अ अ अ उ ऊ आ ऊ ऊ ओ ओ ओ ओ आह आ सस्स सस्स सस्स स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आह आह ऊ ऊ आआ आआ आए आह  एजी और जोर से मारो झटके राजा बहुत मजा आ रहा है फर उ उ उ उ उ उ उ अ अ अ अ आ आह सस्स स सस स  स्स्स्स्स्स्स्स्स्स स्स्स्स सस्स आह आह आह ऊ उ उ उउउ आ आउउउउउउउउउउउउं आ ओ ओ ओ आ सस सस्स ई सी से स्स्स्स उ उ उ करती रही और मैं झटके मारता  रहा करीब 8 मिनट तक लगातार झटके खाने के बाद आयशा कि चूत हार मान गई और आयशा स्खलित हो गई पर मैं अभी स्खलित नहीं हुआ और झटके मारता  रहा करीब 2  मिनट बाद मैं भी स्खलित हो गया  और आयशा के ऊपर लेट गया आयशा बड़े प्यार से मेरे सर पर पीठ पर नितम्ब पर हाथ घुमा रही थी मैं आयशा को बड़े प्यार से बार बार चूम रहा था हम दोनों को पसीना आ गया इसके बाद हम दोनो नंगे ही बेड पर 5  मिनट तक एक दूसरे से चिपके हुए लेटे रहे फिर  आयशा उठी और नंगी ही बाथरूम में चली गई और फिर वापस आई और फिर से ब्रा और पेंटी पहन कर बेड पर लेट गई और बाते करने लगी  बात बात में आयशा ने बताया कि उसके हस्बैंड कि लम्बाई सिर्फ 5 फिट 6 इंच थी ओ मेरे से सिर्फ एक इंच लम्बे थे जब हम दोनों साथ चलते थे तो मैं उनसे बड़ी लगती थी आयशा ने ये भी बताया कि ओ बहुत जल्दी फुर्सत हो जाते थे उनकी उमर  है और उनका ये भी छोटा सा पतला सा था ज्यादा कड़क नहीं पड़ता था ओ मुझे बहुत कम संतुष्ट कर पाते थे ओ मुसलमान होने बाद भी सराब पीने के कारण ओ कमजोर हो गए थे सरीर से और बहुत से बाते बताया आयशा ने |  बात करते करते कब आयशा  कब नीद  पता ही नहीं चला मैंने आयशा को एक चद्दर ओढ़ा दिया और मैं भी  उसी चद्दर को   ओढ़कर आराम  करने लगा तो झपकी लग गई फिर जब मेरी झपकी खुली तो देखा कि 12  बज कर 30 मिनट हो गए मैं चुपचाप उठा और फिर से एक वियाग्रा कि गोली खा लिया और बिस्तर पर लेट गया और TV देखने लगा करीब 3 . 15  पर मैं सोती हुई आयशा को फिर से किसिंग करने लगा और आयशा कि चूत में हाथ घुमाने लगा बूब्स को दबाने लगा तो आयशा फिर से सेक्स के लिए तैयार हो गई और लिपट गई मेरे से और कहती है कि पूरा वदन टूट रहा है आपने ऐसा तोड़ा कि मजा आ गया और अगड़ाई  लेने लगी बेड पर फिर उठी और बाथरूम गई और फिर वापस आकर लिपट गई और मेरे हथियार को टटोल कर कहती है कि ये तो फिर से तैयार हो गया ओ (आयशा के पति) तो सप्ताह में एक दिन बड़ी मुस्किल से करते थे और आप है कि फिर से तैयार हो गए पर वदन बहुत टूट रहा है दर्द कर रहा है तो मैंने बोला कि लाओ मालिश कर दू तुम्हारी और फिर मैं तेल कि सीसी लेकर आयशा को नंगा किया और मालिश करने लगा आयशा के पुरे वदन में तेल लगा लगा कर हलके हाथ से खूब मालिश किया पीठ कि तरफ  को सीधा लिटा दिया और फिर स्तनो में तेल लगाकर मालिश करने लगा  आयशा के स्तन इस तरह से हाथ से फिसल रहे थे जैसे कोई मछली फिसलती है फिर भी मैं बार बार स्तनो में तेल लगाकर खूब मालिश  करता रहा ,आयशा फिर से गर्म पड़ गई  आयशा कि आँखे लाला पड़  गई चेहरा तमतमा गया स्तनो कि निप्पल  कड़क पड़ गई और स्तन और अधिक कड़क हो गए मैं समझ गया कि आयशा पुरे सबाब में आ गई है अब मैं आयशा कि चूत को सहलाने लगा और फिर एक उगली डाल कर चूत के अंदर घुमाने लगा तो आयशा के मुहसे उ उ उउउ उउउ उउउ उफ़ उफ़ उफ़ उफ़  आ आ  अह हा अह उ उउउ स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स कि आवाजे आने लगी और आयशा ने फिर मेरे हथियार को पकड़ कर उसे मरोड़ने लगी और उगली से चिटिन्ना  मारने लगी और फिर 30 सेकण्ड बाद मुझे नीचे गिरा दिया और फिर मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे हथियार में कंडोम लगाकर एक झटके में ही पूरा हथियार को अपनी चूत में घुसेड़ लिया और अपने दोनों हाथो को मेरे सीने पर और पाँव को कमर के बगल में रखके ऊपर नीचे मलखम्ब करने लगी क्या सुन्दर सीन था उस समय का आयशा के स्तन बार बार उछाल रहे थे जैसे मछलिया पानी में इधर उधर कूदती है फिर वापस पानी में आ गिरती है कुछ इसी तरह से आयशा के मस्त मस्त स्तन उछल रहे थे सर के बाल बार बार चेहरे के आगे आ जाते थे तो आयशा कभी दाए हाथ से तो कभी बाए हाथ से बालो को पीछे करती इस तरह यह क्रम करीब 5  मिनट तक चला आयशा कि मलखम्ब कि स्पीड कमजोर पड़  गई मैं समझ गाय कि ये थक रही है तो मैं आयशा के नितम्बो और जांघोंके बीच से पकड़ कर उठा लिया और बेड पर खड़ा हो गया आयशा ने अपने दोनों हाथो को मेरे गले में डाल कर जोर से पकड़ लिया मुझे फिर मैं आयशा के नितम्बो के नीचे हाथ लगा कर ऊपर नीचे उठा उठा झटके मारने  लगा रुक्कू बड़े मजे से झटके खाती रही 3  मिनट तक लगातार झटके मारने के बाद आयशा को नीचे बिस्तर पर गिरा दिया और पेट के नीचे तकिया रखकर पेट के बल लिटा दिया और अब आयशा के चूतड़ थोड़ा उठ गए तो पीछे से हथियार को घुसेड़ दिया चूत में और फिर तबियत से झटके मारने  लगा झटके  से आयशा को बहुत मजा  आ रहा था आयशा ने धीरे धीरे अपने चूतड़ो को ऊपर  करते करते दोनों घुटनो के बल उठ गई और हाथ को बिस्तर पर टेक दिया और तकिया पर सर रख कर झुक गई मैं झटके मरता रहा आयशा बड़े प्यार से झटके खाती रही और उ उ उ उ उ उ उ उ उ  आ अ अ आए स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ऊऊऊऊ आआआ ओओओ ओओओ ह्ह्ह्ह कि अजीब आवाजे निकलती रही मुह से और अपने चूतड़ो को आगे पीछे करने लगी यह क्रम  करीब 4  मिनट तक चलता रहा फिर दोनों एक साथ स्खलित हो गए और आयशा पेट के बल  गई मैं प्यूरी ताकत से हथियार को घुसेड़ दिया जैसे कोई भैंसा ,भैस को घुसेड़ देता है और फिर मैं लेट गया आयशा के ऊपर और 3 मिनट तक आयशा के ऊपर लेटा रहा और आयशा की पीठ पर प्यार से हाथ सहलाता रहा किस करता रहा तब आयशा ने कहा कि उठिए अब जान लेगे क्या तो मैं हसते हुए उठा गया तब आयशा नंगी ही बाथरूम में घुस गई और जब  वापस आई तो मेरे तने हुए लण्ड को देखी और बोली '' ये अभी तक सांत नहीं हुआ '' तो मैं बोला '' हो गया है पर '' तो आयशा बोली ''पर क्या '' तो मैंने कहा की ''अभी एक बार और आ जाओ ना '' तो आयशा बोली '' नहीं  अब नहीं मैं बहुत थक गई हु '' तो मई बोला '' टीक है '' और बाथरूम चला गया और लौट कर आकर दोनों चिपक कर सो गए सुबह उठे नास्ता किया फिर सुबह 11 बजे बाजार चले गए साम को वापस आये फिर चुदाई का सिलसिला सुरु हुआ उस रात भी टीन  बार आयशा ने चुदवाया , आयशा बहुत खुस थी फिर हम दोनों 3 दिन बाद सूरत से वापस आ गए माल भी आ गया ट्रेन से ही | 

    इस तरह से आयशा भी खुस मैं भी खुस उसका परिवार भी खुस , आज आयशा का बिजनेश खूब बढ़िया चल रहा है , आयशा  के लिए एक माइस्ट्रो [हीरो] स्कूटी खरीद दिया बाजार  लिए जब भी आयशा से मिलने की इच्छा होती सूरत में दोनों मिल लेते और खूब मस्ती करते | 18 दिसंबर 2013 को अपने दोनों की सादी की सालगिरह पर जापान गए जहा पर आयशा को '' नान्छि फाल ''
'' नान्छि फाल जापान ''
दिखाया आयशा बहुत खुस है | आयशा और मेरे संबधो के बारे में आयशा के शौहर को पता चल चुका तो उसने बहुत हाय तोबा मचाया तो आयशा बोली तलाक दे दो मुझे पर अकरम मिया तलाक देने से रहे , आयशा ने जब अकरम मिया से हम दोनों के पूर्व रिश्ते की पूरी सच्चाई बताया तो अकरम मिया भी बोले '' तुम दोनों को खुदा ने मिलाया है ''और मैं खुदा के राह में रोड़ा नहीं अटकाऊगा | 


     मेरी पत्नी को भी मेरे रिश्ते के बारे में पता चल गया सुरु में ओ भी बहुत नाराज पड़ी पर अब ओ भी सामान्य हो गई | आयशा के अब्बु ''तउरेज  खान '' को भी हमारे रिश्ते के बारे में पता चल चुका है पर अब ओ कुछ नहीं कर सकते क्योकि ओ बिस्तर में  पड़े रहते है , आयशा की सौतेली माँ किसी और से फस चुकी थी , आयशा का भाई अपने अब्बु तउरेज खान का ध्यान रखता है , आयशा भी बीच बीच में अब्बु का ख्याल रखती है उन्हें मदद करती रहती है | आयशा ने अब एक दूकान मेन मार्केट में कर लिया है | मेरा भी बिज़नस खूब तरक्की पर है | 

प्यार को  कोई धर्म और मजहब  नहीं रोक सकता है बस प्यार सच्चा होना चाहिए |

Friday, 11 April 2014

बेटे के दोस्त की माँ को चोदा

यह सत्य कहानी अभी 6 अप्रैल 2014 की है जब मैं मेरे लड़के को JEE कि एक्जाम दिलाने पास के सहर में ले कर जाने वाला था | 
पूनम खत्री बिलकुल ऐसी ही सेक्सी लगती है 
         जब सुबह 7 बजे घर से निकला तो एक चौराहे पर मेरे लड़के का दोस्त भी अपनी माँ के साथ मिला मैंने सोचा कि सिर्फ लड़का ही जायेगा एक्जाम देने पर जब ओ दोनों मिले तो मेरा लड़का आगे कि सीट से उतर गया और दोस्त कि मम्मी को बोला कि  ''आंटी आप आगे के सीट पर बैठ गाये मैं और अंकित पीछे बैठ जाता हु'' तो दोस्त कि माँ आगे कि सीट में बैठ गई और बैठते समय मेरे से हाथ मिलाने को आगे बढ़ाया तो मैंने भी हाथ बढ़ा दिया पर जैसे ही उनसे हाथ मिलाया ऐसा लगा जिसे पुरे सरीर में करेंट लगा हो बहुत ही मुलायम हाथ है उनके इतने में उन्होंने कार का दरवाजा लगाया तो मैंने कार स्टार्ट किया और चल दिए | उन मेडम की उम्र करीब 35-38 के आसपास होगी गोरे रंग की है ओ हलके हरे-केसरिया रंग की साड़ी और केसरिया रंग का ब्लाउज पहन रखा था कलाइयों में मैच करती चुडिया पहन रखी थी,खुल्ले बाल थे इस उम्र में भी मोटापा उनके पास नहीं फटका, उनका जिस्म एकदम से फिट है पर बूब्स बड़े बड़े है ओ बड़े मादक अंदाज में तिरछी नजर से कभी कभी मेरी तरफ देखती | कुछ देर में ड्राइविंग ग्लास को ऐसा सेट कर दिया कि उनके चेहरा दिखने लगा मुझे मेरा ध्यान कार ड्राइविंग  देखने  में ज्यादा था कुछ देर में टोल नाका आया तो खुद ही अपनी छोटी से पर्स को अपने ब्लाउज से स्तन  के पास से निकाला और मुझे देने लगी तो  मना कर दिया तो जबरजस्ती  मेरे हाथ में 100 कि नोट  रख दिया मैंने टोल नाका में पेमेन्ट किया और  आगे बढ़ गए ,मेन मिरर ग्लास में देखा तो उनके साडी   का पल्लू नीचे गिरा था और ब्लाउज का  खुल गया था उनके सेक्सी बूब्स दिखने लगे  सेक्सी बूब्स को देखते देखते एक्जाम  सेंटर  पहुच गया 8 बजकर 20 मिनट पर बच्चे और मैं मेडम के साथ कार से नीचे उतर गए दोनों बच्चे एक साइड में जाकर अपने कोर्स और एक्जाम के बारे में बाते करने लगे तो मैं और ओ मेडम एक पेड़ के नीचे खड़े होकर बाते करने लगे जान पहचान में सबसे  पहले उनका नाम पूछा तो पता चला कि मेडम का नाम 'पूनम खत्री ' है पति के बारे में पूछा तो बताया कि ओ दुबई में जाब करते है और तीन तीन साल में एकात बार ही आते है तो मैंने पूछ लिया कि आपका समय कैसे पास होता है तो उदास होकर बोली बस समय काट रही हु बाते करते करते 9 बज गए बच्चे एक्जाम सेण्टर में अंदर चले गए और हम दोनों कार में जाकर बैठ गए और बाते करने लगे , मैं FM रेडिओ लगा दिया और अपने सैमसंग गैलेक्सी में विडो सांग देखने लगा इतने में पुनम खत्री का लड़का आया और बेग में से 12 वी का ओरिजनल प्रवेश पत्र निकाल कर जाते समय बोला अंकल स्कूल वाले अंदर नहीं ले रहे है मैं जल्दी से अंकित के साथ चला गया और  करके वापस आया तो देखा कि पूनम मेरे मोबाइल को अपने हाथ में लेकर कोई बड़े चाव से
एक वीडिओ देख रही थी, बीडीओ देखने के बाद बोली बहुत मस्त वीडिओ है आपके पास तो मैंने बोला कौन से है जो आपको अच्छी लगी तो पहले तो सरमाई पर जब मैंने उनसे आग्रह किया तो बोली ये वाले ,मैं उस वीडिओ को देखा तो ओ वीडिओ पोर्न फ़िल्म के थे मैं पहले सरमाया और फिर बोला आपको कहा से मिल गए ये तो बोली ढूढ लिया और उसमे से एक वीडिओ मुझे दिखाया [जिसमे एक ओरत घोड़े से चुदा रही थी]और बोली ऐसी भी ओरते है तो मैंने बोला हां है ना तभी तो इसमें दिख रही है , कुछ देर बाते करने के बाद पूनम बोली चलिए कही बाहर चलते है यहां घुटन हो रही है बहुत भीड़ है  [ एक्जाम सेंटर पर करीब 300 लोग इधर उधर फैले हुए थे] तो मैंने बोला किधर चलू तो पूनम बोली कि मैं बताती हु आप यहाँ से तो चले तो मैंने कार स्टार्ट किया और स्कूल  के गेट से बाहर निकले तो पूनम ने कहा कि सिटी से बाहर  कि तरफ चलते है जहा सुकून से बाते कर सकू तो मैं सिटी से करीब 15 KM बाहर आ गया और एक घने पेड़ कि छाया में कार खड़ी कर दिया और कार से उतर कर कार के ओलट में कार कि सीट का कवर रख कर दोनों नीचे बैठ गए और बाते करने लगे पूनम ओ पोर्न फिल्मे देखे जा रही थी चाव से उनके सारी  के पास से गिर गया था उनके मस्त मस्त उन्नत उरोज़ दिख रहे थे , मेरे नसों में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी पर कोई बहाना नहीं मिला रहा  की पूनम को  किस करू, तब दिमाग में एक ऑडिया आया मैं आलस  जम्हाई  फाड़ फाड़ कर तो पूनम बोली की  थक गए है क्या तो  मैंने हां किया तो पूनम बोली आप लेट जाए तो मैं पूनम के पास के लेट गया और पूनम पोर्न फिल्मे देखती रही पर तकिया नहीं होने के लेटते नहीं बन रहा था तो पूनम ने कहा की मेरी जांघो में सर रख लीजिये तो मैंने पूनम  की जांघो पर सर रख कर लेट गया पूनम की नरम नरम जांघो पर मुझे बहुत अच्छा लगाने लगा कुछ देर में मैंने पूनम के गोद में सर रख लिया और आराम से लेट गया कुछ देर में पूनम झुकी तो उसके बूब्स मेरे गाल से टकराये तो मैंने बूब्स को किस कर लिया और हाथ से दबा दिया तो पूनम बोली ये क्या कर रहे हो कोई देख लेगा , तब भी मैं नहीं माना और  पूनम के बूब्स को दबाता रहा तो पूनम उठी और कार के पीछे सीट में जाकर बैठ गई तो मैं भी सीट कवर उठाया और कार के अंदर जाकर AC ओन कर दिया,और कार के विंडो में लगे पर्दे लगा दिया,आगे की दोनों सीटों को पूरा आगे कर दिया जिससे पीछे की सीट के लिए खूब जगह हो जाए और पूनम के पास जाकर पीछे की सीट पर बैठ गया और पूनम को किस करने लगा बूब्स को दबाने लगा पूनम भी मुझे किस करने लगी कुछ देर में पूनम के ब्लाउज के सभी  हुक खोल दिया और पूनम की चुचियो को चूसने लगा पूनम प्यार से मेरे सर पर हाथ घुमाने लगी मैं पूनम के गाल और होठो को भी चूसने लगा पूनम पूनम के होठो को अपने दातो से हलके हलके काटता बदले में पूनम भी मेरे होठो को काटती यह क्रम बहुत देर तक चला पूनम चुदाने के लिए तैयार हो गई और पेंट के ऊपर से मेरे लंड़  को टटोलने लगी तो मैंने पूनम के साड़ी को जांघो तक खिसकाया और जांघो को सहलाने लगा इधर पूनम मेरे पेंट के बेल्ट को खोलने लगी तो मैंने पेंट की बेल्ट और हुक को खोल कर चढ्ढी सहित नीचे खिसका दिया पूनम मेरे खड़े लण्ड को हाथ से पकड़ कर खिलाने लगी मैं पूनम की साडी को पूरा उठा लिया और पूनम की पैंटी को उतार दिया और चुत को सहलाने लगा उधर पूनम मेरे लण्ड के साथ खेल रही थी मैं  झुक कर
पूनम की चुत चाटने लगा तो  कुछ ही पल में पूनम सम्भोग के मिलन के लिए तड़प उठी तो मैंने मेरी  दोनों टांगो को नीचे कर दिया और पूनम को उठकर खड़ी कर दिया तो पूनम मेरे लण्ड को अपनी चुत में घुसेड़ लिया और मेरे कंधो पर अपना हाथ रखकर मेरे से चिपक गई और अपने चूतडो को मेरे लण्ड पर घिसने लगी मैं पूनम की चूतड़ को पकड़ कर आगे पीछें करने लगा पूनम का बजन ज्यादा नहीं है इस लिए बड़ी आसानी से उसे चोद रहा था , पूनम अपने जीभ को चूसते  भी जाती मैं भी पूनम की जीभ को चूसने लगा और जल्दी जल्दी पूनम के चूतडो को हिलाने लगा पूनम के मुह से उ अ उ अ आ आ आ आह आह आह आह सी सी सी स्स्स्स्स्स्स्स्स आआआआ आआआआअ अहह्ह् ह्ह्ह्ह आअह्ह आह की आवाज करने लगी [मुझे डर लगा रहा था की कोई आ नहीं जाए इस लिए मैं जल्दी से पूनम को निपटाना चाहता था] मैं भी जल्दी जल्दी चोदना सुरु कर दिया और मुस्किल से 5 मिनट में ही  दोनों ढेर  हो गए वीर्य बह कर मेरी जांघो पर बहने लगा तो मैंने पूनम को  जल्दी से उठाया और सीट में बिठा दिया तो पूनम अपने पेटीकोट से चूत को साफ़ किया  और फिर अपनी पेंटी को पहन लिया मैं भी जल्दी जल्दी अपनी पेंट को पहन लिया और दोनों कार से बाहर आ गए , बाहर दूर दूर तक कोई नहीं दिखाई दिया तो मेरी सास में सास आई और मैंने फिर से पेंट को ठीक  से सर्टिंग करके पहन लिया और पूनम को भी बोला की साडी ठीक से पहन लो तो पूनम ने भी साडी को ठीक  से पहन लिया और फिर दोनों बाते करने लगे खड़े खड़े तब तक घड़ी में 10 बजकर 30 मिनट हो गए तो मैंने पूनम को बोला की चलो यहाँ से कोई आ नहीं जाए तो पूनम बोली टीक है और दोनों कार में बैठे और एक्जाम सेण्टर के सामने एकछोटे से होटल में बैठ गए एक एक पेप्सी लिया और स्कूल के अंदर हो गए और वहा कार में ढेर सारी बाते किया , मैंने पूनम से बोला की मजा नहीं आया तो पूनम बोली हां तो मैंने बोला की कैसे मजा आये तो पूनम बोली की अंकित [पूनम का लड़का] ट्युसन के लिए जाता है उस समय घर में कोई नहीं रहता आप आ जाना तो मैं बोला टीक है और बहुत देर तक बाते करते रहा फिर 12 बजकर 40 मिनट पर बच्चे बाहर आ गए तो हम वापस आपने सहर आ गए मैंने  पूनम का मोबाइल  नंबर ले लिया  | 
पूनम खत्री का जिस्म और बूब्स 99 % ऐसे ही है


     10 अप्रैल 2014 को पूनम से बात किया तो पूनम बोली अंकित 11 .30 पर ट्युसन  जाता तो 4 बजे तक आता है आप दोपहर में आ जाओ गर्मी में सुनसान रहता है तो मैंने बोला टीक है आता हु और ऑफिस से निकल लिया कुछ बाहना करके और मेरी कार को एक दोस्त के घर छोड़कर पास ही पूनम के घर दोपहर में 12 बजे पहुंच गया | 
        पूनम मेरा इन्तजार कर रही थी दरवाजे के खड़ी होकर,पूनम एक गाउन पहन रखी थी जो की जिस्म  पर फिट थे पूनम के जिस्म का एक एक अंग की बनावट साफ़ साफ़ झलक रही थी मैं जैसे ही पहुंचा पूनम ने गेट में ताला लगा दिया बाहर से जिससे की कोई ये समझे की घर में कोई नहीं है और जल्दी से घर के अंदर आ गई और घर का भी दरवाजा लगा लिया तब तक मैं शानदार और महंगे सोफे पर बैठ गया कुछ देर में पूनम एक ग्लास में सरबत बना कर लाइ और मुझे दिया और खुद भी पिया और पास ही बैठकर बाते करने लगी तो मैं पूनम को खीच लिया अपने गोद में और किस करने लगा पूनम भी किस करने लगी तो मैं पूनम के बूब्स को दबाने लगा तो बोली आपको जल्दी है क्या , तो मैंने कहा की नहीं तो बोली टेक है आराम से बैठिये अंकित तो 5 बजे के पहले नहीं आएगा , फिर मेरे पास से उठी और किचेन में घुस गई मैं भी पीछे पीछे किचेन में घुस गया और पूनम को पीछे से पकड़ कर बूब्स को दबाने लगा तो बोली रुक जाओ ना नहीं तो दूध उफान कर बाहर गिर जाएगा तो मैंने बोला दूध की तरह मुझे भी उफान आ रहा है तो बोली रुकिए सम्हालिए अपने आप को मजे से करेंगे तब मैं पूनम को छोड़ दिया तो पूनम बोली आप बैठिये कमरे में आती हु तो मैं आगे के रूम में आकर बैठ गया तो 10 मिनट बाद पूनम एक एक ग्लास दूध लाइ और बोली  लीजिए फिर खाना खाएंगे इसके बाद तो मैंने और पूनम ने एक साथ एक एक ग्लास दूध पी लिया दूध का स्वाद कुछ ऐसा था जैसे उसमे कुछ मिलाया गया हो , फिर कुछ देर बाते किया और पूनम ने खाना परोशा तो दोनों डाइनिंग टेबल पर खाना खाये तब तक दोपहर के 1 बजकर 20 मिनट हो गये | 
 
पूनम का जिस्म पीछे से ऐसा ही लगता है

खाना खाकर दोनों लिविंग रूम के सोफे में बैठकर बाते करने लगे , मैं पूनम को किस करने लगा पूनम भी मुझे किस करती और मेरे शरीर पर हाथ घुमाती तब मेरे लण्ड में तनाव बनने लगा ऐसा लग रहा था की लण्ड पेंट से बाहर आ जाएगा पूनम की आँखे लाल लाल होने लगी , पूनम मादक अंदाज में बोली '' चलिए बेड रूम में यहाँ गर्मी लग रही है '' तो हम दोनों बेड रूम में आ गए बैडरूम में AC चल रहा था रूम नार्मल टेम्पेचर में था | बैडरूम में जाते ही पूनम को गोद में उठा लिया और बेड पर बिठा दिया [पूनम का बजन मुस्किल से 50-55 KG होगा,जबकि मैं 85 KG का हु पर मेरी उचाई 6 फिट 1 इंच है 48 साल की उम्र में भी एकदम से फिट हु गेहुआ रंग है भरे भरे लाल-लाल गाल बड़ी बड़ी आँखे और खूब स्मार्ट लगता हु मेरी खूबसूरती को ही देखकर पूनम इतनी जल्दी कार में चुदाने के लिए तैयार हो गई थी उस दिन] 
और को किस करने लगा पूनम को तो पूनम मुझे अपनी तरफ खीच कर बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई और नशीली आबाज में बोली 'आज बहुत परेसान करुँगी तुझे तैयार है न' तो मैंने बोला 'जितना मर्ज़ी आये जुल्म कर लो पर बाद में ये नहीं कहना की बहुत सताया'और इतना  कहने के बाद पूनम मेरे कपडे उतारने लगी तो मैं खुद ही मेरे सभी कपडे उतार दिया और नंगा हो गया तो पूनम मेरे मोटे और लम्बे लण्ड को पकड़ लिया और हिलाने लगी इधर उधर और कुछ बड़बड़ाई तो मैंने पूछा ''क्या हुआ क्या कह रही हो '' तो बोली '' कुछ नहीं '' तो मैंने बोला ''बताओ ना '' कुछ नहीं बोली और झुक कर मेरे लण्ड को चाटने लगी जीभ निकाल निकाल कर मैं गर्म पड़ने लगा मेरा लण्ड आज कुछ ज्यादा ही खूँखार लग रहा है , मैंने भी पूनम की गाउन को निकाल दिया तो देखा की पूनम सिर्फ गाउन ही पहन रखी थी जैसे ही गाउन उतारा पूनम के मस्त मस्त बूब्स  दिखाई दिया तो मैं लपक कर बूबस को मुह में ले लिया और चूसने लगा और पूनम को बिस्तर पर लिटा दिया और क्लीन चूत को चाटने लगा 2 मिनट की चूत चटाई में ही पूनम आग की तरह भभक कर जलने लगी और मुझे नीचे गिराते हुए मेरे ऊपर चढ़ गई और बेड  में तकिये के नीचे से कोहिनूर कंडोम [जिसमे बाहर से खुरदुरा रहता है] निकाला और मेरे लण्ड पर चढ़ा लिया और फिर लण्ड को अपनी चूत में डाल लिया और मेरे ऊपर लेट गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड के साथ घिसने लगी तो मैं भी लण्ड का थोकड़ मारने लगा कुछ ठोकड़ के बाद ही पूनम को नीचे गिरा दिया और फिर मैं पूनम को लण्ड के ठोकरों की बाौछार कर दिया पूनम के मुह से उ उ उ उ आ आ आ आ आ आ आ आह आह आह आ आ आ आह आ अहा अहा सी सी सी सी सास   स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आआ आ आआआ आ आआ आआह् ह्ह्ह्ह्  ह्ह्ह की आवाजे आने लगी पूनम अपनी दोनों आँखों को बंद करके मजे से चुदा रही थी और जोर जोर से बडबडा रहे थी और और और जोर जोर से चोदो मेरे राजा बहुत दिन बाद आज चुदा रही हु तीन साल हो ह\गए इस तरह चुदाई मारो मारो छोड़ दो आज फाड़ डालो इसे बहुत कूदती थी बाके  नौजवानो को देखकर मैं जोर जोर से चौदने लगा पूनम 10 मिनट तक चुदाने के बाद स्खलिात होने की कगार पर आ गई तो मैंने चुदाई की स्पीड काम कर दिया तो पूनम बोली मारो बहुत अच्छा लग रहा है पर मैं कुछ बाते करने लगा जिससे पूनम का ध्यान बट जाए तो मैं इसे दूसरे तरीके से चोदु क्योकि इसका बजन कम है इसे उठा उठा कर हवा में लहरा लहरा कर मजे से चोदा जा सकता है और मेरे चाल
पूनम को इस तरह से चोदा
कामयाब रही तब मैंने पूनम को बोला की बेड के किनारे के पास आओ और मैं भी बेड से नीचे आ गया और पूनम की दोनों टाँगो को पकड़ कर ऊपर कर दिया और लण्ड पेलते हुए पूनम को उठा लिया और पूनम की दोनों टांगो को मेरे कंधे पर रख लिया पूनम अपने दोनों हाथो को मेरे गले में डाल लिया मैं पूनम के पीठ में हाथ रख कर पकड़ लिया और हवा में झूला झुला झुला कर चोदने लगा पूनम बड़े मजे के साथ हवा के झूलने लगी बीच बीच में पूनम मेरे मुह से अपने मुह को जोड़ लेती और मेरी जीभ होठो को चूसती पूनम का बजन काम होने से पूनम को खूब देर तक चुदाई किया पूनम इतना उत्तजित हो गई की ऐसा लगता था की मेरी जीभ को खीच कर अपने मुह में हमेसा के लिए ले लेगी पर मैं भी तबियत से पूनम की चुदाई करने लगा पूनम मुह से
उ उ उ उ आ आ आ आ आ आ आ आह आह आह आ आ आ आह आ अहा अहा सी सी सी सी सास   स्स्स्स्स्स् स्स्स्स्स्स आआ आ आआआ आ आआ आआह् ह्ह्ह्ह्  ह्उ उ उ उ आ आ आ आ आ आ आ आह आह आह आ आ आ आह आ अहा अहा सी सी सी सी सास   स्स्स्स्स्स्स्स् स्स्स्स आआ आ आआआ आ आआ आआह् ह्ह्ह्ह्  ह्उ उ उ उ आ आ आ आ आ आ आ आह आह आह आ आ आ आह आ अहा अहा सी सी सी सी सास   स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आआ आ आआआ आ आआ आआह् ह्ह्ह्ह्  ह् की जोर जोर से आवाज निकलने लगी और मेरे से चिपक कर ढीली पड़ गई मैं समझ गया पूनम झर चुकी है तब मैंने पूनम को नीचे उतार दिया तो पूनम मेरे खड़े लण्ड को देखकर बोली ''ये रिलेक्स नहीं हुआ क्या '' तो मैंने बोला नहीं तो पूनम बोली आओ कर लो रिलेक्स और लेट गई तो मैंने बोला नहीं मैं इसे ठंडा कर लेता हु एक घंटे बाद फिर से कर लेंगे तो पूनम तैयार हो गई और मेरे पास ही नंगी होकर लेटी रही और गन्दी गन्दी बाते करने लगी , मैंने पूनम से पूछा की कैसे रह पाती हो बिना चुदाई करवाये तो पूनम हस्ते हुए बोली ''बैगन ''

किस दिन काम आएगा तो मैंने पूछा की बैगन से करती हो तो बोली की हां क्या करू और कोई चारा नहीं तो मैंने पूछ लिया कैसे करती हूँ बैगन से तो बोली की लंबा और मोटा सा बैगन लाती हु उसके ऊपर कंडोम लगाकर अपनी फ़ुद्दी की भूख काम करती हु फिर मैंने पूछा की दूध में क्या दिया था था तो बोली की एक कैप्सूल आती है ओ [पति का नाम लिया] लाते थे तो हम दोनों दूध में डालकर पी लेते थे एक घंटे बाद दोनों मस्त मजा लेते थे चुदाई , फिर मैंने पूनम से पूछा की और किसी से चुदाया आज तक तो बोली नहीं पति और आप मैंने बोला झूठ बोलती हो तो बोली नहीं आप ही है जो पहली नजर में पसंद आ गए बौत देर तक बाते करते करते मैं फिर से पूनम को प्यार करने लगा तो पूनम गर्म पड़ने लगी तो पूनम की चूत को चाटने लगा और फिर पूनम की चूत की चुदाई का सिलसिला  किया जो आज तक लगातार चालु है |  पूनम का लड़का पुणे पढ़ने चला गया अब पूनम पूरी तरह से अकेली है । पूनम के पास उसके भाई की एक लड़की रहने लगी जो इस साल 8 वी में एड्मिसन लिया है जब ओ स्कूल चली जाती है तब पूनम फोन करके बुला लेती है । अभी अभी 7/10/2014 को पूनम की खूब चुदाई किया ।  अब  तो पूनम  खत्री सप्ताह में एक दिन तो जरूर ही चुदवाती है ।