Thursday, 25 July 2013

मेरी ऐय्यास बीबी

मैं अपनी बीवी को ब्लू फिल्म दिखा दिखा कर चोदता हूँ . इसमें मुझे भी मज़ा आता है और उसे भी . अक्सर वह कहती है मुझे फिल्म देख कर चोदो .  जैसे जैसे फिल्म का हीरो अपनी हिरोइन को चोदता है वैसे वैसे तुम भी मुझे  चोदो . मैं उसकी सेक्स की भूंख देख कर और मस्ती से चोदने लगता . वह कभी कभी चुदवाते हुए गालियाँ भी बकती है और मैं उसका बड़ा मज़ा लेता हूँ .
दोस्तों,  मेरी बीवी  एक बंगाली लड़की है . वह बहुत खूबसूरत है . गदराया बदन है उसका  . बड़ी बड़ी चूंचियाँ और गुन्दाज़ बाहें है . बड़ी बड़ी आँखे और बड़े बड़े बाल है . उसकी कमर पतली और चूतड चौड़े और मस्त है . चुदवाने में उसका कोई सानी नहीं है . लण्ड चाटने में उसका कोई जबाब नहीं है . लण्ड मस्त होकर चूसती है और आखिर में झड़ते हुए लण्ड को मजे से पीती है .
 एक दिन वह बेड पर एकदम नंगी मेरी दोनों टांगों के बीच बैठी थी और मेरा लौड़ा पकड़ कर हिला रही थी . बीच बीच में लण्ड चूम रही थी .
 एकाएक वह बोली :- अजी सुनते हो, अगर मेरे होनो हाथ में एक एक लण्ड हो तो कितना मज़ा आये ? देखो न ब्लू फिल्म में एक लड़की दो दो / तीन तीन लण्ड पकड लेती है . 2/3 लण्ड से एक साथ चुदवाती है ? क्या मैं ऐसा नहीं कर सकती ? मेरी भी इच्छा होती है की मैं दो लण्ड से एक साथ चुदवाऊ ? क्या  तुम मेरी इच्छा पूरी नहीं करोगे ?
मैंने कहा :- ठीक है पूरी करूंगा ? तुम बताओ दूसरा लण्ड किसका लोगी ?
वह बोली :- अब मैं क्या जानूं ? किसका लण्ड कैसा है ? मैं तो कहती हूँ की मेरे पास दो लण्ड हो बस ? एक बहन चोद बुर चोदे तो दूसरा मुह में घुसा हो तो जवानी का दुगुना हो जायेगा .
मैंने फिर कहा :- नहीं अगर तुम्हे कोई मर्द पसंद हो तो बताओ उससे बात की जाये ? फिर तुम  उसका लण्ड भी पकड़ो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है ?
वह बोली :-  आप किसी का भी लौड़ा ले आईये मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है ? वैसे मैं भी ढूंढती रहूंगी .   अब मैं सोचने लगा की यार किसका लौड़ा मैं अपनी बीवी को पकडाऊ ? किससे अपनी बीवी चुदवाऊ ? मैं बड़े पशोपेश में था अचानक मेरे दिमाग में एक ख्याल आया की क्यों न हम घर से दूर चले जाये . क्यों न गोवा चले जाये . मैंने सुना है की वह होटलों में सब कुछ मिलता है . मैं बस इसी  ख्याल से गोवा चला गया . मैंने पता किया की यहाँ मौज मस्ती करने वाला कौन सा होटल है तो  मुझे टैक्सी वाला वही ले गया . मैं होटल में पहुंचा और फिर कमरे में दाखिल हो गया . मैंने चैन की सांस ली . एक दिन तो इधर उधर घूमने में गुज़र गया . दूसरे मैं सोचने लगा की क्या किया जाये ? फिर मैं बिना वाईफ को बताये होटल के मेनेजर के पास चला गया . उसने कहा अगर आपको मौज मस्ती करनी है टी आप सीमा मेम से मिलो . वो सारा इंतजाम कर देगीं . मैं खुश हो गया ,. मैं तुरंत सीमा के पास चला गया . मैंने कहा :- मेम मैंने सुना है की यहाँ मौज मस्ती करने का पूरा प्रबंध है ? सीमा बोली :- हां बिलकुल है आप बताईये की आप किस तरह की मौज मस्ती करना चाहते है  ? मैंने कहा :- मेम प्लीज पहले आप बताएं की यहाँ क्या क्या हो सकता है .
 सीमा बोली :- देखो  पहला - अगर तुम्हे बीवियों की अदला बदली करनी है तो मैं कपल के नाम बता सकती हूँ जो इसी होटल में मौजूद है और बीवी की अदला बदली करने के इच्छुक है .
दूसरा -  यदि आप किसी लड़के को लेकर अपनी बीवी चोदना चाहते है  यानी उस लड़के से अपनी बीवी चुदवाना चाहते है तो मैं उस लड़के का इंतजाम कर सकती हूँ .
तीसरा - यदि आप किसी लड़की को अपनी बीवी के सामने चोदना चाहते है या फिर दोनों के एक साथ चोदना चाहते है तो मैं वह लड़की दे सकती हूँ . हां सभी तरह की मौज मस्ती में आपकी बीवी का राजी होना बहुत जरुरी है .
 मैंने कहा :- मेम मेरी बीवी खुद किसी लड़के से चुदवाना चाहती है .
सीमा बोली :- तो फिर आप चलिए मैं आपकी बीवी से बात करके एक लड़का भेज देती हूँ .
मैं अपने कमरे में आ गया .
मैंने रूपा से कहा :-  तुम्हारे लिए एक लण्ड का इंतजाम हो गया है अभी एक फोन आएगा तुम अपनी च्याइस बता देना ?

बस दो मिनट के बाद फोन आ गया .
सीमा बोली :- आप रूपा बोल रही है ?
. मेरी बीवी :- हां मैं मिसेस रूपा बोल रही हूँ .
सीमा  बोली :- आपको किस तरह का लण्ड पसंद है ?
मेरी बीवी :- लण्ड  मोटा हो और सख्त हो .
सीमा  बोली :- ठीक है मैं  सागर अली को भेज रही हूँ .
 थोड़ी देर में सागर अली आ गया   वह बड़ा स्मार्ट था ., मेरी बीवी उसे देख कर खुश हो गयी .मैंने उसे शराब दी और हम तीनो व्हिस्की पीने लगे . सागर बोल :- रूपा भाभी आप बड़ी खूबसूरत है . मेरी बीवी यह सुनकर उससे चिपक कर बैठ गयी . उसने धीरेसे अपना हाथ मेरी बीवी की चूंची पर रख दिया और चूंची दबाने लगा . मेरी बीवी उसके कपडे उतारने लगी . वह जब नंगा हो गया तरो मेरी बीवी ने झट से उसका लौड़ा पकड़ लिया और मुठीयाने लगी . वह बोली हाय लौड़ा बड़ा मस्त है . अब तुम भी खोलो न लण्ड ? मैं दोनों लण्ड एक साथ पकड़ कर चाटूंगी . मैं जब नंगा हुआ तो उसके सामने दो दो लण्ड टन टनाने लगे . वह बीच में बैठ कर बारी बारी से दोनों लण्ड चाटने लगी . मेरी बीवी की ख़ुशी थी .वह बोली आज मुझे महसूस हो रहा है  की मैं  किसी ब्लू फिल्म की हिरोइन है . मुझे चोदने के लिए कई हीरो अपना लण्ड खड़ा किये हुए लाईन लगाये खड़े है . बस इतने में उसने सागर अली का लौड़ा अपनी चूत में पेल कर चुदवाने लगी . और मेरा लण्ड मुह में लेकर चूसने लगी . फिर थोड़ी देर में उसने मेरा लण्ड अपनी बुर में पेल और उसका लण्ड चूसने लगी . उसे दो दो लण्ड से चुदाने का पूरा पूरा मज़ा आ रहा था . मैं उसे देख कर बहुत खुश था ,



हां एक बात जरुर नोटिस किया मैंने की मेरी बीवी सागर के लण्ड से ज्यादा मस्त होकर चुदवा रही है . 
जब वह झड़ने लगा तो रूपा ने मुह खोल  कर उसका सारा रस पी लिया . वह लण्ड पीते हुए बड़ी हसीन लगती है  चुदाई के बाद वह बोली हां आज मुझे चुदाने में सबसे ज्यादा मज़ा आया . सागर तो मेरी बीवी चोद कर चला गया .
 दूसरे दिन शाम को थोड़ी देर के लिए मैं बाज़ार चला गया . वापस आया तो मैंने घंटी बजाई . रूपा ने दरवाजा खोला . मैंने देखा की वह नंगी है . उसके बदन पर कपडे नहीं है . मैंने पूंछा तो वह बोली अन्दर आओ न मैं सब बताती हूँ . मैं अन्दर आया तो देखा की एक आदमी मेरे बिस्तर पर नंगा लेटा है . मैंने पूंछा रूपा ये सब क्या है . वह बोली यह है मेरे कॉलेज का दोस्त राबर्ट डिसोज़ा . अपने बगल वाले कमरे में आया है . जब वह दरवाजा खोल रहा था तो मैंने उसे पहचान लिया और अपने पास बुलाया . वह मुझे देख कर बड़ा खुश हुआ . कॉलेज के दिनों में मैंने एक बार उसका लौड़ा सिनेमा हाल में पकड़ा था और उसने मेरी चूंची दबाई थी . उसके बाद वह मुझे नहीं मिला  . आज इत्तिफाक है की वह इसी होटल में है . तुम जानते हो की मेरे ऊपर सेक्स सवार है मैंने इससे कहा यार आज तो अपना लौड़ा मुझे ठीक से दिखाओ . मैंने उसके लण्ड पर थप्पड़ मारा . मैंने जिप के अन्दर हाथ डाल  कर लण्ड बाहर निकाल लिया . लौड़ा मस्त निकला . फिर मैंने उसे नंगा किया और  उसने मुझे ? मैंने उसका लण्ड चाटना शुरू किया और उसने मेरी बुर चाटना . अब तुम आ गए हो चलो फिर कल की तरह चोदा चोदी  करते है ? मैं सहमत हो गया . फिर हम दोनों ने मिल कर रूपा को खूब चोदा .
राबर्ट बोला  :- यार मैं ब्लू फिल्म बनाता  हूँ . यहाँ कुछ लड़के और लड़कियों का इंटरव्यू लेने आया हूँ . मैं चाहता हूँ की तुम दोनों इस इंटरव्यू में बैठो . मैं मान गया . मेरी बीवी बहुत खुश हुई . उसने कहा मैं भी फिल्मो में काम करूंगी .
बस एक कमरे में हम तीन लोग बैठ गए . मेरी बीवी बीच में बैठी थी हम दोनों अगल बगल . सबसे पहले एक लड़की आयी .
मैंने पूंछा :- तुम्हारा नाम क्या है .और तुम्हारी उम्र क्या है ?
 वह बोली :- मैं स्वाति हूँ . मैं 22 साल की हूँ .
मैंने कहा :- तुम इस फिल्म में काम करने के लिए तैयार हो ?
वह बोली :- हां बिलकुल तैयार हूँ .
राबर्ट ने पूंछा :- चोदना किसे कहते है ?
वह बोली :- एक लड़का  एक  लड़की के साथ नंगे होकर आपस में लेट जाते है और ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,?
 राबर्ट बोला :- तो फिर क्या होता है  ? 
वह बोली :- बस इसका उसमे घुस जाता है उसी को चोदना कहते है .
 राबर्ट बोला :- साफ़ साफ़ बताओ न प्लीज ?
वह बोली :- मुझे  शर्म आती है .
 राबर्ट बोला  :- तो फिर आप जाईये मुझे शर्माने वाली लड़की नहीं चाहिए .
 वह चली गयी और दूसरी लड़की आ गयी .
मैंने उससे पूंछा :- आपका नाम और आप करती क्या है ?
उसने जबाब दिया :- मैं शिवानी हूँ . मैं काम ढूंढ रही हूँ .
 मैंने कहा :- आप किस तरह का काम चाहती है ?
वह बोली :- मैं किसी भी तरह का काम कर सकती हूँ .
मैंने कहा :- आपको कोई शर्म तो नहीं आएगी .
वह बोली :- मैं शर्माती नहीं हूँ . शर्म की माँ की चूत ?
मेरी बीवी ने पूंछा :- शिवानी,  भोषडा किसे कहते है ?
शिवानी :-  बड़ी उम्र की महिलाओं की चूत को भोषडा कहते है क्योंकि उनकी चूत चुदाते चुदाते  फ़ैल जाती है .
मेरी बीवी :-  बुर चोदने वाले यन्त्र को क्या कहते है ?
शिवानी :- "लण्ड" कहते है मेम ?
मेरी बीवी :- लण्ड कितने तरह के होते है ?
 शिवानी :- जितने तरह के मर्द उतने तरह के लण्ड होते है . कोई भी लण्ड दूसरे लण्ड से नहीं मिलता ?
राबर्ट :- तुमने अब तक कितने लण्ड पकडे है ?
 शिवानी :- गिना तो नहीं सर,  पर 4 /5 जुरुर  पकडे है .
 राबर्ट :- शिवानी, कुछ प्यारी प्यारी गालियाँ सुनाओ ?
 शिवानी :- तेरी माँ का भोषडा साले, तेरी बहन की बुर मादर चोद,  तेरी तो फट जाएगी गांड, मैं लगा दूँगी तेरे लण्ड में आग, भोषडी के  ? गांडू साले माँ के लौड़े,  तेरी बिटिया की बुर ?
मेरी बीवी :- एक आखिरी सवाल, तुम एक साथ कितने लण्ड का मज़ा लेते हुए चुदवा सकती हो .
शिवानी :- मेम, तीन लण्ड ? क्योंकि औरत के बदन में तीन होल होते है . एक चूत दूसरा गांड और तीसरा मुह 
राबर्ट :- मुबारक हो शिवानी . मैंने तुम्हे काम दे दिया . तुम मेरी फिल्म की हिरोइन बनोगी
.शिवानी बहुत खुश हो गयी उसके बाद एक लड़का आया . मैंने पूंछा तुम कौन हो और क्या करते हो ?
वह बोला  :- मैं अखिल हूँ और काम की तलास कर रहा हूँ .
मेरी बीवी बोली :- तुम कोई अश्लील काम कर सकते हो . अश्लील बातें कर सकते हो ?
उसने उत्तर दिया :- नहीं मेम मैं ऐसा नहीं कर सकता ?
राबर्ट ने :कहा - अब तुम जा सकते हो .
 दूसरा लड़का बड़ा  स्मार्ट था .
मेरी बीवी बोली :- तेरा नाम क्या है और तुम क्या करते हूँ ?
वह बोला  :- मैं आरिफ हूँ और कोई भी काम कर सकता हूँ .
 मेरी बीवी उसे मन ही मन चाहने लगी .
उसने पूंछा :- आरिफ तुम लड़की चोद सकते हो ?
उसने जबाब दिया :- हां चोद सकता हूँ मेम . मेरी उम्र 24 साल की है .
 मेरी बीवी :- क्या तेरी शादी हो चुकी है .
आरिफ :- हां हो चुकी है . दो साल हो गए है .
मेरी बीवी :- तुमने अपनी बीवी के अलावा किस किस को चोदा अभी तक ?


वह बोला  :- मैंने अपनी साली को चोदा,  अपनी खाला को चोदा, अपने दोस्त की बीवी को चोदा और अपनी गर्ल फ्रेंड को चोदा ?
मेरी बीवी :- तुमको सबसे अच्छी बुर किसकी लगी ?
आरिफ ने जबाब दिया :- अपनी साली की बुर ? बड़ी मस्तानी  है चूत उसकी ? वह जब जब आती है तो मुझसे चुदवा कर ही जाती है .
 राबर्ट बोला  :-  बहुत बहुत मुबारकबाद तुम्हे आरिफ तुम मेरी फिल्म के हीरो होगें . मैं तुम्हे काम देता हूँ .
बस उसके बाद मैं अपनी बीवी और राबर्ट के साथ नास्ता करने लगा .
 राबर्ट बोला  :- यार सुनो आज तुम शिवानी की बुर चोद कर देखो ? और बताओ की वह चुदवाने में कैसी है ?  और रूपा भाभी आरिफ से चुदवा कर देखेंगी की  वह कैसे चोदता है ?  फिर इन दोनों को हीरो हिरोइन बना कर शूटिंग शुरू की जाएगी ..
 उस रात मैंने जब शिवानी को नंगी किया और उसने मेरा नंगा लौड़ा पकड़ा तो हम दोनों की मस्ती का ठिकाना न था . मैंने दनादन्न उसे चोदा . उधर मेरे सामने मेरी बीवी रूपा आरिफ के लण्ड का मज़ा ले रही थी . वह भी थोड़ी देर में भकाभक चुदवाने लगी . आरिफ का लण्ड मेरे लण्ड के टक्कर का था इसलिए मुझे भी उससे अपनी बीवी चुदवाने में मज़ा आ रहा था .
 उसके बाद तो मेरी बीवी महा चुदक्कड़ औरत बन गयी . वह यूनिट के सभी लोगों से चुदवाने लगी . कैमरा मैंन से चुदवाने लगी, लाईट मैं से चुदवाने लगी . मेकप मैंन  से चुदवाने लगी और कहानी लिखे वाले से भी चुदवाने लगी . मैं भी कम न था . यूनिट की सभी लड़कियों  को मैं और राबर्ट मिलकर चोदने लगे .
मैंने सोचा की जब मेरी ऐय्यास है तो मैं क्यों पीछे रहूँ ? मैं भी धकाधक बुर चोदने में जुट गया .

Tuesday, 23 July 2013

सपने में सेक्स का मतलब क्या है ?

सपने हम सभी को आते हैं। घर के बड़े बुजुर्ग तो इन्हीं से जीवन को जोड़कर देखते हैं। मसलन, पका सपने में आम दिखाई दे तो घर में कोई स्त्री गर्भवती है, भोजन का सेवन कर रहे हों तो वह अशुभ का सूचक माना जाता है.. ऐसी तमाम कहानियां हैं जो समाज में प्रचलित हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सेक्स से जुड़े सपनों का भी अपना एक आधार होता है।

पार्टनर के साथः अगर कोई सपने में अपने पति/पत्नी या प्रेमी के साथ सेक्स करती हैं तो इसके दो अलग-अलग मतलब होते हैं। या तो आपका रिलेशन काफी बेहतर है या फिर आपको अपने पार्टनर से वह सब नहीं मिल रहा जो आप चाहते/चाहती हैं। सेक्सॉलजिस्ट कहते हैं कि ऐसा सपना आने पर पार्टनर से बात करके इसका कारण जानने की कोशिश करनी चाहिए।

पूर्व बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड के साथः अगर आप सपने में अपनी पूर्व गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स करती या करते हैं तो हो सकता है पुराने प्रेमी/प्रेमिका के साथ आपकी सेक्स लाइफ बहुत अच्छी रही हो। हो सकता है कि आप अपने नए साथी की तुलना पुराने साथी से ना करती हों लेकिन आपका अचेतन मन ऐसा करता है। अगर आप सिंगल है तो इसका मतलब है कि आप सेक्स मिस कर रहे हैं।
पसंदीदा स्टार के साथः अगर आप सपने में अपने किसी पसंदीदा स्टार के साथ सेक्स करते हैं तो इसका सीधा मतलब है कि आप अपने पार्टनर में और भी बहुत कुछ तलाश कर रहे हैं। आप उस स्टार का लुक और सक्सेस को अपने पार्टनर की खूबियों के साथ तौलते हैं।

समलैंगिक के साथः अगर आप खुद को समलैंगिक के साथ अंतरंग संबंध का सपना देखते हैं तो इसका मतलब है कि आप सेक्स के प्रति स्ट्रेट नहीं हैं। अगर आप यह सोचते हैं कि सेक्स को लेकर आपकी पसंद स्ट्रेट यानी पुरुष पार्टनर ही तो यह आपका भ्रम है। अगर यह सपना आपको बार-बार आए या आपको लगे कि आप अपनी रियल लाइफ में भी समलैंगिक के प्रति आकर्षित महसूस करते हैं तो इस मतलब है आपको आपकी सेक्स प्राथमिकताओं के बारे में फिर से विचार करना चाहिए।

अपने पार्टनर को धोखाः अगर आप सपने मे अपने पार्टनर को धोखा देते हैं तो इसका मतलब आपके रिलेशन में परेशानी आने वाली है। यह सपना अक्सर तब आता है जब रिलेशनशिप में कोई बडा चेंज होने जा रहा है। इस सपने का मतलब है कि आप अपने जीवन में होने वाले इस बडे चेंज को समझ नहीं पा रहे हैं और सोच रही हैं कि आप कैसे भविष्य में चीजों को मैनेज करेंगे। इस सपने का दूसरा मतलब यह है कि आपको अपने पार्टनर के साथ पूरा वक्त नहीं मिल रहा है और आपको उनके साथ इमोशन बॉडिंग की जरूरत है।

Monday, 22 July 2013

काकी सा की चुदाई

सर्दियों के दिन थे, मैं घर में अकेला था, जब मुझे सेक्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। मैं बहुत शरमीला था खासकर कि लड़कियों और औरतो से।
सुबह का खाना तो आंटी दे गई थी। रात को उन्होंने अपने पास बुलाया खाना खाने के लिए। रात का खाना खा कर आंटी सो गई। आन्टी भी घर में अकेली थी। अंकल रात में खेत पर गए थे। मैं अपने कमरे में था। पर मुझे नींद नहीं आ रही थी।


मैं आंटी के कमरे में गया तो मैंने देखा कि आंटी लहंगा और ब्लाऊज़ में सो रही थी। उन्हें देख कर मेरे शरीर में कम्पन से होने लगी। मेरा धीरे धीरे आंटी की तरफ बढ़ने लगा। मैं अपने आप को आंटी की तरफ़ जाने से रोक नहीं पा रहा था। आंटी देखने में बिल्कुल मस्त थी। मेरा लण्ड आंटी को देखते ही खड़ा हो गया था।
मेरा एक हाथ आंटी की टांग पर गया और धीरे धीरे आंटी के चूतड़ों तक पहुच गया। मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया. इतने में ही आंटी जाग गई। जैसी ही आंटी जगी मैं वहाँ से भाग लिया और अपने कमरे में आ गया।
थोड़ी देर बाद आंटी मेरे कमरे में आई और आते ही मुझ पर चिल्लाई- तुम क्या कर रहे थे?
मैं एकदम डर गया, मेरा चेहरा लाल हो गया। मैं चुप रहा, आंटी मन ही मन खुश हो रही थी! मैंने हिम्मत करके कहा- आंटी आगे से ऐसा नहीं होगा !
आंटी बोली- क्या नहीं होगा ?
मैंने मुंह नीचे झुका लिया, आंटी बोली- अब शरमा रहा हैं ! जब शर्म नहीं आई जब कर रहा था !
मैंने आंटी से कहा- आंटी ! मैंने जान बूझ कर नहीं किया! मैं अपने आप को रोक नहीं पाया आपको लहंगा ब्लाऊज़ में देख कर !
मेरा लण्ड फिर तन गया था, आंटी ने एक नज़र से ही उसे देख लिया था! आंटी बोल अब तूने मुझे गरम कर दिया हैं तुझे मेरी प्यास बु्झानी होगी।
मैंने कहा- आंटी मुझे क्या करना हैं !
आंटी ने कहा- मेरे कपड़े उतार !
मैं डर गया, मैंने कहा- नहीं आंटी !
आंटी ने कहा- उतार ! नहीं तो तेरी ऐसी तैसी करवा दूंगी !
मैंने फिर डरते डरते ब्लाउज उतारी, और फिर लहंगा, आंटी ने अपनी चूची मेरे हाथों में थमा दी कहा- ले बेटा मज़े कर !
मैं आंटी की चुचियों से सहलाने लगा और मसलने लगा। मेरे शरीर में एक अलग सा अनुभव हो रहा था ! आंटी के मुँह से आहह उह्ह स स स स स की आवाज़ आ रही थी।
धीरे धीरे मैं आंटी के शरीर को चूमने लगा। मेरा लण्ड एकदम सख्त हो गया था, आंटी ने नीचे कुछ नहीं पहना था मेरा एक हाथ आंटी की चूत में जा रहा था, आंटी एकदम गरम हो गई थी, और गालियाँ दे रही थी- चोद साले ! चोद मुझे !
आंटी ने मेरा लण्ड हाथ में ले लिया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए अब मैं और आंटी दोनों नंगे थे।
आंटी ने मुझसे पूछा कि तूने पहले कभी चुदाई की हैं?
मैंने कहा- नही !
तब आंटी ने कहा- अपना लण्ड मेरे नीचे वाले छेद में डालो !
मैंने पूरी कोशिश की लेकिन लण्ड चूत में नहीं घुस रहा था, तब आंटी ने अपनी गांड के नीचे तकिया लगाया, मुझे खड़ा करके लुंड घुसाने को कहा। इस बार लण्ड का सु्पाड़ा चूत में घुस गया, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ !
उसके बाद एक झटके में ही लण्ड पूरा आंटी की चूत में घुस गया ! तीन चार झटको में ही मैं झड़ गया।
तब आंटी ने बताया कि पहली बार ऐसा ही होता हैं, तुम सच बोल रहे थे कि तुम ने पहले चुदाई नहीं की हैं।
उस रात आंटी की तीन बार चुदाई की, फिर तो जब भी मौका मिलता में आंटी को चोदता।
अब हम अपने मकान में आ गए हैं। मैं आंटी को बहुत मिस करता हूँ !

Wednesday, 17 July 2013

नेपाली नोकरानी की चुदाई

मैं अभी अहमदाबाद में रहता हूं. बात ३ साल पहले की है, हमारा एक छोटा सा घर है, लेकिन मैं तो बड़े ठाट-बाट से रहता हूं. एक बार मैं और मेरा परिवार सब साथ में बैठे थे। हमारा एक नौकर था जिसका नाम पेमजी था। पापा ने कहा कि घर का काम करने के लिए एक औरत की जरुरत है, तो पेमजी ने कहा कि मेरे गांव में एक नेपाली है, उसका पति उसको छोड़ के भाग गया है, तो पापा ने कहा उसको यहाँ ले आ।

अगले दिन वह उसको लेने चला गया। शाम तक वह उसको ले के आ गया। हम सब वहीं बैठे थे। वो कसम से इतनी सुंदर थी आप तो जानते ही हो कि नेपाली कितने सुंदर होते हैं। तो पापा ने उससे थोड़ी पूछ ताछ की, फ़िर उस दिन से वह हमारे यहाँ काम करने लगी. मेरा तो मन उस पर आ ही गया था, अब तो मैं बस समय का इंतजार कर रहा था।

उसका नाम रेनू था. उसकी उम्र ३२ के आसपास होगी लेकिन अगर आप उसके ब्रेस्ट देखो तो आपका भी खड़ा हो जाए। वह उनको अपने ब्लाउज में छुपा भी नहीं पाती थी। उसको अपनी साड़ी का पल्लू उस पर ढकना पड़ता था. एक बार रात को सब सो गए, फ़िर मैंने सोचा कि शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी।

मैं धीरे से खांसा तो उसकी नींद नही खुली. मैंने सोचा कि अब क्या करू? मैं थोड़ा तेज खांसा. फ़िर उसकी नींद खुल गई, उसको हम हमारे कमरे में ही सुलाते थे। मैं, मेरी दादी और रेनू हम तीन एक कमरे में सोते थे और पापा मम्मी अलग कमरे में सोते थे। मैंने एक बार और खांसा तो वो उठी और मेरे लिए पानी लेकर आई। मैं पानी पीते हुए उसके बूब्स को देख रहा था तो उसने मुझे देख लिया. उसने अपनी साड़ी का पल्लू उस पर ढक लिया. मैंने तुंरत उसके सामने देखा, मुझे हंसी आ गई वह भी हलके से मुस्कुरा दी। फ़िर वह सो गई मेरा हाथ तो मेरे लंड पर था सोच रहा था कि उसकी चूत के दर्शन कब होंगे।

अगले दिन मैं दुकान से पहले ही कंडोम लेकर आया। रात के ८ बजे थे, वह दादी के बाल बना रही थी। मैंने कहा मेरे भी बना दो ! उस समय मेरे बाल लंबे थे, मैं तेल की शीशी लेकर आया और उसको दे दी तो उसने कहा- इसका मैं क्या करूं?

मैंने कहा- मेरे बालों पर तेल से मालिश कर दो तो वो मेरे पीछे बैठ गई, मैं उसके आगे पीठ करके बैठ गया, दादी अन्दर वाले कमरे में चली गई तो मैंने अपने सर से उसको बूब्स पर स्पर्श किया वो पीछे हो गई। मैंने थोडी देर बाद फ़िर ऐसा किया लेकिन इस बार वह पीछे नही हुई। मैंने थोडी देर तक ऐसे ही किया तो कहने लगी कि ये क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- मालिश करवा भी रहा हूं और कर भी रहा हूं, तो वो हंस पड़ी। मैंने कहा- रात को मैं आऊंगा तो वह मना करने लगी, बोली- तुम्हारी दादी यही पर है।

मैंने कहा- मैं जब खांसु, तब तुम अन्दर वाले कमरे में चली जाना।

उसने कहा- नही किसी को पता चल गया तो मुझे नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

मैंने कहा- उसकी चिंता तुम मत करो। देखो तुम्हारा पति भी तुमको जवानी में छोड़ कर चला गया है। मुझे पता है इच्छा तो तुमको भी होती ही होगी, लेकिन वह कुछ बोली नही, फ़िर वो वहा से उठ कर चली गई।

रात को मैं जल्दी सो गया था। मैं करीबन २ बजे उठा तब तक घर में सब सो चुके थे। रेनू भी सो गई थी, मैं खांसा लेकिन वह नही उठी। मैं फ़िर से जोर से खांसा तो उसकी नींद खुल गई। हल्का सा उजाला था कमरे में, दादी दूसरी तरफ़ मुह करके सोई थी। मैंने उसको अन्दर का इशारा किया, लेकिन वह तो डरी हुई थी तो मैं ख़ुद अन्दर चला गया और ।उसको इशारे में कहा अन्दर आ जाना।

थोडी देर बाद वह अन्दर आई और बोली- क्या है सो जाओ कोई जग गया तो?

मैंने कहा कुछ नही होगा।

उसने मेरे दोनों गाल दबाए और कहा कि तुम बहुत शरारती हो। मेरी उम्र 21 साल की है। वह मुझसे १२ साल बड़ी है. मैंने अपने हाथ उसके गालों पर रखे तो उसने अपनी आंखे बंद कर ली। मैंने अपने हाथ धीरे धीरे नीचे किए तो वह सकपकाने लगी। अब मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे और उनको अहिस्ता अहिस्ता दबा रहे थे उसने मेरी तरफ़ देखा और मेरे होटों को अपने मुह में ले लिया। वह वो नमकीन स्वाद तो मुझे आज भी याद है।

मैं उसके बूब्स को थोड़ा जोर से दबाने लगा तो वह स्स्स्स्स की आवाज निकलने लगी। उसने मेरा मुंह पकड़ा और अपने गोल गोल पहाड़ जैसे बूब्स पर घुसा दिया। मैं उनको मदमस्त हो कर चूमने लगा, मुझे तो मानो प्यासे को पानी मिल गया जैसी हालत हो चुकी थी। ओम्म्म्म्म ओम्म्म करके मैं तो लगा हुआ था धीरे धीरे पर वो बोली खा जाओ इनको। दोनों हाथ से दबाता हुआ उनको चूस रहा था और वह मेरा सर पकड़ के उसमे दबा रही थी।

मेरा लंड तो इतना टाइट हो चुका था मानो जैसे सरिया. और वह हलके से उसकी चूत पर छुआ, थोडी देर तक मैं ऐसे ही उसके बूब्स चाटता रहा। अचानक उसका हाथ मेरे लंड पर आया और उसको मसलने लगा मुझे तो इतना मजा आ रहा था उसका इतना कोमल हाथ मेरे टाइट लंड को छू रहा था। उसने उस समय साड़ी पहनी थी। मैंने उसका ब्लाउज अभी तक खोला नही था।

मैंने धीरे से अपने एक हाथ से उसका घगरा ऊँचा किया तो पता चला कि उसने अन्दर चड्डी नही पहनी है। मेरा हाथ उसके हिप्स पर था मैंने उसके अभी तक कपडे उतारे नही थे। मैं उसी समय नीचे बैठा और उसके घगरे के अन्दर घुस गया। वो बोली- क्या कर ऽऽऽ ! इतना बोली उसके बाद बोली आआह्ह्छ आःह्छ ह्ह्ह्म्म्म्म्ह्ह्म्म्म उस समय मैं उस की चूत चाट रहा था। वह धीरे धीरे नीचे बैठने लगी और अपने दोनों हाथों से घगरे को ऊँचा करती हुई लेट गई। मैंने उसकी दोनों हाथों से टांगे फ़ैला दी लेकिन अपना मुह उसकी चूत से नही हटाया। वो भी मेरे मुंह को अपनी चूत में दबा रही थी, बार बार अपनी कमर ऊँची करती फ़िर नीचे रखती और ह्म्म्म्ह्म्म्म्ह्म्म की आवाजे निकालती।

वह अपने घगरे का नाड़ा खोल रही थी और मैं उसकी चूत में मस्त था। उसने कहा- बस करो, अब मेरी बारी है।

मैंने कहा- क्या मतलब?

उसने मुझे एक झटके में अपने नीचे ले लिया। अब मैं उसके नीचे था और वो मेरे ऊपर। वो मेरे होटों को चूमती हुई मेरे सीने को चूमने लगी और धीरे धीरे मेरे लंड के उपर वाली जगह को चूमने लगी फ़िर उसने मेरे दोनों हाथ पकडे और मेरे खड़े लंड को अपने मुंह में ले लिया और हलके से काटने लगी।

मैंने कहा- यह आइसक्रीम थोड़े ही है?

उसने मेरा लंड इतना चूसा कि वह झड़ने की तैयारी में आ गया। मैंने कहा- मैं झड़ जाऊंगा तो वो बोली रुको अभी मत झड़ो। उसने मुझे अपने ऊपर आने के लिए कहा। मैं उसके ऊपर आ गया और उसके मुंह के दोनों तरफ़ टांगे रख के उसके मुह में अपना लंड डाल दिया। वो दोनों हाथों से मेरे लंड को हिलाती भी रही और जोर जोर से चूसने भी लगी।

मैं अब झड़ने वाला हूं, तो वो बोली- हां ! अब झड़ जाओ और मेरा लंड एक दम से पिचकारी छोड़ने लगा। मैं देखता ही रह गया, उसने एक भी बूंद को बाहर जाने नही दिया, सारा का सारा रस पी गई।

फ़िर उसने अपना ब्लाउज खोला और मुझे कहा- अन्दर से थोड़ा तेल लेकर आओ। मैंने अपना पेंट चढाया और नारियल तेल की शीशी लेकर आया उसने अपने हाथ में थोड़ा तेल लिया और मेरे लंड पर लगाने लगी।

मैंने बोला- इससे क्या होगा?

तो कहने लगी- इतने समय बाद चुदवा रही हूं दर्द नहीं होगा क्या ! इसको लगाने से दर्द नही होगा।

उसके खुले बूब्स मुझे तेल लगाते समय तेज तेज हिल रहे थे, उनको देख कर मेरा लंड फ़िर से हरकत में आने लगा और थोडी ही देर में तन तना गया।

मैंने अपने दोनों हाथ से उसके बूब्स को दबाना चालू किया और कहा कि तुम्हारे बूब्स इतने बड़े क्यों हैं?

तो वो बोली- तेरे लिए ही किए है मेरे राजा, उसने फ़िर से मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और जी भर के चूसने के बाद बोली- लो अब अच्छा चिकना हो गया है इसको चूत का रास्ता दिखा दो और और अपने दोनों हाथ से अपनी टांगे फ़ैला दी।

मैंने कहा- वाह ! कितनी उभरी हुई चूत है तुम्हारी !

तो वो बोली- अब बस करो, मत तड़पाओ, डाल दो।

मैंने अपने टॉप पर थोड़ा सा थूक लगाया और उसके अन्दर डाला। उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा हुआ था और उसको छेद बता रही थी। लंड को छेद मिल गया था, धीरे से मैंने उसको झटका दिया तो स्स्स्स करने लगी।

मैंने जोर से झटका दिया तो आआआ करके चिल्लाने लगी। मैंने कहा- क्या कर रही हो, सब जग जायेंगे। तो बोली थोड़ा धीरे करो। मैंने अपना हाथ उसके मुंह पर रखा और दो तीन झटके जोर से दे दिए। उसकी आवाज तो नहीं निकली लेकिन आंख से पानी निकल गया। अब मैं धीरे धीरे झटके मारने लगा देखा अब उसको मजा आ रहा है तो अपने झटकों की गति को बढाया अब तो वह कहने लगी," और जोर से डालो फाड़ डालो इसको और जोर से।"

अब तो मैं और जोश में आ गया था। करीबन ५ -७ मिनट मैंने उसको वैसे चोदा और कहा कि अब तुम खड़ी हो जाओ। वह खड़ी हो गई मैंने उसको घुमा दिया और आगे से झुका दिया।

अब मैं पीछे से उसकी चूत में लंड डालने लगा उसके हिप्स बार बार मेरे लंड के साइड में लग रहे थे उससे इतना मजा आ रहा था, मेरे दोनों हाथ उसकी कमर में थे और उसको बार बार मेरी और खीच रहे थे। आगे से उसके स्तनों की घंटी बज रही थी वह धम धम करके इतने तेज हिल रहे थे।

मैंने उसको कहा कि अब मैं नीचे लेट जाता हूं और तुम ऊपर आ जाओ। फ़िर मैं नीचे लेट गया और वह ऊपर आ गई ऊपर बैठ कर उसने जैसे ही मेरे लंड को अपने अन्दर डाला फ़िर बोली अब देख मैं तुझको कैसे चोदती हूं ! मेरे मुंह की तरफ़ अपना मुह लाकर जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी। मैं आ हह आह्ह कर रहा था लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसको कहा- मैं झड़ने वाला हूं तो वो बोली मैं भी झड़ने वाली हूं, लो मैं तो झड़ गई ! वो पूरी तरह से झड़ चुकी थी।

मेरा लंड ऊपर से ले के नीचे तक पूरा चिकना हो गया लेकिन उसने अपनी रफ्तार रोकी नहीं। मैंने कहा- बस अब आने वाला है वह तुंरत उठी और मुझे खड़ा कर दिया और हाथ से हिलाती हुई मेरे रस का इंतजार करने लगी। मैंने कहा- वह तो फ़िर से चला गया अब मुझे खड़ा कर दिया है तो अपने मुंह में चुदवा लो। मैंने एक हाथ से उसके सारे बाल पकड़े और उसके मुंह में लंड अन्दर बाहर करने लगा। थोडी ही देर में मैं झड़ गया उसने सारा रस पी लिया।

मैं पहले कपडे पहन कर अन्दर आ गया वह बाद में अन्दर आई और हम एक दूसरे के सामने हंस के देख कर सो गए।

बेचैन निगाहें


मेरी शादी हुए दो साल हो चुके हैं। मेरी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी।मेरे पति बहुत ही अच्छे हैं, वो मेरी हर इच्छा को ध्यान में रखते हैं। मेरी पढ़ाई की इच्छा के कारण मेरे पति ने मुझे कॉलेज में फिर सेप्रवेश दिला दिया था। उन्हें मेरे वास्तविक इरादों का पता नहीं था किइस बहाने मैं नए मित्र बनाना चाहती हूँ। मैं कॉलेज में एडमिशन लेकर बहुत खुश हूँ। मेरे पति बी.एच.ई.एल. में कार्य करते हैं। उन्हें कभीकभी उनके मुख्य कार्यालय में कार्य हेतु शहर भी बुला लिया जाता है। उन दिनों मुझे बहुत अकेलापन लगता है। कॉलेज जाने से मेरी पढ़ाई भी होजाती है और समय भी अच्छा निकल जाता है। धीरे धीरे मैंने अपने कई पुरुष मित्र भी बना लिए हैं।कई बार मेरे मन में भी आता था कि अन्य लड़कियों की तरह मैं भी उन मित्रों लड़को के साथ मस्ती करूँ, पर मैं सोचती थी कि यह काम इतना आसान नहीं है। ऐसा काम बहुत सावधानी से करना पड़ता है, जरा सी चूक होने पर बदनामी हो जाती है। फिर क्या लड़के यूँ ही चक्कर में आ जाते है, हाँ, लड़के फ़ंस तो जाते ही है। छुप छुप के मिलना और कहीं एकान्तमिल गया तो पता नहीं लड़के क्या न कर गुजरें। उन्हें क्या हम तो चुद ही जायेंगी ना। आह !फिर भी जाने क्यूँ कुछ ऐसा वैसा करने को मन मचल ही उठता है, शायद नए लण्ड खाने के विचार से। लगता है जवानी में वो सब कुछ कर गुजरें जिसकीमन में तमन्ना हो। पराये मर्द से शरीर के गुप्त अंगों का मर्दन करवाना, पराये मर्द का लण्ड मसलना, मौका पाकर गाण्ड मरवाना, प्यासी चूत का अलग अलग लण्डों से चुदवाना ...। फिर मेरे मस्त उभारों का बेदर्दी से मर्दन करवाना ...धत्त ! यह क्या सोचने लगी मैं? भला ऐसा कहीं होता है ? मैंने अपना सर झटका और पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश करने लगी। पर एक बार चूत को लण्ड का चस्का लग जाए तो चूत बिना लण्ड लिए नहीं मानती है, वो भी पराये मर्दों के लिए तरसने लगती है, जैसे मैं ... अब आपको कैसे समझाऊँ, दिल है कि मानता ही नहीं है। यह तो आप सभी ही समझते हैं।मेरी कक्षा में एक सुन्दर सा लड़का था, उसका नाम संजय था, जो हमेशा पढ़ाई में अव्वल आता था। मैंने मदद के लिए उससे दोस्ती कर ली थी। उससे मैं नोट्स भी लिया करती थी।एक बार मैं संजय से नोट्स लेकर आई और उसे मैंने मेज़ पर रख दिए। भोजनवगैरह तैयार करके मैं पढ़ने बैठी। कॉपी के कुछ ही पन्ने उलटने के बादमुझे उसमें एक पत्र मिला। उसे देखते ही मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी चल गई। क्या प्रेम पत्र होगा... जी हाँ... संजय ने वो पत्र मुझे लिखा था। मेरा मन एक बार तो खुशी से भर गया।जैसा मैंने सोचा था ... उसमें उसने अपने प्यार का इज़हार किया था। बहुत सी दिलकश बातें भी लिखी थी। मेरी सुन्दरता और मेरी सेक्सी अदाओंके बारे में खुल कर लिखा था। उसे पढ़ते समय मैं तो उसके ख्यालों में डूब गई। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मुझसे प्यार करने लगेगा और यूँ पत्रों के द्वारा मुझे अपने दिल की बात कहेगा।मेरे जिस्म में खलबली सी मचने लगी। चूत में मीठा सा रस निकल आया। फिरमुझे लगा कि मेरे दिल में यह आने लगा ... मैं तो शादीशुदा हूँ, परायेमर्द के बारे में भला कैसे सोच सकती हूँ। पर हे राम, इस चूत का क्या करूँ। वो पराया सा भी तो नहीं लग रहा था।तभी अचानक घर की घण्टी बजी। बाहर देखा तो संजय था ... मेरा दिल धक सेरह गया। यह क्या ... यह तो घर तक आ गया, पर उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रही थी।"क्या हुआ संजय?" मैं भी उसके हाल देख कर बौखला गई।"वो नोट्स कहाँ हैं शीला?" उसने उखड़ती आवाज में कहा।"वो रखे हुए हैं ... क्यों क्या हो गया?"वो जल्दी से अन्दर आ गया और कॉपी देखने लगा। जैसे ही उसकी नजर मेज़ पर रखे पत्र पर पड़ी ... वो कांप सा गया। उसने झट से उसे उठा लिया औरअपनी जेब में रख लिया।"शीलू, इसे देखा तो नहीं ना ... ?""हाँ देखा है ... क्यूँ, क्या हुआ ...? अच्छा लिखते हो !""सॉरी ... सॉरी ... शीलू, मेरा वो मतलब नहीं था, ये तो मैंने यूँ हीलिख दिया था।" उसका मुख रुआंसा सा हो गया था।"इसमें सॉरी की क्या बात है ... तुम्हारे दिल में जो था... बस लिख दिया...। अच्छा लिखा था ... कोई मेरी इतनी तारीफ़ करे ... थैंकयू यार, मुझे तो बहुत मजा आया अपनी तारीफ़ पढ़कर !""सॉरी ... शीला !" उसे कुछ समझ में नहीं आया। वो सर झुका कर चला गया।मैं उसके भोलेपन पर मुस्करा उठी। उसके दिल में मेरे लिए क्या भावना है मुझे पता चल गया था। रात भर बस मुझे संजय का ही ख्याल आता रहा। हाय राम, कितना कशिश भरा था संजय... काश ! वो मेरी बाहों में होता। मेरी चूत इस सोच से जाने कब गीली हो गई थी।संजय ने मेरे स्तन दबा लिए और मेरे चूतड़ो में अपना लण्ड घुस दिया। मैं तड़प उठी। वो मुझसे चिपका जा रहा था, मुझे चुदने की बेताबी होने लगी।'क्या कर रहे हो संजू ... जरा मस्ती से ... धीरे से...'मैंने घूम कर उसे पकड़ लिया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मेरा शरीर ठण्ड से कांप उठा। मैंने उसके शरीर को औरजोर से दबा लिया। मेरी नींद अचानक खुल गई। जाने कब मेरी आँख लग गई थी... ठण्ड के मारे मैं रज़ाई खींच रही थी ... और एक मोहक सा सपना टूटगया। मैंने अपने कपड़े बदले और रज़ाई में घुस कर सो गई। सवेरे मेरे पति नाईट ड्यूटी करके आ चुके थे और वो चाय बना रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर बाकी काम पूरा किया और चाय के लिए बैठ गई।कॉलेज में आज संजय मुझसे दूर-दूर भाग रहा था, पर कैन्टीन में मैंने उसे पकड़ ही लिया। उसकी झिझक मैंने दूर कर दी। मेरे दिल में उसके लिएप्रेम भाव उत्पन्न हो चुका था। वो मुझे अपना सा लगने लगा था। मेरे मनमें उसके लिए भावनाएँ पैदा होने लगी थी।"मैंने आप से माफ़ी तो मांग ली थी ना?" उसने मायूसी से सर झुकाए हुए कहा।"सुनो संजय, तुम तो बहुत प्यारा लिखते हो, लो मैंने भी लिखा है, देखोअकेले में पढ़ना !" मैंने उसकी ओर देख कर शर्माते हुए कहा।उसे मैंने एक कॉपी दी, और उठ कर चली आई। काऊन्टर पर पैसे दिए और घूम कर संजय को देखा। वो कॉपी में से मेरा पत्र निकाल कर अपनी जेब में रखरहा था। हम दोनों की दूर से ही नजरें मिली और मैं शर्मा गई।उसमें मर्दानगी जाग गई ... और फिर एक मर्द की तरह वो उठा और काऊन्टर पर आकर उसने मेरे पैसे वापस लौटाए औए स्वयं सारे पैसे दिए। मैं सर झुकाए तेजी से कक्षा में चली आई। पूरा दिन मेरा दिल कक्षा में नहीं लगा, बस एक मीठी सी गुदगुदी दिल में उठती रही। जाने वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा।रात को मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई, मैं अनमनी सी हो उठी। हाय ... उसे मैंने रात को क्यों बुला लिया ? यह तो गलत है ना ! क्या मैं संजय परमरने लगी हूँ? क्या यही प्यार है? हाय ! वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा, क्या मुझे चरित्रहीन कहेगा? या मुझे भला बुरा कहेगा। जैसे जैसे उसके आने का समय नजदीक आता जा रहा था, मेरी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि मैं पड़ोसी के यहाँ भाग जाऊँ, दरवाजा बन्द देख कर वह स्वतः ही चला जायेगा। बस ! मुझे यही समझ में आया और मैंने ताला लिया और चल दी।जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो दिल धक से रह गया। संजय सामने खड़ा था।मेरा दिल जैसे बैठने सा लगा।"अरे मुझे बुला कर कहाँ जा रही हो?""क्... क... कहां भला... कही नहीं ... मैं तो ... मैं तो ..." मैंबदहवास सी हो उठी थी।"ओ के, मैं कभी कभी आ जाऊँगा ... चलता हूँ !" मेरी चेहरे पर पड़ी लटों को उंगली से एक तरफ़ हटाते हुए बोला।"अरे नहीं... आओ ना... वो बात यह है कि अभी घर में कोई नहीं है..."मैं हड़बड़ा सी गई। सच तो यह था कि मुझे पसीना छूटने लगा था।"ओह्ह ... आपकी हालत कह रही है कि मुझे चला जाना चाहिए !"मैंने उसे अन्दर लेकर जल्दी से दरवाजा बन्द कर दिया और दरवाजे पर पीठलगा कर गहरी सांसें लेने लगी।"देखो संजू, वो खत तो मैंने ऐसे ही लिख दिया था ... बुरा मत मानना..." मैंने सर झुका कर कहा।उसका सर भी झुक गया। मैंने भी शर्म से घूम कर उसकी ओर अपनी पीठ कर ली।"पर आपके और मेरे दिल की बात तो एक ही है ना ..." उसने झिझकते हुए कहा।मुझे बहुत ही कोफ़्त हो रही थी कि मैंने ऐसा क्यूँ लिख दिया। अब एक पराया मर्द मेरे सामने खड़ा था। मुझे बार बार कुछ करने को उकसा रहा था। उसकी भी भला क्या गलती थी। तभी संजय के हाथों का मधुर सा स्पर्श मेरी बाहों पर हुआ।"शीलू जी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो...!" उसने प्रणय निवेदन कर डाला।यह सुनते ही मेरे शरीर में बर्फ़ सी लहरा गई। मेरी आँखें बन्द सी हो गई।"य... यह ... क्या कह रहे हो? ऐसा मत कहो ..." मेरे नाजुक होंठ थरथरा उठे।"मैं ... मैं ... आपसे प्यार करने लगा हूँ शीलू जी ... आप मेरे दिलमें बस गई हो !" उसका प्रणय निवेदन मेरी नसों में उतरता जा रहा था। वो अपने प्यार का इजहार कर रहा था। उसकी हिम्मत की दाद देनी होगी।"मैं शादीशुदा हूँ, सन्जू ... यह तो पाप... अह्ह्ह्... पाप है ... " मैं उसकी ओर पलट कर उसे निहारते हुए बोली।उसने मुझे प्यार भरी नजरों से देखा और मेरी बाहों को पकड़ कर अपनी ओरखींच लिया। मैं उसकी बलिष्ठ बाहों में कस गई।"पत्र में आपने तो अपना दिल ही निकाल कर रख दिया था ... है ना ! यहीदिल की आवाज है, आपको मेरे बाल, मेरा चेहरा, सभी कुछ तो अच्छा लगता है ना?" उसने प्यार से मुझे देखा।"आह्ह्ह ... छोड़ो ना ... मेरी बांह !" मैं जानबूझ कर उसकी बाहों में झूलती हुए बोली।"शीलू जी, दिल को खुला छोड़ दो, वो सब हो जाने दो, जिसका हमें इन्तज़ार है।"उसने अपने से मुझे चिपका लिया था। उसके दिल की धड़कन मुझे अपने दिल तक महसूस होने लगी थी। पर मेरा दिल अब कुछ ओर कहने लगा था। यह सुहानीसी अनुभूति मुझे बेहोश सी किए जा रही थी। सच में एक पराये मर्द का स्पर्श में कितना मधुर आनन्द आता है ... यह अनैतिक कार्य मुझे अधिक रोमांचित कर रहा था ... । उसके अधर मेरे गुलाबी गोरे गालों को चूमने लगे थे। मैं बस अपने आप को छुड़ाने की जानकर नाकामयाब कोशिश बस यूँ ही कर रही थी। वास्तव में मेरा अंग अंग कुचले और मसले जाने को बेताब होने लगा था। अब उसके पतले पतले होंठ मेरे होंठों से चिपक गए थे।आह्ह्ह्ह ...... उसकी खुशबूदार सांसें ...उसके मुख से एक मधुर सी सुगंध मेरी सांसों में घुल गई। धीरे धीरे मैंअपने आप को उसको समर्पण करने लगी थी। उसके अधर मेरे नीचे के अधर को चूसने लगे थे। फिर उसकी लपलपाती जीभ मेरे मुख द्वार में प्रवेश कर गईऔर मेरी जीभ से टकरा गई। मैंने धीरे से उसकी जीभ मुख में दबा ली और चूसने लगी। मैं तो शादीशुदा थी... मुझे इन सेक्सी कार्यों का बहुत अच्छा अनुभव था... और वो मैं कुशलता से कर लेती थी। उसके हाथ मेरे जिस्म पर लिपट गए और मेरी पीठ, कमर और चूतड़ों को सहलाने लगे। मेरे शरीर में बिजलियाँ तड़कने लगी। उसका लण्ड भी कड़क उठा और मेरे कूल्हों से टकराने लगा। मेरा धड़कता सीना उसके हाथों में दब गया। मेरे मुख से सिसकारी फ़ूट पड़ी। मैंने उसे धीरे से अपने से अलग कर दिया।"यह क्या करने लगे थे हम ...?" मैं अपनी उखड़ी सांसें समेटते हुई जान करके शर्माते हुए नीचे देखते हुए बोली।"वही जो दिल की आवाज थी ... " उसकी आवाज जैसे बहुत दूर से आ रही हो।"मैं अपने पति का विश्वास तोड़ रही हूँ ना ... बताओ ना?" मेरा असमंजस चरम सीमा पर थी, पर सिर्फ़ उसे दर्शाने के लिए कि कहीं वो मुझे चालू ना समझ ले।"नहीं, विश्वास अपनी जगह है ... जिससे पाने से खुशी लगे, उसमें कोई पाप नहीं है, खुशी पाना तो सबका अधिकार है ... दो पल की खुशी पाना विश्वास तोड़ना नहीं होता है।""तुम्हारी बातें तो मानने को मन कर रहा है ... तुम्हारे साथ मुझे बहुत आनन्द आ रहा है, पर प्लीज संजू किसी कहना नहीं..." मैंने जैसे समर्पण भाव से कहा।"तो शर्म काहे की ... दो पल का सुख उठा लो ... किसी को पता भी नहीं चलेगा... आओ !"मैं बहक उठी, उसने मुझे लिपटा लिया। मेरा भी उसके लण्ड को पकड़ने का दिल कर रहा था। मैंने भी हिम्मत करके उसके पैंट की ज़िप में हाथ घुसादिया। उसका लण्ड का आकार भांप कर मैं डर सी गई। वो मुझे बहुत मोटा लगा। फिर मैं उसे पकड़ने का लालच मैं नहीं छोड़ पाई। उसे मैंने अपनी मुट्ठी में दबा लिया। मैं उसे अब दबाने-कुचलने लगी। लण्ड बहुत ही कड़ा हो गया था। वो मेरी चूचियाँ सहलाने लगा ...एक एक कर के उसने मेरे ब्लाऊज के बटन खोल दिये। मेरी स्तन कठोर हो गएथे। चुचूक भी कड़े हो कर फ़ूल गए थे। ब्रा के हुक भी उसने खोल दिए थे। ब्रा के खुलते ही मेरे उभार जैसे फ़ड़फ़ड़ा कर बाहर निकल कर तन गये। जवानी का तकाजा था ... मस्त हो कर मेरा एक एक अंग अंग फ़ड़क उठा। मेरे कड़े स्तनाग्रों को संजू बार बार हल्के से घुमा कर दबा देता था।मेरे मन में एक मीठी सी टीस उठ जाती थी। चूत में से धीरे धीरे पानी रिसने लगा था। भरी जवानी चुदने को तैयार थी। मेरी साड़ी उतर चुकी थी,पेटिकोट का नाड़ा भी खुल चुका था। मुझे भला कहाँ होश था ... उसने भी अपने कपड़े उतार दिए थे। उसका लण्ड देख देख कर ही मुझे मस्ती चढ़ रहीथी।उसके लण्ड की चमड़ी धीरे से खोल कर मैंने ऊपर खींच दी। उसका लाल फ़ूला हुआ मस्त सुपाड़ा बाहर आ गया, मैंने पहली बार किसी का इस तरह लाल सुर्ख सुपाड़ा देखा था। मेरे पति तो बस रात को अंधेरे में मुझे चोद कर सो जाया करते थे, इन सब चीज़ों का आनन्द मेरी किस्मत में नहींथा। आज मौका मिला था जिसे मैं जी भर कर भोग लेना चाहती थी।इस मोटे लण्ड का भोग का आनन्द पहले मैं अपनी गाण्ड से आरम्भ करना चाहती थी, सो मैंने उसका लण्ड मसलते हुए अपनी गाण्ड उसकी ओर कर दी।"संजय, 19 साल का मुन्ना, मेरे 21 साल के गोलों को मस्त करेगा क्या?""शीलू ... इतने सुन्दर, आकर्षक गोलों के बीच छिपी हुई मस्ती भला कौननहीं लूटना चाहेगा, ये चिकने, गोरे और मस्त गाण्ड के गोले मारने में बहुत मजा आयेगा।"मैं अपने हाथ पलंग पर रख कर झुक गई और अपनी गाण्ड को मैंने पीछे उभारदिया। उसके लाल सुपाड़े का स्पर्श होते ही मेरे जिस्म में कंपकंपी सीफ़ैल गई। बिजलियाँ सी लहरा गई। उसका सुपाड़े का गद्दा मेरे कोमल चूतड़ों के फ़िसलता हुआ छेद पर आ कर टिक गया। कैसा अच्छा सा लग रहा था उसके लण्ड का स्पर्श। उसके लण्ड पर शायद चिकनाई उभर आई थी, हल्के से जोर लगाने पर ही फ़क से अन्दर उतर गया था। मुझे बहुत ही कसक भरा सुन्दर सा आनन्द आया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी ... और अन्दर उतरने की आज्ञा दे दी। मेरे कूल्हों को थाम कर और थपथपा कर उसने मेरेचूतड़ों के पट को और भी खींच कर खोल दिया और लण्ड भीतर उतारने लगा।"शीलू जी, आनन्द आया ना ... " संजू मेरी मस्ती को भांप कर कहा।"ऐसा आनन्द तो मुझे पहली बार आया है ... तूने तो मेरी आँखें खोल दी है यार... और यह शीलू जी-शीलू जी क्या लगा रखा है ... सीधे से शीलूबोल ना।"मैंने अपने दिल की बात सीधे ही कह दी। वो बहुत खुश हो गया कि इन सभी कामों में मुझे आनन्द आ रहा है।"ले अब और मस्त हो जा..." उसका लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा उतर चुका था। मोटा लण्ड था पर उतना भी नहीं मोटा, हाँ पर मेरे पति से तो मोटा ही था। मंथर गति से वो मेरी गाण्ड चोदने लगा। उजाले में मुझे एक आनन्दित करती हुई एक मधुर लहर आने लगी थी। मेरे शरीर में इस संपूर्ण चुदाई से एक मीठी सी लहर उठने लगी ... एक आनन्ददायक अनुभूति होने लगी। जवान गाण्ड के चुदने का मजा आने लगा। दोनों चूतड़ों के पट खिले हुये, लण्ड उसमें घुसा हुआ, यह सोच ही मुझे पागल किए दे रही थी। वो रह रह कर मेरे कठोर स्तनों को दबाने का आनन्द ले रहा था ... उससे मेरी चूत की खुजली भी बढ़ती जा रही थी। चुदाई तेज हो चली थी पर मेरी गाण्ड की मस्ती भी और बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि कही संजय झड़ ना जाए सो मैंने उसे चूत मारने को कहा।"संजू, हाय रे अब मुझे मुनिया भी तड़पाने लगी है ... देख कैसी चू रही है..." मैंने संजय की तरफ़ देख कर चूत का इशारा किया।"शीलू, गाण्ड मारने से जी नहीं भर रहा है ... पर तेरी मुनिया भी प्यासी लग रही है।"उसने अपना हाथ मेरी चूत पर लगाया तो मेरा मटर का फ़ूला हुआ मोटा दानाउसके हाथ से टकरा गया।"यह तो बहुत मोटा सा है ... " और उसको हल्के से पकड़ कर हिला दिया।"हाय्य्य , ना कर, मैं मर जाऊँगी ... कैसी मीठी सी जलन होती है..." मैंने जोर की सिसकी भरी।उसका लण्ड मेरी गाण्ड से निकल चुका था। उसका हाथ चूत की चिकनाई से गीला हो गया था। उसने नीचे झुक कर मेरी चूत को देखा और अंगुलियों से उसकी पलकें अलग अलग कर दी और खींच कर उसे खोल दिया।"एकदम गुलाबी ... रस भरी ... मेरे मुन्ने से मिलने दे अब मुनिया को !"उसने मेरी गुलाबी खुली हुई चूत में अपना लाल सुपाड़ा रख दिया। हाय कैसा गद्देदार नर्म सा अहसास ... फिर उसे चूत की गोद में उसे समर्पितकर दिया। उसका लण्ड बड़े प्यार से दीवारों पर कसता हुआ अन्दर उतरता गया, और मैं सिसकारी भरती रही। चूंकि मैं घोड़ी बनी हुई थी अतः उसका लण्ड पूरा जड़ तक पहुँच गया। बीच बीच में उसका हाथ, मेरे दाने को भी छेड़ देता था और मेरी चूत में मजा दुगना हो जाता था। वो मेरा दाना भीजोर जोर से हिलाता जा रहा था। लण्ड के जड़ में गड़ते ही मुझे तेज मजाआ गया और दो तीन झटकों में ही, जाने क्या हुआ मैं झड़ने लगी। मैं चुपही रही, क्योंकि वो जल्दी झड़ने वाला नहीं लगा।उसने धक्के तेज कर दिए ... शनैः शनैः मैं फिर से वासना के नशे में खोने लगी। मैंने मस्ती से अपनी टांगें फ़ैला ली और उसका लण्ड फ़्री स्टाईल में इन्जन के पिस्टन की तरह चलने लगा। रस से भरी चूत चप-चप करने लगी थी। मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि थोड़ी सी हिम्मत करने से मुझे इतना सारा सुख नसीब हो रहा है, मेरे दिल की तमन्ना पूरी हो रही है। मेरी आँखें खुल चुकी थी... चुदने का आसान सा रास्ता था ... थोड़ी सी हिम्मत करो और मस्ती से नया लण्ड खाओ, ढेर सारा आनन्द पाओ। मुझे बस यही विचार आनन्दित कर रहा था ... कि भविष्य में नए नए लण्ड का स्वाद चखो और जवानी को भली भांति भोग लो।"अरे धीरे ना ... क्या फ़ाड़ ही दोगे मुनिया को...?"वो झड़ने की कग़ार पर था, मैं एक बार फिर झड़ चुकी थी। अब मुझे चूत में लगने लगी थी। तभी मुझे आराम मिल गया ... उसका वीर्य निकल गया। उसने लण्ड बाहर निकाल लिया और सारा वीर्य जमीन पर गिराने लगा। वो अपना लण्ड मसल मसल कर पूरा वीर्य निकालने में लगा था। मैं उसे अब खड़े हो कर निहार रही थी। वो अपने लण्ड को कैसे मसल मसल कर बचा हुआ वीर्य नीचे टपका रहा था।"देखा, संजू तुमने मुझे बहका ही दिया और मेरा फ़ायदा उठा लिया?""काश तुम रोज ही बहका करो तो मजा आ जाए..." वो झड़ने के बाद जाने कीतैयारी करने लगा। रात के ग्यारह बजने को थे। वो बाहर निकला और यहाँ-वहाँ देखा, फिर चुपके से निकल कर सूनी सड़क पर आगे निकल गया।सन्जय के साथ मेरे काफ़ी दिनो तक सम्बन्ध रहे थे। उसके पापा की बदली होने से वो एक दिन मुझसे अलग हो गया। मुझे बहुत दुख हुआ। बहुत दिनो तक उसकी याद आती रही।मैंने अब राहुल से दोस्ती कर ली। वह एक सुन्दर, बलिष्ठ शरीर का मालिकहै। उसे जिम जाने का शौक है। पढ़ने में वो कोई खास नहीं, पर ऐसा लगताथा वो मुझे भरपूर मजा देगा। उसकी वासनायुक्त नजर मुझसे छुपी नहीं रही। मैं उसे अब अपने जाल में लपेटने लगी हूँ। वो उसे अपनी सफ़लता समझ रहा है। आज मेरे पास राहुल के नोट्स आ चुके हैं ... मैं इन्तज़ारकर रही हूँ कि कब उसका भी कोई प्रेम पत्र नोट्स के साथ आ जाए ... जी हाँ ... जल्द ही एक दिन पत्र भी आ ही गया ...।प्रिय पाठको ! मैं नहीं जानती हूँ कि आपने अपने छात्र-जीवन में कितना मज़ा किया होगा। यह तरीका बहुत ही साधारण है पर है कारगर। ध्यान रहे सुख भोगने से पति के विश्वास का कोई सम्बन्ध नहीं है। सुख पर सबका अधिकार है, पर हाँ, इस चक्कर में अपने पति को मत भूल जाना, वो कामचलाऊ नहीं है वो तो जिन्दगी भर के लिए है।

पडोशी की बीबी को मैंने चोद दिया (जिस पडोशी ने मेरी बीबी को चोदा था )

दोस्तों तुम सभी ने एक सत्य घटना पर आधारित सत्य कहानी पढी है 
(मेरी बीबी को मेरे पडोशी ने चोद दिया) मैं कसम खा लिया था की मैं  हेमा (पडोशी रवि की बीबी) को जरुर चोदुगा और इस चुदाई में  मेरी बीबी सहायता करेगी मेरा और ऐसा ही हुआ कैसे आगे पढ़िए | हेमा की चुदाई करने में एक साल का वक्त लग गया बहुत मुस्किल से पटाया हेमा को |

 
हेमा पीछे से १००% ऐसी ही लगती है 

 जब से मेरे पडोशी ने मेरी बीबी को चोदा तब से मै कसम खा लिया की इसकी मदमस्त बीबी को एक दिन जरुर चोदुगा जबकि मेरी उम्र हेमा से करीब 20 साल बड़ी है ओ मुझे बड़ी इज्जत से जस्सी सर कहके बुलाती है | हेमा की चुदाई के पहले सबसे पहले हेमा की कमजोरी और उसकी पसंद को पहचना | हेमा की कमजोरी थी अच्छे अच्छे कपडे ,गहने और चटपटा खाना और सभी ओरतो की एक कमजोरी होती है की उसके बच्चो से खूब प्यार करो माँ अपने आप पट जायेगी और यही हुआ | रवि की सेलरी ज्यादा कुछ नहीं है उसे बड़े मुस्किल से 6000 रुपये सेलरी मिलती है | हेमा एक स्कूल में टीचर है और ओ सुबह ७.०० बजे से तो दोपहर के एक बजे तक स्कूल में रहती है हेमा को भी 3000 मिलते होगे कुल मिलाकर दोनों दस हजार भी नहीं कम पाते है इस कारण हेमा की सोक पूरी नहीं हो पाती है मैं अब हेमा से प्रेम से बोलने लगा रवि की अनुपस्थित में और उसके लड़के को गोद में उठा कर घुमाने भी लगा समय निकाल कर उसे जब भी साथ ले जाता तो किसी दूकान से अच्छी अच्छी ब्रांड की चाकलेट दिलाता माँ बेटे दोनों मजे से खाते | हेमा के पास कंप्यूटर तो है पर नेट चलना नहीं जानती मैंने हेमा के लिए एक नेट सेटर दिला दिया और हर महीने रिचार्ज भी करा देता और हेमा को नेट चलाना सिखा दिया जब नेट सिखाने जाता तो कभी कभी नजदीक बैठ जाती नेहा गाउन में तो उसके स्तनों को देखने का मोका मिल जाता हेम मस्त जवान माल है उसकी फीगर ३०-३२  होगा ज्यादा  वजन भी नहीं है मासल सरीर है गोरा वादन है गाल में एक तिल है जो हेमा को और मस्त सेक्सी बना देता है सोसल नेट वर्किंग के कारण हेमा से अच्छी दोस्ती कर लिया अब मैं बीच बीच में किसी बहाने हेमा के लड़के को महगे महगे कपडे दिला देता हेमा का जन्म दिन था तब मैं हेमा को महगा सा एक सलवार सूट ,एक अच्छी से साड़ी लाकर दिया जो हेमा को बहुत पसंद आई अभी कुछ दिन पहले एक दिन हेमा को एक सोने की रिंग दिलाया इस तरह से हेमा को खूब पटा लिया | एक दिन क्या हुआ की मैं बाजार से आ रहा था रास्ते में हेमा मिल गई जो पैदल थी मैंने हेमा को देख कर मेरी बाइक रोक दिया और बोला आओ चलो तो ओ मेरी बाइक में आकर बैठ गई अब तक मेरी और हेमा की दोस्ती के करीब 10 माह हो गए पर आज पहली बार हेमा मेरे साथ बाइक में बैठी | रास्ते में भीड़ भाड़ बहुत थी और बड़ा सहर होने के कारन हम दोनों का माकन भी काफी दूर था  भीड़ होने के कारन बाइक में बार बार ब्रेक लगना पड़ रहा था जिस से हेमा बार बार मेरे पीठ से अपने स्तनों को टकरा देते थी मैंने एक बार हेमा को बोल भी सॉरी यार क्या करू भीड़ बहुत है आप गलत नहीं लेना तो हेमा मेरे पीठ पर एक हलकी सी चपत दे कर बोली OK OK नो प्राब्लम चलता है सब आज के जमाने में और हसने लगी इतने में फिर से मैं जाना बुझकर ब्रेक मारा की हेमा जोर से चिपक गई मेरे साथ उसके स्तनों का स्पर्श पाकर मैं रोमांचित हो गया और हेमा रस्ते भर चिपकी रही मेरे साथ | रास्ते में हेमा ने बताया की कल भी बाजार आयेगी मैंने बोला टीक है और बात चीत करते करते हम दोनों घर अ गए .घर आने के पहले ही हेमा को बाइक से उतार दिया | अगले दिन हेमा बाजार में मिल  गई मैंने उसे एक महगी से साड़ी खरीद कर दिया सुनार की दूकान में उसे कुछ काम था साथ गई तो फ़र्माइस कर दिया एक चेन की तो सुनार के यहाँ से एक तोले से ज्यादा की चेन खरीद दिया हेमा गिल्ल पड़ गई खुस होकर हम दोनों वापस आने लगे तो हेमा मेरे साथ चिपक कर बैठ गई तब मैंने हेमा के बोबे दबा दिया हेमा कुछ नहीं बोली और मैं रस्ते भर हेमा के बोबे दबाता रहा कभी जांघो पर हाथ घूमता हेमा ने कोई आपत्ति नहीं लिया तो मैं हाइबे की तरफ बाइक को मोड़ दिया और सुनसान जगह पर बाइक रोका और पेसाब किया और वापस आकर हेमा को सीने से लगा कर खूब ढेर सारी पप्पी लिया हेमा भी प्यार से चिपक गई और बोली की आप बहुत अछे मर्द है |
                          
फिर एक दिन क्या हुआ की रवि और उसकी माँ कुछ काम से गाव चले गए और मेरी पत्नी भी उसी समय सयोंग से आपने मायके चली गई दादी सास को देखने जो बीमार थी | हेमा घर में अकेले रहती थी रात में अगले दिन मेरे पास आई और बछो के सामने ही कह दिया की जससे जी रात में डर लगता है मैं आपके यतः सो जाया करू क्या बछो के साथ मैंने बोल टीक है और अगले दिन से हेमा मेरे घर में लड़की के साथ सोने लगी और मैंने मोका देखकर रात को अपने कमरे में बुला लिया हेमा को क्योकि हेमा चुदाने के लिए तो पहले से ही तैयार थी ओ तो मोका ही देख रही थी और फिर तबियत से अलग अलग पोजीसन में हेमा की चुदाई किया हेमा मस्त पद जाती थी छुड़ाने के बाद और कहती थी की जससे सर आपमें बहुत दम है आप ये भी बहुत लम्बा और मोटा है और फिर जब भी मोका मिलता हेमा की चुदाई कर देता कई बार बतो हेमा को सहर के एक होटल में चुदाई किया |

Monday, 8 July 2013

देवर के साथ सम्भोग किया

मेरे पति को अब तीस पैंतीस दिन तक किसी टूर पर नहीं जाना था, उन्होंने शिल्पा वाली कहानी कई दिनों तक मुझसे बड़ी बारीकी से सुनी थी ऑर फिर हसरत जाहिर की थी कि काश इस बार शिल्पा जब घर आये तो वो भी मौजूद हों, इस बात पर अफ़सोस भी जताया था कि जब शिल्पा वाली घटना घटी तब वह वहाँ क्यों नहीं थे।

वे इस बार टूर से सिर्फ सौन्दर्य प्रसाधन नहीं लाये थे बल्कि कई इंग्लिश मैगजीन भी लाये थे, जिनका विषय एक ही था सेक्स। उन मैगजीनों में अनेक भरी सेक्स अपील वाली मोडल्स के उत्तेजक नग्न व अर्धनग्न चित्र थे, कुछ कामोत्तेजक कहानियां व उदाहरण आदि थे तथा दुनिया के सेक्स से संबंधित कुछ मुख्य समाचार थे।

मैं कई दिनों तक खाली समय में उन मैगजींस को देखती व पढ़ती रही थी।

दरअसल मेरी ससुराल इस शहर से चालीस किलोमीटर दूर एक कस्बे में है, जहां से कभी किसी काम से मेरी ससुराल के अन्य लोग आते रहते हैं, कभी मेरे वृद्ध ससुर तो कभी ननद शिल्पा, कभी मेरा एक मात्र देवर जो शिल्पा से चार वर्ष बड़ा है, अगर शहर में उनमें से किसी को शाम हो जाती है तो वे हमारे घर में ही ठहरते हैं।

एक दिन फिर मेरी ससुराल से एक शख्स आया, वह मेरा देवर था। शाम के पांच बजे वह हमारे घर आया था, मेरे पति घर पर नहीं थे, ऑफिस से साढ़े पांच या छः बजे तक ही आते थे।

मैं सोफे पर बैठी इंग्लिश मैगजीन पढ़ रही थी, तभी कॉल-बेल बजी, मैंने मैगजीन को सेंटर टेबल पर डाला ऑर यह सोचते हुए दरवाजा खोला कि शायद मेरे पति आज ऑफिस से जल्दी आ गए हैं, लेकिन दरवाजा खोला तो पाया कि मेरा देवर जतिन सामने खड़ा है, उसने कुर्ता पायजामा पहन रखा था, वह कुर्ता पायजामा में काफी जाँच रहा था।

भाभी जी नमस्ते ...! उसने कहा और अन्दर आ गया।

कहो जतिन ! आज कैसे रास्ता भूल गये? तुम तो अपनी भाभी को पसंद ही नहीं करते शायद ... ! मैंने दरवाजे को लॉक करके उसकी ओर मुड़ कर कहा।

ऐसा किसने कहा आपसे? वह सोफे पर बैठ कर बोला।

वह मेज़ से उस मैगजीन को उठा चुका था जिसे मैं देख रही थी।

मेरे दिल में धड़का हुआ, मैगजीन तो कामोत्तेजक सामग्री से भरी पड़ी थी, कहीं जतिन उसे पढ़ न ले, मैंने सोचा लेकिन फिर इस विचार ने मेरे मन को ठंडक पहुंचा दी कि अगर यह मैगजीन पढ़ ले तब हो सकता है उसकी मर्दानगी का स्वाद आज मिल जाए, इसमें भी तो जोश एकदम फ्रेश होगा ! मैं निश्चिंत हो गई।

कौन कहेगा ...! मैं जानती हूँ ...! अगर मैं तुम्हें पसंद होती तो क्या तुम यहाँ छः छः महीने में आते ? आज कितने दिनों बाद शक्ल दिखा रहे हो ... .पूरे साढ़े पांच महीने बाद आये हो, तब भी सिर्फ एक घंटे के लिए आये थे ! मैं उसके सामने सोफे पर बैठ कर बोली।

मैंने ब्रेजियर और पेंटी पहन कर सिर्फ एक सूती मैक्सी पहन रखी थी, जिसके गहरे गले के दो बटन खुले हुए भी थे, वहां से मेरे गोरे गोरे सीने का रंग प्रकट हो रहा था।

मैंने देखा कि जतिन ने चोर नजरों से उस स्थान को देखा था फिर नजर झुका कर कहा- यह तो बेकार की बात है ... आप जानती ही हैं कि मैं कितना व्यस्त रहता हूँ। कंप्यूटर कोर्स, पढ़ाई और फिर घर का काम ... चक्की सी बनी रहती है, आज थोड़ा टाइम मिला तो इधर चला आया, वो भी शिल्पा ने भेज दिया क्योंकि भाई साहब ने फोन किया था, उन्होंने शिल्पा को बुलाया था कहा था कि उसे कुछ कपड़े दिलवाने हैं, शिल्पा को तो आज अपनी एक सहेली की शादी में जाना था सो उसने मुझे भेज दिया ... जतिन बोला।

मैं समझ गई कि मेरे पति ने शिल्पा को किसलिए फोन किया होगा, कपड़े दिलवाने का तो एक बहाना है, असल बात तो वही है जिसकी उन्होंने तमन्ना जाहिर की थी।

आज ही बुलाया था तुम्हारे भैया ने शिल्पा को? ...मैंने जतिन से पूछा।

हाँ ... कहा था कि आज या कल सुबह आ जाना ! जतिन बोला।

अच्छा तुम बैठो मैं पानी-वानी लाती हूँ ...! मैंने यह कहा और सोफे से उठ कर रसोई की ओर चली गई, फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर एक ग्लास में पानी डाला और ग्लास अपने देवर जतिन के सम्मुख जरा झुक कर ग्लास उसकी ओर बढ़ा कर बोली- लो पानी पीयो ! मैं चाय बनाती हूँ !

जतिन ने सकपका कर मैगजीन से नजर हटाई, मैंने देख लिया था- वह एक मोडल का उत्तेजक फोटो बड़ी तल्लीनता से देख रहा था, उसके चेहरे पर ऐसे भाव आ गए जैसे चोरी पकड़ी गई हो !

उसने कांपते हाथ से ग्लास ले लिया, मेरी ओर देखने पर उसकी पैनी नजर मेरे खुले सीने पर अन्दर ब्रेजरी तक होकर वापस लौट आई, वह नजर झुका कर पानी पीने लगा तो मैं मन ही मन मुस्कुराती हुई रसोई में चली गई।

मैंने चाय पांच मिनट में ही बना ली, चाय लेकर मैं वापस ड्राइंग रूम पहुंची तो देखा कि जतिन तपते चेहरे से मैगजीन को पढ़ रहा है, मेरी आहट पाते ही उसने मैगजीन मेज़ पर उलट कर रख दी,

लो चाय ... .चाय का एक कप ट्रे में से उठा कर मैंने उसकी ओर बढ़ाया, उसने कंपकंपाते हाथ से कप पकड़ लिया और नजर चुरा कर कप में फूंक मारने लगा, मैंने भी एक कप उठा लिया,

मैंने महसूस कर लिया कि जतिन सेक्स के प्रति अभी संकोची भी है और अज्ञानी भी, ऐसे युवक से संबंध स्थापित करने का एक अलग ही मजा होता है, मैं सोचने लगी कि जतिन से कैसे सेक्स संबंध विकसित किया जाये ताकि मेरी यौन पिपासा में शांति पड़े।

उसके गोल चेहरे और अकसर शांत रहने वाली आँखों में मैं यह देख चकी थी कि कामोत्तेजक मैगजीन ने शांत झील में पत्थर मार दिया है और अब उसके मन में काम-भावना से संबंधित भंवर बनने लगे हैं, वह खामोशी से चाय पी रहा था, मेरी ओर यदा कदा देख लेता था।

तभी फोन की घंटी बज उठी, मैंने सोफे से उठ कर फोन का रिसीवर उठाया ओर उसे कान में लगा कर बोली- हेलो ! आप कौन बोल रहे हैं ...?

जानेमन हम तुम्हारे पति बोल रहे हैं ... उधर से मेरे पति का स्वर आया ... हम थोड़ी देर में आयेंगे ... तुम परेशान मत होना ... ओ.के ... इतना कह कर उन्होंने संबंध विच्छेद भी कर दिया।

किसका फोन था ...? जतिन ने प्रश्न किया।

तुम्हारे भाई साहब का ...! मेरी कुछ सुनी भी नहीं और थोड़ी देर से आयेंगे ये कह कर रिसीवर भी रख दिया ... मैंने दोबारा उसके सामने बैठते हुए कहा।

अब तक उनकी आदत ऐसी ही है ... कमाल है ... ! जतिन बोला।

वह चाय ख़त्म कर चुका था, खाली कप उसने मेज़ पर रख दिया, मैं भी चाय पी चुकी थी।

चलो टी. वी देखते हैं ... .मैं सोफे से उठती हुई बोली, मैंने एक शरीर-तोड़ अंगड़ाई ली, मेरी मेक्सी में से मेरा शरीर बाहर निकलने को हुआ, जतिन के होंठों पर उसकी जीभ ने गीलापन बिखेरा और आँखें अपनी कटोरियों से बाहर आने को हुई।

मैंने टेबल से मैगजीन उठा ली और बेडरूम की ओर चल दी, जतिन मेरे पीछे पीछे था।

मैंने बेडरूम में पहुँच कर टी.वी. ऑन करके केबल पर सेट किया एक अंग्रेजी चैनल लगाया ओर बेड पर अधलेटी मुद्रा में बेड की पुश्त से पीठ लगा कर बैठ गई और मैगजीन खोल कर देखने लगी, जतिन भी बेड पर बैठ गया लेकिन मुझसे फासला बना कर।

मुझमें कांटे लगे हैं क्या ... ? मैंने उससे कहा।

जी ... जी ... क्या मतलब ...? जतिन हड़बड़ा कर बोला।

तुम मुझसे इतनी दूर जो बैठे हो ... ! मैंने मैगजीन को बंद करके पुश्त पर रख कर कहा।

ओह्ह ... लो नजदीक बैठ जाता हूँ ...! कह कर वह मेरे निकट आ गया।

उसके और मेरे शरीर में मुश्किल से चार छः अंगुल का फासला रह गया।

तबियत ठीक नहीं है तुम्हारी ...? कान कैसे लाल हो रहे हैं ...! मैंने उसके चेहरे को देख कर कहा ओर उसके माथे पर हाथ लगा कर बोली- ओहो ... माथा तो तप रहा है ... ऐसा लगता है कि तुम्हें बुखार है ... .दर्द-वर्द तो नहीं हो रहा सिर में ...! हो रहा हो तो सीर दबा दूँ! मैंने कहा।

हो तो रहा है भाभी जी ... दोपहर से ही सर दर्द है ...! अगर दबा दोगी तो बढ़िया ही है ! जतिन बोला।

लाओ ... गोद में रख लो सिर ... मैंने उसके सिर को अपनी ओर झुकाते हुए कहा।

उसने ऐतराज नहीं किया और मेरी जाँघों के जोड़ पर सीर रख कर लेट गया, मैं उसके माथे को हल्के हल्के दबाने लगी और मेरे मस्तिस्क में काम-विषयक अनार से छूटने शुरू हो गये थे।

भाभी ... आप बुरा न मनो तो एक बात पूछूं? जतिन बोला।

पूछो ... एक क्यों दस पूछो ... ..मैं टीवी से नजर हटा कर उसकी बड़ी बड़ी आँखों में झांक कर बोली।

यह जो मैगजीन है, इसे आप पढ़ती हैं या भाई साहब ...? जतिन ने प्रश्न किया।

हम दोनों ही पढ़ते हैं क्यों ...? मैंने कहा।

दोनों ही ...आपको क्या जरुरत है ऐसी मैगजीन पढने की ...? वह बोला।

क्यों ...? हम दोनों क्यों नहीं पढ़ सकते ...हमें जरुरत नहीं पड़नी चाहिए ...? मैं बोली।

और क्या ... आप तो शादी शुदा हो ... इसकी या ऐसी मैगजीन मेरे जैसे कुंवारों के लिए ठीक रहती है ...! जतिन बोला।

क्यों ... .जो आनंद इस मैगजीन से कुंवारे ले सकते हैं ... ..उस पर हमारा अधिकार नहीं है क्या ... ? कैसी बातें करते हो तुम ... मैं उसकी कनपटियाँ सहला कर बोली।

अरे वाह ... ..आपको आनन्द के लिये मैगजीन की क्या जरुरत ... ? आपके पास तो जीवित आनन्द देने वाली मशीन है ... .मेरे कहने का मतलब है कि आप भैया से आनन्द ले सकती हो और वे आपसे ... .परेशानी तो हम जैसों की है ... ..जो अपनी आँखों की प्यास बुझाने के लिये ऐसी मैगजीनों पर आश्रित हैं ... जतिन ने बात को गंभीर मोड़ दिया।

ओहो ... तो मेरे देवर की आँखें प्यासी रहती हैं तभी ऐसी बातें कर रहे हो ... .मैंने मुस्कुराते हुए कहा, फ़िर बोली ... तो क्या तुमने अभी तक अपनी आँखों की प्यास नहीं बुझाई ... मेरे कहने का मतलब ये है कि ... क्या इन बड़ी बड़ी आँखों को देवी दर्शन नहीं हुए?

देवी दर्शन ... ? वह इस शब्द पर उलझ गया।

यानि कि किसी युवती को बिना कपड़ों के नहीं देखा? मैंने देवी दर्शन का मतलब समझाया।

इसे कहते हो आप देवी दर्शन ... वाकई आप तो जीनियस हो भाभी जी ... वैसे कह ठीक रही हो आप ! अपनी किस्मत में ऐसा कोई मौका अभी तक नहीं आया है, आगे भी शायद ही आये ... .वह सोचता हुआ सा बोला, फ़िर टी.वी पर आते एक दृश्य में दो मिनी स्कर्ट वाली लड़कियों को देख कर बोला- टी.वी. या किताबों में ही देख कर संतोष करना पड़ता है !

तुम सचमुच ही बद-किस्मत हो, लेकिन एक बात बताओ ! जब तुम ऐसी मैगजीन देख लेते होगे तब तो और प्यास भड़क उठती होगी और शरीर में उत्तेजना भी फ़ैल जाती होगी ... उस उत्तेजना को तुम कैसे शांत करते हो फ़िर ...? मैं बोली।

क्या भाभी जी आप भी कैसी बातें करती हो ...? क्यों मेरे जख्म पर नमक छिड़क रही हो ... कैसे शांत करता हूँ ... .अपना हाथ जगन्नाथ ...! वह बोला।

यानि अपने हाथ से ही अपने को संतुष्ट कर लेते हो और अगर मैं तुम्हारी ये मुश्किल दूर कर दूँ तो ...? मैंने उसके गालों को सहला कर भेद भरे स्वर में कहा, मेरी आँखें रंगीन हो चुकी थी।

क्या ..? आप कैसे मेरी मुश्किल दूर कर सकती हैं ...? वह जिज्ञासु होकर बोला।

इस बात को छोडो ... यह बताओ कि अगर मैं तुम्हें यह छूट दे दूँ कि तुम मेरे कठोर और सुन्दर स्तनों को कपड़े हटा कर देख सकते हो तो बताओ तुम क्या करोगे ...? मैंने अब उससे एकदम साफ़ कहा।

जी ... जी ... वह सकपका गया, उसे मेरी बात पर यकीन नहीं हुवा और बोला- आप तो मजाक कर रही हो भाभी !

चलो मजाक में ही सही अगर कह दूँ तो क्या ... कह ही रही हूँ ... ... जतिन देवर जी ... अगर तुम चाहो तो मेरे गाउन के चारों बटन खोल कर मेरी ब्रा में कैद मेरे स्तनों को ब्रा को हटा कर देख सकते हो ... .मैंने उसके कुरते के गले में हाथ डाल कर उसके मजबूत सीने को सहला कर कहा।

लगता है आप मुझ पर मेहरबान हैं या फ़िर मजाक कर रहीं हैं ...! उसे अभी भी यकीन नहीं आया।



ओहो ... बड़े शक्की आदमी हो ... चलो मैं ही तुम्हारे स्तनों को देख भी लेती हूँ और मसल भी देती हूँ ... .मैंने झल्ला कर उसके सीने पर मौजूद उसके दोनों छोटे छोटे निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया।

उफ ... यह क्या कर रही हो भाभी ...मुझे परेशानी होगी ...! वह मचल कर बोला।

अब तुम तो कुछ करने को तैयार नहीं हो ... तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा ना ...! मैंने कहा।



अब जतिन से पीछे नहीं रहा गया, उसने अपने ऊपर मुझे लेते हुए मेरे स्तनों को मेक्सी के ऊपर से ही सहलाना शुरु कर दिया और बोला- आज तो आप मुझे कत्ल कर के ही छोडेंगी ... ये दोनों पर्वत कब से मुझे परेशान कर रहे हैं ... .अब मुझे मौका मिला है ... ..इन्हें परेशान करने का ... वह मेक्सी के बटन खोलने लगा था, उसकी क्रिया में बेताबी थी, मैं उसके कुर्ते के बटन खोल कर उसके सीने को सहला रही थी।

उसने कांपते हांथों से मेक्सी के दोनों पल्लों को स्तनों से हटा कर ब्रेजरी के कप को नीचे कर दिया और स्तब्ध निगाहों से पहले मेरे गुलाबी रंग के कठोर स्तनों को देखता रहा फ़िर मैंने ही स्तन के निप्पल को उसके होठों में देकर कहा- लो ... बुझाओ प्यास ... मैं जानती हूँ ... ... .जबसे तुमने मैगजीन देखी है ... .तब से ही तुम्हारी प्यास भड़क उठी है !

उसने निप्पल मुंह में ले लिया और उसे चूसते हुए दूसरे स्तन को भी ब्रेजरी के कप में से निकालने की कोशिश करने लगा, उसकी कोशिश देख कर मैंने हाथों को पीछे ले जा कर ब्रेजरी के हुक को खोल दिया तो उसने दूसरे स्तन को भी उसके कप से निकाल कर हाथ में ले लिया और उसके निप्पल को जोर जोर से मसलने लगा।

मैं तरंगित होती जा रही थी, मैगजीन के पन्नों ने मेरी नसों का लहू गर्म कर दिया था, जिसको शीतल करने के लिये मुझे भी एक पुरुषीय-वर्षा की जरुरत थी, मैं उसके बालों को सहला रही थी।

चूसो जतिन ! जितना चाहो चूसो ... .तुम्हारे भईया को भी यही पसंद है ... मैंने उत्तेजित होते हुए कहा।

लेकिन मेरी दिलचस्पी तो दूसरी चीज में भी है, उसे भी चूसने की इजाजत मिल जाये तो मजा दोगुना हो जाये ...! जतिन ने निप्पल को मुंह से निकाल कर कहा।

उफ ... पहले इस पहली चीज से तो जी भर लो ! वह दूसरी चीज भी दूर नहीं है ... मैंने उसकी क्रिया से आनन्दित होते हुए कहा।

मेरे हाथ उसके पाजामे पर पहुच चुके थे, मैं उसके नाड़े को खोलने ही जा रही थी कि उसने जरा नीचे को सरक कर मेरे सपाट चिकने पेट और नाभि को चूमना शुरू कर दिया, वह मेरी मेक्सी से परेशान होने लगा था, मैंने मेक्सी को शरीर से अलग कर दिया और पूरी तरह चित लेट गई, मेरी यौवन संपदा को साक्षात देख कर वह पागल सा होने लगा, मेरी जाँघों को और मेरे गोरे पांव के तलवों को पागलों की तरह जोर जोर से चूमने चाटने लगा।


मैं भी पागलों सी हो गई, मेरे कंठ से कामुक सिसकारियां छूटने लगी, उसके होंठ और उसकी जीभ मेरे शरीर में नया सा नशा घोलने लगी, वह मेरी टांगों के जरा जरा से हिस्से को चूम रहा था और सहला रहा था, उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे पेट के बल लिटा दिया, अब मेरी पीठ और नितंबों के चूमे जाने का नंम्बर था, वह बड़ी ही कुशलता से मेरे संवेदनशील शरीर को सहला रहा था और चूम रहा था।

तुम तो पुरे गुरु आदमी हो उफ ... कैसे मेरे ... उफ ... .उफ ... कैसे मेरे सारे शरीर में हर अंगुल पर एक ज्वालामुखी सा रखते हो ... उफ ... मैं तरंगित स्वर में बोल रही थी, उफ ... कहीं से ट्रेनिंग ली है क्या ...?

ऐसा ही समझो भाभी ... मैं एक कम्प्यूटर आर्टिस्ट हूँ ... ..कम्प्यूटर की कई सी.डी. ऐसी आती हैं जिनमें संभोग के गजब गजब के आसन और मुद्रायें होती हैं ... .उसने मेरे नितंबों से पेंटी सरकाते हुए कहा।

वह अब मेरे नितंबों पर चुंबन धर रहा था, मैं शोला बन गई थी, मेरी उत्तेजना शिखर पर पहुँच गई थी।

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था लेकिन फ़िर भी जतिन द्वारा मिलते चुंबनों के आनंद ने मुझे और प्यासा बना डाला था, मैं चाहती थी कि मेरे शरीर के पोर पोर से वह काम रस चूस ले और मुझे पागल करके छोड़ दे।

वह अपनी क्रिया में व्यस्त था, मैं पुनः पीठ के बल हो गई थी और वह मेरी जाँघों को खोल कर मेरी केश विहीन योनि को चूस रहा था, मैं उत्तेजना में अपने स्तनों को स्वयं ही मथ रही थी।

अपनी टांगें मेरी तरफ कर लो ... मैंने उससे कहा, तो उसने मेरा कहा मान लिया, उसके पाँव मेरे सिर के भी पीछे तक चले गए, मैंने फुर्ती से उसका पाजामा व अंडरवीयर उसके उत्तेजित लिंग से हटाया और आठ नौ इंच के लिंग को मुंह में ले लिया, उसका लिंग मेरे पति से मोटा था इस कारण मुझे होंठ पूरे खोलने पड़ गये, मैं उसे चूसने लगी।

अब तड़पने और उछलने की बारी उसकी थी।

उफ ... उफ ... भा ... भाभी ... .आप तो लगता है मुंह में निचोड़ लेंगी मुझे ... उफ ... !

यह पहला टेस्ट तो मैं मुंह से ही लूंगी ... ..फ़िर योनि में डलवाउंगी, तुम लगे रहो उस काम में, जिसमें लगे हो ... .इतना कह कर मैं फ़िर लिंग चूसने लगी, जतिन लिंग पर मेरे होठों का घर्षण अधिक देर तक नहीं झेल पाया और वह मेरी योनि को भूल कर मेरे कंठ में ही तेजी से धक्के मार कर स्खलित हो गया, उसका सुगन्धित व खौलता वीर्य मैं पी गई, फ़िर भी मैंने लिंग को नहीं छोड़ा और उसे चूस चूस कर पुनः उत्तेजित करने लगी।

थोड़ी देर मैं वह फ़िर कठोर हो गया तो मैंने योनि में उसे डलवाया।

जतिन ने ऐसे ऐसे ढंग से योनि को लिंग से रगड़ा कि मैं चीख पड़ी, उसने अन्ततः बेड से नीचे उतर कर खड़े होकर मेरी जाँघों को खोलकर ऐसे धक्के मारे कि मैं तृप्त हो गई और चरमोत्कर्ष तक पहुंची, वह पुनः स्खलित हो कर मुझसे लिपट गया।

अब मैं और मेरे पति इतने उन्मुक्त हो गये हैं कि मेरे घर मेरा देवर आ जाये, मेरा भाई आ जाये, शिल्पा आ जाये या मेरी कोई सहेली आ जाये या मेरे पति का कोई दोस्त आ जाये हम लोग हर किसी को अपनी काम क्रीड़ा में शामिल कर लेते हैं।

मेरी कामुकता ने सारी हदें पार कर दी हैं, मुझे तो कपड़े अच्छे लगते ही नहीं है, अब उस दिन मेरे ससुर आये थे तब भी मैंने ब्रा-पेंटी पर पारदर्शी गाउन पहन रखा था और मेरे पति ने उनकी उपस्थिति में भी शर्म ना की और मेरे उभारों को चूमते रहे ...!

मेरे ससुर को ही ड्राइंगरूम से उठ कर अपने कमरे में जाना पड़ा था